मेघनाथ का इंद्रजीत नाम कैसे पड़ा? - meghanaath ka indrajeet naam kaise pada?

मेघनाथ कौन था :- हिन्दू ग्रंथो में सबसे ज्यादा लोकप्रिय ग्रन्थ है रामायण जिसके बारे में आपने अपने जीवन में नाजाने कितनी बार सुना होगा आपको खुद नहीं पाता होगा। रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमे इतने विभिन प्रकार के चरित्रों का वर्णन किया गया है अगर हम उनमे से कैसे एक चरित्र का अनुशरण अपने जीवन में कर लेता है तो हमें अपने जीवन कभी निराशा नही होगी और ना हे कभी हर का सामना करना पड़ेगा। ऐसे ही एक अधभुद चरित्र के बारे में आज इस लेख के माध्यम से विस्तार में जानेंगे जिसका नाम हर साल सबकी जुबान पर रहता है और कहे न कही से सुनने को मिलता ही है। वह देव्या नाम है “मेघनाथ” जिसे इंद्रजीत के नाम, से भी जाना जाता है। आज हम इंद्रजीत के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्त्यों के बारे में जानेंगे ताकि जिसे लोग राक्षस कहते है उसके जीवन से कुछ प्रेरणा ले सके।

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Table of Contents

  • कौन था मेघनाथ? और मेघनाथ का नाम इद्रजीत क्यू और कैसे पड़ा ?
  • मेघनाथ को कौन कौन से वरदान प्राप्त है
  • मेघनाथ किसका अवतार है?
  • मेघनाद की क्या विशेषता थी?
  • मेघनाद को कौन मार सकता था?
  • मेघनाद ने हनुमान को कैसे बांधा?
  • मेघनाद ने इंद्र को कैसे जीता?
  • मेघनाद की लंबाई कितनी थी?
  • लक्ष्मण ने मेघनाद को क्यों मारा?
  • मेघनाथ कौन सी विद्या जानता था?
  • मेघनाथ कितना मजबूत था?

कौन था मेघनाथ? और मेघनाथ का नाम इद्रजीत क्यू और कैसे पड़ा ?

एक महान योद्धा के रूप में देखा जाने वाला मेघनाथ लंकापति रावण का सबसे प्रिय और सबसे बड़ा पुत्र था। मेघनाथ की माँ रावण की पहली पत्नी मंदोदरी थी जिसने इतने शूरवीर पुत्र को अपनी कोख से जनम दिया था। उनका नाम मेघनाथ क्यों पड़ा इस किसे का भी ग्रंथो में वर्णन है। जब मेघनाथ पैदा हुए थे तो उनके रोने की आवाज साधारण बालक की तरह नहीं थी बल्कि उनकी रोने के आवाज बदलो के गड़गड़ाने जैसी थी इसी प्रकार उनका नाम मेघनाथ पड़ा। मुझे विश्वाश है की आपको यह जरूर ही पाता होगा की मेघनाथ का इंद्रजीत  नाम कैसे पड़ा? लेकिन अगर आप को नही पाता तो आपको इस लेख को पढ़ कर पाता चल जाएगा की मेघनाथ का इद्रजीत नाम कैसे पड़ा। इसका भी ग्रंथो में उल्लेख किया गया हैं जब मेघनाथ को ब्रम्हा से वरदा के साथ एक समय ऐसा आया जब मेघनाथ बहुत बड़ा पराक्रमी योद्धा बन चूका था जिसे हराना किसी भी मानव, दानव, और देवता के लिये असंभव हो गया था। जब मेघनाथ ने देवताओ के राजा इंद्र को भी हरा दिया था तो उनका नाम इद्रजीत पड़ गया था, जिसका अर्थ है “जो इन्द्र को भी जीत सके”।

मेघनाथ को कौन कौन से वरदान प्राप्त है

मेघनाथ एक बहुत बड़ा पराक्रमी योद्धा था जिको हराना देवता, मनुष्य, और असुर सभी के लियाे असंभव था। यहाँ थक की ऐसा बताया जाता है की श्री राम भी उसे हारने में असफल रहे थे। और उसके इतना शक्तिशाली और पराक्रमी होने का एक राज यह भी था की उसको देवताओ से वरदान, देविक ज्ञान, लौर दिव्य अस्त्र प्राप्त हुए था जिन्हे उसने देवताओ का तप करके उन्हें प्रसन करके उनसे प्राप्त किया था। मेघनाथ को भगवान विष्णु और ब्रम्हा देव से कई सरे वरदान, देविक ज्ञान, और दिव्य अस्त्रो का वरदान मिला था।

पहला वरदान

मेघनाथ को ब्रम्हा जी के वरदान से एक अचूक बह्रमास्त्र का वरदान मिला था जिसका वार कभी खाली नहीं जा सकता।

दूसरा वरदान

मेघनाथ को भगवान शिव से वरदान के रूप में एक दिव्य रथ प्राप्त हुआ था जिको वह अपने मर्जी से नव-मंडल या आकाश में कही भी आ-जा सकता था।

तीसरा वरदान

मेघनाथ को भगवान शिव से वरदान के रूप में “तामसी माया“ का ज्ञान मिला था। इस माया का उपलोग कर जब वह किसी से युद्ध करा था तो उसको हराना लगभग असंभव सा होजाता था। यह माया उसके इर्द-गिर्द ऐसा अंधकार उत्पन करती थी जिसमे इंद्रजीत अद्रश्य सा होजाता था और उस समय उस्से कोई असुर या देवता युद्ध नहीं कर पाता था।

चौथा वरदान

मेघनाथ को भगवान शिव से वरदान के रूप में एक शक्तिशाली अजय भानुस और एक तरकश प्राप्त हुआ था जिसके घातक बाण कभी खत्म नही होते थे।

पांचवा वरदान

इंद्रजीत को ब्रम्हा जी से वरदान के रूप में भ्रमशीर अस्त्र का ज्ञान प्रत्यक्ष रूप से ब्रम्हा जी से मिला था।

छठा वरदान

इंद्रजीत को ब्रम्हा जी से सबसे महत्वपूर्ण वरदान प्राप्त हुआ था इस वरदान के अनुसार अगर वह युद्ध से पहले देवी निकुम्बाला का यग सफलता पूर्वक कर लेता है तो है तो वो यूद्ध के मैदान में हमेशा अजय है उसे कोई प्रास्त नही कर सकता और अगर कोई व्यक्ति उसके यह को भांग करने में सफल होजाता हे तो वही मेघनाथ की मृत्यु का करण भी बनेगा।

मेघनाथ किसका अवतार है?

हिन्दू ग्रंथो के अनुसार बताया जाता है मेघनाथ कक्ष्मण का दामाद था क्योकी मेघनाथ का विवाह वासुकीनाग की पुत्री सुलोचना से हुआ था। सुलोचना सर्पकन्या थी और लक्ष्मण जी भी शेषनाग (sheshnaag) के अवतार थे इसलिया मेघनाथ लक्ष्मण जी का दामाद हुआ। लेकिन मेघनाथ किसका अवतार था इसका ग्रंथो में कोई उल्लेख नहीं है।

मेघनाद की क्या विशेषता थी?

मेघनाथ का जन्म

मेघनाथ रावण और मंदोदरी का सबसे बड़ा पुत्र था क्योकी रावण एक बोहोत बड़ा जोत्सी भी थे जिसे एक ऐसा पूत चाहिये था जो महा बल शैली और महा प्रतापी हो। ेस्लेया उसने सभी ग्रहो को अपने पुत्र के जनम कुंडली में 11 बे मतलब (लाभ स्तन) पर रख दिया लेकिन रावण की परवती से परचेत शनिदेव 11 वे स्तन से 12 स्ताहन में आगे कोकी (बेय्य हनी) स्त्थान होता है। जिससे रावण को कांमुतबिक पुत्र की प्राप्ति नहीं हो सकी इस्लिये रावण ने शनि देव ने पैर पर प्रहार कर दिया था। बाल्मिकी द्वारा रचित रामायण अनुसार जब मेघ नाथ का जन्म हुआ तो वह सामान्य सेशुनो की तरह नहीं रोया था बोलकी उसके मुँह से बिजली की कड़कने की आवाज आए थी इस्लिये रावण ने अपने पुत्र का नाम मेघनाथ रखा था।

मेघनाथ का परिवार

मेघ नाथ के परिवार के बारे में बात करे तो मेघनाथ की पत्नी का नाम सुलोचना और पुत्र का नाम अक्षय कुमार था। हनुमान जी ने अक्षय कुमार का अशोक वाटिका का वध कर दिया था। कहती है इनकी एक और पत्नी थी जिसका नाम नागकण था जो पटल के राजा शेष नाग की पुत्री थे।

स्वर्ग विजयी

मेघनाथ अपने  पिता की तरह स्वर्ग विजयी था उसने इन्द्र को परास्त कर दिया था। इन्द्र को परास्त करने के कारण ही ब्रम्हा जी ने इनका नाम इंद्रजीत रखा था मेघनाथ का मूल नाम घननाथ था लेकिन इन्द्र को हारने के बाद उसे इंद्रजीत, बाजवजीत, शुक्रजीत इन्द्र कहा था।

ब्रम्हा जी से मिला वरदान

बंधक इन्द्र को छुड़ाने के लिये जब ब्रम्हा जी ने आगया दी तो मेघनाथ ने इंद्र को आजाद कर दिया था इसपर ब्रम्हा जी  वरदान मानगो वस्त। तब मेघनाथ ने अमरता का वरदान मांग तो ब्रम्हा जी ने कहा यह देना संभव नहीं है लेकिन उन्होंने इसके सामान ही वर दिया। वर अनुसार अपनी कुल देवी प्रातंगगीरा के यग के दौरान उसे साक्षात त्रिदेव भी नहीं हरा सकती थे और कोई भी मेघनाथ को नहीं मर सकता था।

मेघनाथ गुरु

मेघनाथ ने शुक्राचार्य और साक्षात महादेव से शिक्षा प्राप्त की थी महादेव से शिक्षा प्राप्त करके लगभग सभी दिव्यास्त्रों का वह ज्ञाता बन गया था किशोर अवस्ता के उम्र में उन्होने कुलदेवी दिकुम्भाला जिन्हे प्रत्यांगीरा भी कहा जस्ता है उनके मांगदेर में अपने गुरु से दीक्षा लेकर कई शिक्षा प्राप्त कर ली थी। जब मेघनाथ युवा अवस्ता में पहुव्हा तो उसने कठीण तपस्या के बल पर संसार के थीं सबसे घातक अस्त्र जॉकी है ब्रम्हास्त्र, पशुपतास्यास्त्र, और वैष्णवा अस्त्र प्राप्त कर लिये थी।

पितृभक्त मेघनाथ

मेघनाथ को पाता था की श्री राम स्वयम भगवान है लेकिन फिर भी उन्होंने अपने पिता रावण का साथ नहीं छोड़ा। जब उसकी माँ मंदोदरी ने उसी यह कहा की संतान मुक्ति की तरफ अकेले जाता है, तब मेघनाथ ने कहा अगर पिता तो को ठुकराकर अगर मुझे मोक्ष या स्वर्ग भी मिले तो में उसे छोड़ दूंगा। ऐसी थी मेघनाथ की पितृभक्ति।

मेघनाद को कौन मार सकता था?

यह ग्रंथो और पौराणिक गाथाओ में लिक्खा एक वाक्य है जिसमे जब एक बार अगस्त्य मुने अयोध्या आए और लंका युद्ध की बात छिड़ गई तो प्रभु श्री राम ने अगस्त्य मुनी को बताया की किस तरह उन्होए रावण और कुम्करण जैसे विरो को हराया और लक्ष्मण ने भी इंदरजीत और अतिकाय जैसे शक्तीशाली असुरो को हराया। तभी प्रभु श्री राम में बात सुकर अगस्त्य मुनी ने कहा इस बात में कोई दोराहे नहीं है की रावण और कुम्करण बोहोत बड़े वीर थे लेकिन उन सब में से सबसे बड़ा वीर इंद्रजीत ही था जिसने इंद्र को अंतरिक्ष में हराया और उसे बंद कर अपने साथ लंका ले गया। ब्रम्हाजी ने जब इंद्र को दान के रूप में मेघनाथ से माँगा तो मेहनत ने उस्से आजाद कर दया। लक्ष्मण उसका वध इस्लिये कर पाया क्योकी केवल लक्ष्मण ही उसका वध कर सकता था। अगस्त्य मुनी से यह बात सुन कर प्रभू श्री राम प्रश्न हो गए लेकिन उनके मन में एक आशंका थी की ऐसा के था की केवल लक्ष्मण हे उसका वध कर सकता था। तब अगस्त्य मुनी ने बताया की इंद्रजीत को वरदान था की उसे वही मर सकता है जो चौदह वर्षो तक नही सोया हो। जिसने चौदह वर्षो तक किसी स्त्री का चेहरा न देखा हो। और जिसने चौदह वर्षो तक भोजन नहीं किया हो।

मेघनाद ने हनुमान को कैसे बांधा?

जब प्रभु श्री राम ने हनमन जी को माता शेता की खोज में लंका भीजा अरु जब हनुमान जी लंका पोहचे और जब अशोक वाटिका में माता सीता से मिले तो तभी उन्होंने अशोक वाटिका को तहस-नहस करना शुरू कर दिया जब सैनिक हनुमान जी को रोकने आए तो कई तो वीर जाती को प्राप्त हो गये और कई अपन हर स्वीकार कर वह से भागने लगे। जब रावण को यह सुचना मिली की अशोक वाटिका में एक वानर ने उसके कई सेनिको को मार गिराया तो, फिर रावण ने सेनापति जम्बुली को और उसके बाद अपने पुत्र राजकुमार अक्षय कुमार को भीजा तो दोनों वीरगति को प्राप्त हो गए। अंत में रावण ने अपने पुत्र इंद्रजीत को अशोक वाटिका हनुमान जी से युद्ध करने भेजा और उन दोनों के बेच में युद्ध आरंभ होगया, तब इंद्रजीत ने अपनी सारी शक्ति अपनी सारी माया, अपनी सारी तांत्रिक विद्या, अपने सारे अस्त्र-शस्त्र सब प्रयोग करके देख लिए लेकिन वह सब के सब विफल हो गए तो इंद्रजीत निराश हो गया। फिर अनत में जब इंद्रजीत ने हनुमान जी पर बह्रमास्त्र का प्रयोग किया तो, हनुमान जी ने बह्रमास्त्र का मन रखने के लिये उसमे बंध जाना स्वीकार किया।

मेघनाद ने इंद्र को कैसे जीता?

देवता और असुरो के संग्राम के समय जब रावण ने सभी देवताओ को बंधी बना कर उनको कारागाह में डाल दिया तो सभी देवताओ ने मिलकर वहा से भागने की योजना बनाए और साथ ही वो रावण को भी सोते हुए बंधी बना कर ले गए। लेकिन मेघनाथ ने देवताओ को भागते हुए और अपने पिता को बंदी बनाकर लेजाते हुए देखा तो वह आक्रोश से भर गया और अपना दिव्या रथ लेकर देवताओ के पीछे चला गया उसने देवताओ पर हमला कर दिया और उसने इंद्र के साथ भीषण युद्ध किया उसने इन्द्र के साथ अंतरिक्ष में युद्ध किया और उसे हरा कर अपने पिता रावण को कैद से आयद कर इन्द्र को बंधी बना कर अपने साथ लंका ले गया। फिर जब भगवान ब्रम्हा लंका में इन्द्र को मेघनाथ से मुक्त करवाने के लिये प्रकट होते है और मेघनाथ को इन्द्र को मुक्त करने का आदेश देते है तो मेघनाथ उनसे वरदान लेकर इन्द्र को मुक्त कर देता है उसी समय ब्रह्मा जी मेहनत को इंद्रजीत नाम देते है।

मेघनाद की लंबाई कितनी थी?

वैसे तो इस बात का कही उल्लेख या प्रमाण नहीं है की मेघनाथ की लम्बाई कितनी थी लेकिन कुछ कथाओ के अनुसार माना जाता है की मेघनाथ अपनी इच्छा अनुसार अपनी लम्बाई बढ़ा और घटा सकता था और यह भी कहा जाता है की मेघनाथ अपनी लम्बाई 110 फिट तक बढ़ा सकता था।

लक्ष्मण ने मेघनाद को क्यों मारा?

पौराणिक कथाओ के अनुसार मेघनाथ रामायण का सर्वश्रेष्ठ योद्धा था और उसे  अपने कड़े परिश्रम के कारण देवताओ से कई करे वरदान भी प्राप्त थे उसे एक ऐसा भी वरदा मिला था जिसके अनुसार वह केवल उसी व्यक्ति द्वारा मारा जा सकता है जिसने चौदह वर्षो से कुछ खाया न हो। जिसने चौदह वर्षो से किसी स्त्री का मुख ना देखा हो। और, जो चौदह वर्षो से सोया ना हो। और यह तीनो खुबिया लक्ष्मण के अंदर प्रभु श्री राम और माता  सीता के साथ वनवास आने के दौरान उत्त्पन हो गया थी।

मेघनाथ कौन सी विद्या जानता था?

मेघनाथ को भगवान शिव से वरदान के रूप में “तामसी माया“ का ज्ञान मिला था। इस विद्या का उपयोग कर जब वह किसी से युद्ध करा था तो उसको हराना लगभग असंभव सा होजाता था। यह माया उसके इर्द-गिर्द ऐसा अंधकार उत्पन करती थी जिसमे इंद्रजीत अद्रश्य सा होजाता था और उस समय उस्से उस्से कोई असुर या देवता युद्ध नहीं कर पाता था। इंद्रजीत को ब्रम्हा जी से वरदान के रूप में भ्रमशीर अस्त्र का ज्ञान पूरी तरह से ब्रम्हा जी से मिला था।

मेघनाथ कितना मजबूत था?

मेघनाथ अपने पिता रावण की तरह स्वर्ग विजयी था उसने महादेव और ब्रम्हा जी से वरदान भी हासिल किये थे। उनके गुरु शुक्राचार्य और साक्षात महादेव थे उनसे मेघनाथ ने ज्ञान और शिक्षा प्राप्त की थी महादेव से शिक्षा प्राप्त करके लगभग सभी दिव्यास्त्रों का वह ज्ञाता बन गया था और वह अपनी किशोर अवस्ता में ही सर्वगुण सम्पन एक महान योद्धा बन गया था। उसने इन्द्र देव को भी हराया था और साथ ही कई और देवताओ को हराकर उनके दिव्य अस्त्रों की प्राप्ति की थी। और जब वह इन्द्र को बंधी बना कर लंका लेग्या था तो ब्रम्हा जी के कहने पर उसने इन्द्र को छोड़ दिया था और फिर ब्रम्हा जी ने उन्हें वरदान दिया की अगर वह युद्ध से पहले देवी निकुम्बाला का यग सफलता पूर्वक कर लेता है तो है तो वो यूद्ध के मैदान में हमेशा अजय है उसे कोई नही हरा पाएगा।

मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता है?

मेघनाद' अथवा इन्द्रजीत रावण के पुत्र का नाम है। अपने पिता की तरह यह भी स्वर्ग विजयी था। इंद्र को परास्त करने के कारण ही ब्रह्मा जी ने इसका नाम इन्द्रजीत रखा था। इसका नाम रामायण में इसलिए लिया जाता है क्योंकि इसने राम- रावण युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मेघनाथ का दसू रा नाम क्या था और उसका वह नाम क्यों पड़ा?

रामायण' में उल्लेख मिलता है कि रावण के पुत्र का नाम मेघनाथ थाउसका एक नाम इंद्रजीत भी था। दोनों नाम उसकी बहादुरी के लिए दिए गए थे। इंद्र पर जीत हासिल करने के उपरांत मेघनाथ इंद्रजीत कहलाया और मेघनाथ का नाम मेघनाथ मेघों की आड़ में युद्ध करने के कारण पड़ा

मेघनाद इंद्रजीत कैसे बना?

ब्रह्मा ने मेघनाद से इंद्र को छोड़ने के लिए कहा और बदले में तीन वरदान दिए. ब्रह्मा ने मेघनाद को इंद्रजीत का नाम दिया और कहा कि अब उसे इसी नाम से जाना जाएगा. ब्रह्मा ने मेघनाद को कई सिद्धियां भी दी. एक विशेष वरदान ब्रह्मा ने मेघनाद को दिया जो उसकी मौत का कारण भी बना.

मेघनाथ का किसका अवतार है?

मेघनाद किसका अवतार था whose avtar was Meghnad और लक्ष्मण जी भी शेषनांग (Sheshnaang) के अवतार थे इसलिए मेघनाद लक्ष्मण जी का दामाद हुआ किन्तु मेघनाद किसका अवतार था इसका कोई प्रमाणित साक्ष्य नहीं है।