क्या आवासीय प्लाट का दाखिल खारिज होता है? - kya aavaaseey plaat ka daakhil khaarij hota hai?

जागरण संवाददाता, किच्छा : जिले भर में खेती की भूमि पर भू-उपयोग बदले बगैर ही आवासीय कालोनियां काटने वालों के लिए बुरी खबर है। खेती की ऐसी भूमि जिस पर वर्तमान में आवासीय कालोनियां काटी जा चुकी हैं, अब इन भू-खंडों के दाखिल खारिज नहीं होंगे। जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इन भू खंडों का दाखिल खारिज तभी हो सकेगा जब कालोनाइजर प्रशासन द्वारा तय आवासीय कालोनी काटने के सभी मापदंड पूरे कर लेगा। प्रशासन के इस आदेश से रियल स्टेट कारोबारियों में जिले भर में हड़कंप मचा हुआ है।

जिले में लगभग एक वर्ष पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता ने राजस्व व विनियमित क्षेत्र विभाग से कालोनियों का सर्वे कराया। सर्वे में जिले में लगभग पांच सौ ऐसी कालोनियां पाई गई थीं, जो आरबीओ एक्ट का उल्लंघन कर अवैध रूप से काटी गई थीं। इन कालोनियों का न तो विभाग से मानचित्र स्वीकृत कराया गया और न ही जमीन का भू उपयोग ही बदला गया। यानि सभी कालोनियां कृषि भूमि पर ही काटी गयी। इससे सरकार को राजस्व की बड़ी चपत लगी है।

सर्वे रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन द्वारा सभी कालोनाइजर को आरबीओ एक्ट के तहत नोटिस जारी किया गया। समय दिया गया कि वह विनियमित क्षेत्र कार्यालय में उपस्थित हो कालोनियों की खामियों को दुरस्त करा लें। एक साल बाद भी हाजिर होना तो दूर अधिकांश ने तो नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है। इस मामलेको जिलाधिकारी चंद्रेश यादव ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने अपने आदेश संख्या-32 एसटी कैंप में कृषि भूमि पर काटी गई ऐसी कालोनियों के भूखंडों के दाखिल खारिज पर अब रोक लगा दी है। आदेश में कहा गया है कि भूस्वामियों व बिल्डर्स द्वारा वैधानिक अनुमति प्राप्त किए बिना ही भूमि पर अवैध कालोनियों का निर्माण किया जा रहा है। इससे राजस्व की क्षति तो हो ही रही है बाद में भूमि खरीदने वालों को भी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

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रुद्रपुर में सबसे अधिक अवैध कालोनियां

किच्छा : प्रशासन की ओर से एक वर्ष पूर्व कराए गए सर्वे में पांच सौ से अधिक अवैध कालोनियां चिह्नित की गई, इनमें रुद्रपुर में 129, किच्छा में 120, काशीपुर में 85 व शेष सितारगंज, खटीमा, बाजपुर, जसपुर, गदरपुर व दिनेशपुर में पाई गई थी।

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दाखिल खारिज लगाएगा लगाम

किच्छा : दखिल खारिज पर रोक लगाने से अब रियल स्टेट कारोबार जिले में धड़ाम होने की संभावना है। अब तक कारोबारी कृषि भूमि पर भू खंड काट कर आसानी से भू खंडों की रजिस्ट्री करने के बाद क्रेता के नाम पर भूमि का दाखिल खारिज यानी क्रेता के नाम करा अपने दायित्व से मुक्त हो जाते थे। दाखिल खारिज पर जिले भर में रोक के चलते कालोनाइजर की मजबूरी होगी कि वह ले आउट तो स्वीकृत कराए ही नियमानुसार आवासीय सुविधाएं भी मुहैया कराए।

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जिलाधिकारी ने अवैध कालोनियों पर नकेल कसने के लिए ही इन कालोनियों के भूखंडों के दाखिल खारिज पर रोक लगा दी है। इस आदेश के बाद उन्हीं कालोनियों के भूखंडों का दाखिल खारिज किया जाएगा, जिनकी कालोनियां आरबीओ एक्ट के तहत स्वीकृत होंगी।

सुरजीत पुंढीर अलीगढ़ । जमीनों के बैनामों में होने वाले फर्जीवाड़े को पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन ने बड़ा बदलाव किया है। अब अब शहर, कस्बे व गांव में प्लॉट खरीदने वालों को भी अपनी जमीन की दाखिल खारिज कराना अनिवार्य होगा। इसके लिए डीएम चंद्रभूषण सिंह ने आदेश जारी कर दिया है। सभी तहसीलों में इसकी शुरुआत भी हो गई है। अब तक एक ही प्लॉट की कई -कई बार बिक्री कर माफिया लोगों को चूना लगा रहे थे।

यह होती है दाखिल खारिज
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से जमीन लेना चाहता है तो पहले उसका रजिस्ट्री कार्यालय में बैनामा होता है। इसके बाद बैनामे की एक कॉपी तहसील में आ जाती है। यहां राजस्व विभाग के अफसर इसे अपने रजिस्ट्रर में दर्ज करते हैं। फिर 35 दिन का समय देकर इस्तहार होता है। अगर इस दौरान कोई भी आपत्ति नहीं आती है तो फिर 10 दिन का समय लगाकर खरीददार के पक्ष में दाखिल खारिज कर दी जाती है। बैनामा के 45 दिन में दाखिल खारिज होती है। इसी प्रक्रिया के बाद उस गाटा की खतौनी पर खरीददार का नाम दर्ज होता है। इसी के बाद उसका मालिकाना हक माना जाता है।

लोगों से करोड़ों रुपये तक ऐंठे
खेती वाली भूमि की दाखिल खारिज अब तक तहसीलों में महज खेती भूमि की बिक्री की ही दाखिल खारिज होती थी, लेकिन प्लॉट लेने वाले लोग इसे नहीं कराते थे। वह बैनामों के आधार पर ही कब्जा ले लेते थे, लेकिन खतौनी में नाम उस जमीन के असली मालिक का ही दर्ज रहता। लेकिन, कुछ जगह माफिया माफिया ने इसी का फायदा उठाना शुरू कर दिया। उन्होंने एक ही प्लॉट की अपनी खतौनी के आधार पर कई-कई लोगों को बिक्री शुरू कर दी। इससे लोगों से करोड़ों रुपये तक ऐंठे गए।

तहसीलों में लगे अंबार
तहसीलों में अब पिछले कुछ दिनों से ऐसे ही मामलों के अंबार लग गए हैं। एक ही प्लॉट पर पांच-पांच लोगों ने दावेदारी करनी शुरू कर दी। ऐसे में प्रशासनिक अफसर भी कब्जा दिलाने में परेशान हो गए। तहसील व जिला स्तर के न्यायालयों में भी ऐसे मामलों के अंबार लग गए। प्रशासन ने कई फर्जीवाड़ों का पर्दाफाश भी किया। हर तहसील में दशकों पुराने दर्जनों मामले सामने आए।

किया गया अनिवार्य
फर्जी बैनामों से बचने के लिए अब प्रशासन ने खेती योग्य जमीन के साथ ही प्लॉट का बैनामा भी अनिवार्य कर दिया है। डीएम चंद्रभूषण सिंह ने जिले के सभी तहसीलदार व एसडीएम कोल आदेश जारी कर दिया हैं। तहसील में अब इसकी शुरुआत भी हो गई है। इससे बैनामे के बाद खतौनी में भी असली मालिक का नाम दर्ज हो जाता है।

तहसीलों में प्रक्रिया शुरू
डीएम चंद्रभूषण सिंह का कहना है कि फर्जी बैनामा रोकने के लिए इसकी शुरुआत हुई है। अब प्लॉट की भी दाखिल खारिज कराना अनिवार्य होगा। सभी तहसीलों में इसकी शुरुआत हो गई है।

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Edited By: Sandeep Saxena

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क्या आवासीय plot का दाखिल खारिज होता है?

अब आवासीय जमीन की भी दाखिल खारिज होगी। जी हां, जमीन की फर्जी रजिस्ट्रियों पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन ने यह फैसला किया है। एक ही जमीन पर कई बैनामों के मामले सामने आने के बाद जिला निबंधक ने सभी तहसीलों को इस आशय के आदेश जारी किए हैं।

क्या 143 जमीन का दाखिल खारिज होता है?

किन स्थितियों में रिजेक्ट होता है आवेदन मित्रों, मित्रों अगर एसडीएम को यह लगता है कि आपकी जो भूमि है उस पर धारा 143 की कार्यवाही से सुरक्षा, स्वास्थ्य या प्रशासनिक प्रबंधन में या अन्य सरकारी परियोजना में कोई दिक्कत आ रही है तो वह इस आवेदन को खारिज भी कर सकता है।

दाखिल खारिज नहीं होने पर क्या होगा?

दाखिल खारिज न कराने से होते हैं कई और नुकसान जिस प्रॉपर्टी का दाखिल खारिज नहीं होता, उस प्रॉपर्टी के एवज में आप किसी बैंक से लोन भी नहीं ले सकते हैं. इसलिए, किसी भी तरह की जमीन खरीदते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सिर्फ रजिस्ट्री करा लेना ही जरूरी नहीं है, उस जमीन का दाखिल खारिज कराना भी बहुत जरूरी होता है.

क्या दाखिल खारिज कैंसिल हो सकता है?

उत्तर: हां, दाखिल खारिज कैंसिल हो सकता है।