विषयसूची मनुष्य को अज्ञान शिशु क्यों कहा गया है?इसे सुनेंरोकेंइस अवधि में उनकी परवरिश न हो तो उनके जीवित रहने की संभावना बहुत ही कम रहती है। मानव शिशु अपने हाथ पांव पर नियंत्रण हासिल करने में ही साल भर से अधिक वक्त लगाता है। उसके बाद भी उसे देखभाल, प्रशिक्षण, शिक्षा और परवरिश के लिए दो दशकों से अधिक की अवधि की दरकार होती है। देखा जाए, तो मानव शिशु असहाय होता है। लेखक मनुष्य को विपत्तियों में हतोत्साहित न होने के लिए क्या दृष्टान्त दे रहा है?इसे सुनेंरोकेंइसलिए उन्होंने सोचा कि इस तरह रहने से तो एक बार मरना अच्छा है। जीते जी ज़मीन किसी को भी नहीं देंगे। ये लोग मुझे एक बार में ही मार दे। अत: लेखक ने कहा कि अज्ञान की स्थिति में मनुष्य मृत्यु से डरता है परन्तु ज्ञान होने पर मृत्यु वरण को तैयार रहता है। पाठ सपनों के से दिन में वर्णित लेखक का बचपन आज के बचपन से कैसे भिन्न है अपने अनुभव के आधार पर उत्तर दीजिए? इसे सुनेंरोकेंAnswer. अतः इन सबसे स्पष्ट है की बचपन का समय सबसे अच्छा होता है। कवि ने मनुष्य को सावधान क्यों किया है? इसे सुनेंरोकें(iii) कवि ने भौतिकवादी और वैज्ञानिक युग के मानव को यह चेतावनी दी है कि यदि तू अभी सावधान नहीं हुआ तो तुझे विज्ञान के दुष्परिणाम भोगने पड़ेंगे। (iv) कवि ने विज्ञान को तलवार बताया है और इसे मनमानी क्रीड़ा का माध्यम बना लेना स्वयं का नुकसान करना है। इसलिए इसके प्रचण्ड प्रभाव वे बचने के लिए मनुष्य को मना किया है। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा?कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं?लेखक नाविक के दृष्टान्त यानि उदाहरण से क्या प्रेरणा देना चाहता है? इसे सुनेंरोकें(ख) नाविक समुद्र के खतरों से सुपरिचित है, फिर भी समुद्र में उतरता है, इसी प्रकार मनुष्य को भी निर्भय होकर कर्म करना चाहिए । भिखमंगों के डर से रोटी पकाना नहीं छोड़ा जाता । लेखक को स्कूल जाना कब अच्छा लगता था? इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था परन्तु जब स्कूल में रंग बिरगें झंडे लेकर, गले में रूमाल बाँधकर मास्टर प्रीतमचंद पढाई के बजाए स्काउटिंग की परेड करवाते थे, तो लेखक को बहुत अच्छा लगता था। सपनों के से दिन पाठ के आधार पर लिखिए कि अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई में रुचि क्यों नहीं थी?इसे सुनेंरोकें➲ ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर अगर कहें तो अभिभावकों की अपने बच्चों की पढ़ाई में रुचि इसलिए नहीं थी क्योंकि लेखक के आसपास के जितने भी परिवार थे, उनमें जो भी बच्चे थे, उनके परिवार में उनके पिता छोटे-मोटे आढ़तिये, परचूनिए (किरानेवाला), दुकानदार या अन्य कोई छोटा मोटा काम धंधा करने वाले लोग थे। पढ़ाई के दिनों में लेखक और उसके सहपाठियों का नेता कौन हुआ करता था?इसे सुनेंरोकेंऐसे समय में लेखक और उसके साथी का सबसे बड़ा ‘नेता’ ओमा हुआ करता था। हम सभी उसके बारे में सोचते ही हमारे में उन जैसा कौन था। कभी भी उस जैसा दूसरा लड़का नहीं ढूँढ़ पाते थे।
Q7. कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, "अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।" Answer. हरिहर काका को जब असलियत का पता लगा तो उन्हें समझ में आया कि सबको बस उनकी ज़मीन का लालच हैं, उनसे किसी को कोई लगाव नहीं। काका को वह लोग याद आए जिन लोगों ने अपने परिवार वालों की मोह माया में आकर अपनी ज़मीन उनके नाम कर दी और फिर रोज तिल-तिल कर मरते रहे। दाने-दाने को मोहताज़ हो गए। तभी उन्होंने यह सोचा कि ऐसे तड़प के मरने से तो एक बार में ही मरना बेहतर है। उन्होंने फैसला लिया कि वह जब तक जिंदा रहेंगे अपनी ज़मीन किसी के नाम नहीं करेंगें। जिससे हो सकता हैं उनके आस-पास के लोग उन्हें एक बार में ही मार दे। इसी कारण लेखक ने यह कहा कि अज्ञान की स्थिति में मनुष्य मृत्यु वरण को तैयार रहता है। लेखक ने यह इसलिए कहा है, क्योंकि अज्ञान की ही स्थिति में अर्थात् सांसारिक आसक्ति या नश्वर संसार के सुख की इच्छा के कारण ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। जब उन्हें यह ज्ञान हो जाता है कि मृत्यु तो अटल सत्य है, क्योंकि जो इस धरती पर जन्म लेता है, उसकी मृत्यु तो निश्चित है तथा जब यह शरीर जीर्ण-शीर्ण हो जाता है, तो इस मृत्यु के माध्यम से प्रभु हमें नया शरीर और नया जीवन देते हैं, तब वे मृत्यु से घबराते नहीं, डरते नहीं, बल्कि मृत्यु आने पर उसका स्वागत करते हैं, अर्थात् उसका वरण करते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा कि अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं?Solution : पहले जब हरिहर काका अज्ञान की स्थिति में थे तो मृत्यु से डरते थे परंतु बाद में ज्ञान होने पर वे मृत्यु का वरण करने को तैयार हो जाते है। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा क्योंकि काका कहानी में दोनों ही प्रस्थितियों से गुजरते है।
मनुष्य को अज्ञान शिशु क्यों कहा गया है?इस अवधि में उनकी परवरिश न हो तो उनके जीवित रहने की संभावना बहुत ही कम रहती है। मानव शिशु अपने हाथ पांव पर नियंत्रण हासिल करने में ही साल भर से अधिक वक्त लगाता है। उसके बाद भी उसे देखभाल, प्रशिक्षण, शिक्षा और परवरिश के लिए दो दशकों से अधिक की अवधि की दरकार होती है। देखा जाए, तो मानव शिशु असहाय होता है।
|