Show मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र पर मचा बवाल:सुप्रीम कोर्ट तय करेगा उम्र2 महीने पहलेलेखक: अनुराग आनंद
‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के एक और नियम के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत में बहस की तारीख मंजूर हो गई है। इस बार मुद्दा है- मुस्लिम लड़कियों के निकाह की उम्र। 17 अक्टूबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 9 नवंबर 2022 की तारीख तय की है। भास्कर एक्सप्लेनर में हम इस मुद्दे से जुड़े सभी पहलुओं को जानेंगे… सबसे पहले जानिए पूरा मामला क्या है? सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा, ‘कानून के मुताबिक मुस्लिम लड़कियों की शादी ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के तहत होती है। ऐसे में 15 साल की उम्र में मुस्लिम लड़की निकाह के योग्य हो जाती है।’ जस्टिस जे एस बेदी की सिंगल बेंच ने यह भी कहा कि लड़का-लड़की ने अपने परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ निकाह किया है। सिर्फ इस वजह से उन्हें संविधान से मिलने वाले मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है। इस तरह कोर्ट की ओर से उन्हें सुरक्षा दी गई। हाईकोर्ट के इस फैसले को NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में दी
चुनौती अदालत ने इस केस में कानूनी सहायता के लिए सीनियर वकील राजशेखर राव को न्याय मित्र नियुक्त किया है। साथ ही इस मामले में सुनवाई के लिए 9 नवंबर की तारीख तय की है। अब बात ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ की हुई है तो आगे बढ़ने से पहले इसके बारे में जान लीजिए… ‘प्रिंसिपल्स ऑफ मोहम्मडन लॉ’ के हवाले हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला वहीं, इस फैसले को चुनौती देते हुए NCPCR ने कहा कि हाईकोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देकर बाल विवाह की अनुमति दी है। कोर्ट का यह फैसला एक तरह से बाल विवाह रोकने के लिए 2006 में बनाए गए कानून को तोड़ता है, जिसमें 18 साल से कम उम्र में लड़कियों की शादी बैन है। एक नहीं 2 अहम कानून के खिलाफ है ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ पहला: बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 दूसरा: पॉक्सो एक्ट 2012 बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक 18 साल से कम उम्र में शादी कानूनी रूप से अपराध है। इतना ही नहीं जबरन इस तरह की शादी कराने वाले लोग भी अपराधी हैं। हालांकि, इस कानून में कोई ऐसा प्रोविजन नहीं है कि यह किसी दूसरे कानून को खत्म कर देगा। इसलिए पर्सनल लॉ के तहत 15 साल में मुस्लिम लड़कियों को शादी की इजाजत मिल जाती है। वहीं, पॉक्सो एक्ट 2012 में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को नाबालिग माना जाता है। नाबालिग लड़कियों से शादी करके शारीरिक संबंध बनाना कानूनन अपराध है। यही वजह है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ इन दोनों कानून के खिलाफ है। अब पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील के जरिए समझने से पहले जानिए कब-कब ऐसे मामले कोर्ट में आए हैं… भारत में शादी के लिए मुख्य रूप से 3 कानून: विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और संविधान विशेषज्ञ विराग गुप्ता का कहना है कि भारत में अलग-अलग धर्म के लड़के-लड़कियों की शादी के लिए मुख्यत: 3 तरह के कानून हैं… पहला: हिन्दुओं के लिए हिन्दू विवाह कानून 1955 है। इस कानून के सेक्शन 2, (1) (बी) के तहत जैन, बौद्ध और सिख धर्म की भी शादियां होती हैं। इस कानून के सेक्शन 5 (iii) के मुताबिक शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल होनी चाहिए। इसके अलावा सिखों की शादी आनंद कारज विवाह अधिनियम 2012 के तहत भी होती है। दूसरा: ईसाइयों की शादी के लिए के लिए क्रिश्चयन मैरिज एक्ट 1872 है। इस कानून के मुताबिक भी शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल होनी चाहिए। तीसरा: स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 है। इसके तहत दो धर्मों या किसी भी धर्मों के लोग अपनी शादी रजिस्टर करा सकते हैं। इस कानून के मुताबिक भी शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल होनी चाहिए। इसके अलावा मुस्लिम लड़के-लड़कियों की शादी उनके मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार होती है, जिसके बारे में संसद से कानून नहीं बना है। विवाह की उम्र को लेकर पहले भी उठी है बहस इसी वजह से ये चर्चा उठी थी कि लड़की और लड़के दोनों की शादी की उम्र बराबर कर दी जाए। इसी के बाद लड़के की शादी की उम्र 21 से घटाकर 18 करने की जगह पर लड़की की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया गया। केंद्र सरकार ने इसके लिए एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इस बारे में कानून बनाने पर अभी विचार हो रहा है। ग्राफिक्स में पढ़िए सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल क्यों करना चाहती है... 'सभी धर्मों में शादी की उम्र एक करने की
पहल होनी चाहिए' उन्होंने कहा कि तीन तलाक वाले शायरो बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को जब तक कोडिफाई नहीं किया जाएगा यानी संसद के माध्यम से कानून नहीं बनेगा, उसमे अदालतों का हस्तक्षेप मुश्किल है। '18 से कम उम्र में लड़कियों की शादी गैरकानूनी तो नहीं लेकिन वॉइडेबल है' इसका मतलब ये हुआ कि माइनर में शादी होती है तो वयस्क होने पर कोर्ट में याचिका देकर नाबालिग लड़की शादी को रद्द या शून्य कराने की मांग कर सकती है। विराग इस पूरे मर्ज की दवा यूनिफॉर्म सिविल कोड को अनेक चरणों में लागू करने को बता रहे हैं। संविधान के अनुसार सभी धर्मों की महिलाओं को शादी, तलाक और गुजारा भत्ता के बारे में समान अधिकार मिलने चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर दाखिल कई याचिकाओं के बाद 18 अक्टूबर 2022 को केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर कर कहा है, 'यूनिफॉर्म सिविल कोड एक नीतिगत मामला है। इन मामलों में संसद फैसला करती है। ऐसे में कोर्ट सरकार को इस मामले में मसौदा तैयार करने का निर्देश नहीं दे सकता है।' भास्कर एक्सप्लेनर के कुछ और ऐसे ही रोचक आर्टिकल हम नीचे पेश कर रहे हैं... हिजाब मामले पर कोर्ट में शुरुआती 6 दिनों में हुई बहस की रोचक दलीलें और न्यायाधीशों की सख्त टिप्पणियों के साथ ही विवाद की कहानी जानने के लिए ... यहां क्लिक करें 1. पानी के अंदर से परमाणु हमला कर सकता है भारत:रेंज में चीन-पाक के कई अहम शहर; सिर्फ 6 देशों के पास है ये टेक्नोलॉजी 14 अक्टूबर यानी शुक्रवार को बंगाल की खाड़ी में INS अरिहंत पनडुब्बी तैनात थी। भारतीय नौसेना के अधिकारियों के ट्रिगर दबाते ही इस पनडुब्बी से K-15 SLBM मिसाइल लॉन्च हुई, जिसने 750 किलोमीटर दूर टारगेट को तबाह कर दिया। रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारत अब पानी के अंदर से भी परमाणु हमला करने में सक्षम है। इस तरह भारत दुनिया का छठा ‘न्यूक्लियर ट्रायड’ देश बन गया है। भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं कि SLBM मिसाइल क्या है? इससे कैसे भारत की परमाणु क्षमता बढ़ी है? साथ ही भारत के ‘न्यूक्लियर ट्रायड’ बनने के मायने को भी जानेंगे। 2. क्या यूक्रेन से भाग रहा है रूस:जाल बिछाकर यूक्रेन ने छीना 6,000 वर्ग किमी इलाका, एक के मुकाबले उतारे 8 सैनिक 05 सितंबर: उत्तर-पूर्व यूक्रेन में खार्किव प्रांत पर दोबारा कब्जे के लिए यूक्रेन ने काउंटर अटैक किया। 11 सितंबर: यूक्रेन ने खार्किव प्रांत के शहरों बालाक्लीया, कूपियांस्क और इजियम पर दोबारा कब्जा जमाया। ये दोनों खबरें इसी महीने की हैं। 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू होने के बाद से ये रूसी सेना के लिए सबसे बड़ा झटका है। भास्कर एक्सप्लेर में जानते हैं कि आखिर कैसे यूक्रेन ने किया पलटवार और इसमें कैसे अमेरिका और पश्चिमी देशों के हथियार कर रहे हैं मदद... (पूरी खबर यहां पढ़ें) एक मुसलमान पुरुष एक साथ कितनी स्त्रियों से विवाह कर सकता है?एक व्यक्ति एक समय में 4 से अधिक पत्नियां नहीं रख सकता। पांचवी पत्नी से विवाह जब नियमित होगा जब किसी एक पत्नी को तलाक दे दिया जाए या उसकी मृत्यु हो जाए।
भारत में इस्लाम में कितने विवाह की अनुमति है?मुस्लिम धर्म में दूसरी शादी-
भारत में मुसलमानों के लिए एक से ज्यादा शादी करने की छूट है. आईपीसी की धारा 494 के तहत मुसलमान पुरुषों को दूसरा निकाह करने की इजाजत है. इसी तरह से शरियत कानून की धारा 2 के तहत बहुविवाह की अनुमति है. पहली पत्नी की सहमति के बिना चार शादियां करने की छूट है.
एक मुसलमान कितनी पत्नियां रख सकता है?मुस्लिम कानून बहुविवाह की अनुमति देते हैं लेकिन यह अधिकतम चार पत्नियों तक ही सीमित है। एक मुसलमान एक बार में चार पत्नियां रख सकता है, लेकिन अगर वह चार पत्नियां होने के बावजूद पांचवीं से शादी करता है, तो शादी अनियमित हो जाती है और आमान्य नहीं होती है।
मुसलमान लोग अपनी बहन से शादी क्यों करते हैं?क्योकि उनके धर्म में यह मान्य है। क्योकि यह उनके लिए आसान है। मुसलमान अपनी बहन (कजिन) से शादी क्यों करते हैं? इस्लाम धर्म में अपने चाचा और मामा की लड़की से शादी करने का हुक्म है लेकिन अपनी सगी बहन की और सगे भाई की लड़की से शादी नहीं होती ।
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