माना इसी प्रकार अन्य कणों के द्रव्यमान m1, m2 …….. हों तथा इनकी घूर्णन अक्ष से दूरी r1, r2 …….. हो तो उसकी गतिज ऊर्जाएं होंगी। यदि पूरे पिंड की गतिज ऊर्जा है तो यह गतिज ऊर्जा इन सभी कोणों के योग के बराबर होगी अतः Show अवधारणा: गतिज ऊर्जा
\(⇒ KE=\frac{1}{2}mv^{2}\) रेखीय संवेग:
⇒ P = mv जहां KE = गतिज ऊर्जा, P = रैखिक संवेग, m= द्रव्यमान और v = वेग गणना: दिया गया है जब %ΔP = 1%, %ΔKE = x% और जब %ΔKE = 300%, %ΔP = y%
\(⇒ KE=\frac{P^{2}}{2m}\) -----(1) मान लीजिये P1 = P और KE1 = KE पहली स्थिति के लिए जब %ΔP = 1% और %ΔKE = x%, \(⇒ P_{2}=P+\frac{1}{100}P\) \(⇒ P_{2}=\frac{101}{100}P\) -----(2) \(⇒ KE_{2}=KE+\frac{x}{100}KE\) \(⇒ KE_{2}=\frac{(100+x)}{100}KE\) -----(3) समीकरण 1, समीकरण 2, और समीकरण 3 से, \(⇒ KE_{2}=\frac{P_{2}^{2}}{2m}\) \(⇒ \frac{(100+x)}{100}KE=\frac{101^{2}}{100^2}\frac{P^2}{2m}\) \(⇒(100+x)KE=\frac{101^{2}}{100}KE\) ⇒ 100 + x = 102.01 ⇒ x = 2.01 -----(4) दूसरी स्थिति के लिए जब %ΔP = y% और %ΔKE = 300%, \(⇒ P'_{2}=P+\frac{y}{100}P\) \(⇒ P'_{2}=\frac{100+y}{100}P\) -----(5) \(⇒ KE'_{2}=KE+\frac{300}{100}KE\) \(⇒ KE'_{2}=4KE\) -----(6) समीकरण 1, समीकरण 5, और समीकरण 6 से \(⇒ KE'_{2}=\frac{(P_{2}')^{2}}{2m}\) \(⇒ 4KE=\frac{\left ( 100+y \right )^{2}}{100^{2}}\frac{P^{2}}{2m}\) \(⇒ 4KE=\frac{\left ( 100+y \right )^{2}}{100^{2}}KE\) ⇒ 100 + y = 200 ⇒ y = 100 -----(7) समीकरण 7 और समीकरण 4 को विभाजित करके, \(\Rightarrow \frac{y}{x}=\frac{100}{2.01}\) \(\Rightarrow \frac{y}{x}=50\) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है, इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है मान लीजए यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पड़ेगा • ऊर्जा संरक्षण क्या है, सूत्र गतिज ऊर्जा का सूत्र गतिज ऊर्जा (रेखीय गति) = (1/2) * m * v * v ; m = द्रब्यमान, v = रेखीय वेग गतिज ऊर्जा (घूर्णन गति) = (1/2) * I * w * w ; I = जडत्वाघूर्ण, w = कोणीय वेग गतिज उर्जा हर जगह भिन्न होती है प्रथ्वी में अलग प्रथ्वी के बाहर अलग होती है गतिज ऊर्जा का उदाहरण • बहते जल में • धनुष से छोड़े गये तीर में • खिलाड़ी द्वारा फेंके गये गेंद में संवेग क्या है? किसी वस्तु के द्रव्यमान व वेग के गुणनफल को संवेग (momentum) कहते हैं: संवेग एक संरक्षित राशि है। अर्थात किसी वियुक्त निकाय में कुल संवेग स्थिर रहता है संवेग एक सदिश राशि है, जिसको अंग्रेजी के अक्षर ‘P’ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, और इसकी दिशा वेग के समान होती है। संवेग = द्रव्यमान × वेग P = m × v जहां, P = संवेग, m = वस्तु का द्रव्यमान & n = वस्तु का वेग संवेग का मात्रक इसका मात्रक सी.जी.एस. पद्धति में ‘ग्राम-सेमी/सेकण्ड’ या ‘डाइन-सेकण्ड’ तथा एम.के.एस. पद्धति में ‘किग्रा-मीटर/सेकण्ड’ या ‘डाइन-सेकण्ड’ होता है ये झूला गाड़ी जब नीचे की तरफ जाती है तब उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है, अर्थात उसकी स्थितिज ऊर्जा कम कम हो जाती है और गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। जब रोलर कास्टर ऊपर चढ़ता है तो इसके उल्टा होता है, उसकी गतिज ऊर्जा घटती है और स्थितिज ऊर्जा बढ़ जाती है। गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पड़ेगा।[1] गतिज ऊर्जा (रेखीय गति) = (1/2) * m * v * v ; m = द्रव्यमान, v = रेखीय वेग गतिज ऊर्जा (घूर्णन गति) = (1/2) * I * w * w ; I = जड़त्वाघूर्ण, w = कोणीय वेग चिरसम्मत यांत्रिकी में गतिज ऊर्जा[संपादित करें]Ek=12mv2{\displaystyle E_{\text{k}}={\tfrac {1}{2}}mv^{2}}जहाँ m द्रव्यमान और v गति है। उदाहरण के लिए यदि हमें किसी 80 किलोग्राम द्रव्यमान की वस्तु का जो कि 18 मीटर प्रति सेकंड (65 किलोमीटर प्रति घंटा) की गति से चल रही है, उसकी गतिज ऊर्जा का मान ज्ञात करने हेतु हमें इस सूत्र की आवश्यकता होगी। :- गतिज ऊर्जा और कार्य में क्या संबंध है?किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसकी चाल के साथ बढ़ती है। किसी गतिशील वस्तु में उसकी गति के कारण कितनी ऊर्जा निहित होती है। परिभाषा के अनुसार हम कह सकते हैं कि किसी निश्चित वेग से गतिशील वस्तु की गतिज ऊर्जा उस वस्तु पर इस वेग को प्राप्त करने के लिए किए गए कार्य के बराबर है।
गतिज ऊर्जा और संवेग में क्या संबंध होता है?Detailed Solution
गतिज ऊर्जा और संवेग के बीच संबंध: गतिज ऊर्जा, संवेग का वर्ग, द्रव्यमान द्वारा विभाजित होता है।
स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा में क्या अंतर है?किसी वस्तु की गति की ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहा जाता है जबकि अपनी स्थिति के आधार पर किसी वस्तु में निहित ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहा जाता है।
गतिज ऊर्जा का क्या अर्थ है?गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है।
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