अकाल मृत्यु होने पर आत्मा को क्या कष्ट भोगना पड़ता है गरुड़ पुराण? - akaal mrtyu hone par aatma ko kya kasht bhogana padata hai garud puraan?

 नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है आज का इस new पोस्ट के साथ जिसका टाइटल है।अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है।किसी भी इंसान को अकाल मृत्यु क्यों होते हैं।akal mrityu ke baad aatma kahan jati hai। दोस्तो अगर आप भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

अकाल मृत्यु होने पर आत्मा को क्या कष्ट भोगना पड़ता है गरुड़ पुराण? - akaal mrtyu hone par aatma ko kya kasht bhogana padata hai garud puraan?


अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है ? किसी भी इंसान को अकाल मृत्यु क्यों होते हैं? akal mrityu ke baad aatma kahan jati hai

दोस्तो गरूड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु हुई काल यानी कि समय है और जब मृत्यु का समय निकट आता है तो जीव आत्मा से प्राण और देह का वियोग हो जाता है। हर एक मनुष्य के जन्म और मृत्यु का समय निश्चित होता है जिसे पूरा करने के बाद ही मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह पुनः दूसरे शरीर को धारण करता है। ।

परंतु अब यहां यह सवाल उठता है कि जब किसी मनुष्य की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उस जीव आत्मा का क्या होता है और अकाल मृत्यु किसे कहा जाता है? 

दोस्तों गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मनुष्य के जीवन का सात चक्र निश्चित है और यदि कोई मनुष्य इस चक्र को पूरा नहीं करता है। अर्थात जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाता है उसी मृत्यु के बाद भी कई प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। 

 1 अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है

परंतु सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि अकाल मृत्यु क्या होती है अर्थात किस तरह की मृत्यु को गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखा गया है। गरुड़ पुराण के सिंहावलोकन अध्याय में बताया गया है कि यदि कोई प्राणी भूख से पीड़ित होकर मर जाता है या हिंसक प्राणी द्वारा मारा जाता है या फिर गले में फांसी का फंदा लगाने से जिसकी मृत्यु हो जाती है अथवा जो विश्व तथा अग्नि आंधी से मृत्यु को प्राप्त हो जाता है अथवा जिसकी मृत्यु जल में डूबने से हो जाती है या जो सर्प के काटने से मर जाता है यह जिसकी दुर्घटनाएं रोग के कारण मृत्यु हो जाती है वह। अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है ।

लेकिन दोस्तों गरुड़ पुराण में आत्महत्या को सबसे निंदनीय और घृणित अकाल मृत्यु बताया गया है। इतना ही नहीं भगवान विष्णु ने आत्महत्या को परमात्मा के अपमान करने के समान बताया है। साथ ही गरूड़ पुराण में विष्णु ने बताया है कि जिस मनुष्य अथवा प्राणी की मृत्यु प्राकृतिक होती है वह तीन दस  तेरह दिन के अंदर दूसरा शरीर धारण कर लेती है। 

किंतु जो व्यक्ति आत्महत्या जैसे घृणित अपराध करता है उस प्राणी की जीवात्मा पृथ्वी लोक पर तब तक भटकती रहती है। जब तक वह प्रकृति के द्वारा निर्धारित अपने जीवन चक्र को पूरा नहीं कर लेता। ऐसी जीव आत्मा को ना तो स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है और ना ही नरक लोक की जीव आत्मा की इस अवस्था को आगति  ही कहा जाता है

 इसलिए गरुड़ पुराण में बताया गया है कि आत्महत्या करने वाली आत्मा अकाल मृत्यु को प्राप्त होने वाले सभी आत्माओं में सबसे कष्टदायक था। पहुंच जाती है और अकाल मृत्यु को प्राप्त करने वाली आत्मा अपनी तमाम इच्छा हो या नहीं, भूख, प्यास, संभोग, सुख, राग, क्रोध, दोष, लोग, उपासना आदि की पूर्ति के लिए अंधकार में तब तक भटकती रहती है जब तक कि उसका परमात्मा द्वारा निर्धारित जीवन चक्र पूरा नहीं हो जाता। 

2  किसी भी इंसान को अकाल मृत्यु क्यों होते हैं

परंतु अब यहां यह सवाल उठता है कि किसी भी प्राणी की अकाल मृत्यु क्यों होती है तो दोस्तों मैं आपको बता दूं कि इसका भी वर्णन करोड़ पुराण में किया गया है जिसके अनुसार जो विधाता द्वारा निश्चित की गई मृत्यु प्राणी के पास आती है तो शीघ्र ही उसे लेकर मृत्यु लोक से चली जाती है। प्राचीन काल से ही वेद का यह कथन है कि मनुष्य 100 वर्ष तक जीवित रहता है, किंतु जो प्रतिबंधित कर्म करता है, वह शीघ्र ही भ्रष्ट हो जाता है जो वेदों का ज्ञान ना होने के कारण वंश परंपरा के सदाचार का पालन नहीं करता है जो आलस्य बस कर्म का। परित्याग कर देता है जो सदैव त्याज्य कर्म को सम्मान देता है जो जिस किसी घर में भोजन कर लेता है और जो पर स्त्री में अनुरक्त रहता है, इसी प्रकार के अन्य महा दोषों से मनुष्य की आयु सेन हो जाती है। 

चरित्रहीन अपवित्र नास्तिक मंगल का परित्याग करने वाले पर द्रोही सत्यवादी ब्राह्मण की मृत्यु अकाल में ही यमलोक ली जाती है। प्रजा की रक्षा ना करने वाला धर्म आचरण से ही दूर व्यसनी मूर्ख विद अनुशासन से पृथक और प्रजा पीड़ा क्षत्रिय यम का शासन प्राप्त होता हो। 

ऐसी दोषी ब्राह्मण एवं क्षत्रिय मृत्यु के वशीभूत हो जाते हैं और यह यम यात्रा को प्राप्त करते हैं जो अपने कर्मों का परित्याग तथा जितने मुख्य आचरण है, उनका परित्याग करता है और दूसरे के कर्म में निरत रहता है। वह निश्चित ही अकाल मृत्यु को प्राप्त करता है और जो शुद्ध दूज सेवा के बिना अन्य कर्म करता है वह भी निश्चित समय से पहले यमलोक जाता है

। तो यह हो गई अकाल मृत्यु और उससे मिलने वाले कष्टों की बात 

3 akal mrityu ke baad aatma kahan jati hai

चलिए जानते हैं कि अकाल मृत्यु के बाद कौनसी आत्मा किस योनि में भटकती रहती है। गरुड़ पुराण में बताया कि जो पुरुष अकाल मृत्यु को प्राप्त करता है तो वह भूत प्रेत पिशाच कुष्मांडा, ब्रह्मराक्षस बेताल क्षेत्रपाल योनि में भटकता रहता है। 

जबकि कोई श्री अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है तो वह भी किसी तरह की योनि में भटकती रहती है। लेकिन उसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे कि यदि कोई नवयुग की स्त्री या पुरुष अकाल मृत्यु को प्राप्त होती है तो वह चुड़ैल बन जाती है। वहीं जब किसी कुमारी कन्या की अकाल मृत्यु हो जाती है तो उसे देवीयूनी में भटकना पड़ता है। 

इन सबके अलावा गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु के कारणों से मृत आत्मा की शांति हेतु कई तरह के उपाय बताए गए हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि अकाल मृत्यु को प्राप्त करने वाली आत्मा हेतु उनके। परिवार जनों को नदी या तालाब में तर्पण करना चाहिए। 

साथ ही मृत आत्मा की इच्छा की पूर्ति के लिए पिंडदान अथवा सत्कर्म जैसे दान पुण्य आत्मा गीता का पाठ करवाना चाहिए। यह कार्य कम से कम 3 वर्षों तक चलते रहने चाहिए। साथ ही वर्षी आने पर भूखे ब्राह्मणों बालकों को भोजन भी कराना चाहिए ताकि मृत आत्मा को जल्द से जल्द मुक्ति मिल सके।

वैसे दुर्घटना रोग या अन्य किसी भी प्रकार की अकाल मृत्यु को रोकना तो हम इंसानों के बस में तो है नहीं, लेकिन आप हत्या को हम रोक सकते हैं। जब भी आपके मन में क्या करने का ख्याल आए तो उससे पहले उससे जुड़े परिणामों को अवश्य ध्यान दें, क्योंकि अक्सर लोग यही सोच कर आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं कि उन्हें सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी। 

लेकिन अज्ञानता के कारण को नहीं जानते कि मृत्यु के बाद उन्हें वर्तमान में हो रहे कष्टों से ज्यादा ही कष्ट भोगना पड़ेगा। तो दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी।

अकाल मृत्यु हो जाए तो क्या करना चाहिए?

ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार अगर कुंडली में अकाल मृत्‍यु का योग हो तो भोलेनाथ का स्‍मरण करना चाह‍िए। श‍िवशंकर जी के बारे में कहा जाता है कि जो महाकाल के भक्त होते हैं उनका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इसल‍िए अकाल मृत्‍यु का भय हो तो उसे टालने के ल‍िए जल में तिल और शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए

जो अकाल मृत्यु मरता है उसका क्या होता है?

इस पुराण के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना में, जल में डूबने से, या सांप के काटने से, या फिर किसी रोग के कारण, या फिर गले में फांसी का फंदा लगने से, या फिर भूख से पीड़ित होकर, या फिर किसी हिंसक प्राणी के द्वारा मारा जाता है तो ऐसा ही व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है?

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के वक्त इंसान की सभी इंद्रियां नष्ट हो जाती हैं और वह हिल नहीं पाता है. उस समय अंगुष्ठ मात्र आत्मा देह से निकलती है, जिसे दो यमदूत आकर पकड़ लेते हैं. उस आत्मा को पकड़कर यमलोक ले जाया जाता है. इस दौरान यमदूत उसको नरक में मिलने वाले दुखों को विस्तार से बताते हैं.

मरने के बाद आत्मा कितने दिन तक घर में रहती है?

इसलिए ही गुरुड़ पुराण में बताया गया है जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के पास घर में भटकती रहती है और उसके बाद आत्मा मृत लोक से यमलोक की ओर निकल पड़ती है जिसे पूरा करने के लिए उसे 12 महीने यानि कि 1 साल का वक्त लगता है इतना ही नहीं मान्यता के अनुसार 13 दिनों तक मृतक के नाम का ...