Show स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का योगदान आजीवन संगिनी कस्तूरबा की पहचान सिर्फ यह नहीं थी आजादी की लड़ाई में उन्होंने हर कदम पर अपने पति का साथ दिया था, बल्कि यह कि कई बार स्वतंत्र रूप से और गाँधीजी के मना करने के बावजूद उन्होंने जेल जाने और संघर्ष में शिरकत करने का निर्णय लिया। वह एक दृढ़ आत्मशक्ति वाली महिला थीं और गाँधीजी की प्रेरणा भी।
अरुणा आसफ अली : हरियाणा के एक रूढि़वादी बंगाली परिवार से आने वाली अरुणा आसफ अली ने परिवार और स्त्रीत्व के तमाम बंधनों
1857 की क्रांति के बाद हिंदुस्तान की धरती पर हो रहे परिवर्तनों ने जहाँ एक ओर नवजागरण की जमीन तैयार की, वहीं विभिन्न सुधार आंदोलनों और आधुनिक मूल्यों और रौशनी में रूढिवादी मूल्य टूट रहे थे, हिंदू समाज के बंधन ढीले पड़ रहे थे और स्त्रियों की दुनिया चूल्हे-चौके से बाहर नए आकाश में विस्तार पा रही थी। इतिहास साक्षी है कि एक कट्टर रूढिवादी हिंदू समाज में इसके पहले इतने बड़े पैमाने पर महिलाएँ सड़कों पर नहीं उतरी थीं। पूरी दुनिया के इतिहास में ऐसे उदाहरण कम ही मिलते हैं। गाँधी ने कहा था कि हमारी माँओं-बहनों के सहयोग के बगैर यह संघर्ष संभव ही नहीं था। जिन महिलाओं ने आजादी की लड़ाई को अपने साहस से धार दी, उनका जिक्र यहाँ लाजिमी है। कस्तूरबा गाँधी : गाँधी ने बा के बारे में खुद स्वीकार किया था कि उनकी दृढ़ता और साहस खुद गाँधीजी से भी उन्नत थे। महात्मा गाँधी की ऐतिहासिक भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 9 अगस्त, 1942 को अरुणा आसफ अली ने गोवालिया टैंक मैदान में राष्ट्रीय झंडा फहराकर आंदोलन की अगुवाई की। वह एक प्रबल राष्ट्रवादी और आंदोलनकर्मी थीं। उन्होंने लंबे समय तक भूमिगत रहकर काम किया। सरकार ने उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली और उन्हें पकड़ने वाले के लिए 5000 रु. का ईनाम भी रखा। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की मासिक पत्रिका ‘इंकलाब’ का भी संपादन किया। 1998 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। और भी पढ़ें :स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की क्या भूमिका थी?भारत में महिलाओं के आंदोलन को हम दो दृष्टिकोणों से व्याख्यायित कर सकते हैं। समाजों का योगदान, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में विदेशी महिलाओं के योगदान को सम्मिलित करते हैं। द्वितीय दृष्टिकोण के अंतर्गत स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तेभागा.
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की क्या भूमिका है?1917 में वायसराय के समक्ष महिलाओं के लिए मताधिकार की माँग रखी गई। इस प्रतिनिधि मंडल में मारग्रेट कॉसिन एवं सरोजिनी नायडू जैसी महिलाएँ शामिल थीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी इसे पूरा समर्थन दिया और अंततः महिलाओं को मताधिकार प्राप्त हुआ। सर्वप्रथम मद्रास प्रांत ने महिलाओं के मताधिकार हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली एक महिला कौन है?कस्तूरबा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाम है, राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की पत्नी भारत की आजादी में गांधी के योगदान के बारे में सभी जानते हैं लेकिन उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं।
भारत की महान महिला कौन है?भारत में जब भी महिलाओं के सशक्तिकरण की बात होती है तो महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा ज़रूर होती है। रानी लक्ष्मीबाई न सिर्फ़ एक महान नाम है बल्कि वह एक आदर्श हैं उन सभी महिलाओं के लिए जो खुद को बहादुर मानती हैं और उनके लिए भी एक आदर्श हैं जो महिलाएं ये सोचती है कि 'वह महिलाएं हैं तो कुछ नहीं कर सकती.
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