6 संचार प्रक्रिया के कितने अंग होते हैं? - 6 sanchaar prakriya ke kitane ang hote hain?

Communication किसी सामग्री (लिखित या मौखिक संदेश) का किया जाता है जो किसी माध्यम से होता है, इसलिए एक निश्चित प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। यह सब मिलकर संचार प्रणाली को जन्म देते हैं। जिसके तीन तत्व हैं-

संचार प्रणाली के तत्व(Elements of Communication System)-

संचार प्रणाली के तत्व
  1. विषय सामग्री
  2.  संचार की विधि
  3.  संचार की प्रक्रिया

What is communication system and its elements and types

1 – विषय सामग्री

जिस का संचार करना है जैसे- आदेश निर्णय, सूचना, आंकड़े आदि।

2 – संचार की विधि का तरीका

जैसे लिखकर बोलकर सुनकर हावभाव या आचरण द्वारा

3 – संचार प्रक्रिया

इसमें संदेश के स्रोत से लेकर संदेश पहुंचाने तक सभी आवश्यक अंग आते हैं जैसे संवाददाता, संवाद, माध्यम, संवाद, प्राप्तकर्ता इत्यादि।

संचार के प्रकार (Types of Communication System)

 संबंधों के आधार पर संचार का वर्गीकरण- 

What is communication system and its elements and types -संचार अवैयक्तिक संचार  अवैयक्तिक संचार को हम आत्म-चर्चा आत्म-विचार या आत्म-मंथन के रूप में जानते हैं इसमें संदेश प्रेषक एवं संदेश प्राप्त करता एक ही होता है यह एक स्वचालित संचार प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य स्वयं का एवं दूसरों का मूल्यांकन करता है इसमें ध्यान लगाना, चिंतन करना, इष्ट देव से प्रार्थना करना, इत्यादि सम्मिलित है।

हम प्रायः ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जैसे ओ माय गॉड (हे परमात्मा) यह क्या हो गया  (ओह नो)  जब किसी संकट की स्थिति में हो, वाओ (जब उत्तेजित हो) इत्यादि यह सब भी अंत:वैयक्तिक संचार के उदाहरण हैं।

What is communication system and its elements and types-इस प्रकार के संचार का प्रयोग हम अपने जीवन की योजना तैयार करने के लिए हम जीवन में जो करना चाहते हैं उसका पूर्ण पूर्वाभ्यास करने के लिए करते हैं। जिस प्रकार से हम स्वयं से संवाद स्थापित करते हैं वह हमारे आत्मसम्मान को प्रभावित करता है

यदि कोई व्यक्ति परीक्षा में विफल हो जाए स्वयं से कहे मैं कितना मूर्ख हूं कुछ करने लायक नहीं हूं दूसरी ओर वह स्वयं से यह कहे मैं बेहतर कर सकता हूं।

अंतर्वैयक्तिक संचार

अंतर्वैयक्तिक संचार से तात्पर्य दो व्यक्तियों के बीच विचारों, भावनाओं और सूचनाओं के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आदान-प्रदान से है, इसके लिए दो व्यक्तियों के बीच संपर्क का होना जरूरी है।

अतः अंतर्वैयक्तिक संचार दो तरफा प्रक्रिया होती हैअंतर्वैयक्तिक संचार में प्रतिपुष्टि का महत्वपूर्ण स्थान है इसी के आधार पर संचार प्रक्रिया आगे बढ़ती है टेलीफोन पर वार्तालाप ईमेल या सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर चैटिंग अंतर्वैयक्तिक संचार के अंतर्गत आते हैं, संदेश भेजने के अनेक तरीके होते हैं जैसे- भाषा, शब्द, चेहरे की प्रतिक्रिया, हाथ हिलाना, आगे पीछे हटना, सिर हिलाना, इत्यादि।

समूह संचार

यह अंतर्वैयक्तिक संचार का विस्तार है जहां 2 से अधिक व्यक्ति विचारों एवं कौशल का आदान प्रदान करते हैं। समूह संचार की प्रक्रिया को समझने के लिए समूह के बारे में जानना आवश्यक है समूह संचार कितना बेहतर होगा प्रतिपुष्टि कितनी अधिक मिलेगी यह समूह के प्रधान और उसके सदस्यों के परस्पर संबंधों पर निर्भर करता है। इसमें सामूहिक निर्णय लेने, आत्म अभिव्यक्ति, व्यक्तिगत प्रभाव में वृद्धि, आदि को सम्मिलित किया जाता है।

जनसंचार

आधुनिक युग में जनसंचार काफी प्रचलित शब्द है इसका निर्माण दो शब्दों जन+संचार के योग से हुआ है जनसंचार का अर्थ विशाल जनसमूह के साथ संचार करने से है इसे मध्यस्थता संचार भी कहा जाता है यह यांत्रिक उपकरणों का उपयोग करता है जिससे कई संदेशों को एक साथ बहुत लोगों तक पहुंचाया जा सकता है इसमें संप्रेषण के लिए औपचारिक व व्यवस्थित संगठन होता है समाचार पत्र टेलीविजन रेडियो सिनेमा इंटरनेट इत्यादि आधुनिक जनसंचार माध्यम है।

 

 चैनल के आधार पर संचार का वर्गीकरण

चैनल के आधार पर संचार दो प्रकार के होते हैं-

A- शाब्दिक संचार

B- अशाब्दिक संचार

शाब्दिक संचार- 

शाब्दिक का अर्थ है शब्दों का प्रयोग करना शाब्दिक संचार में संदेश शाब्दिक रूप में प्रसारित किया जाता है, इस संप्रेषण में सदैव भाषा का प्रयोग किया जाता है। यह मौखिक और लिखित दोनों तरह से हो सकता है।

इस प्रकार के संवाद में सबसे बड़ा जोखिम किसी शब्द को सुरक्षित अर्थ देने का होता है फिर शब्दों का अर्थ देश और काल के अनुसार परिवर्तित भी हो सकता है समानता शब्द ऐसी कोई घटना नहीं होते जिनका हर बार रिकार्ड रखा जाए शाब्दिक संचार को पुनः दो प्रकार के संचार में वर्गीकृत किया जा सकता है।शाब्दिक संचार दो प्रकार के होते हैं-

1-मौखिक संचार एवं

2-लिखित संचार-

 

1-मौखिक संचार

इसमें मौखिक रूप में वाणी द्वारा विचारों एवं सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता है इस संसार में बेशक और प्राप्तकर्ता दोनों आमने सामने रहते हैं मौखिक संचार में प्रत्यक्ष वार्तालाप टेलीफोन के माध्यम से वार्तालाप भाषण परिचर्चा समूह चर्चा वीडियो रेडियो टीवी आदि को सम्मिलित किया जा सकता है मौखिक संचार को प्रभावित करने वाले मुक्ता निम्नलिखित कारक होते हैं।

  • ध्वनि-पिच और ध्वनि-मात्रा

यहां शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण तत्व है किसी मूलतः स्वर की उच्चता या निम्रता का असर है यह ध्वनि तरंगों की आवृत्ति पर निर्भर करता है शिक्षक की आवाज और सही भाषा की जानकारी भाषण के मुख्य कारक होते हैं ध्वनि मात्रा लोगों की संख्या और समिति पर निर्भर करता है और इसे डेसीबल में मापा जाता है

  • गति

यह मूलतः शब्दों को वितरित करने की गति है  जब संदेश वाहक बोल रहा हो तो अनियमितता बनाए रखनी चाहिए क्योंकि एक नियमित रूप से या लयबद्ध आवाज आपका आत्मविश्वास वह आती है और नियमित भाषण अनिश्चितता का संकेत है यदि शिक्षक धीमी गति से बात करता है तो छात्र हताश हो सकते हैं क्योंकि उन्हें जानकारी प्राप्त या वांछित ढंग से प्राप्त नहीं होती

  • उच्चारण में स्पष्टता 

उचित उच्चारण और शब्दों का वितरण संदेश को प्रभाव सील बनाने में योगदान देते हैं यह संदेश वाहक के विचारों की स्पष्टता पर भी निर्भर करता है कि स्वयं गति और स्पष्टता को पैरालैंग्वेज के घटक भी कहा जाता है।

 

मौखिक संचार के मुख्य लाभ-

  1. मौखिक संचार सहज और स्वाभाविक होता है।
  2. यह दूसरों को समझने के लिए सरल होता है।
  3. इस संचार में आमतौर पर शब्दों का चयन श्रोताओं के अनुकूल होता है।
  4. आमने सामने संवाद से कम त्रुटियां।
  5. तेज गति से संदेश का आदान-प्रदान होने से समय की बचत।
  6. मौखिक होने से कम खर्च ।
  7. गोपनीयता बनी रहती है।
  8. शारीरिक हावभाव के साथ प्रभाव संचार होता है।
  9. भौतिक संसाधनों की आवश्यकता नहीं जैसे- कागज, कंप्यूटर आदि।

 

मौखिक संचार की सीमाएं–

  1.  मौखिक संचार में शब्द, लिखित संचार की तरह स्थाई नहीं होते।
  2. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मौखिक संचार में बोले गए कई शब्द हवा में ही गायब हो जाते हैं।
  3. सुने हुए शब्दों को याद रख पाना कठिन कार्य है।
  4. इस बात की संभावना लंबे संदेश में अधिक होती है।
  5. मौखिक संचार को अन्य संस्कृतियों के लोगों द्वारा नहीं समझा जा सकता।
  6. मौखिक संघ, लिखित संचार की तुलना में मौखिक संचार की विधिवत मान्यता कम होती है।
  7. मौखिक संचार का प्रयोग का क्षेत्र सीमित है।

 

2 – लिखित संचार-

लिखित संचार से तात्पर्य सूचनाओं से है जो शब्दों में तो होती हैं लेकिन उसका स्वरूप मौखिक ना होकर लिखित होती है। लिखित संचार में लिखे हुए संकेत और प्रतीक दोनों मुद्रित या हस्तलिखित रूप में उपयोग किए जाते हैं,  संदेशवाहक के लेखन शैली और ज्ञान एवं व्याकरण संदेश की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं लिखित संचार में संदेश ईमेल पत्र रिपोर्ट ज्ञापन आदि के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है। लिखित संचार माध्यमों का उपयोग विभिन्न सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए किया।

 

लिखित संचार के लाभ- 

  1. इस संचार में संदेश भेजने से पहले कई बार संपादित और संशोधित किया जा सकता है जिससे संदेश में त्रुटि की संभावना कम से कम रहती है।
  2. लिखित संचार प्रत्येक भेजे गए संदेश का एक स्वचालित रिकॉर्ड प्रदान करता है जिसका भविष्य में साक्ष्य और संदर्भ के रूप में प्रस्तुतीकरण संभव है।
  3.  लिखित संचार में प्रेषक और प्राप्तकर्ता की एक साथ उपस्थिति अनिवार्य नहीं होती है।
  4. लिखित संचार में प्राप्तकर्ता संदेश को पूरी तरह से समझने और उचित प्रतिपुष्टि देने के लिए अधिक सक्षम होता है।
  5. कम लागत में स्पष्ट और विस्तृत जानकारी।

 

लिखित संचार की सीमाएं 

  1. इस संसार में सहज संचार की संभावना संचार से कम होती है।
  2. यद्यपि आजकल चैटिंग आदि का उपयोग काफी बढ़ गया
  3.  यह अगर औपचारिक हो तो इसमें काफी समय लग सकता है।
  4. मौखिक की तुलना में इसमें सहायक सामग्री की आवश्यकता जैसे कागज, मोबाइल, कंप्यूटर आदि।
  5. मौखिक संचार की तुलना में अधिक जटिल।
  6. अलग-अलग प्राप्तकर्ताओं द्वारा अलग-अलग व्याख्या संभव।
  7. व्यवहारिक रूप में संचार मौखिक संचार एवं लिखित संचार का मिश्रण होता है।

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अशाब्दिक संचार

के अंतर्गत विचारों और भावनाओं को बिना शब्दों के अभिव्यक्त किया जा सकता है जब विचारों व भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं होता है तब अशाब्दिक संचार ही सबसे प्रभावी माध्यम होता है आवाज का उतार-चढ़ाव, शारीरिक मुद्रा, संपर्क, स्पर्श, वाणी संकेत मुख मुद्राएं आदि अशाब्दिक संचार के अलग-अलग रूपांतर हैं यह संचार शाब्दिक संचार का पूरा का होता है और संदेश में छिपा अर्थ ज्यादा स्पष्ट हो सकता है।

शारीरिक मुद्रा उदाहरण के लिए-

हाथ हिलाना हाथों से संकेत करना मुंह हिलाना इधर-उधर चलना वेशभूषा वेशभूषा से सामने वाले की मनाही स्थिति का पता चलता है इसका संदेश अर्थ संस्कृति व्यक्ति के व्यवहार विचार पृष्ठभूमि पर निर्भर करता है इस वर्ष में बस किसी के गाल को थपथपाना दुख की घड़ी में किसी के सीरिया कंधे पर हाथ रखना वह पकड़ना दोस्तों से हाथ मिलाना इत्यादि और मौखिक संचार है।

भीड़ में आपने किसी को स्पर्श किया और वह आपको आगे जाने के लिए जगह दे देता है निकटता इससे सामने वाले व्यक्ति से हमारा संबंध प्रकट होता है। उपरोक्त के अलावा संपर्क व्यक्तित्व का प्रभाव आदि भी अशाब्दिक संचार के अवयव हैं

 

 उद्देश्य और शैली के आधार पर संचार का वर्गीकरण-

A- औपचारिक संचार-

B- अनौपचारिक संचार-

A- औपचारिक संचार-

औपचारिक संचार में संदेश को नियत एवं संप्रेषित करते समय कुछ निश्चित नियमों और अधिनियमों का पालन किया जाता है। यह एक प्रकार की संगठनात्मक संरचना है इसमें सही भाषा और सही उच्चारण की आवश्यकता होती है

औपचारिक संचार प्रक्रिया किसी संगठन के विभिन्न चरणों या स्तनों से गुजरती है जिसको इसके लक्षण भी कहा जाता है किसी भी संगठन के लिए औपचारिक संचार प्रणाली आवश्यक है।

औपचारिक संचार के लाभ (benefits of formal communication)

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इससे निम्नलिखित लाभ हैं-

  1.  निर्विघ्नं संचार
  2.  दक्षता में वृद्धि
  3.  स्थाई रिकॉर्ड
  4.  अनुशासन
  5.  कार्य समन्वय
  6.  विश्वसनीयता
  7.  सूचना का सामान्य प्रवाह

 

1- निर्विघ्न संचार-

औपचारिक संचार पूर्व निर्धारित चैनल के माध्यम से चलता है इसलिए हर प्रतिभागी इस बात से अवगत है कि संदेश कहां और कैसे भेजना है इसलिए इसको त्रुटि रहित माना जाता है।

2- दक्षता में वृद्धि-

इस तरह के संचार से प्रबंधन की समग्र दक्षता में वृद्धि होती है इससे निश्चित का काव्य बढ़ता है लेकिन इसके लिए संगठनात्मक नियमों और प्रक्रियाओं को सदैव अनुपालन किया जाना आवश्यक है।

3- स्थाई रिकार्ड-

पत्र रिपोर्ट और मेमो जैसे सभी औपचारिक संचार को स्थाई रूप से रखा जाता है इसलिए भविष्य में निर्णय लेने में यह सहायक है।

4- अनुशासन –

यह संचार किसी भी संगठन के कर्मचारियों के मन में अनुशासन की भावना पैदा करता है

5- कार्य समन्वय

औपचारिक संचार एक संगठन के विभिन्न कार्यों और विभागों के बीच समन्वय के लिए भूमिका प्रदान करता है इससे संसाधनों का भी उचित उपयोग हो पाता है

6- विश्वसनीयता-

उद्देश्य आदेश और निर्देश आदि जैसे विषयों के संदर्भ में औपचारिक संचार अधिक विश्वसनीय है

7-सूचना का सामान्य प्रवाह–

यह संगठन को प्रभावी और उपयोगी बनाने के लिए आंतरिक और बाह्य दोनों संचार सुनिश्चित करता है कोई भी मूल प्रवाह या मार्ग को निरंकुश ढंग से बाधित नहीं कर सकता

औपचारिक संचार की कमियां (drawbacks of formal communication)

  1. सत्तावाद की संभावना
  2. लचीलेपन का अभाव (lack of flexibility)अनम्यता (inflexibility)
  3. महंगा-
  4. समय का अपव्यय
  5. निर्णय लेने में विलंब
  6. पहल का अभाव
  7. सौहार्द का अभाव

 

1- सत्तावाद की संभावना-

इसमें उच्च स्तर के प्रबंधन अधिकारियों द्वारा निचले स्तर के कर्मचारियों के प्रति हावी होने की संभावना रहती है

2- लचीलेपन का अभाव (lack of flexibility) अनम्यता (inflexibility)-

चूँकि औपचारिक संचार अनम्य है इसमें कई बार परिस्थितियों के अनुरूप ढल पाना कठिन हो जाता है।

3- महंगा-

इस प्रकार के संचार में सभी औपचारिकताओं का रखरखाव करना होता है जिसके कारण लागत अधिक हो जाती है।

4- समय का अपव्यय

अधिक स्तर होने के कारण सूचना को गंतव्य तक पहुंचने के लिए अधिक समय लगता है।

5-  निर्णय लेने में विलंब-

सभी प्रतिभागियों के लिए आवश्यक है कि वे औपचारिक संचार विशिष्ट ढांचे को बनाए रखें चाहे इसके लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में विलंब ही क्यों ना हो।

 6- पहल का अभाव

संचार प्रणाली इस परिकल्पना पर आधारित है कि यह सर्वोत्तम है इसलिए किसी भी अन्य प्रणाली के चयन करने का कोई विकल्प नहीं है परिणाम स्वरूप रचनात्मक विचारों को यहां अनदेखा किया जाता है।

 7- सौहार्द का अभाव-

मानव पक्ष की जहग औपचारिकताओं को अधिक जोर दिया जाता है।

B- अनौपचारिक संचार –

कोई भी संस्थान या व्यक्ति समूह अनौपचारिक संचार के बिना संभव नहीं है हर संगठन में अनौपचारिक संचार प्रणाली के साथ औपचारिक संचार प्रणाली अपने आप ही सम्मिलित हो जाती है या मुख्य रूप से कर्मचारियों की सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है इसे अंतर वैयक्तिक संचार भी कहते हैं यह मुख्य रूप से आमने-सामने वार्तालाप एवं शरीर के हाव भाव से होता है और मित्रों और परिवार के बीच होता है।

अनौपचारिक संचार में संचार के लिए कोई औपचारिक नियम और अधिनियम नहीं होते हैं इसलिए अनौपचारिक संवाद या संचार में संदेश के विरूपण या विकृत होने की संभावना सदैव रहती है। जिससे मूल संदेश कई बार अपना सही अर्थ खो बैठता है जिसको ग्रेपवाइन कहा जाता है।

 

Concept of Communication | संचार की अवधारणा, परिभाषा ,उद्देश्य,कार्य एवं प्रकृति

What is communication system and its elements and types
दिशा के आधार पर संचार का वर्गीकरण

A-लंबवत संचार-

  • इसकी मुख्य रूप रेखा औपचारिक संचार तंत्र जैसा ही है।
  • यह मूल रूप से औपचारिक संचार ही होता है।
  • यह नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे की ओर हो सकता है जैसा कि मुख्याध्यापक शिक्षकों को निर्देश देता है और शिक्षक मुख्याध्यापक को रिपोर्ट करते हैं।

 

B- क्षैतिज संचार –

जब किसी संगठन के एक ही स्तर के लोग आपस में संचार करते हैं तो उसे क्षैतिज संचार कहा जाता है इसके अंतर्गत औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों ही संचार आ जाते हैं यह संचार समूह बनाने में उत्प्रेरक का कार्य करता है यदि किसी संगठन में विभिन्न व्यक्तियों या विभागों में परस्पर निर्भरता ज्यादा हो तो क्षैतिज संचार ज्यादा होने की संभावना होती है।

6 संचार प्रक्रिया के कितने अंग होते हैं? - 6 sanchaar prakriya ke kitane ang hote hain?

C- तिर्यक संचार-

जब पद सोपान के विपरीत विभिन्न स्तरों के अधिकारी और कार्मिक एक दूसरे से संपर्क स्थापित करते हैं तो उसको तिर्यक संचार कहा जाता है इसमें संचार विभिन्न विभागों में पृथक स्तरों के बीच में होता है उदाहरण के लिए- किसी महाविद्यालय के रसायन विभाग के प्रमुख्य का भौतिक विभाग के किसी शिक्षक से प्रत्यक्ष संचार स्थापित करना इससे समय की भी बचत होती है।

संचार प्रक्रिया कितने अंग होते हैं?

संचार की प्रक्रिया पत्र पढ़ना, टेलीफोन पर बातचीत करना, रेडियो सुनना, भाषण देना और सुनना, संवाद करना सभी संचार है।

संचार के मुख्य अंग कौन कौन से हैं?

संचार के तत्व (Components of Communication).
मैसेज (Message).
प्रेषक (Sender).
माध्यम (Medium).
प्राप्तकर्ता (Receiver).
प्रोटोकॉल (Protocol).