इलाहाबाद का किला किसने बनवाया था - ilaahaabaad ka kila kisane banavaaya tha

इलाहाबाद का किला किसने बनवाया था - ilaahaabaad ka kila kisane banavaaya tha

प्रयागराज (इलाहाबाद) का किला

इलाहाबाद में संगम के निकट स्थित इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में बनवाया था। वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है। इस किले में तीन बड़ी गैलरी हैं जहां पर ऊंची मीनारें हैं। सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल देखने की इजाजत है। इसके अलावा यहां अक्षय वट के नाम से मशहूर बरगद का एक पुराना पेड़ पातालपुर मंदिर भी है।

निर्माण की कहानी[संपादित करें]

इलाहाबाद किले की स्थापना मुगल बादशाह अकबर ने की थी। हालांकि इस पर इतिहासकारों में मतभेद है। समकालीन लेखक अब्दुल कादिर बदायूंनी ने 'मुंतखवुल-तवारीख' में लिखा है कि किले की नींव सन् 1583 में डाली गई थी। नदी की कटान से यहां की भौगोलिक स्थिति स्थिर न होने से इसका नक्शा अनियमित ढंग से तैयार किया गया था। वे लिखते हैं कि अनियमित नक्शे पर किले का निर्माण कराना ही इसकी विशेषता है। किले का कुल क्षेत्रफल तीस हजार वर्ग फुट है। इसके निर्माण में कुल लागत छह करोड़, 17 लाख, 20 हजार 214 रुपये आयी थी।

  • किले में एक जनानी महल है, जिसे जहांगीर महल भी कहते हैं। अंग्रेजों ने भी इसे अपने माकूल बनाने के लिए काफी तोड़फोड़ की। इससे किले को काफी क्षति पहुंची थी। संगम के निकट स्थित इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है। इस किले में 3 बड़ी गैलरी हैं, जहां पर ऊंची मीनारें हैं।

निर्माण का उद्देश्य[संपादित करें]

अकबर ने इस किले का निर्माण मुगलकाल में पूर्वी भारत [वर्तमान में पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार] से अफगान विद्रोह को खत्म करने के लिए किया था।

अधिपत्य[संपादित करें]

सन् 1773 में अंग्रेज इस किले में आए और सन् 1775 में बंगाल के नवाब शुजाउद्दौला के हाथ 50 लाख रुपये में बेच दिया। सन 1798 में नवाब शाजत अली और अंग्रेजों में एक संधि के बाद किला फिर अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। आजादी के बाद भारत सरकार का किले पर अधिकार हुआ। किले में पारसी भाषा में एक शिलालेख भी है, जिसमें किले की नींव पड़ने का वर्ष 1583 दिया है।

किले का स्वरूप[संपादित करें]

किले में एक जनानी महल है, जिसे जहांगीर महल भी कहते हैं। मुगल शासकों ने किले में बड़े फेरबदल कराये और फिर अंग्रेजों ने भी इसे अपने अनुकूल बनाने के लिए काफी तोड़-फोड़ की। इससे किले को काफी क्षति पहुंची।

वर्तमान स्थिति[संपादित करें]

प्रयागराज में माघ मेला के दौरान संगम तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। उसी संगम तट पर सम्राट अकबर ने भव्य किले का निमार्ण कराया था वह देखने में काफी अद्भुत लगता है

कई शासकों और अंग्रेजों को सुरक्षित रखने तथा आज भी देश की सेना को शरण देने वाले इस किले की अवस्था अब जर्जर हो गई है। इसकी दीवारों पर बरगद, नीम, पीपल आदि ने जड़ें जमा ली हैं। घास-फूंस और झाड़ियां भी फैल गई हैं। दीवारों पर निकले पेड़ पौराणिक अक्षयवट की जड़ों की उपज हैं। इनमें कुछ पेड़ ऐसे भी हैं, जो पक्षियों के कारण दरारों में जम गए हैं। जल्द इन पेड़ों को नहीं काटा गया तो ये किले की दीवारों के लिए खतरा बन जाएंगे। चूंकि किला इस समय सेना के कब्जे में है, इसलिए उसकी इजाजत के बगैर पुरातत्व विभाग सौंदर्यीकरण या मरम्मत भी नहीं करा सकता है।

संरक्षण कार्य[संपादित करें]

सब एरिया कमांडर ब्रिगेडियर आरके भूटानी का कहना है कि दीवारों पर उगे पेड़ काटे जा रहे हैं। इससे साथ ही केमिकल ट्रीटमेंट से उन पेड़ों का समूल भी नाश किया जा रहा है। यह कार्य पिछले छह महीनों से चल रहा है। दीवारों की भी मरम्मत कराई जा रही है और उन्हें भी रासायनिक उपचार दिया जा रहा है। संरक्षण कार्य किले के उन क्षेत्रों में कराया जा रहा है, जहां आम शहरियों का जाना मना है।

सहायक एवं संदर्भ श्रोत[संपादित करें]

  1. अनुप्रेषित साँचा:प्रयागराज

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इलाहाबाद. प्रयाग नगरी में माघ मेला के दौरान संगम तट पर जमकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। उसी संगम तट पर मुगल शासक अकबर ने भव्य किले का निमार्ण कराया था। बताया जाता है कि चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहां तालाब में कंकाल देखा था। जिसके बारे में उन्होंने अकबर को बताया था। इसके बाद मुगल बादशाह ने उसी स्थान पर ये किला बना दिया। DainikBhaskar.com अपने पाठकों को इस किले के बारे में बताने जा रहा है। 

नक्काशीदार पत्थरों से बना है ये किला...

-  बताया जाता है कि 644 ईसा पूर्व में चीनी यात्री ह्वेनसांग यहां आया था। तब कामकूप तालाब मैं इंसानी नरकंकाल देखकर दुखी हो गया था। उसने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया था। उसके जाने के बाद ही मुगल सम्राट अकबर ने यहां किला बनवाया।

- इस किले में स्थापत्य कला के साथ ही अपने गर्भ में जहांगीर, अक्षयवट, अशोक स्तंभ व अंग्रेजों की गतिविधियों की तमाम अबूझ कहानियों को भी समेटे हुए है। जिसे जानने की जिज्ञासा इतिहासकारों को भी हमेशा से रही है।
- ये किला अपनी विशिष्ट बनावट, निर्माण और शिल्पकारिता के लिए जाना जाता है। नक्काशीदार पत्थरों की विशायलकाय दीवार से यमुना की लहरे टकराती है। इसके अंदर पातालपुरी में कुल 44 देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जहां लोग आज भी पूजा पाठ करते हैं। 

20 हजार मजदूर ने मिलकर बनाया ये किला
- समकालीन इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है कि इसकी नींव 1583 में रखी गई। उस समय करीब 45 साल 05 महीने 10 दिनों तक इसका निर्माण कार्य चला था।
- इसे बनाने में करीब 20 हजार मजदूरों ने काम किया था। किले का कुल क्षेत्रफल 30 हजार वर्ग फुट है। इसके निर्माण में कुल लागत 6 करोड़, 17 लाख, 20 हजार 214 रुपए आई थी।
- कुछ इतिहासकारों का दावा है कि किले में निर्माण कार्य 1574 से पहले शुरू हो गया था। अकबर की इच्छा थी कि इलाहाबाद के पास ही एक शहर और सैन्य छावनी बनाई जाए। वह इस किले को अपने बेस के रूप में इस्तेमाल करना चाहता था।

अनियमित नक्शे से हुआ था निर्माण
- नदी की कटान से यहां की भौगोलिक स्थिति स्थिर नहीं थी। जिसकी वजह से इसका नक्शा अनियमित ढंग से तैयार किया गया था। अबुल फजल ने लिखते हैं, ''अनियमित नक्शे पर किले का निर्माण कराना ही इसकी विशेषता है।''
- ''1583 में अकबर ने एक बार इस किले का निरीक्षण किया था, इसलिए उसे ही किले का निर्माण काल मान लिया जाता है। अकबर इसी स्थान पर 4 किलों के एक समूह का निर्माण करना चाहता था। लेकिन एक ही किले के निर्माण में इतने वर्ष लग गए, तब तक अकबर की मौत हो गई थी।''
- ''अकबर के साथ आए लोगों ने किले से थोड़ा दूर भवन बनवाया, जिससे एक नए शहर को बसाने में असानी हुई। इस किले को 4 भागों में बांटा गया है।''
- ''पहला भाग खूबसूरत आवास है, जो फैले हुए उद्यानों के बीच में है। यह भाग बादशाह का आवासीय हिस्सा माना जाता है। दूसरे और तीसरे भाग में अकबर का शाही हरम था और नौकर चाकर की रहने की व्यवस्था थी।''
- ''चौथे भाग में सैनिकों के लिए आवास बनाए गए थे। इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण राजा टोडरमल, सईद खान,  मुखलिस खान, राय भरतदीन, प्रयागदास मुंशी की देख-रेख में हुआ था।''

किला में टिकी है आर्मी
- 1773 में इस किले पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया। इससे पहले 1765 में बंगाल के नवाब शुजाउद्दौला के हाथ 50 लाख रुपए में बेच दिया। 1798 में नवाब शाजत अली और अंग्रेजों में एक संधि कर ली।
- उसके बाद किला फिर अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। आजादी के बाद सरकार ने किले पर अधिकार किया। किले में पारसी भाषा में एक शिलालेख भी है। जिसमें किले की नींव पड़ने का 1583 दिया है। 
- किले में एक जनानी महल है, जिसे जहांगीर महल भी कहते हैं। अंग्रेजों ने भी इसे अपने माकूल बनाने के लिए काफी तोड़फोड़ की। इससे किले को काफी क्षति पहुंची थी।
- संगम के निकट स्थित इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है। इस किले में 3 बड़ी गैलरी हैं, जहां पर ऊंची मीनारें हैं। 
- सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल देखने की इजाजत है। यहां अक्षय वट के नाम से मशहूर बरगद का एक पुराना पेड़ और पातालपुरी मंदिर भी है।
- इसी किले के अंदर एक टकसाल भी था, जिसमें चांदी और तांबे के सिक्के ढाले जाते थे। इस किले में उस समय पानी के जहाज और नाव बनाई जाती थी। जो यमुना नदी से समुद्र तक ले जाई जाती थी। 

सलीम ने बनवाया था काले पत्थरों का सिंहासन 
- किले में जब सलीम ने यहां के सूबेदार के रूप में रहना शुरू किया तो उसने अपने लिए काले पत्थरों से एक सिंहासन का निर्माण कराया था। जिसे 1611 में आगरा भेज दिया गया था। 
- जहांगीर ने किले में मौर्यकालीन एक अशोक स्तंभ को पड़ा पाया था। उसे दोबारा स्थापित कर दिया, 35 फीट लंबे उस स्तंभ पर उसने अपनी संपूर्ण वंशावली खुदवा दी थी।
- यह अशोक स्तंभ 273 ईसा पूर्व का है। जिस पर चक्रवर्ती राजा समुद्रगुप्त ने अपनी कीर्ति अंकित कराई थी। इस पर सम्राट अशोक की राजाज्ञाओं व समुद्रगुप्त और जहांगीर की प्रशस्ति भी खुदी हुई है। 1600 से 1603 तक जहांगीर इसी किले में रहा।

इलाहाबाद का किला कब और किसने बनवाया था?

इलाहाबाद में संगम के निकट स्थित इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में बनवाया था। वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

प्रयागराज का किला कौन बनवाया था?

इलाहाबाद. प्रयाग नगरी में माघ मेला के दौरान संगम तट पर जमकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। उसी संगम तट पर मुगल शासक अकबर ने भव्य किले का निमार्ण कराया था। बताया जाता है कि चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहां तालाब में कंकाल देखा था

इलाहाबाद का पुराना नाम क्या है?

इलाहाबाद (प्रयागराज) भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर, इलाहाबाद जिला का प्रशासनिक मुख्यालय तथा हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। इसका प्राचीन नाम 'प्रयाग' है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है।

अकबर किला किसने बनाया था?

अजमेर. राजस्थान के मजबूत किलों में से एक है अजमेर का अकबर का किला। मुगल बादशाह अकबर ने इस किले का निर्माण 1571 से 1574 ईस्वी में कराया था