जादू का खेल कौन दिखा रहा है? - jaadoo ka khel kaun dikha raha hai?

जीविका कमाने के लिए शारीरिक श्रम करते है तो कुछ लोगों का मनोरंजन. जादूगर विभिन्न तरह के जादू टोने और अपनी कला का प्रदर्शन कर पेट पालता हैं. आज हम जादूगर निबंध, स्पीच, भाषण, लेख, अनुच्छेद, आर्टिकल बता रहे हैं काश यदि में जादूगर होता तो निबंध यहाँ पढ़ेगे.

Essay on Magician in Hindi

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1 Essay on Magician in Hindi

1.1 if i was a magician essay in hindi 200 वर्ड्स

1.2 जादूगर निबंध 500 शब्द

1.3 जादूगर पर निबंध 600 शब्दों में

1.4 Read More

जादू का खेल कौन दिखा रहा है? - jaadoo ka khel kaun dikha raha hai?
जादू का खेल कौन दिखा रहा है? - jaadoo ka khel kaun dikha raha hai?

if i was a magician essay in hindi 200 वर्ड्स

कहते है जादू की छड़ी में कमाल की ताकत होती हैं यदि मैं जादूगर होता तो उससे कई काम करवा लेता. मैं छड़ी से रूपये धन मांगकर सभी गरीबों में बाँट देता जिससे वे अपना पेट भर सके. मैं उन मेरे साथियों का होमवर्क छड़ी घुमाकर कर देता जिन्हें अगले दिन कक्षा में खड़ा कर बेंत लगाई जाती है.

मैं अपने सारे काम समय पर कर लेता जिससे मम्मी पापा की कभी डांट न खानी पड़े. यदि में जादूगर बनता तो चांद को गेंद बनाकर अपने यारों के संग खेलता, दुनियां में पीड़ित, दुखी और कष्ट पाने वाले रोगियों की बिमारी का एक ही फटके में इलाज कर देता.

जादूगर निबंध 500 शब्द

जादूगर हमारी तरह ही आम इंसान होता हैं जिसके हाथ की सफाई के कारण वह विभिन्न तरह के छोटे छोटे खेल दिखाता हैं, वह जादू की छड़ी यानी एक छोटी सी लकड़ी के टुकड़े की मदद से सभी कार्य करता हैं. यह व्यक्ति उन जादू टोने करने वाले तांत्रिकों से अलग होता हैं जिसकें पास ब्लेक मैजिक जैसी कोई वस्तु नहीं होती हैं यह केवल खेल दिखाकर अपनी आजीविका कमाता हैं.

एक जादूगर को सड़क किनारे या बाजार के अधिक भीड़भाड़ वाले स्थलों पर देखा जा सकता हैं. ये मेले के आयोजनों का लाभ भी उठाते हैं. पायजामा ढीला कुर्ता और एक चद्दर इनकी वेशभूषा को दर्शाते हैं. अमूमन जादूगर के खेल के अधिक शौकीन बच्चें होते हैं स्कूलों के पास यह अपनी प्रदर्शनी लगाकर तरह तरह के जादू दिखाता हैं.

जादूगर ऐसे स्थान को अपना जादू दिखाने के लिए चुनता है जहाँ 20-25 लोग आसानी से घेरा लगाकर खड़े हो जाते हैं. बांसुरी और डमरू इनके सहायक साधन है वह अपना खेल शुरू करने से पूर्व इन्हें कई बार बजाता हैं, बच्चें इसकी आवाज सुनकर समझ जाते है कि कोई जादूगर है और उसका खेल देखने के लिए भागे आते हैं.

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दुनियां के कई देशों में भारतीय जादूगर अपनी अनूठी कलाओं के लिए जाने जाते हैं. ये पीतल की एक बेल्ट को बारी बारी से उछालकर बड़ी चतुराई से पकड़ लेता है, इसका खेल 15 से 20 मिनट में समाप्त हो जाता हैं. खरगोश, कबूतर, सांप जैसे जानवर तथा ताश के पत्तों के साथ अमूमन जादूगर अपना खेल दिखाता हैं.

वह अपना खेल शुरू करने से पूर्व लोगों से विनम्रतापूर्वक कई बार विनती करता है कि वे खेल को खराब न करे यह उसकी रोजी रोटी का सवाल हैं. इस तरह वह भावनात्मक सम्बन्ध स्थापित कर लेता हैं. दर्शक लगातार उसके खेल को टकटकी लगाकर देखते हैं. शायद बहुत कम या बिना गलती किये वह अपना खेल पूरा कर लेता है तथा लोगों से पांच दस रूपये मांगता हैं. सर्कस में भी जादूगर होते है जो सड़क किनारे जादू दिखाने वाले आम जादूगरों के बेहतरीन श्रेणी के खेल दिखाकर दर्शकों का मन मोह लेता हैं.

पिछले सप्ताह में बाजार गया, सड़क के पास ही कुछ लोग इकट्ठे थे, मैंने जाकर देखा तो एक जादूगर कुछ खेल दिखा रहा था, मेरे पैर भी वही रूक गये. उसने डमरू बजाते हुए अपना खेल शुरू किया और अपने पास से कुछ गोल गेंदे लेकर हवा में उछालने लगा. बस फिर क्या था वह एक गेंद पकड़ता और दो फेकता ऊपर हर ओर गेंद घूम रही थी, मगर एक भी नीचे नहीं गिर रही थी.

उसने अपना दूसरा जादू दिखाने के लिए मेरे आगे खड़े व्यक्ति को अपनी अनूठी देने को कहा, उन्होंने अनूठी दी. जादूगर ने उसे अपने हाथ से हथोड़े से तोड़ कर फेक दी. जब व्यक्ति ने अनूठी वापस मांगी तो वह बोला साहब मैं चोर नहीं हूँ, आपकी अनूठी आपकी जेब में ही हैं. जब उसने पेंट की जेब में हाथ डाला तो सब हैरान थे, अनूठी उन महाशय की जेब से निकली, यह कैसे हुआ मुझे कुछ समझ नहीं आया.

कई बार वह भयानक कला दिखाता है जिसे देखकर रूह तक काँप जाती हैं. बच्चें के सिर को धड़ से अलग करना, ब्लेड से चीरा लगाना, लोहें की छड को निगल जाना जैसे खेल अंदर तक दर्शकों को हिला देते हैं. इन खेलों में वह कुछ रासायनिक सामग्री व तत्वों का उपयोग कर हकीकत स्वरूप दे देता हैं. बहरहाल जो भी हो, हमें उसकी कला और मेहनत को सम्मान देना चाहिए, वह भीख मांगने की बजाय लोगों के मनोरंजन के जरिये अपना पेट भरता हैं.

जादूगर पर निबंध 600 शब्दों में

जादूगर अपनी सर्वश्रेष्ठ कला का प्रदर्शन करते हुए लोगों को जादू दिखाने का काम करता है और लोगों को खुश करने का काम करता है। एक जादूगर सामान्य लोगों से अलग ही कपड़े पहनता है। उसके पास सर पर काली टोपी, सफेद टोपी या फिर रंग बिरंगी टोपी होती है और अक्सर जादूगर काले पैंट तथा काले कोट पहनते हैं और उनके पैर के जूते भी काले होते हैं।

इसके अलावा उनके हाथों में एक काले रंग की छड़ी भी होती है और इसी छड़ी के जरिए वह लोगों को जादू दिखाते हैं। जादूगर के द्वारा दिखाए जाने वाले खेल को सबसे अधिक बच्चे देखना पसंद करते हैं, क्योंकि जादूगर अक्सर सांप, तोता, कबूतर या फिर ताश के पत्ते के जरिए जादू दिखाता है।

जादूगर भी कई प्रकार के होते हैं। कुछ जादूगर ऐसे होते हैं जो सड़कों पर अपनी जादू की कला का प्रदर्शन करते हैं वहीं कुछ जादूगर ऐसे होते हैं जो बड़े-बड़े मैदान में जादू दिखाने का काम करते हैं। सड़कों पर रहने वाले जादूगर तो अपना पेट पालने के लिए जादू दिखाते हैं परंतु बड़े-बड़े मैदानी इलाके में जादू दिखाने वाले जादूगर प्रोफेशनल जादूगर होते हैं जो बड़े लेवल पर जादू का प्रदर्शन करते हैं और बदले में बहुत सारे रुपए भी कमाते हैं।

जादूगर के द्वारा जब जादू दिखाना प्रारंभ किया जाता है तब सामने बैठे हुए दर्शक जादूगर की सभी बात को ध्यान से सुनते हैं और दर्शक इसी बात का इंतजार करते रहते हैं कि कब जादूगर जादू दिखाना चालू करें। जादूगर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों में पाए जाते हैं।

कुछ जादूगर तो ऐसे हैं जो पूरे भारत देश में प्रसिद्ध हैं। वहीं कुछ जादूगर ऐसे हैं जो भारत देश के अलावा विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। ऐसे जादूगरों को अंतरराष्ट्रीय जादूगर कहा जाता है। जादूगर जब जादू दिखाना प्रारंभ करता है तो लोगों की नजर जादूगर की हर हरकत पर रहने लगती है और लोग इस बात पर भी गौर करने लगते हैं कि आखिर जादूगर जादू दिखाने के लिए कौन सी तकनीक का अथवां कौन से मंत्र का इस्तेमाल करता है। हालांकि एक जादूगर कभी भी इस बात को नहीं बताता है कि वह जादू कैसे दिखाता है।

जो सामान्य जादूगर होते हैं वह अक्सर किसी चीज को हवा में ऊपर उठा देते हैं, कबूतर को तोता बना देते हैं, वही तोता को कबूतर बना देते हैं, किसी खाली डब्बे में से वह किसी जानवर को बाहर निकालते हैं। जो पहुंचे हुए जादूगर होते हैं वह लड़की के सर को भी कटा हुआ दिखा देते हैं और फिर से लड़की के सर को उसके धड़ के साथ जोड़ देते हैं।

ऐसे में दर्शक दांतो तले अपनी उंगलियां दबा लेते हैं और वह इसी सोच में रहते हैं कि भला जादूगर कैसे जादू दिखा सकता है, कैसे जादूगर किसी के धड से उसके सर को अलग करके फिर से धड़ के साथ सबको जोड़ सकता है।

कुछ लोग कहते हैं कि जादूगर जादू दिखाने के पहले लोगों की नजरों को बंद कर देते हैं परंतु कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि जादूगर ने वास्तव में किसी जगह से जादू सीखा हुआ है तभी वह इतनी भीड़ के सामने भी पूरे आत्मविश्वास के साथ जादू का खेल दिखा रहा है।

जादूगर भी एक सामान्य इंसान ही होता है परंतु वह अपनी कला के जरिए चमत्कार अथवा जादू दिखाता है। हालांकि इसके पहले जादूगर के द्वारा कड़ी मेहनत करके जादू की कला को सीखा जाता है। भारत में भी जादू सिखाने के लिए कई इंस्टिट्यूट है। इसके अलावा विदेशों में भी जादू सिखाने के लिए बहुत सारे इंस्टिट्यूट है, जहां पर व्यक्ति जाकर के कुछ ही महीने में जादू सीख सकता है।

कई लोग ऐसे हैं जो लोगों को खुश करने के उद्देश्य से जादू सीखते हैं तो कई लोग पैसे कमाने के उद्देश्य से जादू को सीखते हैं। हालांकि कुछ भी हो परंतु जादूगर बहुत ही कमाल का व्यक्ति होता है। भारत देश में प्राचीन काल से ही कई जादूगर हुए जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत के जादू की कला का प्रदर्शन किया है और लोगों से प्रशंसा हासिल की है।


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जादू के खेल कौन खेल रहा था?

उत्तर: इंद्र के इंद्रजाल का भाव यह है कि इंद्र मानो जादू के खेल दिखा रहा है।

कवि की दृष्टि में जादू का खेल कौन दिखा रहा है?

'पर्वत प्रदेश में पावस' में दिये वर्णन के अनुसार जादू का खेल इंद्र देवता दिखा रहे हैं। कवि पंत जी कहते हैं कि वर्षा ऋतु में प्रकृति नित नए रूप बदलती रहती है, कभी अचानक घनघोर वर्षा होने लगती है तो कभी तेज धूप निकल आती है।