चावल की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है? - chaaval kee sabase achchhee kism kaun see hai?

चावल ऐसा खाना है, जो आपको गरीब से गरीब और अमीर से अमीर के घर में मिल जाएगा। आप कहीं भी किसी भी क्षेत्र में चले जाएँ आपको चावल के दीवाने मिल ही जाएंगें। थोड़ा-सा ज्यादा टटोलेंगे चावल के मामले को तो पता चलेगा कि बासमती के अलावा भी चावल की भी कई पारंपरिक प्रजातियां हैं जो भारत में उगाई जाती हैं।

चावल की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है? - chaaval kee sabase achchhee kism kaun see hai?
फोटो: जैस्मिन चावल/विकिपीडिया

बासमती और जैस्मिन चावल के गुणगान तो सबने सुने हैं पर इन दोनों से भी अलग चावल की सात पारम्परिक किस्में होती हैं, जिन्हें बनाने बैठे तो उनकी खुशबु ही मुंह में पानी ला दे। इन अलग-अलग तरह के चावलों को खोजना जरा मुश्किल है, क्योंकि एक केरल में होता है तो दूसरा मणिपुर की पहाड़ियों में मिलेगा।

लेकिन आज हमारे साथ कम-से-कम जान तो लीजिये इन सात तरह के चावलों के बारे में।

अम्बेमोहर चावल

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महाराष्ट्र में उगाया जाने वाला यह चावल आकर में जरा छोटा होता है। इसकी खासियत यह है कि यह बहुत ही जल्दी पक जाता है और इसकी सुगंध मानो ऐसे, जैसे कि आम के फूलों की खुशबू। जीआई टैग से पुरुस्कृत मुलशी अम्बेमोहर चावल को पेशवा शासन के दौरान बहुत पसंद किया जाता था।

मुल्लन कज़हामा

अनूठे स्वाद और सुगंध से भरपूर यह चावल वायनाड में होता है। इसकी पाल पायसम और मालाबार बिरियानी बेहद स्वादिष्ट बनती है। इस चावल का खेत भी एक हल्की सुगंध से महकता है। केरल के वायनाड में बहुत ही कम किसानों द्वारा इसे उगाया जाता है।

गोबिन्दो भोग

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पश्चिम बंगाल में होने वाला छोटा-सा सुगंधित चावल, जिसे पिछले ही साल जन्माष्टमी पर भगवन श्री कृष्ण को चढ़ाने के लिए  ‘ख़ास धान’ के रूप में चुना गया। इसीलिए इसे बहुत अलग नाम दिया गया है। इसका व्यापक रूप से शुभ प्रसाद, पूजा और त्यौहारों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी बनी पायेश (बंगाली खीर) बहुत ही स्वादिष्ट बनती है।

सीरगा साम्बा

तमिलनाडु का बहुत ही प्यारा चावल। आकार में थोड़ा लम्बा और भीनी-सी खुशबू वाला। विशेष अवसरों के दौरान पुलाव बनाने के लिए बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जाता है। वास्तव में, यह मूल्यवान चावल राज्य की दो सबसे प्रतिष्ठित बिरयानियों – डिंडीगुल बिरयानी और अंबूर बिरयानी में भी प्रयोग होता है। दिलचस्प बात यह है कि तमिलनाडु में उगाए जाने वाले धान की अन्य सभी किस्मों की तुलना में यह चावल थोड़ा महंगा बिकता है!

मुश्क बुदजी
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फोटो: www.kashmirbox.com

बहुत ही तेज सुगंध वाला छोटा-सा चावल। कश्मीर की घाटी में उगाया जाने वाला यह चावल आपको वहां की हर शादी में खाने को मिलेगा। हालाँकि मुनाफा न होने के कारण यह विलुप्त होने लगा था। पर अच्छी खबर यह है कि राज्य के कृषि विभाग ने अद्वितीय चावल की स्थानीय खेती को प्रोत्साहित करने और व्यावसायिक स्थान में फिर से प्रवेश करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।

रांधुनी पागोल

इस चावल का शब्दिक अर्थ है, “पकाने वाले को पागल कर देने वाला।” पश्चिम बंगाल का यह चावल दूर राज्यों में ज्यादा प्रसिद्द नहीं है। इस चावल से आप चिंगरी मलाई करी और कोशा मांगशो जैसे पकवान पका सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि रांधुनी जंगली अजवाइन का बंगाली नाम भी है, जो कि राज्य के हस्ताक्षर व्यंजन के लिए अद्वितीय मसाला है।

चक हाओ अमूबी
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फोटो: http://indosungod.blogspot.com

मणिपुर की पहाड़ियों में उगाए जाने वाले चिपचिपे काले चावल की एक सुगंधित किस्म। स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बढ़िया, मीठा और भीनी सी खुशबु वाले इस चावल की खीर बहुत ही कमाल की बनती है। जैसे-जैसे दूध उबलता है, यह जामुनी रंग ले लेता है और आपके घर में एक मोहक सी खुशबु फ़ैल जाती है। स्थानीय उत्सव और त्योहारों पर इसे बनाया जाता है।

तो आज आप कौनसे चावल को चखना चाहेंगे?

( संपादन – मानबी कटोच )

मूल लेख: संचारी पाल


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40 हजार से भी ज़्यादा किस्मों (वैरायटी) में पाए जाने वाले चावल को दुनिया के हर कोने में इस्तेमाल किया जाता है. एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए अच्छे खाने और पोषक तत्वों में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है. आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि चावल खाने से वजन जल्दी बढ़ता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. वज़न कैलोरी से बढ़ता है और चावलों में कार्बोहाइटड्रेड पाया जाता है. चावल के बारे में कोई भी धारणा बनाने से पहले उसके बारे में कुछ बातें जानना जरूरी है. बाजार में चावलों की कई वैरायटी मिलती है, जिसे जरूरत के अनुसार खरीदा जा सकता है. जैसे ब्राउन, रेड, ब्लैक, वाइट और पर्पल. इनका रंग इनके पोषक तत्वों पर निर्भर करता है.

सफेद चावल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है. सफेद चावल कच्चे चावल का अत्यधिक शुद्ध रूप है. दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने के बावजूद सफेद चावल सेहत के लिए ठीक क्यों नहीं माने जाते? चोकर और अंकुरित सामग्री को अगर डेली डाइट में लिया जाए, तो वह काफी फायदेमंद होती है. इनमें फाइबर के साथ-साथ पोषक तत्व भी होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं, लेकिन आज भी लोग चोकर और अंकुरित अनाज नहीं, बल्कि सफेद चावल खाना ही पसंद करते हैं.

सफेद चावलों की पॉलिश प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया जाता है, तो इसकी एल्यूरन परत हट जाती है जिससे पोषक तत्वों की हानि होती है. इस परत में विटामिन-बी, दूसरे पोषक तत्व और जरूरी फैट आदि होते हैं. देखा जाए तो सफेद चावल मुख्य रूप से स्टार्च है. पॉलिश की प्रक्रिया के दौरान इसमें से कुछ पोषक तत्व जैसे थियामिन जो कि बी-1 के नाम से भी जाना जाता है और विटामिन-बी कम हो जाते हैं. पोषक तत्वों के बिना अगर इन्हें डाइट में शामिल किया जाए तो इससे बेरीबेरी नामक रोग होने की संभावना बनी रहती है. यह थियामिन की कमी के कारण होता है. यही नहीं कई बार सफेद चावल व्यक्ति के शरीर को भी कई तरीके से नुकसान पहुंचाते हैं, साथ ही मैटाबोलिक परेशानी- डायबीटिज़, मोटापा और कई बीमारियों को बढ़ावा देते हैं.

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चावल पर की गई पॉलिश विटामिन बी-3 को 67 प्रतिशत, बी-1 को 80 प्रतिशत, बी-6 को 90 प्रतिशत, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस को आधा तथा आयरन का 60 प्रतिशत भाग समाप्त कर देती है. यही नहीं, कच्चे चावल में मौजूद फाइबर और जरूरी फैटी एसिड (वसायुक्त अम्ल) को भी खत्म कर देती है." यह सब चेतावनियां सफेद चावलों से दूरी बनाएं रखने की ही सलाह देती हैं, जो कि लोगों के लिए काफी मुश्किल काम है. ऐसे में रंगीन चावल हेल्दी ऑप्शन है.

ब्राउन और रेड चावलों को पैदा करने की प्रक्रिया से लेकर पोषक तत्व तक सब कुछ एक जैसा होता है. ये चावल या तो कम छिले होते है, या फिर बिना छिले. इसका मतलब खाते टाइम इनमें मौजूद चोकर को काफी देर तक चबाना पड़ता है, जो कि सेहत के लिए लाभदायक होता है. ब्राउन चावल देश-दुनिया में आसानी से मिल जाता है, वहीं रेड चावल हिमालय पर्वत, दक्षिण तिब्बत, भूटान और दक्षिण भारत में ही मिल पाता है.

ब्राउन और रेड चावल में कोई विभिन्नता नजर नहीं आती. दोनों ही फाइबर, विटामिन बी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, सैलीनियम और अन्य पोषक तत्वों के बड़े स्रोत हैं. ब्राउन चावल की तुलना में रेड चावल में ज्यादा एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो कि हानिकारक कणों से लड़ने में मदद करते हैं.

 

रेड चावल में एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जिसे एंथोसायनिन भी कहते हैं. यह एंथोसायनिन गहरे बैंगनी और लाल रंग के फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं. यह शरीर में होने वाली जलन, एलर्जी, कैंसर के खतरे कम और वजन को सही बनाए रखने में मदद करता है. मैंगनीज दोनों प्रकार के चावलों में पाया जाता है. यह मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाने, माइग्रेन को सुधारने, बल्ड प्रेशर कम करने के साथ-साथ हार्ट अटैक के खतरे को घटाने में मदद करता है. वहीं, मैग्नीशियम और कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत करने, ऑस्टियोपरोसिस, गठिया जैसे रोगों को ठीक करने में सहायक होते हैं. यही नहीं, चावलों में मौजूद सैलीनियम बॉडी में होने वाले इंफेक्शन से बचाता है.

इसके अलावा, धीमे चल रही पाचन तंत्र का मजबूत बनाने में फाइबर सहायक होता है. यही नहीं, ब्लड शुगर में बदली कार्बोहाइड्रेट को भी फाइबर धीरे-धीरे कम कर देता है. इसलिए फाइबर युक्त खाना लो-ग्लाइसेमिक होता है. रेड और ब्राउन चावल डायबीटिज़ पीड़त और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद होते हैं. साबुत अनाज की तरह गिने जाने वाले यह चावल आर्टेरिअल प्लाक (आर्ट्री में पाया जाने वाला मैल) को कम करने, हृदय संबंधित परेशानी, हाई कोलेस्ट्रोल कंट्रोल करने और ब्लड शुगर ठीक करने में मदद करते हैं. अपनी डाइट में एक कप ब्राउन चावल शामिल करने से 60 प्रतिशत डायबीटीज़ का जोखिम  कम हो जाता है. कुछ अन्य अध्ययन के अनुसार, ब्राउन चावल में पाए जाने वाले फैटिक एसिड जैसे कुछ अन्य तत्व व्यक्ति के शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. फैटिक एसिड आयरन और कैल्शियम का शोषण रोक देते हैं. ऐसा केवल तब होता है जब ब्राउन चावल के साथ आयरन और कैल्शियम का सेवन किया जाता है. ऐसे में आयरन और कैल्शियम युक्त खाना खाते समय ब्राउन चावल की खपत को लेकर थोड़ा सचेत रहने की जरूरत होती है."

चमकीले काले चावलों को जब पकाया जाता है, तो वे पर्पल रंग में बदल जाते हैं. देखने के साथ खाने में भी इनका फर्क पता चलता है. इसी खासियत की वजह से काले चावल ब्राउन और रेड चावल को पीछे छोड़ रहे हैं. इनमें फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, फाइटोकेमिकल्स, विटामिन ई, प्रोटीन, आयरन, और अन्य पोषक तत्व होते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह लिवर, किडनी और पेट के लिए फायदेमंद होते हैं. इसमें एंथोसायनिन की मात्रा अधिक होती है, जो कि कैंसर के खतरों से बचाती है. दिल और शुगर के मरीज इसकी कम चीनी और ग्लाइसेमिक ख़ासियत की वजह से अपनी डेली डाइट में शामिल करना पसंद करते हैं. यही नहीं, हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों के लिए भी काले चावल बेहतर ऑप्शन है. एक चम्मच काले चावल के छिलके में एक चम्मच ब्लूबेरीज से ज्यादा एंथोसाइएनिन होता है. इसके अलावा, इनमें कम चीनी, ज़्यादा फाइबर, विटामिन ई, एंटी-ऑक्सीडेंट भी होते हैं.

सबसे बढ़िया चावल कौन सा है?

बासमती (अंग्रेज़ी: Basmati, IAST: bāsmatī, उर्दू: باسمتى) भारत की लम्बे चावल की एक उत्कृष्ट किस्म है। इसका वैज्ञानिक नाम है ओराय्ज़ा सैटिवा। यह अपने खास स्वाद और मोहक खुशबू के लिये प्रसिद्ध है। इसका नाम बासमती अर्थात खुशबू वाली किस्म होता है।

खुशबू वाला चावल कौन सा होता है?

प्रकृति का उपहार खुशबू बासमती चावल हिमालयी पहाड़ों की घाटियों में उगाया और पोषित किया जाता है, बर्फ से नदियों द्वारा पानी जहां बासमती चावल उगाने के लिए मिट्टी की संरचना, अपनी नाजुक बनावट, स्वाद और अनूठी सुगंध के लिए दुनिया भर में जानी जाती है। यह चावल उत्तराखंड की हरी घाटियों से आया है।

सबसे सुगंधित चावल कौन सा है?

भारत मे इतने विभिन्न किस्म के बेहतरीन चावल पैदा होते हैं, कि किसी एक चावल को सबसे उत्तम कहना गलत होगा।.
मै यहां मुझे ज्ञांंत मध्यप्रदेश मे पैदा होने कुछ बढिया किस्म के चावलों का विवरण दे रहा हूं।.
दूबराज - यह छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध सुगंधित चावल है।.
बादशाभोग - यह बस्तर क्षेत्र का बहुत ही उम्दा खुशबूदार चावल है।.

सबसे ज्यादा महंगा चावल कौन सा है?

Expensive Rice in World: दुनिया का सबसे महंगा चावल किनमेमाई प्रीमियम जापान में उगाया जाता है. 12,000 रुपये का एक किले बिकने वाले इस चावल में विटामिन-बी1, बी6, बी, ई और फोलिक एसिड भरपूर होता है.