भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं मीरा के प्रथम पद के आधयर पर सोदयहरण लसदध कीज़जए - bhagavaan apane bhakton kee raksha karate hain meera ke pratham pad ke aadhayar par sodayaharan lasadadh keezaje

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न. 1. कवयित्री अपने प्रभु से क्या प्रार्थना कर रही है ?
उत्तर:
कवयित्री प्रभु से अपने दुःख दूर करने की प्रार्थना कर रही है।

प्रश्न. 2. ईश्वर ने किस-किसके दुःखों को दूर किया है ?
उत्तर:
ईश्वर ने द्रोपदी, भक्त प्रहलाद, ऐरावत हाथी आदि के दुःखों को दूर किया है।

भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं मीरा के प्रथम पद के आधयर पर सोदयहरण लसदध कीज़जए - bhagavaan apane bhakton kee raksha karate hain meera ke pratham pad ke aadhayar par sodayaharan lasadadh keezaje
प्रश्न. 3. द्रौपदी की लाज रखने के लिए प्रभु ने क्या चमत्कार किया ?
उत्तर
: द्रौपदी की लाज बचाने के लिए प्रभु ने उसका चीर बढ़ाया।

प्रश्न. 4. कृष्ण ने नरहरि का रूप क्यों धारण किया ? 
उत्तर: कृष्ण ने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरहरि का रूप धारण किया।

प्रश्न. 5. मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मीराबाई श्रीकृष्ण की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ?
उत्तर
: मीराबाई श्याम (श्रीकृष्ण) की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं, क्योंकि उनकी चाकरी करने पर मीरा को नित्य दर्शन का लाभ मिलेगा, वृंदावन की कुंज गली में गोविन्द की लीलाओं को गा सकेंगी और उन्हें भक्ति भाव का साम्राज्य प्राप्त हो जाएगा।

प्रश्न. 6. मीरा कृष्ण से क्या प्रार्थना कर रही हैं ?
उत्तर:
मीरा कृष्ण से उन्हें अपनी सेविका बनाने के लिए प्रार्थना कर रही हैं।

प्रश्न. 7. ‘चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ’ का आशय क्या है ?
उत्तर:
आशय-आपकी दासी बनकर बाग लगाऊँगी और रोज आपके दर्शन करूँगी।

प्रश्न. 8. मीरा कृष्ण की लीलाओं का गुणगान कहाँ करना चाहती हैं ?
उत्तर:
मीरा कृष्ण की लीलाओं का गुणगान वृन्दावन की कुँज गलियों में करना चाहती हैं।

प्रश्न. 9. कृष्ण की चाकरी करने पर मीरा को कौन-सी जागीर प्राप्त होगी ? 
उत्तर: कृष्ण की चाकरी करने पर मीरा को कृष्ण  की भक्ति की जागीर प्राप्त होगी।

प्रश्न. 10. भाव-भक्ति को जागीर क्यों कहा गया है ? उसके लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर:
किसी भी सच्चे भक्त के लिए सबसे बड़ी जागीर है-उसका भगवान। भगवान को पाने का सर्वाेत्तम साधन है-भक्ति। मीरा भावपूर्ण भक्ति की उपासिका थीं। उसी के माध्यम से वे अपने कृष्ण  को पा सकती थीं। इसलिए भाव-भक्ति उनके लिए जागीर के समान थी।

प्रश्न. 11. ‘मोर मुगट’ शब्द का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर:
‘मोर मुगट’ शब्द का तात्पर्य है ‘मोर पंख से युक्त मुकुट’।

प्रश्न. 12. कृष्ण के गले में क्या पड़ा है ?
उत्तर: 
कृष्ण के गले में वैजन्ती माला पड़ी है।

प्रश्न. 13. मीरा ऊँचे-ऊँचे महलों के बीच-बीच में ‘बारी’ क्यों बनाना चाहती हैं ?
उत्तर:
मीरा ऊँचे-ऊँचे महलों के बीच-बीच में ‘बारी’ बनकर श्रीकृष्ण  के दर्शन कर सकें।

प्रश्न. 14. ‘कुसुम्बी’ का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: 
‘कुसुम्बी’ का तात्पर्य है-गहरा लाल।

प्रश्न. 15. मीरा श्रीकृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं ?
उत्तर:
मीरा श्रीकृष्ण से उन्हें यमुना के तट पर आधी रात के समय दर्शन देने की प्रार्थना करती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न. 1. ‘हरि आप हरो......’ पद में मीरा ने किन-किन पर की गई कृपा को स्मरण करते हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती की है ?
उत्तर:
इस पद में हरि से अपनी पीड़ा को हरने की विनती करते समय मीरा उन्हें उनकी दया का स्मरण कराती हैं कि उन्होंने चीर बढ़ाकर द्रौपदी की लाज बचाई थी, भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए नरसिंह रूप धारण किया था तथा डूबते गजराज को मगरमच्छ के मुँह से बचाया था। मीरा चाहती हैं कि उसी प्रकार कृष्ण अपनी इसी मर्यादा के अनुरूप उनकी (मीरा की) पीड़ा का भी हरण कर लें।

प्रश्न. 2. कौन-कौन से उदाहरण देकर मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ?
अथवा
मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ?
उत्तर: 
मीराबाई श्रीकृष्ण से बड़े ही विनम्र शब्दों में अपनी पीड़ा हरने के लिए प्रार्थना करती हुई कहती हैं, कि हे प्रभु! आप हमारी पीड़ा दूर करो। जिस प्रकार आपने द्रौपदी की लाज चीर बढ़ाकर की थी, भक्त प्रहलाद की रक्षा नरसिंह रूप धारण करके की थी, डूबते हुए हाथी की रक्षा की, मगरमच्छ को मारकर कुँजर की रक्षा की थी, उसी प्रकार आप मेरी भी रक्षा करें।

प्रश्न. 3. भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं-सोदाहरण सिद्ध कीजिए। 
उत्तर: भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाने के लिए उसे वस्त्र प्रदान किए। उसे सभा में निर्वस्त्र होने से बचा लिया। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रूप धारण किया तथा हिरण्यकश्यप का पेट फाड़ डाला। इसी भाँति उन्होंने डूबते हुए हाथी के मुख से हरि नाम सुनकर उसे मगरमच्छ के मुँह ये बचा लिया।

प्रश्न. 4. चाकरी से मीरा को क्या लाभ मिलेगा ?
उत्तर:
चाकरी से मीरा को कृष्ण दर्शन का लाभ मिलेगा। वह नित्य श्रीकृष्ण के दर्शन कर सकेगी और वृन्दावन की कुंज गली में गोविन्द की लीलाओं को गा सकेगी। जिससे उसे भक्तिभाव का साम्राज्य प्राप्त हो जाएगा।

प्रश्न. 5. मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है ?
उत्तर: 
मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन इस प्रकार किया है-श्रीकृष्ण का रूप-सौंदर्य और मुखाकृति आकर्षित करने वाली है, उन्होंने अपने सिर पर मोर के पंखों का मुकुट पहन रखा है, गले में वैजन्ती के पुष्पों की माला है, शरीर पर पीले रंग का वस्त्र अर्थात् पीताम्बर सुशोभित हो रहा है, हाथों में बाँसुरी को धारण कर वृंदावन में यमुना के तट पर गायें चराने जा रहे हैं।
प्रश्न. 6. मीरा कृष्ण के लिए कुसुम्बी साड़ी क्यों पहनना चाहती हैं ?
उत्तर:
 

  • कृष्ण भी पीताम्बर धारण करते हैं। 
  • कुसुम्बी साड़ी जोगन मीरा के अनुकूल है।

व्याख्यात्मक हल:
मीरा कृष्ण दर्शन के लिए कुसुम्बी साड़ी इसलिए पहनना चाहती है क्योंकि वह अपने आप को पीताम्बर धारण करने वाले कृष्ण के सामने जोगन के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है। कुसुम्बी साड़ी जोगन मीरा के अनुकूल है क्योंकि कुसुम्बी का अर्थ है- गहरा लाल।

प्रश्न. 7. मीरा कृष्ण को अपना प्रियतम मानती हैं। उनकी भक्ति में प्रेम का पुट अधिक है- सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
मीरा कृष्ण को अपना प्रियतम मानती हैं इसलिए वह उनके सुन्दर छबीले रूप की आराधना करती हैं और लाल साड़ी पहनकर उनसे यमुना तट पर मिलना चाहती हैं। इससे स्पष्ट है कि उनकी भक्ति में प्रेम का पुट अधिक है।

प्रश्न. 8. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:
(क) हरि आप हरो जन री भीर।
द्रौपदी की लाज राखी, आप बढ़ायौ चीर।
भगत कारण रूप नर हरि, धर्यौ आप शरीर।
(ख) बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुज्जर पीर।
दासी मीरा लाल गिरधर, हरौ म्हारी भीर।।
(ग) चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूँ बाताँ सरसी।।
उत्तर: 
(क) भाव- मीराबाई ईश्वर से भक्त एवं व्यक्तियों की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करती हुई कहती हैं कि द्रौपदी की लाज बचाने के लिए भगवान ने चीर बढ़ा दिया था तथा भक्त प्रहलाद की रक्षा हेतु नरसिंह का रूप हरि ने धारण किया था।
(ख)भाव- मीराबाई ईश्वर से प्रार्थना कर रही है कि जिस प्रकार डूबते गजराज की रक्षा मगरमच्छ को मारकर की थी उसी प्रकार आप अपनी दासी मीरा की पीड़ा को दूर करो।
(ग) भाव- मीराबाई श्रीकृष्ण की चाकरी करना चाहती हैं। अतः वह श्रीकृष्ण से उन्हें चाकर रखने की प्रार्थना करती हुई कहती हैं कि चाकरी करने पर उन्हें बदले में दर्शन पाने की इच्छा है। जो स्मरण पाएँगी उसे वे खर्च समझकर रख लेंगी। भक्ति-भाव की जागीर उन्हें प्राप्त हो जाएगी।

प्रश्न. 9. ‘द्रोपदी री लाज राखी’ के आधार पर भगवान के रक्षक-रूप का वर्णन कीजिए। मीरा के पद के आधार पर लिखिए।
उत्तर: कृष्ण अपने भक्तों और प्रियजनों की रक्षा करने वाले हैं। द्रोपदी की लाज बचाकर उन्होंने यह साबित कर दिया।
व्याख्यात्मक हल:
भगवान कृष्ण अपने भक्तों और प्रियजनों की रक्षा करते थे। एक बार पांडवों ने जुए में द्रौपदी को दाँव पर लगा दिया और हार गए। कौरव जीत गए। दुर्योधन ने अपने भाई दुःशासन को आदेश दिया कि वह द्रौपदी को सभा में खींच लाए और उसे निर्वस्त्र कर दे। तब किसी पांडव ने उसकी रक्षा न की। द्रौपदी ने मन ही मन कृष्ण को याद किया। कृष्ण प्रकट हुए। उन्होंने द्रौपदी का चीर बढ़ाकर उसकी लाज बचाई।

प्रश्न. 10. द्रौपदी की लाज बचाने के लिए कृष्ण ने क्या किया था? मीरा के पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 

  • चीर बढ़ाया
  • संकट में केवल प्रभु सहायक, उन्होंने उसके सम्मान की रक्षा की

व्याख्यात्मक हल:
द्रौपदी की लाज बचाने के लिए कृष्ण ने कौरवों की सभा में द्रौपदी चीर-हरण के समय द्रौपदी का चीर बढ़ाया था। इस प्रकार संकट के समय प्रभु ने भक्त की सहायता करके उसके सम्मान की रक्षा की थी।

यहाँ पढ़ें: “पद” पाठ की व्याख्या
पद पाठ का सार यहाँ से पढ़ें।