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इस लड़की के हैं तीन 'माता-पिता'
1 सितंबर 2014 इमेज स्रोत, Charlotte Pritchard एक मां और एक पिता की संतान में तो कुछ भी असामान्य नहीं है. लेकिन अगर किसी बच्चे के शरीर में तीन लोगों का डीएनए हो तो? कुछ ऐसा ही मामला है अलाना सारीनेन का और दुनिया में ऐसे गिने चुने ही किस्से हैं. अलाना सारीनेन को गोल्फ़ खेलना, पियानो बजाना, संगीत सुनना और दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद है. इन सब आदतों को देखते हुए वह दुनिया की दूसरी किशोरियों की तरह ही है, लेकिन असल में उनसे भिन्न हैं. तीसरा व्यक्ति कैसे बनता है बच्चे का बॉयोलॉज़िकल माँ या बाप? - पढ़ें पूरी रिपोर्टअलाना कहती हैं, "कई लोग मुझसे कहते हैं कि मेरा चेहरा मेरी मां से मिलता है, मेरी आंखे मेरे पिता की तरह हैं. वगैरह-वगैरह.. मुझे कुछ विशेषताएं उनसे मिली हैं और मेरी शख्सियत भी कुछ उनकी ही तरह है." वह कहती हैं, "मेरे शरीर में एक और महिला का भी डीएनए है. लेकिन मैं उन्हें अपनी दूसरी मां नहीं मानती, मेरी शरीर में उनके कुछ माइटोकॉन्ड्रिया हैं." माइटोकॉन्ड्रिया का महत्वइमेज स्रोत, BBC World Service माइटोकॉन्ड्रिया किसी भी कोशिका के अंदर पाया जाता है जिसका मुख्य काम कोशिका के हर हिस्से में ऊर्जा पहुंचाना होता है. इसी कारण माइटोकांड्रिया को कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है. माइटोकॉन्ड्रिया की एक ख़ासियत यह है कि यह सिर्फ़ मां से ही विरासत में मिलते हैं, पिता से कभी नहीं. अलाना दुनिया की उन 30 से 50 लोगों में से एक हैं, जिनके शरीर में किसी तीसरे व्यक्ति के कुछ माइटोकॉन्ड्रिया हैं और इसी वजह से कुछ डीएनए भी. अमरीका के एक मशहूर इनफर्टिलिटी केंद्र में उपचार के बाद वह गर्भ में आई थीं, जिस पर बाद में प्रतिबंध लगा दिया गया था. कब ज़रूरी होती है ये तकनीकइमेज स्रोत, BBC World Service लेकिन, जल्द ही अलाना जैसे लोगों की तादाद बढ़ सकती है, क्योंकि ब्रिटेन अनुवांशिक बीमारी को खत्म करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया लेने की नई तकनीकी को क़ानूनी दर्जा दे सकता है. इसे माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट कहा जाता है और अगर ब्रितानी संसद से इसे मंज़ूरी मिल जाती है तो ब्रिटेन तीन लोगों के डीएनए लेकर पैदा होने वाले बच्चों को क़ानूनी वैधता देने वाला पहला देश होगा. दरअसल, अलाना की मां शेरोन सारीनेन दस साल से आईवीएफ तकनीक से मां बनने का प्रयास कर रही थी. शेरोन कहती हैं, "मैं अयोग्य महसूस कर रही थी. मुझे अपराधबोध हो रहा था कि मैं अपने पति को एक बच्चा नहीं दे पा रही हूं. मैं सो नहीं सकती थी और चौबीसों घंटे मेरे दिमाग में यही सब चलता रहता था." साइटोप्लास्माइमेज स्रोत, BBC World Service 1990 के दशक में विकसित साइटोप्लास्मिक ट्रांसफ़र टेस्ट ट्यूब बेबी की उन्नत तकनीक है, जिसमें शुक्राणु को एक अंडाणु में डाला जाता है. अमरीका के न्यू जर्सी में डॉक्टर ज्याक कोहेन ने एक महिला के साइटोप्लास्म को शेरोन के अंडाणु में स्थानांतरित किया. इसके बाद उसे उसके पति के शुक्राणु के साथ फर्टिलाइज़ किया गया. इमेज स्रोत, Charlotte Pritchard इमेज कैप्शन, माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी के चलते बर्नार्डी के सात बच्चों की मृत्यु हो गई थी इस प्रक्रिया के दौरान कुछ माइटोकॉन्ड्रिया भी स्थानांतरित हुआ और उस महिला का कुछ डीएन भी भ्रूण में पहुंच गया. शेरोन कहती हैं कि उनकी बेटी अलाना स्वस्थ और अन्य किशोरियों की तरह है. वह कहती हैं, "मैं इससे बेहतर बच्चे की इच्छा नहीं रख सकती थी. वह कुशाग्र और सुंदर है. उसे गणित और विज्ञान पसंद हैं. जब वो पढ़ नहीं रही होती है तो घर के काम में मेरी मदद करती है." (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.) सब्सक्राइब करे youtube चैनल energy house of cell is called as in hindi कोशिका का ऊर्जा गृह किसे कहते है | कोशिका का ऊर्जा ग्रह क्या कहलाता है ? उत्तर नीचे दिए गए है अंत में – कोशिका विज्ञान (Cytology) 1. ‘सेल‘ (Cell) नाम किस जीव वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम दिया था ?
उत्तरमाला
कोशिकांग को कोशिका का ऊर्जा गृह कहा जाता है और क्यों?माइटोकांड्रिया को कोशिका का ऊर्जा गृह कहा जाता है क्योंकि माइटोकांड्रिया के रासायनिक प्रक्रिया से शरीर के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न होती है।
कोशिका के ऊर्जा ग्रह को क्या कहा जाता है?माइटोकॉन्ड्रिया को "कोशिका के बिजलीघर" के रूप में जाना जाता है।
कोशिका का विद्युत गृह किसे कहते हैं और क्यों?कोशिका का का पावर हाउस माईटोकान्ड्रिया को कहा जाता हैं क्योंकि यही तो पावर को ATP के रूप में इखट्टा करके रखता है। माइटोकॉन्ड्रिया रासायनिक ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग किए जाने वाले एडेनोसिन ट्राइफ़ॉस्फेट (एटीपी) की अधिकांश सेल की आपूर्ति करते हैं। इस प्रकार एक माइटोकॉन्ड्रियन को कोशिका का बिजलीघर भी कहते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा ग्रह क्यों कहा जाता है?Solution : माइटोकॉन्ड्रिया में ऑक्सीकारक एंजाइम होते हैं जो भोजन के ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा उत्पादन के लिए उत्तरदायी हैं। यह उत्पादित ऊर्जा कोशिका द्वारा प्रयोग की जाती है। इसलिए इसे कोशिका का ऊर्जागृह कहते हैं।
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