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निर्यात- आयात नीति 2009-14
निर्यात- आयात नीति 2009-14 के उद्देश्य
सरकार यह आशा करती है कि देश पुनः लगभग 25 प्रतिशत वार्षिक की ऊँची निर्यात वृद्धि मार्ग पर वापस आयेगा तथा वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यातों को 2014 तक दुगुना कर देगा। दीर्घकाल में नीति का उद्देश्य 2020 तक विश्व के व्यापार में भारत के अंश को दुगुना करना है जो 2008 तक 1.64 प्रतिशत रहा। नीति के अन्य दीर्घकालीन उद्देश्य निम्न थे : निर्यात- आयात नीति के अन्य दीर्घकालीन उद्देश्य
निर्यात- आयात नीति के वृहत् लक्षणबाजार एवं उत्पाद विविधीकरण के लिए समर्थनi) नये उत्पादों एवं बाजारों को जोड़ने के लिए अध्याय 3 के अंतर्गत प्रोत्साहन योजनाएँ विस्तृत कर दी गयी है। संकेंद्रित बाजार योजना (Focus Market Scheme) के अंतर्गत 26 नये बाजार जोड़ दिये गये हैं। इनमें से 16 बाजार लेटिन अमेरिका एवं 10 बाजार एशिया-ओशीनिया के सम्मिलित हैं। ii) संकेंद्रित बाजार योजना (FMS) के अंतर्गत उपलब्ध प्रोत्साहन राशि को 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। संकेंद्रित उत्पाद योजना (FPS ) के अंतर्गत उपलब्ध प्रोत्साहन राशि को 1.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है। ii) बाजार संबद्ध संकेंद्रित उत्पाद योजना (MLFPS) को औषधि, कृत्रिम वस्त्र, मूल्यवर्धित खड़ एवं प्लास्टिक, सिले-सिलाये वस्त्र, बुने हुए एवं काँटे से बुनाई किये हुए वस्त्र, कांच उत्पाद, लोहा एवं इस्पात उत्पाद एवं अल्यूमीनियम उत्पादों तक विस्तृत कर दिया गया है। प्रौद्योगिकी उच्चीकरण, EPCG ढील एवं DEPBi) इंजीनियरिंग एवं इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, मूल रसायन एवं औषधि, सिले-सिलाये वस्त्र एवं कपड़े प्लास्टिक, हस्तशिल्प एवं चमड़ा इत्यादि के लिए शून्य शुल्क पर EPCG योजना। यह TUES एवं प्रतिष्ठा धारक योजना (Status Holder Scheme) जैसी अन्य योजनाओं से वर्तमान में लाभ प्राप्त करने वालों को उपलब्ध नहीं है। i) वर्तमान प्लांट एवं मशीनरी के जीवन में वृद्धि करने के लिए EPCG योजना के अंतर्गत पुर्जो, सांचों के आयात पर निर्यात दायित्व को कम करके सामान्य विशिष्ट निर्यात दायित्व के 50 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। iii) निर्यातों में कमी को देखते हुए देश से निर्यात में कमी होने वाले किसी विशिष्ट वित्तीय वर्ष के वार्षिक औसत निर्यात दायित्व के पुनर्निर्धारण की सुविधा को पंचवर्षीय नीति अवधि 2009-14 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। iv) निर्यातों में तीव्रता लाने के लिए अतिरिक्त शुल्क साख पर्ची प्रतिष्ठा धारकों को पिछले निर्यातों के FOB मूल्य के 1 प्रतिशत पर्ची की दर से दी जायगी। यह शुल्क साख पर्ची पूँजीगत वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए उपयोग की जा सकती है। यह सुविधा 31 मार्च, 2011 तक उपलब्ध रहेगी। v) यह नीति प्रतिष्ठा धारकों को निर्गमित की जाने वाली शुल्क साख पर्ची के हस्तांतरण की अनुमति प्रदान करती है। यह हस्तांतरण केवल प्रतिष्ठा धारकों को ही किया जा सकता है तथा पर्चियाँ केवल शील श्रृंखला उपकरण प्राप्त करने के लिए ही उपयोग की जा सकती हैं। विदेशी व्यापार नीति की स्थिरता / निरंतरताi) नीति की शासन प्रणाली में स्थिरता लाने के लिए शुल्क अधिकार पास बुक (DEPB) योजना को एक वर्ष के लिए 31 दिसंबर तक विस्तारित किया जा रहा है।7 क्षेत्रों के जहाज से भेजने से पूर्व 2 प्रतिशत ब्याज आर्थिक सहायता को 2009 के बजट में 31 मार्च, 2010 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। ii) DEPB दरों के अंतर्गत ईंधन पर सीमा शुल्क संघटक की दलाली भी सम्मिलित होगी जहाँ प्रमापित आगत-निर्गत व्यवस्था में ईंधन को एक उपभोज्य के रूप में अनुमति दी जाती है। iii) बजट 2009-10 के अंतर्गत 100 प्रतिशत निर्यातोन्मुख इकाइयों (EOUs) एवं IT अधिनियम के अंतर्गत STPI को आय कर छूट को वित्तीय वर्ष 2010-11 के लिए बढ़ा दिया गया है। iv) विपरीत रूप से प्रभावित क्षेत्रों को बढ़ा हुआ 95 प्रतिशत का ECGC लाभ प्रदान करने के लिए दिसंबर, 2008 में प्रारंभ की गयी समायोजन सहायता योजना को मार्च, 2010 तक निरंतर बढ़ा दिया गया है। निर्यातोन्मुख इकाइयों के लिए सुविधाएँi) DIA बिक्री के लिए संपूर्ण अधिकार के 50 प्रतिशत के अंतर्गत समान वस्तु मापदंड में परिवर्तन किये बिना निर्यातोन्मुख इकाइयों को वर्तमान 75 प्रतिशत के बजाय उनके द्वारा उत्पादित उत्पादों को DTA में 90 प्रतिशत की सीमा तक बेचने की अनुमति प्रदान कर दी गयी है। ii) सीमा शुल्क क्षेत्र निर्माण को सुस्पष्ट बनाने के लिए आगम विभाग (revenue department ) ग्रेनाइट EOUs द्वारा 5 प्रतिशत से अधिक पुर्जों को प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए एक स्पष्टीकरण निर्गमित करेगा। कुछ निश्चित सुरक्षा की सीमाओं के अंतर्गत EOUs को सुदृढ़ बनाने के लिए निर्मित वस्तुएँ प्राप्त करने की अनुमति प्रदान की जायगी। iii) अनुमोदन मंडल EOUs के विशुद्ध विदेशी विनिमय आय की गणना के उद्देश्य से ब्लाक अवधि के एक वर्ष के विस्तार पर विचार करेगा। EOUs को SAD के संघटक एवं DTA बिक्री पर शिक्षा उप-कर के लिए साख सुविधा की अनुमति प्रदान की जायगी। मूल्यवर्धित विनिर्माण पर जोर
निर्यातकों को पदत्त लचीलापनi) अग्रिम अनुज्ञाप्ति / DFIA / EPCG अनुज्ञाप्ति के अंतर्गत निर्यात दायित्वों में कमी हो जाने से सीमा शुल्क का भुगतान शुल्क साख पर्ची खाते में देनी (debit) प्रविष्टि द्वारा अनुमति प्रदान की गयी है। पहले भुगतान की अनुमति केवल नकद में होती थी। ii) प्रतिबंधित मदों की पुनः पूर्ति के रूप में आयात की अनुमति हस्तांतरित DFIA, के बदले दी जायगी। USA के संबंध में प्रदर्शनी में भागीदारी के लिए निर्यातित रत्न एवं आभूषण के पुनः आयात की समय सीमा को 60 दिन से बढ़कर 90 दिन कर दिया गया है। कार्य विधियों का सरलीकरण एवं लेन-देन लागतों में कमीi) निर्यातकों द्वारा न्यादर्शों (Samples) के शुल्क-मुक्त आयात को सुविधा प्रदान करने के लिए न्यादर्श / इकाइयों की संख्या को वर्तमान में 15 से बढ़ाकर 50 कर दिया गया है। इस प्रकार के न्यादर्शों का सीमा शुल्क निबटान आयातकर्ताओं द्वारा न्यादर्शों के मूल्य एवं मात्रा के संबंध में दी गयी घोषणाओं पर आधारित होगा। iii) घरेलू मध्यवर्ती विनिर्माता द्वारा (अमान्यता पत्र के बदले) एक अग्रिम अनुराशि धारक को पूर्ति की स्थिति में धनराशि वापसी के बदले उत्पाद शुल्क के भुगतान से दो अवस्थाओं तक छूट को अनुमति प्रदान करना । ii) प्रोत्साहन राशि की स्वीकृति के लिए अब शुल्क वसूल नहीं किया जायगा। सभी अन्य 18 अनुज्ञाप्तियों के लिए अधिकतम शुल्क को 1,50,000/- रुपये से कम करके 1,00,000/- रुपये की जा रही है तथा (EDI आवेदन पत्रों के लिए) वर्तमान में 75,000/- रुपये से कम करके 50,000/- रुपये किया जा रहा है। निर्यात- आयात नीति 2009-14 का मूल्यांकननिर्यात- आयात नीति 2009-14 के सकारात्मक लक्षण
निर्यात- आयात नीति 2009-14 के नकारात्मक लक्षण
विषय सूची निर्यात आयात नीति क्या है?इस नीति का उद्देश्य निर्यात के क्षेत्र में विकास एवं प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, निर्यात सहायक संस्थाओं को निर्यात संबंधी आवश्यक सहायता व सेवा प्रदान करना, राज्य से निर्यात में वृद्धि हेतु तकनीकी एवं भौतिक अवसंरचनाओं की स्थापना एवं विकास, निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उद्योगों के निर्यात सामर्थ्य के विकास ...
आयात और निर्यात की सरकार की नीति क्या कहलाती है?एक्जिम पॉलिसी की घोषणा भारत सरकार द्वारा की जाती है जिसे आयात और निर्यात कारोबार के लिए एक देश द्वारा अपनाया जाता है। एक्जिम पॉलिसी को विदेश व्यापार नीति के रूप में भी जाना जाता है जो भारत में आयात और निर्यात के लिए निर्देशों और दिशानिर्देशों के एक सेट को परिभाषित करता है।
आयात निर्यात नीति कब लागू हुई?वर्ष 2015 की FTP ने निर्यात के अनुपात में प्रत्यक्षतः 'ड्यूटी-क्रेडिट स्क्रिप' (Duty-Credit Scrips- DCS) जारी कर निर्यात को प्रोत्साहित किया था। । इसके अलावा, सेवा प्रोत्साहन के लिये परिवर्तन को सितंबर 2021 में पूर्वव्यापी रूप से अधिसूचित किया गया था, जिसे अप्रैल 2019 से लागू किया जाना था।
भारत की निर्यात आयात नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?इन क्षेत्रों की विशेषता यह होगी है कि इनमें इकाइयाँ निर्यात और आयात के नियमों से मुक्त होकर कारोबार कर सकेंगी। इन क्षेत्रों में मशीन और कच्चा माल आयात शुल्क मुक्त होगा। यहाँ की इकाइयाँ, देश के अन्य क्षेत्रों से जो माल मंगवाएंगी, उन पर उन्हें अन्तिम उत्पाद शुल्क नहीं देना होगा।
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