चेरापूंजी, मेघालय राज्य में एक ऐसी घाटी की तलहटी में स्थित है जो तीन ओर से गारो, खासी तथा जयन्तिया की पहाड़ियों से घिरा है। बंगाल की खाड़ी के मानसून की एक शाखा उत्तर तथा उत्तर-पूर्व दिशा में ब्रह्मपुत्र की घाटी की ओर बढ़ जाती है। इससे उत्तर-पूर्वी भारत में अत्यधिक वर्षा होती है। इसकी एक उपशाखा मेघालय स्थित गारो, खासी और जयन्तिया की पहाड़ियों से टकराती है। इन पहाड़ियों के दक्षिण भाग में चेरापूंजी स्थिति है। अतः स्थलाकृति की दृष्टि से विशिष्ट स्थिति तथा पवनों की दिशा के कारण चेरापूँजी संसार का अत्यधिक वर्षा वाला स्थान बन गया है। यहाँ की वार्षिक वर्षा का औसत 1,200 सेमी से भी अधिक है। यहाँ 2,250 सेमी तक वर्षा हो चुकी है। अब चेरापूंजी के समीप (मात्र 16 किमी की दूरी पर) मॉसिनराम गाँव में सर्वाधिक वर्षा (1,354 सेमी) होती है। Show
मौसिनराम (Mawsynram) भारत के मेघालय राज्य के पूर्व खासी हिल्स ज़िले में स्थित एक बस्ती है। यह राज्य राजधानी, शिलांग, से लगभग 60.9 किमी दूर स्थित है। यह भारत का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है, और सम्भवतः विश्व का भी। यहाँ वार्षिक रूप से 11,872 मिलिमीटर वर्षा होती है और गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में यहाँ सन् 1985 में 26,000 मिलिमीटर वर्षा गिरी थी। मेघालय राज्य राजमार्ग 4 यहाँ से गुज़रता है।[1][2][3] विवरण[संपादित करें]शिलांग से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गाँव अपनी 11,872 मिलीमीटर (467.4 इंच) वार्षिक वर्षा के साथ पृथ्वी पर स्थित सबसे नम स्थान है, लेकिन इस दावे को कोलम्बिया स्थित दो स्थान लॉरो जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1952 और 1989 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच)[4][5] और लोपेज़ डेल मिकाए जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1960 और 2012 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच) था, विवादित बनाते हैं।.[6][बेहतर स्रोत वांछित] विश्व कीर्तिमानों की गिनीज पुस्तक ("गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स") के अनुसार 1985 में मौसिनराम में 26,000 मिलीमीटर (1,000 इंच) वर्षा हुई थी। चरम जलवायु में रहने वाले लोगों पर आधारित ऑक्सफोर्ड भूगोलवेत्ता निक मिडलटन की किताब “गोइंग टू एक्सट्रीम” (आईएसबीएन 0-330-49384-1) उनकी इस गाँव को की गयी यात्रा का विवरण देती है और बताती है कि यहाँ के निवासी इस भीषण वर्षा का सामना किस तरह करते हैं। चेरापुंजी और मौसिनराम[संपादित करें]निम्न सारणी में चेरापुंजी और मौसिनराम में १९७० से २०१० के अन्तराल में हुई वर्षा के आंकड़े हैं:[7][8] [9][10] [11][12][13][14][15]
मावजिम्बुइन गुफाएँ[संपादित करें]मौसिनराम के निकट ही मावजिम्बुइन की प्राकृतिक गुफाएँ हैं जो अपने स्टैलैगमाइट के लिये प्रसिद्ध हैं। स्टैलैग्माइट गुफा की छत के टपकाव से फर्श पर जमा हुआ चूने का स्तंभ होता है।[16] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
चेरापूंजी में बहुत ज्यादा बारिश क्यों होती है?चेरापूंजी 4869 फुट की ऊंचाई पर खासी हिल्स के दक्षिणी पठार पर स्थित है जहां मानसूनी हवाओं का हर समय जोर बना रहता है। यहां पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं आती हैं जिसकी वजह से हर समय मानसून रहता है। सर्दी के दिनों में ब्रह्मपुत्र की तरफ से आने वाली पूर्वोत्तर हवाएं भी बारिश का एक कारण हैं।
चेरापूंजी में औसत वर्षा कितनी होती है?वार्षिक वर्षा 1200 से. मी. तक होती है जिसके कारण यह राज्य देश का सबसे "गीला" राज्य कहा जाता है। चेरापूंजी, जो राजधानी शिलांग से दक्षिण है, ने एक कैलेंडर महीने में सर्वाधिक बारिश का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है।
क्या चेरापूंजी में विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है?मेघालय के इस स्थान को विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान के रूप में जाना जाता है। मेघालय में स्थित चेरापूंजी और मासिनराम में सबसे ज़्यादा बारिश होती है। चेरापूंजी में 1012 से. मी़.
चेरापूंजी के पास में आया हुआ कौन सा स्थान अधिक वर्षा के लिए विख्यात है?प्रसिद्धि यह स्थान दुनियाभर में सर्वाधिक बारिश के लिए जाना जाता है। इसके नजदीक ही नोहकालीकाई झरना है, जिसे पर्यटक जरूर देखने जाते हैं।
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