अंग्रेजों के दल ने कानपुर में हत्याकांड क्यों किया? - angrejon ke dal ne kaanapur mein hatyaakaand kyon kiya?

गद्यांशों पर आधारित अति लघूत्तरीय एवं लघु उत्तरीय प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

1. कानपुर में भीषण हत्याकाण्ड करने के बाद अंग्रेजों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राजमहल लूट लिया गया; पर उसमें बहुत थोड़ी सम्पत्ति अंग्रेजों के हाथ लगी। इसके बाद अंग्रेजों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया। सैनिक दल ने जब वहाँ तोपें लगाईं उस समय महल के बरामदे में एक अत्यन्त सुन्दर बालिका आकर खड़ी हो गई। उसे देखकर अंग्रेज सेनापति को बड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि महल लूटने के समय वह बालिका वहाँ कहीं दिखाई न दी थी।

प्रश्न (क) अंग्रेजों के दल ने कानपुर में हत्याकांड क्यों किया ? 
उत्तरः अंग्रेजों के दल ने नाना साहब और उसके सहयोगियों को 1857 के विद्रोह की सजा देने के लिए कानपुर में हत्याकांड किया।

प्रश्न (ख) नाना साहब का महल लूटने के बाद अंग्रेजों ने क्या निश्चय किया ? 
उत्तरः नाना साहब का महल लूटने के बाद अंगे्रजों ने नाना साहब के महल को तोप से उड़ाने का (भस्म करने का) निश्चय किया।

प्रश्न (ग) नाना साहब का महल कहाँ स्थित था ? 
उत्तर: नाना साहब का महल बिठूर में स्थित था।
अथवा
प्रश्न (क) सैनिक दल ने बरामदे में किसे देखा ? उसे देखकर अंग्रेज सैनिक क्यों हैरान हुए ? 
उत्तरः सैनिक दल ने बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका को खड़े देखा। अंग्रेज सैनिक उसे देखकर हैरान हुए क्योंकि महल को लूटते समय उन्हें वह बालिका कहीं दिखाई नहीं दी थी।

प्रश्न (ख) अंग्रेज सैनिकों ने कानपुर में हत्याकांड क्यों किया ? इसके बाद उन्होंने बिठूर की ओर रुख क्यों किया? 
उत्तरः अंग्रेज सैनिकों ने कानपुर में नाना साहब को न पकड़ पाने की खीझ उतारने के लिए हत्याकांड किया। इसके बाद नाना साहब के महल को ध्वस्त करने के लिए उन्होंने बिठूर का रुख किया।
प्रश्न (ग) अंग्रेजों ने क्या करने का निश्चय किया ? 
उत्तरः अंग्रेजों ने बिठूर स्थित नाना साहब के महल को तोपों से ध्वस्त करने का निश्चय किया। सेनापति ने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि कत्र्तव्य के अनुरोध से मुझे यह मकान गिराना ही होगा। इस पर उस बालिका ने अपना परिचय बताते हुए कहा किः‘‘मैं जानती हूँ, कि आप जनरल ‘हे’ हैं। आपकी प्यारी कन्या ‘मेरी’ में और मुझमें बहुत प्रेम-संबंध था। कई वर्ष पूर्व ‘मेरी’ मेरे पास बराबर आती थी और मुझे हृदय से चाहती थी। उस समय आप भी हमारे यहाँ आते थे और मुझे अपनी पुत्री के ही समान प्यार करते थे। मालूम होता है कि आप वे सब बातें भूल गए हैं। ‘मेरी’ की मृत्यु से मैं बहुत दुःखी हुई थी; उसकी एक चिट्ठी मेरे पास अब तक है।’’

प्रश्न (क) सेनापति ने दुःख के साथ मैना को क्या कहा ? 
उत्तरः सेनापति ने दुःख के साथ मैना से कहा कि अपने कत्र्तव्य को पूरा करने के कारण उसे नाना साहब का महल ध्वस्त करना होगा।
प्रश्न (ख) मैना की सखी कौन थी और वह किसकी पुत्री थी? 
उत्तरः मैना की सखी ‘मेरी’ थी और वह सेनापति ‘हे’ की पुत्री थी।

प्रश्न (ग) मेरी किसके घर जाती थी ? 
उत्तरः मेरी मैना के घर जाती थी।

3. सेनापति ‘हे’ कुछ क्षण ठहरकर बोलेः‘‘हाँ, मैने तुम्हें पहचाना, कि तुम मेरी पुत्री ‘मेरी’ की सहचरी हो! किन्तु मैं जिस सरकार का नौकर हूँ, उसकी आज्ञा नहीं टाल सकता। तो भी मैं तुम्हारी रक्षा का प्रयत्न करूँगा।’’ इस समय प्रधान सेनापति जनरल आउटरम वहाँ आ पहुँचे, और उन्होंने बिगड़कर सेनापति ‘हे’ से कहाः‘‘नाना का महल अभी तक तोप से क्यों नहीं उड़ाया गया ?’’ सेनापति ‘हे’ ने विनयपूर्वक कहाः‘‘मैं इसी फिक्र में हूँ किन्तु आपसे एक निवेदन है। क्या किसी तरह नाना का महल बच सकता है ?’’

प्रश्न (क) सेनापति ‘हे’ ने मैना से क्या कहा ? 
उत्तरः सेनापति ‘हे’ ने मैना से कहा कि उन्होंने उसे पहचान लिया कि वह उनकी पुत्री की सखी है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अंग्रेज सरकार के नौकर हैं और उन्हें उसके प्रति अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करना होगा साथ ही मैना की रक्षा का प्रयास करने की बात भी कही।

प्रश्न (ख) सेनापति ‘हे’ ने किससे और क्या प्रार्थना की ? 
उत्तरः सेनापति ‘हे’ ने प्रधान सेनापति जनरल आउटरम से नाना साहब के महल को ध्वस्त न करने की प्रार्थना की।

प्रश्न (ग) ‘हे’ किस सरकार के नौकर हैं ? 
उत्तरः ‘हे’ अंग्रेज सरकार के नौकर हैं।

4. सेनापति ‘हे’ मन में दुःखी होकर वहाँ से चला गया। इसके बाद जनरल आउटरम ने नाना के महल को फिर घेर लिया। महल का फाटक तोड़कर अंग्रेज सिपाही भीतर घुस गए और मैना को खोजने लगे, किंतु आश्चर्य है कि सारे महल का कोना-कोना खोज डाला; पर मैना का पता नहीं लगा।

प्रश्न (क) सेनापति ‘हे’ दुःखी क्यों थे ? 
उत्तरः जनरल आउटरम के आने पर सेनापति वहाँ से दुःखी होकर चले गए। जनरल ने उनके नाना साहब के महल को ध्वस्त न करने के अनुरोध को ठुकरा कर महल को उड़ाने का आदेश दे दिया था, यही कारण था कि सेनापति ‘हे’ दुःखी थे।

प्रश्न (ख) जनरल आउटरम के आदेश पर अंग्रेज सिपाहियों ने क्या किया और उन्हें किस बात पर आश्चर्य हुआ ? 
उत्तरः जनरल आउटरम के आदेश पर अंग्रेज सिपाही नाना साहब के महल का फाटक तोड़कर अन्दर घुसकर मैना को खोजने लगे। उन्होंने नाना साहब का पूरा महल खोज लिया किन्तु उन्हें मैना कहीं नहीं मिली, इस बात का उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ।

प्रश्न (ग) अंग्रेज सैनिकों ने किसके महल को घेर लिया ? 
उत्तरः अंग्रेज सैनिकों ने नाना साहब के महल को घेर लिया।

5. ”बड़े दुःख का विषय है कि भारत-सरकार आज तक उस दुर्दान्त नाना साहब को नहीं पकड़ सकी, जिस पर समस्त अंग्रेज जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंग्रेजों के हत्याकाण्ड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे। उस दिन पार्लियामेण्ट की ‘हाउस आफ लॉर्ड्स’ सभा में सर टामस ‘हे’ की एक रिपोर्ट पर बड़ी हँसी हुई, जिसमें सर ‘हे’ ने नाना की कन्या पर दया दिखाने की बात लिखी थी। ‘हे’ के लिए निश्चय ही यह कलंक की बात हैः जिस नाना ने अंग्रेज नर-नारियों का संहार किया, उसकी कन्या के लिए क्षमा! अपना सारा जीवन युद्ध में बिताकर अन्त में वृद्धावस्था में सर टामस ‘हे’ एक मामूली महाराष्ट्र बालिका के सौन्दर्य पर मोहित होकर अपना कर्त्तव्य ही भूल गए। हमारे मत से नाना के पुत्र, कन्या तथा अन्य कोई भी सम्बन्धी जहाँ कहीं मिले, मार डाला जाए। नाना की जिस कन्या से ‘हे’ का प्रेमालाप हुआ है, उसको उन्हीं के सामने फाँसी पर लटका देना चाहिए।“

प्रश्न (क) अंग्रेज नाना साहब को क्यों पकड़ना चाहते थे? 
उत्तरः अंग्रेज नाना साहब को पकड़ना चाहते थे क्योंकि वे मानते थे कि नाना साहब ने अंग्रेज नर-नारियों का संहार करवाया था।

प्रश्न (ख) नाना साहब को दुर्दांत क्यों कहा गया है? 
उत्तरः नाना साहब को दुर्दांत कहा गया है क्योंकि उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता-संग्राम में अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए थे।

प्रश्न (ग) पार्लियामेण्ट की सभा में किसकी रिपोर्ट पर हँसी हुई? 

उत्तरः पार्लियामेण्ट की सभा में सर टाॅमस हे की रिपोर्ट पर हँसी हुई।

6. उस समय लंदन के सुप्रसिद्ध ‘टाइम्स’ पत्र में छठी सितम्बर को एक लेख में लिखा गया ‘बड़े दुःख का विषय है, कि भारत-सरकार आज तक उस दुर्दान्त नाना साहब को नहीं  नहीं पकड़ सकी, जिस पर समस्त अंग्रेज जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंग्रेजों के हत्याकाण्ड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे। उस दिन पार्लियामेंट की ‘हाउस आफ लाडर््स’ सभा में सर टामस ‘हे’ की एक रिपोर्ट पर बड़ी हँसी हुई, जिसमें सर ‘हे’ ने नाना की कन्या पर दया दिखाने की बात लिखी थी।

प्रश्न (क) यहाँ किस तिथि के व कहाँ के समाचार पत्र का उल्लेख हुआ है ? 

उत्तर: यहाँ छः सितम्बर के लंदन के सुप्रसिद्ध समाचार-पत्र ‘टाइम्स’ का उल्लेख हुआ है।

प्रश्न (ख) नाना साहब पर अंग्रेज जाति के भीषण क्रोध का क्या कारण था? 

उत्तर: नाना साहब पर अंग्रेज जाति के भीषण क्रोध का कारण था कि अंग्रेज उन्हें कानपुर में हुए अंग्रेजों के हत्याकाण्ड का उत्तरदायी समझते थे।

प्रश्न (ग) ‘भारत-सरकार’ में समास बताइए। 

उत्तर: तत्पुरुष समास-भारत की सरकार।

अथवा

प्रश्न (क) उपर्युक्त गद्यांश में अंकित ”भारत सरकार“ से क्या आशय है? 

उत्तर: उपर्युक्त गद्यांश में अंकित ‘‘भारत सरकार’’ से आशय परतंत्र भारत की अंग्रेजी सरकार है जो उस समय भारत पर शासन कर रही थी।

प्रश्न (ख) टाइम्स पत्र में छठी सितम्बर को क्या समाचार छपा था? 

उत्तर: टाइम्स पत्र में छठी सितम्बर को छपा था कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दान्त नाना को नहीं पकड़ सकी।

प्रश्न (ग) अंग्रेज सरकार किसे नहीं पकड़ पाई थी?
उत्तर: अंग्रेज सरकार नाना साहब को नहीं पकड़ पाई थी।

7. सन् 1957 के सितम्बर मास में अर्धरात्रि के समय चाँदनी में एक बालिका स्वच्छ उज्ज्वल वस्त्र पहने हुए नाना साहब के भग्नावशेष प्रासाद के ढेर पर बैठी रो रही थी। पास ही जनरल आउटरम की सेना भी ठहरी थी। कुछ सैनिक रात्रि के समय रोने की आवाज सुनकर वहाँ गये। बालिका केवल रो रही थी। सैनिकों के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं देती थी।

प्रश्न (क) बालिका कब और कहाँ बैठी रो रही थी? 
उत्तर: सन् 1957 के सितम्बर मास में अर्धरात्रि के समय चाँदनी में बालिका नाना साहब के भग्नावशेष प्रासाद के ढेर पर बैठी रो रही थी।

प्रश्न (ख) नाना साहब अपनी बेटी को महल में क्यों छोड़ गए थे ? 
उत्तरः नाना साहब अंग्रेजों से बचने की जल्दी में भूलवश अपनी बेटी को महल में छोड़ गए थे।

प्रश्न (ग) जनरल आउटरम की सेना कहाँ ठहरी हुई थी?
उत्तरः जनरल आउटरम की सेना नाना साहब के महल के निकट ही ठहरी हुई थी।

8. इसके बाद विकराल रूपधारी जनरल आउटरम भी वहाँ पहुँच गया। वह उसे तुरन्त पहचानकर बोला-”ओह! यह नाना की लड़की मैना है।“ पर वह बालिका किसी ओर न देखती थी और न अपने चारों ओर सैनिकों को देखकर जरा भी डरी। जनरल आउटरम ने आगे बढ़कर कहा-”अंग्रेज सरकार की आज्ञा से मैंने तुम्हें गिरफ्तार किया। “मैना उसके मुँह की ओर देखकर आर्त स्वर में बोली, ‘‘मुझे कुछ समय दीजिए, जिससे आज मैं यहाँ जी भरकर रो लूँ।" पर पाषण-हृदय वाले जनरल ने उसकी अन्तिम इच्छा भी पूरी न होने दी। उस समय मैना के हाथ में हथकड़ी पड़ी और वह कानपुर के किले में लाकर कैद कर दी गयी।

प्रश्न (क) अंग्रेजी सैनिक बल को देखकर मैना की प्रतिक्रिया कैसी थी ? 
उत्तर: मैना निर्भीक बालिका थी और किसी की ओर देखती नहीं थी, वह अंग्रेजी सैनिक बल को देखकर जरा भी घबराई नहीं।

प्रश्न (ख) अंग्रेज सरकार की आज्ञा का पालन आउटरम ने कैसे किया ? 
उत्तर: अंग्रेज सरकार की आज्ञा का पालन आउटरम ने मैना को गिरफ्तार करके तथा महल को मिट्टी में मिलाकर किया।
प्रश्न (ग) ‘ओह ! यह नाना की लड़की मैना है’ यह वाक्य किसने उच्चारित किया ? 
उत्तर: यह वाक्य जनरल आउटरम ने उच्चारित किया।

9. मैना उसके मुँह की ओर देखकर आर्तस्वर में बोली "मुझे कुछ समय दीजिए, जिसमें आज मैं यहाँ जी भरकर रो लूँ।" पर पाषाण-हृदय वाले जनरल ने उसकी अंतिम इच्छा भी पूरी होने न दी। उसी समय मैना के हाथ में हथकड़ी पड़ी और वह कानपुर के किले में लाकर कैद कर दी गई। उसी समय महाराष्ट्रीय इतिहासवेत्ता महादेव चिटनवीस के ‘बाखर’ पत्र में छपा था-

"कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझ प्रणाम किया।"

प्रश्न (क) किसने मैना की कौन-सी इच्छा पूरी न होने दी ? 
उत्तर: पाषण-हृदय जनरल आउटरम ने मैना की महल के खंडहरों पर बैठकर जी भरकर रोने की अंतिम इच्छा पूरी न होने दी।

प्रश्न (ख) समाचार-पत्र में क्या छपा था ? 
उत्तरः ‘‘कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा कन्या को जलती देख, सबने उसे देवी समझ प्रणाम किया।’’ यह छपा था।

प्रश्न (ग) मैना के हत्याकांड की खबर किस समाचार पत्र में छपी थी ? 

उत्तर: मैना के हत्याकांड की खबर ‘बाखर’ समाचार-पत्र में छपी थी।

अंग्रेजों ने कानपुर में हत्याकांड क्यों किया था?

उत्तरः अंग्रेजों के दल ने नाना साहब और उसके सहयोगियों को 1857 के विद्रोह की सजा देने के लिए कानपुर में हत्याकांड किया

कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजों का सैनिक दल बिठूर की ओर क्यों भाग गया?

के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी; पर विद्रोह दमन करने के बाद अंगरेज़ों ने बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया।

अंग्रेज बिठूर की ओर क्यों गए *?

Solution. अंग्रेज़ बिठूर की ओर इसलिए गए क्योंकि वे कानपुर में नाना साहब को पकड़ न सके। नाना साहब अपने बिठूर स्थित राजमहल में हो सकते हैं, इसलिए वे बिठूर की ओर चले गए। वे नाना साहब को पकड़ना चाहते थे।

मैना देवी किसकी पुत्री थी?

नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया