Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Hindi Antral Chapter 3 बिस्कोहर की माटी Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 12 Hindi Solutions Antral Chapter 3 बिस्कोहर की माटीRBSE Class 12 Hindi बिस्कोहर की माटी Textbook Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. माँ भी उसे अलग नहीं करती, चिपटाए रहती है। बच्चा माँ के पेट का स्पर्श करता है। वह उसके शरीर की गंध सूंघता है। इस स्पर्श से बच्चा जैसे माँ के पेट में अपना स्थान तलाशता है। चाँदनी रात में खटिया पर लेटकर बच्चे को दूध पिलाते समय माँ दूध ही नहीं, उसे चाँदनी भी पिलाती है। चाँदनी भी माँ के समान ही बच्चे को ममता, पुलक और स्नेह देती है। माँ की गोद में लेटकर माँ का दूध पीना मानव जीवन की सार्थकता है। माँ का दूध पीने के साथ ही बच्चे का माँ के साथ जीवनभर का अटूट बंधन जुड़ जाता है। बच्चा माँ की ममता पाना चाहता है, उसके लिए तरसता है। माँ में बच्चे के प्रति ममता का गुण प्रकृति प्रदत्त होता है। बच्चे के प्रति ममता और स्नेह उसके मन में सदा बने रहते हैं। माँ का दूध पीने से बालक तथा माँ में जो सम्बन्ध जुड़ता है, वह जीवन भर कभी नहीं टूटता। प्रश्न 3. प्रश्न 4. 1. प्याज की गाँठ किसी कपड़े में बाँधकर या जेब में डालकर घर से बाहर जाते समय ले जाते हैं। इस प्रकार लू लगने से बचा जा सकता है। इसको पीने, शरीर पर लेप करने तथा नहाने से लू से रक्षा होती है। आम को भूनकर उसके गूदे से सिर धोने से भी लू से बचा जा सकता है। ये प्राकृतिक चिकित्सा के उपाय हैं। इन घरेलू उपचारों को लोग आजकल भी अपनाते हैं। हम भी इनसे परिचित हैं। प्रश्न 5. प्रश्न 6. कई दिन लगातार वर्षा होने पर दीवारें गिर जाती थीं, घर धुंसक जाते थे, बाढ़ आ जाती थी। भीषण गर्मी के बाद बरसात के कारण कुत्ते, बकरी, मुर्गी-मुर्गे पुलकित होकर भौं-भौं, में-में, चूं-धूं करते बेमतलब इधर-उधर भागते थे, थिरकते थे। जुगनूं, कानखजूरा, मच्छर आदि अनेक कीड़े-मकोड़ों की बहुतायत हो जाती थी। पेड़-पौधों तथा घास पर हरियाली छा जाती थी। गाँव में सब तरफ भीषण गंदगी हो जाती थी। खेत-खलिहान तथा रास्ते पानी से भर जाते थे। शौच तक के लिए स्थान नहीं बचता था। लकड़ी तथा कंडे भीग जाने से जलते ही न थे, जलाने पर धुआँ बहुत करते थे। प्रश्न 7. वनस्पतियाँ हैं जिनके पत्ते, फूल, फल, लकड़ी, जड़ तथा छाल दवा के रूप में प्रयोग की जाती हैं। गुड़हल के फूल के सेवन से मधुमेह रोग दूर होता है। बेलफल तथा बेलपत्र उदर रोगों में लाभकारी है। बबूल की दाँतून दाँतों को मजबूत बनाती है। अमरूद के पत्तों को पानी में उबालकर गरारे करने से सूजा हुआ गला ठीक होता है। इसी प्रकार अन्य वनस्पतियाँ भी लाभदायक हैं। प्रश्न 8. चाँदनी, फूल और खुशबू सभी प्रकृति के ही.... रूप हैं। वह औरत भी बिसनाथ को जूही की लता बनी हई चाँदनी के रूप में दिखाई दी जिसके फलों से सुगंध आ रही थी। बिसनाथ ने उसे औरत्ते के रूप में नहीं देखा था। उसमें बिसनाथ ने प्रकृति के ही सजीव रूप को देखा था। ऐसा लगता था जैसे प्रकृति ने ही सजीव स्त्री का रूप धारण किया है। सौन्दर्य क्या है, उसकी तदाकार परिणिति क्या होती है, जीवन की सार्थकता क्या है ये बातें तो बिसनाथ को बाद में समझ में आईं, वह भी उसी नारी के संदर्भ में। प्रश्न 9. लेखक उस औरत को प्रकृति के साथ तदाकार करके देखता था। ऐसा लगता था जैसे प्रकृति उसके रूप में सजीव हो उठी हो। चाँदनी रात में जूही के सफेद फूलों के समान सुन्दरता तथा गंध लेखक को आकर्षित करती थी। वह उसको सफेद फूलों और चाँदनी के समान सफेद साड़ी पहने, काले बादलों जैसे घने काले केशों को सँवारे दिखाई देती थी। उसकी आँखों में विचित्र-सी आर्द्र-व्यथा थी। वह सिर्फ इंतजार करती थी। वह संगीत, नृत्य, मूर्ति, कविता, स्थापत्य यानी कि कला के हर रूप के आस्वाद में उपस्थित रहती थी। उस औरत के प्रति यह गहरी आसक्ति लेखक में सदैव बनी रही। यह स्मृति उसे बराबर रही और इसी के साथ मृत्यु का एक अजीब प्रकार का बोध भी जुड़ा रहा। योग्यता विस्तार - प्रश्न 1.
इनके अतिरिक्त और भी फूल हैं जिनको फूलों में गिना नहीं जाता है तोरई, लौकी, भिंडी, भटकटैया, इमली, अमरूद, कदंब, बैंगन, कोहड़ा या काशीफल, शरीफा; आम का बौर, कटहल, बेल (बेला, चमेली, जूहीवाला बेला नहीं), अरहर, उड़द, चना, मसूर, मटर और सेमल के फूल। सरसों के फूल, भरभंडा या सत्यानाशी के फूल। अनेक प्रकार के दूबों (घास)" के फूल। धान, जौ, गेहूँ, भुट्टे के फूल। नीम, गुड़हल तथा बेर के फूल। (ख) साँपों के नाम, रूप, रंग तथा विशेषताएँ
प्रश्न 2. प्रश्न 3. शिशु के लिए भी यह अच्छी बात नहीं है। उसको गाय, भैंस, बकरी का दूध अथवा डिब्बा-बन्द दूध पीना पड़ता है, जिससे उसका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। माँ का दूध बच्चे को अनेक रोगों से बचाता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता RBSE Class 12 Hindi बिस्कोहर की माटी Important Questions and Answersलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. निबन्धात्मक प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. वर्षा ऋतु में जहाँ ग्रामीण जीवन प्रसन्नता और आनन्द से भर उठता है, वहाँ उसके कारण लोगों को कुछ कठिनाइयाँ भी होती हैं। वर्षा के कारण अनेक प्रकार के कीड़े-मकोड़े पैदा हो जाते हैं। जोंक, केंचुआ, ग्वालिन-जुगनू, अगनिहवा, बोका, करकच्ची, गोंजर आदि कीट जमीन पर रेंगने लगते हैं। मच्छर, डाँस, मक्खी आदि जन्तु भारी संख्या में पैदा होकर लोगों को परेशान करते हैं। चारों तरफ भीषण गंदगी, कीचड़ तथा बदबू फैल जाती है। सब तरफ पानी भर जाने से शौचक्रिया के लिए स्थान भी नहीं बचता। लकड़ी, ईंधन भीग जाता है। इनके भीग जाने से आग नहीं जलती और धुआँ उठता रहता है। प्रश्न 2. जूही की खुशबू बिसनाथ के प्राणों में बसी थी। चाँदनी में जूही के सफेद फूल ऐसे लगते थे जैसे चाँदनी ही फूल के रूप में दिखाई पड़ रही हो। वह औरत भी बिसनाथ को औरत नहीं, जूही की लता बनी चाँदनी के रूप में ही दिखाई दे रही थी। ऐसी चाँदनी जिसके फूलों से खुशबू आ रही थी। प्रकृति ने जैसे सजीव नारी का रूप धारण कर लिया था और बिसनाथ को उसमें आकाश, चाँदनी, सुगंधि-सब कुछ दिखाई दे रहा था। बिसनाथ जीवनभर उससे शरमाता रहा, कुछ भी कह-सुन न सका। बहुत दिन बाद अवसर मिलने पर बहुत हिम्मत बाँधने के बाद बिसनाथ ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए उससे कहा था - "जे तुम्हें पाइ जाइ ते जरूरै बौराय जाइ", अर्थात् जो तुम्हें पा जाएगा वह जरूर ही पागल हो जाएगा। प्रश्न 3. गाँवों में शहरों के समान जीवन जीने की सुविधाएँ नहीं होती। वहाँ का जीवन अकृत्रिम होता है तथा प्रकृति पर अधिक निर्भर होता है। गाँव का वातावरण प्राकृतिक सौन्दर्य से भरापूरा होता है। प्रस्तुत कथा में लेखक ने अपने गाँव के प्राकृतिक सौन्दर्य का तन्मयता से चित्रण किया है। वर्षा जब बाढ़ का संकट पैदा करती है तो गाँव में अनेक परेशानियाँ पैदा हो जाती हैं। विभिन्न फूलों और सब्जियों का वर्णन करके लेखक ने गाँव की प्राकृतिक सुषमा को व्यक्त किया है। उसने विभिन्न साँपों एवं विषकीटों आदि से भयानक रस की भी सष्टि की है। फल, दवा का काम करते हैं यह बताकर प्रकट किया गया है कि ग्रामीण प्राकृतिक रूप से प्राप्त जड़ी-बूटियों को रोग के उपचार के लिए प्रयोग करने को प्राथमिकता देते हैं। बिसनाथ जो स्वयं इस कथा के लेखक हैं, इस पूरी कथा के केन्द्र में स्थित हैं। बिस्कोहर गाँव बिसनाथ की दृष्टि से सबसे अच्छा गाँव है. और बिस्कोहर की स्त्री ही संसार की सबसे सुन्दर स्त्री है। "बिसनाथ मान ही नहीं सकते कि बिस्कोहर ... से अच्छा कोई गाँव हो सकता है और बिस्कोहर से ज्यादा सुन्दर कहीं की औरत हो सकती है।" इन केन्द्रीभूत तथा प्रमुख विषयों के अतिरिक्त गर्मी, वर्षा, शरद् में होने वाली दिक्कतों ने लेखक के मन पर जो प्रभाव डाला है उसका उल्लेख भी इस पाठ में स्वाभाविक रूप में हुआ है। लेखक ने अपने भोगे यथार्थ को प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ प्रस्तुत किया है। - थोड़ा ध्यान देने पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि बिस्कोहर गाँव ही मूलतः प्रतिपाद्य है। प्रश्न 4. अंडा कोमल होता है और बत्तख की चोंच सख्त। परन्तु बत्तख अपनी चोंचं का प्रयोग अंडों के साथ करते समय बहुत सतर्क रहती थी तथा उनको। कोमलता के साथ स्पर्श करती थी। बत्तख का यह ममत्व तथा मातृत्वभाव अवर्णनीय है। लेखक के अनुसार सरस्वती और शेषनाग भी इसका वर्णन नहीं कर सकते। इस दृश्य को देखने पर लेखक के इस मत की पुष्टि होती है कि पशु-पक्षियों की माताएँ भी अपने बच्चों से ममता तथा स्नेह का व्यवहार करती हैं तथा उनकी सुरक्षा का ध्यान रखती हैं। प्रश्न 5. लू से बचाने के लिए लेखक की माँ धोती अथवा कमीज में माँठ लगाकर प्याज बाँध देती थी। वह कच्चे आम को भनकर उसके गदे के साथ चीनी या गड़ मिलाकर पन्मा बनाकर भी उसे पिलाती थी। शरीर पर पन्ने का लेप भी किया जाता था तथा गूदे से सिर भी धोया जाता था। इन उपायों से लू से बचा जा सकता था। गाँव में लू के भयंकर प्रकोप से बचने के लिए लोग इन्हीं प्राकृतिक उपायों को अपनाया करते थे। उस समय लोगों का जीवन बनावटी नहीं था। गाँव के लोग प्रकृति से प्राप्त जड़ी-बूटियों का उपयोग किया करते थे। प्रश्न 6. नारी शरीर से उसको. बिस्कोहर की फसलों और वनस्पतियों की गंध आती थी। तालाब की चिकनी मिट्टी की गंध, गेहूँ, खीरा, भुट्टा या पुआल की गंध भी उसे प्रिय थी। फूले हुए नीम की गंध को नारी शरीर या श्रृंगार से कभी नहीं जोड़ा जा सकता। वह गंध मादक, गंभीर और असीमित की ओर ले जानेवाली होती है। बचपन के बाद इतना समय बीत जाने के बाद आज बिसनाथ गंध के पुल पर होकर पुनः अपने बचपन वाले तट पर लौट सकता है। गंध के माध्यम से वह आज भी अपने माता-पिता तथा उस आकर्षक नारी से जुड़ा है। प्रश्न 7. प्राकृतिक सौन्दर्य - बिस्कोहर की प्राकृतिक सुषमा अनुपम है। वहाँ लेंवडी का ताल' में कमल फूलते हैं। कमल के पत्तों पर भोजन परोसा जाता है। कमल से ज्यादा बहार कोइयाँ की होती है। इसे कुमुद और कोकाबेली भी कहते हैं। शरद में जहाँ पानी भरा हो वहाँ यह फल उठती है। गाँव में कमल, कोइयाँ, हरसिंगार के अतिरिक्त अनेक फूल होते हैं, जिनको फलों में नहीं गिना जाता। कदंब. शरीफा. आम. कटहल. बेल. इमली, अमरूद, सेमल आदि के फलों के साथ ही सरसों, तोरी, लौकी, भिंडी, भटकटैया, भरभंडा (सत्यानाशी) आदि के फूल भी वहाँ होते हैं। जीव-जन्तु - गाँव में डोंड़हा, मजगिदवा, धामिन, फेंटारा, घोर कड़ाइच आदि साँप तथा बिच्छू खूब होते हैं। बरे, ततैया आदि विषैले कीट भी होते हैं। बच्चे इनको पकड़ लेते हैं और धागे में बाँधकर उड़ाते हैं। ऋतुएँ - गाँव में तेज गर्मी पड़ती है, लू चलती है। लू से बचने के लिए प्याज जेब में रखी जाती है। कच्चे आम को भूनकर पन्ना बनाकर पिया जाता है तथा उससे सिर धोया जाता है। शरीर पर लेप भी करते हैं। गर्मी के बाद वर्षा का आना अच्छा लगता है। बादल छा जाते हैं और गरजते हैं। दिन में रात का अँधेरा छा जाता है। फिर वर्षा की बूंदें गिरती हैं। उससे संगीत की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं। आँधी में टीन-छप्पर उड़ जाते हैं। तेज वर्षा में मकान गिर जाते हैं। कीचड़ और गन्दगी हो जाती है, रास्तों में पानी भर जाता है। अनेक कीड़े-मकोड़े पैदा हो जाते हैं। तालाब, नदी-नाले जल से भर जाते हैं। सब जगह हरियाली छा जाती है। इसके बाद शरद ऋतु आती है। शरद की चाँदनी बहुत सुन्दर लगती है। जाड़े की धूप भी अच्छी लगती है। चाँदनी में जूही के फूल बहुत सुन्दर लगते हैं। बिस्कोहर में शहर जैसी सुविधायें तो नहीं हैं परन्तु वह अत्यन्त आकर्षक तथा मनोहर है। बिस्कोहर की माटी Summary in Hindiलेखक परिचय : विश्वनाथ त्रिपाठी का जन्म बिस्कोहर गाँव, जिला बस्ती (सिद्धार्थ नगर), उत्तर प्रदेश में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हुई। तत्पश्चात् बलरामपुर कस्बे में आगे की शिक्षा प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए वे पहले कानपुर और बाद में वाराणसी गए। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। शुरू में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज में अध्यापन कार्य किया और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में अध्यापन कार्य से जुड़े रहे। उनकी रचनाओं में प्रारंभिक अवधी, हिंदी आलोचना, हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, लोकवादी तुलसीदास, मीरा का काव्य, देश के इस दौर में, कुछ कहानियाँ-कुछ विचार प्रमुख आलोचना और इतिहास संबंधी ग्रंथ हैं। पेड़ का हाथ, जैसा कह सका प्रमुख कविता-संग्रह हैं। उन्होंने आरंभ में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के साथ अदहमाण (अब्दुल रहमान) के अपभ्रश काव्य संदेश रासक का संपादन किया तथा कविताएँ 1963, कविताएँ 1964, कविताएँ 1965 अजित कुमार के साथ व हिंदी के प्रहरी रामविलास शर्मा अरुण प्रकाश के साथ संपादित की। उनकी एक और पुस्तक व्योमकेश दरवेश प्रकाशित हुई जो हिंदी के सुप्रसिद्ध आलोचक एवं साहित्यकार. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी पर केंद्रित है। उनको गोकुलचंद्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार, डॉ. रामविलास शर्मा सम्मान, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, हिंदी अकादमी, दिल्ली के साहित्यकार सम्मान आदि से सम्मानित किया गया। बिस्कोहर की माटी बिसनाथ को अपनी माँ के पेट का रंग हल्दी मिलाकर बनाई गई पूड़ी-सा लगता था और गंध दूध की। पिता के कुर्ते को सूंघने पर पसीने की बू अच्छी लगती थी। नारी शरीर से उन्हें बिस्कोहर की फसलों और वनस्पतियों की गंध आती थी। संगीगंध और बच्चे बिसनाथ के लिए काल और इतिहास को पार करने के सेतु थे। बड़े गुलाम अली खाँ द्वारा गाई ठुमरी-'अब तो आओ साजन' में वहीं औरत व्याकुल हुई दिखाई देती थी। सफेद साड़ी पहने, घने काले केश सँवारे, आँखों में आई कथा लिए वह सिर्फ इंतजार करती थी। संगीत, नृत्य, मूर्ति, कविता, स्थापत्य, चित्र-हर कला-रूप के आस्वाद में वह मौजूद थी। बिसनाथ के लिए हर दुःख-सुख से जोड़ने का सेतु थी। इस स्मृति के साथ मृत्यु का बोध अजीब तौर पर जुड़ा हुआ था। बिस्कोहर की माटी क्या है?बिस्कोहर की माटी पाठ का सार
प्रस्तुत पाठ बिस्कोहर की माटी में लेखक ने अपने गाँव और उसके प्राकृतिक परिवेश ग्रामीण जीवन शैली गाँव में प्रचलित घरेलू उपचार और अपनी माँ से जुड़ी यादों का का विवरण किया गया है। जिसमें कोईयाँ एक प्रकार का पानी का फूल है। जिसे कुमुद और कोकाबेली भी कहा जाता है।
ख लेखक ने विभिन्न प्रकार के फूलों की क्या क्या उपयोगिता बताई है बिस्कोहर की माटी पाठ के आधार पर लिखिए?इसे गजरा बनाने में प्रयोग में लाया जाता है। भगवान को भी इसके फूल चढ़ाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त लेखक ने तोरी, लौकी, भिंडी, भटकटैया, इमली, अमरूद, बैंगन, कोंहड़ा, शरीफ़ा, आम के बौर, कटहल, बेल, अरहर, उड़द, चना, मसूर, मटर के फूल, सेमल के फूलों का भी वर्णन किया है। इनसे हमें फल-सब्ज़ियाँ मिलते हैं।
सूरदास की अभिलाषाएँ क्या थी पाठ के आधार पर लिखिए?वह गाँववालों के लिए कुँआ बनवाना चाहता था, अपने बेटे की शादी करवाना चाहता था तथा अपने पितरों का पिंडदान करवाना चाहता था। झोपड़ी के साथ ही पूँजी के जल जाने से अब उसकी कोई भी अभिलाषा पूरी नहीं हो सकती थी। उसे लगा कि यह फूस की राख नहीं है बल्कि उसकी अभिलाषाओं की राख है। उसकी सारी अभिलाषाएँ झोपड़ी के साथ ही जलकर राख हो गई।
बिस्कोहर की माटी पाठ का उद्देश्य क्या है?आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया यह पाठ अपनी अभिव्यंजना में अत्यंत रोचक और पठनीय है। लेखक ने उम्र के कई पड़ाव पार करने के बाद अपने जीवन में माँ, गाँव और आसपास के प्राकृतिक परिवेश का वर्णन करते हुए ग्रामीण जीवन शैली, लोक कथाओं, लोक मान्यताओं को पाठक तक पहुँचाने की कोशिश की है।
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