गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा? - gopiyaan shreekrshn kee baansuree kyon chhipa?

'हरिवंशपुराण' तथा अन्य पुराणों में गोप-गोपियों को देवता बताया गया है, जो भगवान श्रीकृष्ण के ब्रज में जन्म लेने पर पृथ्वी...

Posted by ज्ञानयोग, कर्मयोग, प्रभुभक्ति, धर्म -संस्कृति और आध्यात्म on Sunday, September 1, 2019

Solution : गोपियाँ अपने प्रिय श्रीकृष्ण से अधिक बातें करने, उनकी निकटता पाने के लालच में उनकी बाँसुरी छिपा लेती हैं क्योंकि श्रीकृष्ण अपनी मुरली से बहुत लगाव रखते थे। हर समय उसे अपने पास रखते थे। अत: गोपियाँ श्रीकृष्ण को सताने और उनसे इस बहाने में बातें करने के उद्देश्य से बाँसुरी को छिपा लेती हैं।

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 दोहे.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

(क) निम्नलिखत प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
छाया भी कब छाया हूँढ़ने लगती है?
उत्तर
ग्रीष्म ऋतु के जेठ मास की दोपहर में सूरज बिलकुल सिर के ऊपर आ जाता है, तो विभिन्न वस्तुओं की छाया सिकुड़कर वस्तुओं के नीचे दुबक जाती है। गर्मी इतना प्रचंड रूप धारण कर लेती है कि सारे मानव और मानवेत्तर प्राणियों के लिए उसे सहन कर पाना असंभव हो जाता है। वृक्षों की और घर की दीवारों की छाया उनके अंदर ही अंदर रहती है, वह बाहर नहीं जाती। तेज धूप से बचने के लिए छाया घने जंगलों को अपना घर बनाकर उसी में प्रवेश कर जाती है इस प्रकार छाया कहीं दिखाई नहीं देती। ऐसा लगता है कि मानो गर्मी से त्रस्त होकर छाया भी छाया हूँढ़ने लगती है।

प्रश्न 2.
बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’- स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’–बिहारी की नायिका ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि इस समय नायक नायिका के पास नहीं है। वह विरह व्यथा झेल रही है। विरह की पीड़ा इतनी अधिक है कि दुर्बलता के कारण उसके हाथ काँपने लगे हैं और वह पसीने से तरबतर हो जाती है। इस हालत में वह अपने दिल की बातों को कागज़ पर उतारकर उसके पास नहीं भेज पा रही है। नायिका अपने दिल की बातें किसी संदेशवाहक से भी नहीं कहलवा पाती है, क्योंकि दूसरों से बताते हुए उसे शर्म आ रही है। वह संदेशवाहक से दोनों ओर की विरह व्यथा महसूस कर ऐसा कहती है क्योंकि दोनों के हृदय की दशा एक जैसी ही है।

प्रश्न 3.
सच्चे मन में राम बसते हैं-दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवि के अनुसार प्रभु उन लोगों के मन में बसते हैं जिनकी भक्ति सच्ची होती है। राम को सच्चे हृदय से ही पाया जा सकता है। जो लोग तरह-तरह ढोंग करते हैं, सांसारिक आकर्षणों के जाल में उलझे रहते हैं, जो भक्ति का नाटक करते है, वे स्वयं भ्रमित होते हैं और दूसरों को भी भ्रमित करते हैं। माला जपनी, शरीर पर चंदन का छाप लगाना, माथे पर तिलक लगाना, ये सब बाहरी दिखावे हैं, जो इन व्यर्थ के आडंबरों में भटकते रहते हैं, वे झूठा प्रदर्शन करके दुनिया को धोखा दे सकते हैं, परंतु ईश्वर को नहीं। इसलिए व्यक्ति को बाह्य आडंबर, ढोंग आदि न करके सच्चे मन से ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?
उत्तर
गोपियों की इच्छा रहती थी कि वे कृष्ण से बातें करते हुए बातों का आनंद उठाएँ। इसके लिए वे तरह-तरह की शरारतें करती हैं। वे कृष्ण की मुरली को छिपा देती हैं और कृष्ण के पूछने पर वे साफ़ मना कर जाती हैं, परंतु आँखों की भौंहों से हँसकर मुरली अपने पास होने का संकेत दे देती हैं ताकि कृष्ण उनसे बार-बार मुरली के बारे में पूँछे तथा वे बतरस का आनंद उठा सकें। यही कारण है कि गोपियाँ कृष्ण की मुरली को छिपा देती हैं।

प्रश्न 5.
बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
बिहारी नगरीय जीवन से परिचित कवि हैं। उन्होंने ‘हाव-भाव’ के कुशल वर्णन को नायक-नायिका के माध्यम से इस प्रकार किया है कि नायक नायिका से आँखों के संकेतों से प्रणय निवेदन करता है। नायिका सिर हिलाकर मना कर देती है। नायक-नायिका के मना करने के तरीके पर रीझ जाता है। नायिका उसकी दशा देखकर खीझ जाती है। बनावटी गुस्सा करती है। नायक उसके खीझने पर प्रसन्न होता है, दोनों के नेत्र मिलते हैं। दोनों की आँखों में प्रेम-स्वीकृति का भावे आता है। स्वीकृति पाकर नायक प्रसन्न हो उठता है जिस पर नायिका लजी जाती है। इस प्रकार आँखों के संकेतों की भाषा से दोनों अपने मन की बातें कर लेते हैं और किसी को पता नहीं चलता।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर्यों प्रभात।
उत्तर
भाव-इस पंक्ति का भाव यह है कि कृष्ण के नीले शरीर पर पीले रंग के वस्त्र शोभायमान हो रहे हैं। वे देखने में ऐसे
लग रहे हैं मानो नीलमणि पर्वत पर प्रातःकालीन धूप खिल उठी हो। यह संभावना और कल्पना रंग-रूप और चमक की | समानता के कारण बहुत सुंदर बन पड़ी है।

प्रश्न 2.
जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।
उत्तर
भाव यह है कि गरमी अपने चरम पर है जिससे सारे प्राणी व्याकुल हो रहे हैं। व्याकुलता के कारण वे अपना स्वाभाविक बैर-भाव भूल बैठे हैं। इसी कारण अब शेर और मृग, साँप और मोर जैसे प्राणियों को साथ-साथ देखा जा सकता है। ऐसा लगता है कि संसार तपोवन बन गया है जहाँ किसी को किसी से कोई भय नहीं रह गया है। ऐसा गरमी की प्रचंडता के कारण संभव हो पाया है।

प्रश्न 3.
जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु ।
मन-काँचै नाचे वृथा, साँचे राँचै राम्।।।
उत्तर
भाव-इस दोहे में बिहारी का कहना कि ईश्वर को निश्छल भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। उसके लिए बाह्य आडंबरों
या दिखावे की आवश्यकता नहीं होती। भक्ति का नाटक करने; जैसे माला जपना, तिलक लगाना, चंदन का शरीर पर छाप लगाना, ये सब व्यर्थ है, ईश्वर को पाने के लिए अंतःकरण को शुद्ध रखना, मन की स्थिरता, सच्ची भावना और आस्था को स्थान देना चाहिए; क्योंकि व्यर्थ के बाह्य आडंबरों का झूठा प्रदर्शन करके लोगों को धोखा दिया जा सकता है। भगवान को नहीं।

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गोपियां कृष्ण की बांसुरी क्यों छुपा लेती है?

1 Answer. गोपियाँ रसिक शिरोमणि श्रीकृष्ण से बातें करने के लालच में उनकी निकटता अधिक समय तक पाने की इच्छा रखने के कारण श्रीकृष्ण की बाँसुरी छिपा लेती हैं। क्योंकि श्रीकृष्ण सदा मुरली बजाने में मस्त रहते हैं जिसके कारण गोपियाँ उनसे बातें नहीं कर पाती हैं

ड गोपियाँ माता यशोदा से कृष्ण की क्या शिकायतें करती हैं?

प्रश्न 2: गोपी द्वारा माता यशोदा से कृष्ण की, की गई शिकायत को अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर: बालक कृष्ण की शरारतें तथा नित्य प्रति माखन चुराने की आदत से तंग होकर गोपी यशोदा के पास शिकायत करने आती है कि कृष्ण दोपहर के समय सुनसान में घर आते हैं। दरवाजा खोलकर दही-माखन खाते हैं तथा साथियों को भी खिलाते हैं