चिड़िया डाली पर क्यों रुकी थी? - chidiya daalee par kyon rukee thee?

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची Textbook Exercise Questions and Answers.

RBSE Class 7 Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

RBSE Class 7 Hindi चिड़िया की बच्ची Textbook Questions and Answers

कहानी से -

प्रश्न 1. 
किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन सम्पन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था। 
उत्तर : 
माधवदास की संगमरमर की बड़ी कोठी. उसमें भरा खूब सोना-चाँदी, रहीसी ठाठ-बाट, महल में अनेक दासदासियाँ, इस तरह माधवदास का जीवन सम्पन्नता से भरा था। इसके साथ ही उसका यह सोचना कि सब कुछ होते हुए भी उसके जीवन में खालीपन है। पूरी कोठी में उसका अकेला रहना, चिड़िया को अपने बगीचे में रहने के लिए मजबूर करना जिससे वह उस सुन्दर चिड़िया की बच्ची को बार-बार देख सके, उसका सहारा पाकर अपना अकेलापन काट सके। इन सब बातों से पता चलता है कि उसके पास सब कुछ होते हुए भी वह मन से सुखी नहीं था। 

प्रश्न 2. 
माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
माधवदास हर तरह से सुखी था लेकिन वह अपनी कोठी में अकेला रहने के कारण उदास रहता था। इसलिए| वह चाहता था कि वह चिड़िया की सुन्दर बच्ची उसके बगीचे में रह जाए जिससे वह उसे अनेक प्रलोभन देता था। इसी दृष्टि से वह उसे बार-बार कहता है कि बगीचा तुम्हारा ही है। माधवदास यह बात नि:स्वार्थ भाव से नहीं कहता था। वह वास्तव में उसे अपनी मोहक बातों में फंसा कर अपने नौकर द्वारा पिंजरे में कैद करवाना चाहता था जिससे हमेशा के लिए वह उसके पास रह जाए और उसकी उदास जिन्दगी में रौनक भर जाए। 

चिड़िया डाली पर क्यों रुकी थी? - chidiya daalee par kyon rukee thee?

प्रश्न 3. 
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर : 
माधवदास के बार-बार समझाने पर और लालच देने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी, क्योंकि वह अपना स्वच्छन्द जीवन बिताना चाहती थी और अपनी माँ के पास रहना चाहती थी। जीवन में स्वच्छन्दता और माँ की गोद ही उसके लिए सबसे बड़ा सुख था। दूसरी तरफ माधवदास की नज़र में चिडिया की ज़िद का कोई महत्त्व नहीं था। वह तो अपने बगीचे की शोभा बढ़ाने हेतु और अपने मन की उदासी दूर करने के लिए चिड़िया को पकड़वाना चाहता था। 

प्रश्न 4. 
कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए। 
उत्तर : 
कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर हमें अच्छा लगा, क्योंकि माधवदास उसे अपने जाल में फंसाने के लिए अनेक प्रकार के प्रलोभन दे रहा था और नौकर के द्वारा पकड़वाकर उसे कैद करवाना चाहता है। चिड़िया को जैसे ही उसकी इस घिनौनी करतूत का अनुमान हुआ, वह 'नौकर के पंजे से मुक्त होकर अपनी माँ की गोद में जाकर छिप गयी। चिड़िया को आजादी और माँ की गोद दोनों ही प्यारी लगती हैं। 

प्रश्न 5. 
'माँ मेरी बाट देखती होगी'-नन्ही चिड़िया बारबार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है? 
उत्तर : 
प्रत्येक प्राणी के जीवन में माँ का अत्यधिक महत्त्व होता है। बच्चा ही क्या? व्यक्ति जब बड़ा हो जाता है और जब तक उसकी माँ जीवित रहती है तब तक वह घर पहुंचते ही अपनी माँ को आवाज देता है और उसकी ममता भरी आवाज़ सुन कर वह दिन भर की थकान भूल जाता है। माँ की शीतल छाया में बैठकर वह अपने सुख-दु:ख की जब तक बातें नहीं कर लेता तब तक उसका मन चैन नहीं पाता है। पशु-पक्षी भी माँ का साथ चाहते हैं। इसीलिए जब 'नन्ही चिड़िया को माधवदास के घर देर होने लगती है तो वह भी रह-रहकर यही कहती है कि माँ मेरी बाट देखती होगी।

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प्रश्न 6. 
इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो, तो| आप क्या देना चाहेंगे और क्यों? 
उत्तर : 
यदि देखा जाए तो इस कहानी को शीर्षक 'चिड़िया की बच्ची' सभी प्रकार से उचित और सार्थक है। फिर भी इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक देना हो तो 'सबकी प्यारी माँ' देना चाहेंगे, क्योंकि इस संसार में माँ के प्यार जैसा नि:स्वार्थ प्रेम और किसी का नहीं हो सकता, जो स्वयं गीले में सोकर अपने बच्चे को सूखे में सुलाती है। 

कहानी से आगे - 

प्रश्न 1. 
इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए। 
उत्तर : 
इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें अनेक चीजों और अनेक जगहों पर देखने को मिलता है। उदाहरणस्वरूप दिन भर बाहर भटकने के बाद कोई भी मनुष्य घर आकर ही आराम महसूस करता है। सूरज, चाँद और तारे अपने समय पर ही निकलते और छिपते हैं। फल-फूल समय पर ही पेड़ों और पौधों में आते हैं। पशु दिन भर जंगलों और मैदानों में चरते हैं और गोधूलि बेला में अपने खूटे पर लौट कर अपने बछड़ों से मिलते हैं। इन सबमें एक स्वाभाविक अनुशासन की ही झलक दिखाई पड़ती है। 

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प्रश्न 2.
सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-'स्वाधीनता' या 'प्रलोभनों वाली पराधीनता'? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता? नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति स्वयं दुःखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं। कर सकता। 
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता। 
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता। 
उत्तर : 
यदि हमें सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में सारे दिन बन्द रहने को कहा जाए तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि हम ही क्या सारे पशु-पक्षी भी स्वतन्त्र रहना चाहते हैं। इसलिए हमें भी स्वतंत्रता ही प्रिय होगी। हम किसी भी स्थिति में प्रलोभनों वाली पराधीनता में फँसना नहीं चाहेंगे। उससे हमें न तो वास्तविक सुख मिल सकता है और न हम किसी सुख की कामना कर सकते हैं। पराधीनता का अर्थ है दूसरे के अधीन रहना। फिर अधीनता में स्वाधीनता का कैसे सुख मिल सकता है। 

अनुमान और कल्पना - 

आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अदभुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर : 
मानव से लेकर पशु-पक्षी आदि जितने भी सचेतन जीव हैं, उन सभी में ममता, वत्सलता एवं स्नेहभाव अधिक रहता हैं। इस जन्म देने वाली माँ का अपने शिशु से स्वाभाविक स्नेह रहता है और वह उसका पालन-पोषण करने का पूरा प्रयास करती है,। प्रकृति का यही नियम है कि माँएँ सदा अपने बच्चों को लेकर ममता से भरी रहती हैं और स्वयं कष्ट सहकर भी उनका लालन-पालन करती हैं। भाषा की बातप्रश्न 1. पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं
(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। 
(ख) कभी पर हिलाती थी। 
(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
तीनों 'पर' के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी 'पर' का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए 'पर' के प्रयोग हुए हों। 
उत्तर : 
(i) पर = स्थान।
चिड़िया पेड़ पर बैठी है। 

(ii) पर = पंख।
चिड़िया पर फैलाकर धूप सेंक रही थी। 

(iii) पर = लेकिन।
हमने तो कलम यहीं रखी थी, पर न जाने कौन उठाकर ले गया?

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प्रश्न 2. 
पाठ में तैंने, छनभर,खश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ी बोली हिंदी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए। 
उत्तर : 
दियों, खायों, पियों, तनें, लियों आदि।

RBSE Class 7 Hindi चिड़िया की बच्ची Important Questions and Answers

प्रश्न 1. 
माधवदास की कोठी बनी हुई थी
(क) काले पत्थर की 
(ख) भूरे पत्थर की 
(ग) लाल पत्थर की 
(घ) संगमरमर की।
उत्तर : 
(घ) संगमरमर की।

प्रश्न 2. 
'बेखटके यहाँ आया करो।' माधवदास ने यह कहा था
(क) नौकर से
(ख) चिड़िया से 
(ग) कौआ से 
(घ) मोर से। 
उत्तर : 
(ख) चिड़िया से 

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प्रश्न 3. 
माधवदास चिड़िया से चाहता है
(क) वह उसके पास रह जाए। 
(ख) वह उसके पास से चली जाए। 
(ग) वह उसके लिए निरंतर फुदकती रहे। 
(घ) वह उसके लिए गीत गाए। 
उत्तर : 
(क) वह उसके पास रह जाए। 

प्रश्न 4. 
माधवदास ने चिड़िया को बातों में लगा लिया था
(क) उससे बातों का मज़ा लेने के लिए 
(ख) उसे पकड़ने की नियति से 
(ग) उसकी सुन्दरता को देखने के लिए 
(घ) अपने खालीपन को दूर करने के लिए।
उत्तर : 
(ख) उसे पकड़ने की नियति से 

रिक्त स्थानों की पूर्ति -

प्रश्न 5. 
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए - 
(क) माधवदास ............. के सहारे बैठे थे। (तख्त/मसनद)। 
(ख) मेरा मन तुमसे बहुत ................. होता है। (खुश/दु:खी) 
(ग) मेरी माँ के घोंसले के बाहर बहुतेरी ................ धूप बिखरी रहती है। (सुनहरी/मोहक) 
(घ) मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरेको चमका दूँगा। (तन/मूल्य) 
उत्तर : 
(क) मसनद 
(ख) खुश 
(ग) सुनहरी 
(घ) मूल्य 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 6. 
माधवदास चिड़िया की ओर क्यों आकर्षित हुए थे? 
उत्तर : 
माधवदास चिड़िया का इस डाल से उस डाल पर थिरकना देख कर आकर्षित हुए थे।

प्रश्न 7. 
माधवदास चिड़िया से क्या चाहता था? 
उत्तर : 
माधवदास चिड़िया से यह चाहता था कि वह उसके बगीचे में ही रह जाए। 

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प्रश्न 8. 
माधवदास द्वारा बटन दबाने पर उसके पास भाग कर कौन आया था? 
उत्तर : 
माधवदास द्वारा बटन दबाने पर उसके पास भाग कर उसका एक दास आया था। 

प्रश्न 9. 
माधवदास ने नौकर को क्या इशारा किया था? 
उत्तर : 
माधवदास ने नौकर को चिड़िया पकड़ने का इशारा किया था। 

प्रश्न 10.
माधवदास ने चिड़िया को बातों में क्यों लगा लिया था? 
उत्तर : 
माधवदास चिड़िया को बातों में लगाकर उसे पकड़वाना चाहता था। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 11. 
माधवदास कौन था? 
उत्तर : 
माधवदास एक बड़ा व्यापारी था। उसके पास अपार धन, बाग-बगीचे तथा संगमरमर से बनी नई कोठी थी। जिसमें वह अकेला रहता था। 

प्रश्न 12. 
चिड़िया ने भयभीत होकर माधवदास से क्या कहा था? 
उत्तर : 
चिड़िया ने भयभीत होकर माधवदास से कहा था कि "मैं थक कर यहाँ बैठ गयी थी। मैं अभी चली जाऊँगी, मुझे माफ कर देना।" 

प्रश्न 13. 
माधवदास चिड़िया को अपने पास रुकने का आग्रह क्यों करता था? 
उत्तर : 
माधवदास के पास सुख के सभी साधन थे लेकिन वह अकेला रहता था। वह अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए चिड़िया से अपने पास रुकने का आग्रह करता था। 

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प्रश्न 14. 
माधवदास अपने जीवन का सूनापन कैसे दूर करना चाहता था? 
उत्तर : 
माधवदास उस सुन्दर चिड़िया को अपने पास कैद कर, उसका थिरकना-फुदकना देखकर अपने जीवन का सूनापन या अकेलापन दूर करना चाहता था। 

प्रश्न 15. 
चिड़िया माँ की गोद में क्यों छुप गई?
उत्तर : 
चिड़िया सेठ से डर गई थी, इसलिए उसके चंगुल से छूटने पर वह सीधी माँ की गोद में जाकर छुप गई। ऐसा करके वह भय से छुटकारा पाकर स्वयं को सुरक्षित रखना चाहती थी।

निबन्धात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 16.
चिड़िया का रूप-सौन्दर्य कैसा था? 
उत्तर : 
चिड़िया देखने में बहुत ही मनमोहक थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गयी थी। उसके पंख ऊपर से स्याह थे। इसके साथ ही उसका नन्हा-सा सिर बहुत प्यारा था और उसके शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी। 

प्रश्न 17. 
'चिड़िया की बच्ची कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? 
उत्तर : 
'चिड़िया की बच्ची कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी भी पक्षी को पिंजरे में बन्द नहीं करना चाहिए। मनुष्य ही क्या ? पशु-पक्षियों को भी स्वतंत्रता प्यारी होती है। वे भी मनुष्य की तरह स्वतंत्र रहकर अपना जीवन स्वच्छन्दता के साथ जीना चाहते हैं। ऐसे जीवन जीने में उन्हें अपार सुख और खुशी मिलती है। 

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प्रश्न 18. 
माधवदास ने चिड़िया को कौन-कौन से प्रलोभन दिए? 
उत्तर : 
माधवदास ने चिड़िया को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कहा कि देखो कैसी सुन्दर बहार है। यहाँ बगीचे में। गुलाब के फूल खिले हुए हैं। महल में भी एक से एक सुन्दर चीजें हैं। मैं तुम्हारा सोने का एक सुन्दर घर बनवा दूँगा, मोतियों की झालर भी उसमें लटकवा दूंगा। इस प्रकार उसने अनेक प्रकार के प्रलोभन दिए। 

गद्यांश पर आधारित प्रश्न -

प्रश्न 19. 
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए - 
1. माधवदास को वह चिड़िया बड़ी मनमानी लगी। उसकी स्वच्छंदता बड़ी प्यारी जान पड़ती थी। कुछ देर तक वह उस चिड़िया का इस डाल से उस डाल थिरकना देखते रहे। इस समय वह अपना बहुत-कुछ भूल गए। उन्होंने उस चिड़िया से कहा, "आओ, तुम बड़ी अच्छी आईं। यह बगीचा तुम लोगों के बिना सूना लगता है। सुनो चिड़िया तुम खुशी से यह समझो कि यह बगीचा मैंने तुम्हारे लिए ही बनवाया है। तुम बेखटके यहाँ आया करो।" 

प्रश्न :
(क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? पाठ व लेखक का नाम बताइए। 
(ख) माधवदास चिड़िया से क्यों प्रभावित हुआ? 
(ग) माधवदास ने चिड़िया से क्या कहा? 
(घ) माधवदास क्या चाहता था? 
उत्तर : 
(क) पाठ का नाम-चिड़िया की बच्ची और लेखक-जैनेन्द्र कुमार हैं।
(ख) माधवदास चिड़िया की स्वच्छन्दता और उसका थिरकना-फुदकना देखकर प्रभावित हुआ। 
(ग) माधवदास ने चिड़िया से कहा कि यह बगीचा तुम्हारे बिना सूना लगता है। इस बगीचे को अपना समझकर यहाँ आया करो।
(घ) माधवदास चाहता था कि चिड़िया रोजाना उसके बगीचे में आवे।

चिड़िया डाली पर क्यों रुकी थी? - chidiya daalee par kyon rukee thee?

2. "प्यारी चिड़िया, पगली मत बनो। देखो, तुम्हारे चारों तरफ़ कैसी बहार है। देखो, वह पानी खेल रहा है, उधर गुलाब हँस रहा है। भीतर महल में चलो, जाने क्या-क्या न पाओगी! मेरा दिल वीरान है। वहाँ कब हँसी सुनने को मिलती है? मेरे पास बहुत सा सोना-मोती है। सोने का एक बहुत सुंदर घर मैं तुम्हें बना देंगा, मोतियों की झालर उसमें लटकेगी। तुम मुझे खुश रखना। और तुम्हें क्या चाहिए! माँ के पास बताओ क्या है? तुम यहाँ ही सुख से रहो, मेरी भोली गुड़िया।" चिड़िया इन बातों से बहुत डर गई। 

प्रश्न :
(क) बगीचे में कैसी बहार थी? 
(ख) किसका दिल वीरान था और क्यों? 
(ग) चिड़िया को रोकने के लिए क्या प्रलोभन दिया गया? 
(घ) चिड़िया किस बात से डर गई थी? 
उत्तर : 
(क) बगीचे में फव्वारों से पानी उछलता था और चारों ओर गुलाब आदि फूल खिल रहे थे, उनकी अनोखी बहार थी। 
(ख) बगीचे के मालिक माधवदास का दिल वीरान था, क्योंकि उसके घर में हँसने बोलने वाला कोई नहीं था। 
(ग) चिड़िया को रोकने के लिए प्रलोभन दिया कि उसके लिए सोने का सुन्दर घर बना दिया जायेगा और उस पर मोतियों की झालर लटकेगी। 
(घ) माँ के पास क्या रखा है, तुम यहीं सुख से रहो-इस बात से चिड़िया डर गई थी।

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3. ऐसे अनगिनती फूल मेरे बगीचों में हैं। वे भौति-भाँति के रंग के हैं। तरह-तरह की उनकी खुशबू हैं। चिड़िया, तैंने मेरा चित्त प्रसन्न किया है और वे सब फूल तेरे लिए खिला करेंगे। वहाँ घोंसले में तेरी माँ है, पर माँ क्या है? इस बहार के सामने तेरी माँ क्या है? वहाँ तेरे घोंसले में कुछ भी तो नहीं है। तू अपने को नहीं देखती? कैसी संदर तेरी गरदन। कैसी रंगीन देह! तू अपने मूल्य को क्यों नहीं देखती? मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूंगा। तैंने मेरे चित्त को प्रसन्न किया है। तू मत जा, यहीं रह।"। 

प्रश्न :
(क) उक्त गद्यांश में कौन किससे बगीचे के बारे में बता रहा है? 
(ख) किसके सामने माँ कुछ भी नहीं बतायी गई है? 
(ग) चिड़िया को कहाँ नहीं जाने के लिए कहा गया है? 
(घ) अपना मूल्य कौन नहीं देखती है? 
उत्तर : 
(क) उसमें सेठ माधवदास चिड़िया से अपने बगीचे की सुन्दरता के बारे में बता रहा है। 
(ख) बगीचे की सुन्दरता के सामने चिड़िया माँ को कुछ भी नहीं बताया गया है। 
(ग) चिड़िया को अपनी माँ के पास न जाने के लिए कहा गया है। 
(घ) छोटी चिड़िया अपनी रंगीन देह की सुन्दरता नहीं देखती है।

4. तब वह उड़ती हुई एक साँस में माँ के पास गई और माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगी, "ओ माँ, ओ माँ!" माँ ने बच्ची को छाती से चिपटाकर पूछा, "क्या है मेरी बच्ची, क्या है?" पर, बच्ची काँप-कौंपकर माँ की छाती से और चिपक गई, बोली कुछ नहीं, बस सुबकती रही, "ओ माँ, ओ माँ!" बड़ी देर में उसे ढाढ़स बँधा और तब वह पलक मीच उस छाती में ही चिपककर सोई। जैसे अब पलक न खोलेगी। 

प्रश्न : 
(क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? 
(ख) चिड़िया उड़कर किसके पास गयी? 
(ग) रेखांकित शब्दों का अर्थ लिखिए।
(घ) चिड़िया किसकी गोद में गिरकर सुबकने लगी थी? 
उत्तर : 
(क) यह गद्यांश 'चिड़िया की बच्ची' शीर्षक कहानी पाठ से लिया गया है। 
(ख) चिड़िया उड़कर अपनी माँ के पास गयी। 
(ग) सुबकना-मंद आवाज में रोना। मीच-बन्द करके। 
(घ) चिड़िया अपनी माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगी थी।

चिड़िया की बच्ची Summary in Hindi

पाठ-सार - 'चिड़िया की बच्ची' शीर्षक कहानी में कहानीकार जैनेन्द्र कुमार ने बतलाया है कि एक चिड़िया की बच्ची सोने के महलों में अनेक सुविधाओं के बीच रहने की अपेक्षा आजादी के साथ अपनी माँ के साथ रहना पसन्द करती है।

चिड़िया डाली पर क्यों रुकी थी? - chidiya daalee par kyon rukee thee?

कठिन-शब्दार्थ : 

  • सुहावना = सुन्दर लगने वाला। 
  • व्यसन = बुरी आदतें। 
  • तृप्ति = संतुष्टि। 
  • स्याह = काला।
  • पर = पंख।
  • खयाल = विचार। 
  • स्वज = सपना। 
  • स्वच्छंदता = मनमाना आचरण। 
  • बेखटके = बिना किसी भय के। 
  • संकोच = झिझक। 
  • बोध = ज्ञान। 
  • थिरकना = खुशी से नाचना। 
  • प्रफुल्लित = खुश। 
  • बाट देखना = इंतजार करना। 
  • वीरान = उदास। 
  • अनजान = नासमझ। 
  • तृष्णा = चाह, इच्छा। 
  • किस्मत = भाग्य। 
  • वरदान = मुंहमांगी मुराद।
  • झटपट = एकदम। 
  • जतन = प्रयत्न। 
  • उजेला = उजाला। 
  • चौकन्नी = सतर्क। 
  • सुबकना = रोना। 
  • ढाढ़स = हिम्मत।
  • मींचना = बन्द करना।