क्या बोतल से दूध पिलाना शिशुओं के लिए अच्छा है? - kya botal se doodh pilaana shishuon ke lie achchha hai?

शुरुआत में बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराई जाती है, जिससे उन्हें ब्रेस्ट से दूध पीने की आदत हो जाती है। वहीं, जब उन्हें प्लास्टिक का बोतल दिया जाता है, तो उन्हें बोतल का स्पर्श बहुत ही अलग लगता है।

Bottle Feeding Tips : 6 महीने तक के शिशुओं को मां का दूध पिलाना चाहिए। इसके बाद शिशुओं को बोतल का दूध और दूसरे आहार देने चाहिए, लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बहुत सारे शिशु बोतल का दूध पीने में आनाकानी करते हैं और दूध पीते समय रोते हैं। ऐसे में बच्चे की मां को बहुत परेशानी होती है। लेकिन,  6 महीने के बाद शिशुओं को आहार के साथ-साथ बोतल से दूध पिलाने की भी आदत डालनी चाहिए। ताकि, वह  बड़ा होकर वह साधारण दूध पीना सीख सकें। साथ ही उसके शरीर को उचित पोषक तत्व मिल सके। (Bottle Feeding Tips) आइए जानते हैं शिशु बोतल का दूध पीने में आनाकानी क्यों करते हैं-

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सिखाएं बोतल से दूध पीने की आदत

शुरुआत में बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराई जाती है, जिससे उन्हें इसी तरह दूध पीने की आदत हो जाती है। वहीं, जब उन्हें प्लास्टिक की बोतल दी जाती है, तो उन्हें बोतल का स्पर्श बहुत ही अलग लगता है। शुरुआत में उन्हें बोतल से दूध (Bottle Feeding Tips) पीने का अभ्यास नहीं होता है, जिसके कारण उन्हें परेशानी होती है। धीरे-धीरे अगर आदत डाला जाए, तो वह बोतल से भी दूध पीने लगेंगे।

बोतल की गलत पोजीशन

बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं, जो बोतल की गलत पोजीशन के कारण दूध नहीं पी पाते और रोने लगते हैं। इसलिए जब आप शुरुआत में अपने शिशु को बोतल से दूध पिलाएं, तो कोशिश करें कि आप बोतल को सही तरीके से पकड़ रहे हैं। तब तक ऐसा करते रहें, जब तक उन्हें आदत ना हो जाए।

बीमारी भी हो सकती है वजह

कई बच्चे बीमार होने की वजह से भी बोतल से दूध (Bottle Feeding Tips) नहीं पीते हैं। शारीरिक रूप से कमजोरी के कारण, ऐसे बच्चों को भूख नहीं लगती है। अगर आपका बच्चा बोतल पकड़ते ही रोना और पैर पटकना शुरू कर देता है, तो उसके इशारे समझने की कोशिश करें। डॉक्टर से उसकी जांच कराएं, ताकि आपको सही कारणों का पता चल सके।

फॉर्मूला मिल्क का स्वाद खराब लगना

बहुत से ऐसे बच्चे भी होते हैं, जिन्हें अपनी मां के दूध का स्वाद ही पसंद होता है। इन्हें फॉर्मूला दूध का स्वाद पसंद नहीं होता है। ऐसे में शुरुआती समय में वे आनाकानी करते हैं।

बच्चे के छह महीने का होने तक मां का दूध ही सबसे बेहतर माना जाता है। बच्चे को स्तनपान कराना मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। हालांकि, स्तनों में दूध की कमी, चिकित्सीय समस्या व किसी अन्य कारण के चलते हर महिला बच्चे को सामान्य रूप से स्तनपान नहीं करवा पाती हैं। इस परिस्थिति में महिलाएं बच्चे को बोतल से ही दूध पिलाना शुरू करती हैं। इसके अलावा सामान्य अवस्था में भी महिलाएं अपने बच्चे के छह महीने का होने के बाद स्तनपान के साथ ही बोतल से भी पिला सकती हैं।

(और पढ़ें - 6 महीने के बच्चे को क्या खिलाना क्या चाहिए)

अगर आप भी अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाने का विचार कर रहीं हैं तो इस लेख में आपको बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के सही तरीके को विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें आपको बच्चे को बोतल से दूध पिलाना कैसे शुरू करें, बच्चों को बोतल से दूध कितनी मात्रा में पिलाना चाहिए, बोतल से दूध पिलाने के फायदे, बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के नुकसान और बच्चा बोतल से दूध न पिए तो क्या करें आदि विषयों को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है। 

महीनों के लिए विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह देता है क्योंकि स्तनपान से आपके बच्चे को कई लाभ मिल सकते हैं। हालांकि, स्तनपान कुछ माताओं के लिए एक चुनौती भी हो सकती है और जो माताएं इस चुनौती का सामना करती हैं यह लेख उनकी शिशु को बोतल से दूध पिलाने की जानकारी देने में मदद करेगा ।

दोबारा कार्य शुरू करने की इच्छा से लेकर शिशु की ज़रूरत के अनुसार स्तनों में पर्याप्त दूध बनाने में असमर्थ होने तक, कई ऐसे कारण हैं कि एक माँ शिशु को बोतल से दूध पिलाने का फैसला कर सकती है। एक नई माँ को अपने बच्चे को बोतल से परिचय कराने के लिए जो भी आवश्यक जानकारी चाहिए उसकी चर्चा इस लेख में की गई है।

एक नवजात शिशु से बोतल का परिचय कब कराएं?

स्तनपान विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि एक माँ अपने बच्चे को तब तक बोतल से दूध पिलाने की प्रतीक्षा करें जब तक कि स्तनपान की क्रिया पूरी तरह से स्थापित नहीं हो जाती और शिशु पूरी तरह से इस क्रिया को सीख चुका हो। अपने दैनिक कार्य या शिशु के अतिरिक्त पोषण की ज़रूरत के आधार पर, आप अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शुरु करा सकती हैं। बोतल से दूध पीने की आदत होने में कम से कम 2 सप्ताह का समय लगता है।

शिशु के लिए एक फीडिंग बोतल का चयन करें

शिशु के लिए सही बोतल चुनना महत्वपूर्ण है, यदि आपका बच्चा बहुत छोटा है तो एक धीमे प्रवाह वाली बोतल से शुरुआत करें। एक बार जब शिशु को प्रवाह की आदत हो जाती है तो सामान्य प्रवाह वाली बोतल देने का समय होता है। सबसे अच्छी दूध की बोतलें वे होती हैं जो बी.पी.. (बिस्फेनॉल) और एस्ट्रोजन गतिविधि से मुक्त हैं।

शिशु को बोतल से कितना और कितनी बार दूध पिलाना चाहिए ?

शुरू में स्तनपान करने वाले शिशुओं की तरह, एक बोतल से दूध पीने वाला नवजात शिशु 30-60 मिलीलीटर दूध पीना शुरू कर देता है । 2-3 दिनों के बाद उसकी आवश्यकता 60-90 मिली तक बढ़ सकती है। साथ ही, शुरूशुरू मे हर 3-4 घंटे में शिशु को दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। शिशुओं को आहार के मध्य 4-5 घंटे सोने की आदत होती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप शिशु को दूध के लिए हर 5 घंटे के अंतराल पर जगाएं। पहले महीने के बाद आपका शिशु अपने सेवन को 120 मिलीलीटर तक बढ़ाएगा और आपको इसे हर 4 घंटे में पिलाना होगा। जब तक शिशु 6 महीने का नहीं हो जाता, उसका सेवन धीरेधीरे बढ़कर 180-240 मि.ली. दिन में 4-5 बार तक हो जाएगा।

क्या आपको स्तनदूध और फॉर्मूला दूध को मिलाना चाहिए?

स्तनपान और फॉर्मूलाफीडिंग का संयोजन यह सुनिश्चित करने का सही तरीका है कि आपके शिशु को दोनों का सबसे अच्छा भाग मिल सके। यदि आप काम पर लौटने की योजना बना रही हैं तब कभीकभी स्तनदूध को बोतल से पिला सकती हैं और देर रात में शिशु को स्तनपान कराएं, यह एक अच्छा संतुलन बनाएगा।

स्तनदूध और फॉर्मूला दूध को संयोजित करने के तरीके के कुछ सुझाव यहाँ दिए गए हैं:

  • आप शिशु के दिन का स्तनपान धीरेधीरे छुड़वा सकती हैं और इसके बदले में बोतल से दूध पिलाएं । धीरेधीरे ऐसा करने से आपके दूध की आपूर्ति में भारी कमी नहीं आएगी और स्तन अतिरिक्तता को भी रोका जा सकेगा।
  • सुबहशाम स्तनपान करवाने से शिशु को भरपूर पोषण मिलता है।
  • जब आप घर पर हों तो पहले स्तनपान कराना बेहतर होगा और इसके बाद आवश्यक होने पर ही शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाएं ।
  • इसके अलावा ब्रेस्टमिल्क और फॉर्मूला दूध को एक ही बोतल में मिलाना अच्छा नहीं है क्योंकि इससे मिश्रण खराब हो सकता है।
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दूध की बोतलों को स्टरलाइज़ करें

जब तक बच्चा 1 वर्ष का नहीं हो जाता, तब तक दूध पिलाने वाली बोतलों और उनके सभी भागों को स्टरलाइज़ करना ज़रूरी है, यहाँ दूध की बोतलों को स्टरलाइज़ करने के कुछ तरीके दिए गए हैं:

1. दूध पिलाने वाली बोतलों को धोएं

हर बार दूध पिलाने के बाद, बोतलें, चुसनी और किसी भी अन्य दूध पिलाने वाले उपकरण को गर्म साबुन के पानी से अच्छी तरह धोएं और सुखाएं ।

सफाई का एक लम्बा ब्रश केवल दूध पिलाने वाली बोतलों और एक छोटा ब्रश चुसनी को साफ़ करने के लिए रखें। चुसनी को उल्टा करें और उन्हें गर्म साबुन के पानी से धोएं, कठोर डिटर्जेंट के बजाय नियमित तरल साबुन या बच्चे के विशिष्ट तरल साबुन का उपयोग करें।

सभी उपकरणों को बाद में ठंडे पानी से धोना न भूलें और सुनिश्चित करें कि उन पर कोई साबुन न बचा हो ।

2. दूध पिलाने की बोतल को स्टरलाइज़ करें

यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप दूध पिलाने की बोतल को स्टरलाइज़ कर सकती हैं :

  • पारंपरिक उबालने की विधि उबलते पानी के साथ दूध पिलाने के उपकरणों को स्टरलाइज़ करना सबसे पुरानी विधि है। दूध पिलाने के उपकरणों को स्टरलाइज़ करने के लिए उन्हें 10 मिनट तक उबालें। सुनिश्चित करें कि सभी उपकरण पानी में डूबे हुए हों,बोतलों और चुसनी की जाँच करें। चूंकि नियमित रूप से उन्हें उच्च तापमान पर उबालने से नुकसान हो सकता है।

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माइक्रोवेव या इलेक्ट्रिक स्टरलाइज़र दूध पिलाने के उपकरण को माइक्रोवेव या इलेक्ट्रिक स्टरलाइज़र में भी स्टरलाइज़ किया जा सकता है। इसमें आपको बोतल स्टेरलाइज़र के निर्माता के निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता होगी। सुनिश्चित करें कि मशीन के अंदर सभी बोतलें व चुसनी नीचे की ओर रहें और सभी उपकरणों को केवल अनुशंसित समय के लिए मशीन के अंदर छोड़ दिया गया है।

  • स्टरलाइज़िंग उत्पाद आप बाजार में उपलब्ध स्टरलाइज़िंग उत्पादों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें भी आप निर्माता के निर्देशों का पालन करें औरउपकरण स्टरलाइज़ करते समय यह सुनिश्चित करें कि सभी उपकरण पूरी तरह से तरल में डूबे हुए हैं।

3. स्टरलाइज़ करने के बाद

ज़रूरत पड़ने तक स्टरलाइज़र में फीडिंग बोतल छोड़ना सबसे अच्छा है। यदि आप उबलने की विधि का पालन कर रहे हैं तो बोतलों को हटा दें और उन्हें चुसनी व ढक्कन से तब तक बंद रखें जब तक कि ज़रूरत न हो और साथ ही यह सुनिश्चित करें कि आप बोतलों को छूने से पहले अपने हाथ धो लें।

दूध की बोतल गर्म करने के लिए सबसे अच्छा तरीका

यदि शिशु का पसंदीदा भोजन सही तरीके से न दिया जाए तो वे उधम मचाते हैं। यहाँ दूध की बोतल गर्म करने के लिए सबसे अच्छे तरीके पर कुछ सुझाव दिए गए हैं:

1. बोतल गर्म करने की मशीन का उपयोग करें

आपको बस बोतल वार्मर में पानी भरने की ज़रूरत है, बोतल को उसके स्थान में फिट करें, वॉर्मर का स्विच ऑन करें और 4-5 मिनट बाद आपके पास शिशु के लिए सही तरह से गर्म पानी से साफ़ की हुई बोतल तैयार होगी।

2. गर्म पानी से भरे कटोरे का उपयोग करें

एक गहरी बोतल में गर्म पानी भरें और दूध पिलाने की बोतल की निप्पल निकाल कर रखें, सुनिश्चित करें कि आप बैक्टीरिया के विकास से बचने के लिए इसे 10-15 मिनट से अधिक नहीं छोड़ें ।

3. किससे बचाव करें

  • दूध भरी बोतल को गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग करने से बचें, यह दूध को असमान रूप से गर्म करेगा और दूध का गर्म भाग शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
  • समान फीडिंग बोतल को दो बार गर्म करने से बचें क्योंकि जब दूध को उबाला जाता है और ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है तो बैक्टीरिया प्रजनन होते हैं। इसलिए दूध को अलग कर देना और अगले फ़ीड के लिए ताज़ा दूध लेना ही सबसे अच्छा उपाय है।

संकेत जो बताते है कि आपका बच्चा भूखा है

शिशु की भूख के संकेतों पर नज़र रखें, स्तनपान करने वाले शिशुओं की तरह ही बोतल से पीने वाले शिशुओं में भूख़ के समय दूध ढूंढने की प्रतिक्रिया, चूसना, स्तन की खोज और दूध ढूंढ़ने के लिए होठों की प्रतिक्रिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

क्या बोतल से दूध पिलाना शिशुओं के लिए अच्छा है? - kya botal se doodh pilaana shishuon ke lie achchha hai?

अगर आपका शिशु बोतल से दूध पीता है तो आपको इस बात का सही अंदाज़ा है कि आपका बच्चा कितना दूध पी रहा है। यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जो बताते हैं कि आपका शिशु भूखा है:

  • शिशु को एक दिन में कम से कम 6-8 बार खिलाया जाना चाहिए, आपका शिशु भी नियमित रूप से दूध मांगेगा।

  • शिशु के ठीक से लेटने और दूध के अच्छी तरह नीचे की ओर जाने पर, आप उसके द्वारा दूध निगलने की आवाज़ को सुन पाएंगी । शिशु का पेट भर जाने पर वह दूध पीना बंद कर देता है और तुरंत अलग हो जाता है।

कैसे पता करें कि आपका शिशु आराम से दूध पी रहा है?

स्तन से और एक बोतल से दूध पीने के लिए अलग अलग तरह से मुंह और जीभ चलाने की आवश्यकता होती है। इसलिए शिशु को इसकी आदत पड़ने और दोनों के ज़रीए आसानी से दूध पीने में कुछ समय की आवश्यकता होती है । बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के तरीके के बारे में कुछ सुझाव यहाँ दिए गए हैं:

  • शिशु के लिए सबसे उपयुक्त बोतल का चुनाव करें।
  • शिशु को बोतल से दूध पिलाने के लिए किसी और को दें क्योंकि जब आप न हो तब उसे किसी और से दूध पीने की आदत पड़ जाए ।
  • यदि आप ऊपर के दूध के साथ शुरुआत कर रहे हैं, तो थोड़ी मात्रा में दूध लें और हमेशा स्तनपान के बाद उसे पिलाएं। इस तरह शिशु को बदलाव के साथ तालमेल बिठाने का समय मिलेगा।
  • शिशु को इसकी आदत पड़ने के लिए समय दें। ऐसा भी हो सकता है कि बच्चा दिन में ज़्यादा दूध नहीं पी पाता और रात में स्तनपान करता हो ।

बोतल से शिशु को दूध कैसे पिलाएं?

दूध पिलाने का समय आपके शिशु के साथ संबंध बेहतर करने का सबसे अच्छा समय है। यहाँ नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाने के कुछ टिप्स दिए गए हैं :

  • हमेशा शिशु को लगभग सीधी स्थिति में ही दूध पिलाएं, यानी अपने हाथ का पालना बनकर शिशु को लिटाएं । यह न केवल शिशु को फुसलाने के बिना दूध पीना आसान बनाता है, बल्कि पिलाते समय आँखों से संपर्क भी बनाए रखता है।
  • आप शिशु को बैठने की स्थिति में भी दूध पिला सकती हैं, जहाँ बच्चा आपकी गोद में बैठा है और आपने सामने से बोतल पकड़ी हुई है ।
  • दूध पिलाते समय, हमेशा बोतल को झुकाएं ताकि निप्पल दूध से भर जाए और हवा के लिए कोई जगह न हो । इससे गैस बनने की संभावना कम होती है।

बोतल से पिलाने का सर्वोत्तम तरीका कोई भी नहीं है। जब तक शिशु सो नहीं रहा है या बोतल से दूध पीते समय पीठ के बल नहीं लेटता है तब तक उपरोक्त तरीकों में से सभी ठीक हैं ।

बोतल से दूध पिलाने की समस्या

स्तनपान की तरह, बोतल से दूध पिलाने की भी अपनी समस्याएं हैं। शिशुको बोतल से दूध पिलाने के दौरान आपको यह अनुभव हो सकते हैं:

  • यदि बोतलें अच्छी तरह से स्टरलाइज़ नहीं हैं, तो शिशुसंक्रमित हो सकता है जो दस्त या उल्टी का कारण बन सकता है।
  • गलत फीडिंग पोजीशन शिशु को दूध पिलाते समय परेशान कर सकती है, खासकर यदि आप शिशु को नींद की स्थिति में दूध पिलाते हैं।
  • दूध पिलाने वाली बोतलों में हवा फंसी रहती है, जो बदले में शिशु को गैस की समस्या से ग्रसित करती है। दूध पिलाते समय, नियमित रूप से शिशु डकार दिलवाने से गैस की समस्या कम हो सकती है, उसे को ऐसे कपड़े पहनाएं जो पेट के चारों ओर ढीले हों।
  • मुंह से दूध निकालने से बचने के लिए शिशु को दूध पिलाने के बाद हमेशा सीधा रखें।
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बोतल से दूध पिलाने के फायदे

स्तनपान का अगला सबसे अच्छा विकल्प बोतल से दूध पिलाना है। बोतल से दूध पिलाने के फायदे और नुकसान दोनों हैं, आइए एक नज़र डालते हैं फायदों पर:

  • जब शिशु को बोतल से दूध पिलाया जाता है, तो आप ठीक से माप सकते हैं कि वह कितना दूध पी रहा है।
  • बोतल से दूध पिलाना, शिशुके लिए परिवार के अन्य सदस्यों को सक्षम बनाता है। यह न केवल परिवार के अन्य सदस्यों के साथ एक बंधन को प्रोत्साहित करता है, बल्कि माँ को बहुत ज़रूरी विराम भी देता है।
  • जो माएं विशेष रूप से बोतल से दूध पिलाती हैं, उन्हें अपने आहार के बारे में चिंता नहीं करनी पड़ती।
  • बोतल से दूध पिलाने वाली माएं अपनी गर्भावस्था के पूर्व की आदतों को ज़ल्दी ही अपना सकती हैं।

बोतल से दूध पिलाने के नुकसान

बोतल से दूध पिलाने के नुकसान हैं:

  • हालांकि फॉर्मूला दूध में पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु को स्वस्थ और मज़बूत होने में मदद करते हैं, लेकिन इसमें कुछ पोषक तत्वों की कमी भी होती है जो मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। स्तन का दूध प्रतिरक्षा प्रदान करता है और लौह तत्वों से परिपूर्ण होता है।
  • स्तन का दूध शिशु के पाचन तंत्र के लिए भी लाभकारी है और शरीर इसे आसानी से पचा सकता है।
  • स्तनपान कराने वाली माओं में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर और हड्डियों की कमजोरी की संभावना कम होती है।
  • रात के भोजन के दौरान बोतल से दूध पिलाना असुविधाजनक हो सकता है क्योंकि स्तनपान कराने की सरल विधि की तुलना में जागना और बोतल तैयार करना कठिन हो सकता है।

स्तनपान की आदत छुड़ाने और बोतल से दूध पिलाने की आदत डालें

स्तन से बोतल द्वारा संक्रमण में समय लग सकता है, लेकिन यह अंततः होगा। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो माँ और शिशु दोनों के लिए स्तनपान छुड़ाने में कम दर्दनाक और तनावपूर्ण हो सकता है:

  • अपनी लक्ष्य तिथि से एक या दो महीने पहले स्तनपान छुड़ाने की प्रक्रिया शुरू करना सबसे अच्छा है। यह आप दोनों को बदलाव के लिए पर्याप्त समय देगा। प्रक्रिया को धीरेधीरे शुरू करें ताकि आपको दर्दनाक अतिपुरित स्तनों की समस्या न हो।
  • स्तनपान कराने के उस समय शुरू करें जो शिशु को कम पसंद हो, जैसे कि मध्यसुबह या मध्यदोपहर और दिन में एक बार स्तनपान कि जगह बोतल से दूध पिलाएं, ताकि शिशु को इसकी आदत हो सके।
  • शिशु के पसंदीदा ब्रेस्टफीड्स समय, जैसे शुरुआती सुबह और देर रात को कुछ बेहतर समय साथ बिताने के लिए रखें।अगर बोतल से दूध पिलाने वाला व्यक्ति माँ नहीं है, तो यह भी इसमें मदद करता है क्योंकि जब माँ का दूध आसानी से उपलब्ध होता है, तो शिशु बोतल का दूध नहीं पीता है।
  • जब आप शिशु का स्तनपान छुड़ाना शुरू करती हैं, तो दर्द और तकलीफ होना तय है। आपके स्तन मांगअपूर्ति के आधार पर दूध का उत्पादन करते हैं इसलिए आपके शरीर को इसके अनुसार आने में समय लगेगा। दूध से भरे स्तनों को खाली करने के लिए कुछ दूध निकाल दें, लेकिन अपने स्तनों को पूरा खाली न करें क्योंकि इससे शरीर को अधिक दूध बनाने का संकेत मिलता है ।

क्या इसे बाद में उपयोग के लिए फ्रिज में स्टोर करना ठीक है?

फॉर्मूला दूध जिसे 2 घंटे से अधिक समय तक बाहर रखा गया है, उसे बैक्टीरिया के विकास के कारण उपयोग नहीं करना चाहिए। उपयोग न किया हुआ फॉर्मूला दूध को रेफ्रिजरेटर में 24 घंटे तक रखा जा सकता है।

जबकि कुछ महिलाएं व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के कारण बोतल से दूध पिलाने का चयन करती हैं या क्योंकि वे काम पर लौटना चाहती हैं

क्या बच्चों को बोतल से दूध पिलाना चाहिए?

बोतल का निप्पल जर्म्स को शरीर के अंदर पहुंचाने का सबसे बड़ा स्त्रोत है। यहां माइक्रोऑर्गैनिस्म (Microorganism) चिपक सकते हैं और दूध पिलाते समय बच्चे के शरीर में प्रवेश कर सकते है। ऐसे में अगर शिशु पहले से ही किसी अन्य बीमारी का शिकार है तो उसे बोतल से दूध पिलाने की वजह से शिशु में डायरिया का खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है।

क्या बोतल से दूध पिलाना हानिकारक है?

बोतल फीडिंग से हो सकता है बच्चे के इम्यून सिस्टम को नुकसान फार्मूला मिल्क में मां के दूध जैसे प्राकृतिक न्यूट्रिएंट्स नहीं होते हैं। इस वजह से बच्चे में प्राकृतिक रूप से बनी इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है। इसके अलावा कई बार फार्मूला मिल्क से बच्चे को यूरिन इन्फेक्शन या डायरिया भी हो सकता है।

कितने महीने के बच्चे को बोतल से दूध पिलाना चाहिए?

आप ये तो जानते ही होंगे कि जन्‍म के बाद पहले 6 महीने तक बच्‍चे को मां का दूध ही पिलाते हैं, लेकिन क्‍या आप से जानते हैं कि बच्‍चे को बोतल का दूध किस उम्र से पिलाना चाहिए। कहते हैं कि जन्‍म के बाद पहले 6 महीने तक शिशु को मां का दूध ही पिलाना चाहिए और इतने समय तक बच्‍चे के लिए संपूर्ण पोषण का आधार मां का दूध ही होता है।

बच्चे को दूध पिलाने के लिए कौन सी बोतल सबसे अच्छी है?

​ज्‍यादा कंफर्टेबल क्‍या है बेबी के लिए निप्‍पल ऐसी होनी चाहिए जिसे वो आराम से मुंह में दबाकर दूध पी सके। इस मामले में लैटेक्‍स निप्‍पल बेहतर होती हैं। ये लचीली और मुलायम होती हैं।