21. द्विबंध वाले किसी अणु का उदाहरण दें। - 21. dvibandh vaale kisee anu ka udaaharan den.

उत्तर:- इनके धन आयनों एवं ऋण आयनों के बीच मजबूत स्थिर वैद्युत आकर्षण बल कार्य करता है, इस कारण इसके द्रवणांक एवं क्वथनांक उच्च होते हैं|





14. कार्बन टेट्राक्लोराइड से होकर विद्युत धारा क्यों नहीं प्रवाहित की जा सकती है? 

उत्तर:- कार्बन टेट्राक्लोराइड स्थायी विन्यास को प्राप्त कर लेते हैं| इसके बंधन काफी मजबूत होते हैं|





15. आयनिक बंधनों में आयनों के बीच किस प्रकार का बंधन कार्य करता है? 

उत्तर:- विद्युत संयोजक बंधन




16. नाइट्रोजन अणु में कितने सहसंयोजक बंधन होते हैं? 

उत्तर:- तीन सह संयोजक बंधन होते हैं|




17. रासायनिक अभिक्रिया में कौन से इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं? 

उत्तर:- संयोजकता या संयोजी इलेक्ट्रॉन





18. रासायनिक बंधन मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं? 

उत्तर:- दो प्रकार--- वैद्युत संयोजक, सह संयोजक





19. एक परमाणु से दूसरे परमाणु में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होने से किस प्रकार का बंधन बनता है? 

उत्तर:- वैद्युत संयोजक बंधन




20. दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों का साझा होने पर किस प्रकार का बंधन बनता है? 

उत्तर:- सह संयोजक बंधन




21  द्विबंध वाले किसी अणु का उदाहरण दें|

उत्तर:- O2-->:O:+:O:--->O=O




22. त्रिबंध वाले किसी अणु का उदाहरण दें|

उत्तर:- N2-->N=_:N:-->N=_N




23. निम्नलिखित यौगिकों में बंधन की प्रकृति बताएं|

उत्तर:-

अमोनिया-- एकल सह संयोजक बंधन

कार्बन डाइऑक्साइड-- द्वितीय सह संयोजक बंधन

सोडियम मोनोक्साइड--- आयनिक बंधन




24. आक्सीजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास नियान जैसा होने के लिए उसे कितने इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होगी? 

उत्तर:- 2 इलेक्ट्रॉन




25. एक तत्त्व A के संयोजी शेल में 4 इलेक्ट्रॉन हैं और दूसरे तत्त्व B के संयोजी शेल में इलेक्ट्रॉन 7 इलेक्ट्रॉन है| A और B के संयोग से बननेवाला यौगिक विद्युत का कुचालक है| इस यौगिक में बंधन की प्रकृति बताएं और इसकी इलेक्ट्रॉनिक संरचना लिखें|

उत्तर:-


यौगिक--- कार्बन टेट्राक्लोराइड, बंधन की प्रकृति--एकल सह संयोजक बंधन


                                     Cl

                                       |

इलेक्ट्रॉनिक संरचना--- Cl--Cl--Cl

                                       |

                                     Cl





26. एक यौगिक A और ऐलुमिनियम का उपयोग रेल लाइनों के जोड़ने में किया जाता है| यौगिक A की पहचान करें|

उत्तर:- कापर




27. धातु के निष्कर्ष में सल्फाइड और कार्बोनेट अयस्कों को धातु के आक्साइड में परिवर्तित करना पड़ता है, क्यों? 

उत्तर:-

धातुओं को अनेक आक्साइड से निष्कर्ष करने में सल्फाइड और कार्बोनेट की तुलना में काफी आसानी होती है|




28. उस मिश्र धातु का नाम लिखें जिसका उपयोग विद्युत तारों को जोड़ने में किया जाता है? 

उत्तर:- सोल्डर Sn(50℅) + Pb(50℅) 









लघु उत्तरीय प्रश्न








1. धातु एवं अधातु में एक अंतर बताएं|

उत्तर:- धातुओं में एक विशेष प्रकार की चमक होती है| अधातुओं में कोई चमक नहीं होती है|





2. धातुएँ विद्युत की सुचालक क्यों होती है? 

उत्तर:- धातुओं के परमाणुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन रहते हैं| इस कारण विद्युत की धारा प्रवाहित होने पर उससे इलेक्ट्रॉन का प्रवाह सतत होता है| इसिलिए यह विद्युत का सुचालक होता है|





3. धातु की तन्यता और आघातवर्धनीयता से क्या समझते हैं? 

उत्तर:- धातु की तन्यता का तात्पर्य है खींचकर तार बनाना| धातुएँ तन्य होती है| अर्थात वह गुण जिस कारण धातुओं से तार खींचे जा सकते हैं| आघातवर्धनीयता धातुओं का एक गुण है| इनसे हथौड़े से पीटकर चादरें बनायी जाती है अर्थात वह गुण जिस कारण धातुओं को पीटकर चादरें बनायी जाती है| सोना एवं सिल्वर सर्वाधिक आघातवर्ध्य एवं तन्य हैं|






4. द्विधर्मी आक्साइड क्या है? 

उत्तर:- धातुओं के वे आक्साइड जो अम्लीय एवं क्षारीय या भास्मिक दोनों गुण प्रदर्शित है द्विधर्मी आक्साइड कहलाते हैं| जैसे ऐलुमिनियम आक्साइड एवं जिंक आक्साइड|





5. ग्रेफाइट अधातु होते हुए भी कौन सा धातुई गुण प्रदर्शित करता है? 

उत्तर:- ग्रेफाइट में धातुई गुण मौजूद है क्योंकि उसमें चमक होती है और वह विद्युत धनात्मक होती है|



सहसंयोजक यौगिक--- जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रॉनों का साझा करके बंध बनाते हो यह सहसंयोजक बंध कहलाते हैं तथा इनमें यौगिक सह संयोजक यौगिक कहलाते हैं| इसमें यौगिक के परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के बीच परस्पर साझेदारी होती है|





6. आर्गन के दो परमाणु परस्पर संयुक्त होकर आर्गन अणु (Ar2) क्यों नहीं बनाते हैं? 

उत्तर:- आर्गन अक्रिय गैस हैं| इसका अष्टक पूरा रहता है| इस कारण किसी से संयोजक या बंधन नहीं बनता है| इस कारण यह परमाणु के रूप में रहता है|





7. परमाणु एवं आयन में अंतर लिखें|

उत्तर:- परमाणु--- किसी तत्त्व का सबसे सूक्ष्म कण परमाणु है| ये इलेक्ट्रॉन, प्रोटान एवं न्यूट्रॉन से मिलकर बने होते हैं|




आयन--- किसी तत्त्व के परमाणु का इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने या त्याग करने से परमाणु परिवर्तित रूप को आयन कहते हैं| आयन दो प्रकार हैं धनायन तथा ऋणायन| उदाहरणार्थ Na अब एक इलेक्ट्रॉन खोता है तो यह Na+ आयन बनाता है| जब इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तो Na आयन बनाता है|






8. सहसंयोजक बंधन कितने प्रकार के होते हैं और ये कैसे बनते हैं? 

उत्तर:- एकल सहसंयोजक बंधन (Single Covalent bond) 

द्विक सहसंयोजक बंधन (Double Covalent bond) 

त्रिक सहसंयोजक बंधन (Triple Covalent bond) 




एकल सहसंयोजक बंधन---

जब दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों के सिर्फ एक युग्म साझा होता है तब उनके बीच एकल सहसंयोजक बंधन बनता है----


H  +   H --->  H:H or,    एकल बंधन

                                          |

                                      H---H






द्विक सहसंयोजक बंधन---

जब संयोग करने वाले दोनों परमाणु दो दो इलेक्ट्रॉनों का साझा करते हैं तब उनके बीच द्विक सहसंयोजक बंधन बनता है|




O:    +    :O -----> O : O    OR,    द्विबंधन

                                                      |

                                                  O==O






त्रिक सहसंयोजक बंधन----

जब संयोग करनेवाले दो परमाणु तीन तीन (तीन जोड़ा) इलेक्ट्रॉनों (छ: इलेक्ट्रॉन) का साझा करते हैं तब उन परमाणुओं के बीच त्रिक सहसंयोजक बंधन बनता है| 



N:  +   :N:   -----> :N: :N:  OR,   त्रिबंधन

                                                     |

                                                  N=N 







9. आप कैसे प्रमाणित करेंगे कि कार्बन टेट्राक्लोराइड विद्युत का कुचालक होता है? 

उत्तर:- कार्बन टेट्राक्लोराइड उदासीन अणुओं से बने होते हैं| ये आयन से नहीं बने हैं| इस कारण यह जलीय विलयन या पिघली अवस्था में आयन उत्पन्न नहीं करता है| इसलिए यह विद्युत का कुचालक होता है|






10. सोडियम क्लोराइड जल में घुल जाता है, किन्तु कार्बन टेट्राक्लोराइड नहीं, क्यों? 

उत्तर:- 

सोडियम क्लोराइड जल में घुल जाता है, इसका कारण यह है कि जल के अणु सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिक में विद्यमान आयनों के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं जिससे सोडियम क्लोराइड में उपस्थित आयनों के बीच का आकर्षण बल कमजोर होकर टूट जाता है और आयन अलग अलग हो जाते हैं| परिणामस्वरूप सोडियम क्लोराइड जल में घुल जाता है| किन्तु दूसरी ओर कार्बन टेट्राक्लोराइड जल में नहीं घुलता है; क्योंकि कार्बन टेट्राक्लोराइड जैसे कार्बनिक विलायक के साथ ऐसी कोई बात नहीं होती है| अत: सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिक में होती है|





11. CH4  और  CO2   इलेक्ट्रॉनिक संरचना लिखें|

उत्तर:-


                                 H

                                  |

CH4---->            H-----C-----H

                                   |

                                   H


CO2--->    O=C=





12. किसी रासायनिक यौगिक के बनने में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की क्या भूमिका होती है? 

उत्तर:- रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉनें ही संयोजी इलेक्ट्रॉनों होते हैं| संयोजी इलेक्ट्रॉन ही तत्त्वों के साथ बंधन बनाकर यौगिक का निर्माण करते हैं| इस कारण इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है|





13. किसी तत्त्व A की परमाणु संख्या 12 है और दूसरे तत्व B की परमाणु संख्या 17 है| A और B के संयोग से बने यौगिक का सूत्र लिखें|

उत्तर:-

A (12) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-----2, 8,2

B (17) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास---- 2,8,7

A धातु मैग्नीशियम (Mg)  तथा B धातु क्लोरीन (Cl ) है| इसके संयोग से मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2) बनता है|





14. 1. अमोनिया के अणु के कुल कितने सहसंयोजक बंधन है? 

2. सोडियम अणु कहना क्या सही है? 

उत्तर:- 

1. अमोनिया के अणु में कुल 3 सहसंयोजक बंधन है|

2. हाँ, सोडियम को अणु कहना उचित है|





15. निम्नलिखित पदार्थों में बंधन की प्रकृति पर प्रकाश डालें----

उत्तर:-


जल(H2O) ----

H परमाणु की बाह्यतम कक्षा में 1 इलेक्ट्रॉन है जबकि O परमाणु की बाह्यतम कक्षा में 6 इलेक्ट्रॉन| अत: हाइड्रोजन के दो परमाणुओं में प्रत्येक के एक एक इलेक्ट्रॉन आक्सीजन परमाणु के एक एक इलेक्ट्रॉन के साथ साझेदारी कर हाइड्रोजन परमाणु द्वयक पूरा करते हैं तथा आक्सीजन परमाणु अष्टक पूरा कर लेता है|

H---O-----H

इस प्रकार जल के अणु में दो सहसंयोजक बंधन होता है|





नाइट्रोजन अणु (N2)----

नाइट्रोजन परमाणु के संयोजी शेल में 5 इलेक्ट्रॉन रहते हैं| अतः, नाइट्रोजन के दो परमाणु आपस में तीन तीन इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना अष्टक पूरा कर लेते हैं|

N=_N

अतः N2 अणु में तीन सहसंयोजक बंधन होते हैं|




मैग्नीशियम आक्साइड (MgO) ----

Mg----> Mg2+   +    2e-

2,8,2     2,8

O  +  2e-  ----> O2-

2,6                   2,8

Mg:  +  O  -----> [Mg2+]  [:O] -2  या  MgO

MgO यौगिक में Mg2+ आयन तथा O2- आयन है|






कैल्सियम क्लोराइड (CaCl) ----

Ca   +   Cl:  ------> Ca•Cl-----> Ca+   +  [Cl]

Or    Ca+  Cl-





16. तत्त्व W, X, Y और Z की परमाणु संख्याएँ क्रमशः 7,9,10 और 11 है| तत्त्वों के निम्नांकित युग्मों से बने यौगिक का सूत्र लिखें और उनमें विद्यमान बंधन की प्रकृति बताएं----

उत्तर:-


1. W2X3---- सहसंयोजी बंधन

2. X2--- एकल सहसंयोजी बंधन

3. WX3--- त्रि सह संयोजी बंधन

4. YZ2---- सह संयोजी बंधन





17. X और Y तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं----

X   2,6

Y    2,8,8,2

X और Y के बीच बनने वाले बंधन की प्रकृति बताएं|

उत्तर:-

X का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,6 अर्थात यह O है|

Y  का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,8,2 अर्थात यह Ca है|


Ca  +   :O:   ------>  Ca2+  [:O:]



Or, Ca2+   +   O2-  = CaO  यह वैद्युत संयोजी बंधन बनाते हैं|

अर्थात CaO आयनिक यौगिक का निर्माण करते हैं|




18. एक धातु A (परमाणु संख्या 19) क्लोरीन के साथ अभिक्रिया कर एक सफेद ठोस क्लोराइड बनाता है| चित्र की सहायता से A का अभिक्रिया से पूर्व और पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक विन्यास दिखायें|

उत्तर:-

धातु A जिसकी परमाणु संख्या 19 है| वह पोटैशियम है| यानी K(19) जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,8,1 तथा क्लोरीन Cl(17) जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 है|



A का अभिक्रिया के पूर्व इलेक्ट्रॉनिक विन्यास----


2,8,8,1 ---> K=2, L=8, M=8, O=1



A का अभिक्रिया के  पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक विन्यास--



[A, 2,8,8]--->K=2, L=8, M=8





नोट--- A धातु क्लोरीन के साथ अभिक्रिया कर एक ठोस क्लोराइड बनाती है और A धातु अपना एक परमाणु को त्याग देती है जिससे क्लोरीन अष्टक पूरा करते हैं|





19. एक परमाणु A दूसरे परमाणु B को दो इलेक्ट्रॉन प्रदान कर एक यौगिक बनाता है, तो A की संयोजकता और B की अंतिम कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताएं|

उत्तर:- 

A की संयोजकता 2 है और B की अंतिम कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 है| अतः A और B मिलकर मैग्नीशियम आक्साइड (MgO) यौगिक बनायेंगे जिसमें उपस्थित आयनज्ञ Mg2+ और O2- है|





20. हाइड्रोजन अणु (H2) के बनने में दोनों H- परमाणु अष्टक प्राप्त नहीं करते, फिर भी हाइड्रोजन का अणु काफी स्थायी होता है, क्यों? 

उत्तर:- हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के संयोग से हाइड्रोजन अणु (H2) बनता है| इसमें हाइड्रोजन के दोनों परमाणु एक एक इलेक्ट्रॉनों का साझा करके द्वितीय पूरा करते हैं|

H•  +   H•  ----->  H : H

साझेदारी में भाग लेने वाले दोनों इलेक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं के बीच में रहते हैं| दोनों H परमाणुओं के बीच दो बिंदुयें साझेदारी के इलेक्ट्रॉन युग्म को निरूपित करती है साझेदारी के एक इलेक्ट्रॉन युग्म से एकल बंधन बनता है, जिसे दोनों H- परमाणुओं के बीच एक छोटी रेखा (---) द्वारा सूचित किया जाता है| अतः हाइड्रोजन के अणु को निम्नलिखित प्रकार से दर्शाया जा सकता है------

H : H   या,    H----H या, 

बंधन बन जाने के बाद दोनों परमाणुओं का इलेक्ट्रॉन विन्यास उत्कृष्ट गैस हीलियम की भांति स्थायी बन जाता है|





21. A, B  और C तीन तत्त्वों की परमाणु संख्याएँ क्रमशः 8,10 और 20 है| इनमें अक्रिय गैस की पहचान करें|

उत्तर:-

A तत्व की परमाणु संख्या 8, B तत्व की परमाणु संख्या 10 और C तत्व की परमाणु संख्या 20 है| इनमें B जिसका परमाणु संख्या 10 है वह अक्रिय गैस है| क्योंकि इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8 है जबकि गैस होने के लिए आखिरी शेल यानी संयोजी शेल में अष्टक पूरा होना चाहिए|



22. आक्सीजन परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,6 है| इसकी संयोजकता ज्ञात करें|

उत्तर:-

आक्सीजन परमाणु की संयोजकता 6 है; क्योंकि आखिरी शेल में 6 इलेक्ट्रॉन है जो संयोजकता के द्योतक है|





23. निम्नलिखित में वैद्युत संयोजक और सहसंयोजक यौगिकों का चयन करें---

उत्तर:-

वैद्युत संयोजक यौगिक---- पोटैशियम क्लोराइड, अमोनियम क्लोराइड, कापर सल्फेट

सहसंयोजक यौगिक---- ग्लूकोस, कार्बन टेट्राक्लोराइड, ऐसीटिलीन, यूरिया





24. जल में विलेय दो सहसंयोजक यौगिकों के नाम लिखें|

उत्तर:- ग्लूकोज, यूरिया




25. मैग्नेटाईट में एक अचुम्बकीय पदार्थ मिश्रित है| इन्हें अलग करने की एक विधि का उल्लेख करें|

उत्तर:- 

मैग्नेटाईट में एक अचुम्बकीय पदार्थ मिश्रित है इन्हें अलग करने की एक सर्वाधिक उपयुक्त विधि इस प्रकार है-----



चुम्बकीय पृथक्करण विधि----

यह विधि वैसे अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है जब अयस्क और उसमें विद्यमान अपद्रव्यों में कोई एक चुम्बकीय हो| उदाहरण के लिए, टिन के अयस्क टिनस्टोन में उल्फ्राम अपद्रव्य के रूप में उपस्थित रहता है जो चुम्बकीय होता है| टिनस्टोन अयस्क को पीसकर महीन चूर्ण बना दिया जाता है| अब इस चूर्ण को एक विद्युत चुम्बकीय बेलनों के बेल्ट पर डालकर मशीन को चालू कर दिया जाता है| उल्फ्राम मैग्नेटाईट चुम्बकीय होने के कारण चुम्बक की ओर आकर्षित होकर एक पात्र में गिरता है, जबकि अचुम्बकीय पदार्थ उससे दूर होकर एक अलग पात्र में गिरता है| इस प्रक्रिया द्वारा सांद्रित मैग्नेटाईट अयस्क प्राप्त किया जाता है| अतः इस प्रक्रिया द्वारा मैग्नेटाईट में मिले अचुम्बकीय पदार्थ को आसानी से अलग किया जा सकता फलतः शुद्ध मैग्नेटाईट प्राप्त किया जा सकता है|





26. भर्जन क्या है? उदाहरण देकर समझाएँ|

उत्तर:-

भर्जन एक वैसी रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें सांद्रित अयस्क को पर्याप्त वायु की आपूर्ति में अयस्क के द्रवणांक से कम ताप पर तीव्रता से गर्म किया जाता है जिससे इसमें उपस्थित अपद्रव्य आर्सेनिक तथा अन्य उपस्थित अपद्रव्य आक्सीकृत होकर बाहर निकल जाते हैं और धातु आक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाता है|

जैसे-- 2ZnS  +  3O2-----> 2Zno + 2So2




27. प्रगलन में द्रावक की क्या भूमिका होती है? 

उत्तर:-

द्रावक वह पदार्थ है जिसे निस्तापित या जारित अयस्क एवं कोक के साथ मिश्रित कर मिश्रण को गर्म किया जाता है| ऐसा करने से अयस्क में विद्यमान अद्रवणशील अपद्रव्य दूर जाते हैं| इस प्रकार प्रगलन में द्रावक की अति महत्वपूर्ण भूमिका है| क्योंकि इसी की सहायता से अयस्क में मौजूद अपद्रव्य को दूर किया जाता है|





28. सोडियम को किरोसिन में क्यों डुबाकर रखा जाता है? 

उत्तर:-

सोडियम सक्रिय धातु है जो वायु में उपस्थित आक्सीजन से क्रिया करके सोडियम आक्साइड बनाती है| यह पानी से क्रिया कर सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन उत्पन्न करती है| वायु में खुला छोड़ देने पर आग पकड़ लेती है, इसलिए इसे मिट्टी के तेल में डुबोकर सुरक्षित रखते हैं|





29. धातुओं के संरक्षण से क्या समझते हैं? 

उत्तर:- धातुओं की सतह पर वायु, नमी, CO2, SO2 अथवा रसायनों आदि के प्रभाव से क्षय होने या नष्ट होने के संरक्षण कहते हैं| लोहे नमी एवं आक्सीजन या वायु से अभिक्रिया कर Fe2O3 का परत बना लेता है जो भूरे रंग का होता है| यह प्रक्रिया जंग लगना कहलाता है| जंग लोहे को धीरे धीरे नष्ट कर देता है|





30. धातुओं के शोधन की एक विधि का वर्णन करें|

उत्तर:- धातुओं के शोधन की कयी प्रचलित विधियाँ हैं| उनमें एक विधि इस प्रकार हैं----



द्रवण विधि---

इस विधि के द्वारा कम द्रवणांक वाली धातुओं (टिन, लेड आदि) को उच्च द्रवणांक वाली धातुओं से अलग किया जाता है| इस विधि में एक मालुम भट्ठी का इस्तेमाल किया जाता है| इस भट्ठी का ताप धातु के द्रवणांक से थोड़ा अधिक रखा जाता है| अशुद्ध धातु को भट्ठी के सिरे पर रखते हैं| धातु द्रवित होकर भट्ठी के निचले भाग (ढलकाव) की ओर बहने लगती है, किन्तु अद्रवणशील अपद्रव्य पीछे ही छूट जाते हैं|





31. मिश्रधातु क्या है? किन्हीं दो मिश्रधातुओं के नाम और उपयोग लिखें|

उत्तर:- दो या अधिक धातुओं अथवा एक धातु एवं एक अधातु का समांग मिश्रण मिश्रधातु कहलाता है| इच्छित धातुओं को उपयुक्त मात्रा में मिश्रित कर मिश्रण को गर्म करके पिघला देते हैं| पिघले हुए द्रव को ठंडा करके ठोस रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है| फलस्वरूप प्राप्त ठोस पदार्थ मिश्रधातु कहलाता है|


दो मिश्रधातु के नाम निम्न हैं---


पीतल--- 

इसका उपयोग तरह तरह के बर्तन बनाने में किया जाता है तथा नलियों एक कारतूस बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है|



तांबा---

इसका उपयोग तमगे बनाने में किया जाता है| चूंकि तांबा (कापर) जल के साथ अभिक्रिया नहीं करती है| इसी कारण इसका उपयोग गर्म जल की टंकी के निर्माण में किया जाता है|





32. लोहा और तांबा के दो दो अयस्कों के नाम लिखें|

उत्तर:-

 लोहा--- हेमेटाइट, मैग्नेटाईट

तांबा--- कापर पाइराइट, मैलेकाइट




33. धातुकर्म किसे कहते हैं? 

उत्तर:- अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण एवं उनके शोधन की प्रक्रिया को धातुकर्म कहते हैं| धातुकर्म में प्रयुक्त होने वाले कुछ मुख्य पद होते हैं जो इस प्रकार हैं--

आधात्रि

अयस्क का सांद्रण

निस्तापन

जारण

धातुमल

प्रगलन




34. सोडियम धातु के निष्कर्ष का सिद्धांत लिखें|

उत्तर:- सोडियम धातु के निष्कर्षण इस प्रकार हैं-----

सोडियम धातु मुख्यतः द्रवित पेट्रोलियम क्लोराइड (NaCl) का वैद्युत अपघटन करके प्राप्त की जाती है| चूंकि सोडियम क्लोराइड का द्रवणांक काफी उच्च (820°C) होता है| अतः इसके द्रवणांक को कम करने के लिए इसमें थोड़ा कैल्सियम क्लोराइड मिश्रित कर दिया जाता है| द्रवित मिश्रण का वैद्युत अपघटन करने पर सोडियम धातु कैथोड पर एवं क्लोरीन गैस ऐनोड पर मुक्त होती है|

 NaCl -----> Na+   +    Cl-

द्रवित

Na+  +   e  ------> Na (कैथोड पर) 

2Cl-  ----> Cl2  (ऐनोड पर) 

इसमें प्रयुक्त को डाउन की विधि कहते हैं| मिश्रण में उपस्थित कैल्सियम क्लोराइड का वैद्युत अपघटन नहीं होता है| सोडियम धातु प्राप्त करने के लिए सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है| इसका कारण यह है कि इस विलयन का वैद्युत अपघटन करने पर कैथोड पर मुक्त सोडियम विलयन में उपस्थित जल के साथ अभिक्रिया करके सोडियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है|

2Na  +  2H2O  ---->  2NaOH   +  H2

अतः कैथोड पर सोडियम धातु न मुक्त होकर हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है और सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में रह जाता है|





35. किसी औरत ने अपने गंदे एवं पुराने सोना के आभूषणों को स्वच्छ एवं चमकीला बनाने के लिए एक स्वर्णकार को दिया| स्वर्णकार ने उन आभूषणों को एक द्रव में डालकर उन्हें चमकीला बना दिया, किन्तु उन आभूषणों का भार पहले से कम हो गया| क्या आप बताएंगे कि वह कौन सा द्रव था तथा ऐसा क्यों हुआ? 

उत्तर:-

स्वर्णकार द्वारा प्रयोग किया गया विलयन एक्वारीजिया है| एक्वारीजिया विलयन में तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं 3:1 के अनुपात में होता है| सोना एक्वारीजिया में घुलनशील है| इसिलिए औरत के आभूषणों का भार पहले से कम हो गया|





36. ऐलुमिनियम विधि क्या है? 

उत्तर:- कुछ धातुओं के आक्साइड Cr2O3, MnO4, इत्यादि कार्बन द्वारा अवकृत नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि कार्बन के साथ उच्च ताप पर ये कार्बाइड बनाते हैं| ऐसी स्थिति में अवकरण की क्रिया एलुमिनियम धातु द्वारा करायी जाती है| इसी प्रक्रिया को एलुमिनोथर्मिअ विधि कहते हैं|

Cr2O3  +  2Al -----> 2Cr2  +   2Al2O2






37. पीतल एवं कांसे के अवयव तत्त्व बतायें|

उत्तर:-

पीतल--- Cu---80℅,  Zn----20%

 कांसे---- Cu---90℅,  Sn-----10%





38. दो ऐसी धातुओं के नाम लिखें जो ठण्डे जल से अति तीव्र अभिक्रिया करती है| ऐसी किसी धातु को जल में डालने पर अवलोकित कोई तीन प्रेक्षण लिखें| यदि अभिक्रिया में, कोई गैस उतपन्न होती है तो आप उसकी पहचान कैसे करेंगे? 

उत्तर:-

सोडियम और पोटैशियम ऐसी धातुयें हैं जो ठंडे जल में अति तीव्र अभिक्रिया करते हैं|

ठंडे जल के साथ अभिक्रिया----- सोडियम, पोटैशियम एवं कैल्सियम धातुयें ठंडे जल के साथ ही अभिक्रिया करती है|

2Na  +   2H2O  -----> 2NaOH   +   H2^

2K     +    2H2O  ----->  2KOH    +   H2^

Ca     +     2H2O  ----->   Ca(OH)2   +   H2^



(1) पोटैशियम एवं सोडियम की अभिक्रिया के फलस्वरूप इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि उत्पन्न हाइड्रोजन गैस में तुरंत आग पकड़ लेती है|  (2) कैल्सियम के साथ अभिक्रिया अपेक्षाकृत कम तीव्रता से होती है| इससे उत्पन्न ऊष्मा इतनी कम होती है कि कैल्सियम कैल्सियम में आग नहीं पकड़ती, किन्तु कैल्सियम को जल में डालने पर तैरने लगती है; क्योंकि मुक्त हाइड्रोजन (H2) गैस कैल्सियम की सतह को अच्छादित कर लेती है| (3) पोटैशियम की जल के साथ अभिक्रिया सोडियम की अपेक्षा अधिक तेजी से होती है| अतः पोटैशियम सोडियम की तुलना में अधिक क्रियाशील है| किन्तु सोडियम कैल्सियम की अपेक्षा अधिक तेजी से अभिक्रिया करता है| अतः सोडियम कैल्सियम की तुलना में अधिक क्रियाशील है| धातुएँ जो ठंड जल के साथ अभिक्रिया करती है उन अभिक्रियाओं के हर स्थिति में हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है| इन अभिक्रियाओं से उत्पन्न गैस हाइड्रोजन अलग होती है| उसमें तुरंत आग पकड़ लेती है|






दीर्घ उत्तरीय प्रश्न






1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्त्वों को धातु एवं अधातु में किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है? सोदाहरण समझाएँ|

उत्तर:- 

धातु के परमाणु की बाह्यतम कक्षा में साधारणतः 1,2 और 3 इलेक्ट्रॉन रहते हैं| ये प्रकृति में धनात्मक होती है| उदाहरण के तौर पर सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम इत्यादि| अधातुओं के परमाणु के बाह्यतम कक्षा रिक्त होती है| ये साधारणतः इलेक्ट्रॉन को धातुओं से ग्रहण कर अपना अष्टक पूरा करती है| उदाहरण के तौर पर कार्बन, सल्फर, आक्सीजन इत्यादि|






2. कारण सहित बताएं कि धातुएँ विद्युत की सुचालक और अधातुएं विद्युत की कुचालक क्यों होती है? 

उत्तर:-

धातुओं के ऊष्मा एवं विद्युत का सुचालक होने के कारण यह है कि परमाणुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन रहते हैं जो विद्युत धारा का संचालन करते हैं, कापर एवं सिल्वर की गणना सर्वोत्तम विद्युत चालकों में होती है| इसके बाद सोना, ऐलुमिनियम और टंगस्टन का स्थान आता है| आयरन एवं मरकरी (पारा) विद्युत प्रवाह में अपेक्षाकृत अधिक बाधक होते हैं| अधातुओं के कुचालक होने के कारण यह है कि इसके द्रवणांक और क्वथनांक निम्न होते हैं| इसी कारण ऊष्मा एवं विद्युत का संचालन प्रायः इसमें नहीं होता है जबकि ग्रेफाइट का द्रवणांक उच्च होता है| इसिलिए यह विद्युत की सुचालक होती है|





3. धातुओं के किन्हीं तीन गुणों का उल्लेख करें|

उत्तर:- 


धातुओं को मुख्यतः दो गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है---- भौतिक गुण, रासायनिक गुण




भौतिक गुण--- 

धातुओं के तीन भौतिक गुण निम्न हैं----



इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-----

धातुओं के परमाणु की बाह्यतम कक्षा में साधारणतः 1,2 या 3 इलेक्ट्रॉन रहते हैं| उदाहरण के लिए; सोडियम, मैग्नीशियम एवं ऐलुमिनियम के इलेक्ट्रॉन क्रमशः 2,8,1;2, 8,2 तथा 2,8,3 होते हैं| इन तत्त्वों की बाह्यतम कक्षा में क्रमशः 1,2 और 3 इलेक्ट्रॉन हैं| इसलिए ये तत्व धातु है| यद्यपि हाइड्रोजन (H) और हीलियम (He) की बाह्यतम कक्षाओं में क्रमशः 1 और 2 इलेक्ट्रॉन है, फिर भी ये तत्व अधातु है|




विद्युत धनात्मक गुण-----

धातुएँ विद्युत धनात्मक होती है अर्थात इन धातुओं के परमाणु अपने संयोजी शेल के इलेक्ट्रॉन को आसानी से त्याग कर धनायन में परिवर्तित हो सकते हैं, ये परमाणु अपना इलेक्ट्रॉन खोकर अपने निकटस्थ अक्रिय गैस की भांति स्थायी विन्यास प्राप्त कर लेते हैं|


Na-------le-------> Na+ ( नियान- जैसा विन्यास) 

2,8,1                   2,8



Ca------- -2e-----Ca2+ (आर्गन जैसा विन्यास) 

2,8,8,2              2,8,8





आघातवर्धनीयता-----

धातुएँ आघातवर्धनीयता होती है, अर्थात इन्हें हथौड़े से पीटकर इनकी चादरें बनायी जा सकती हैं| सोना एवं सिल्वर सर्वाधिक आघातवर्ध्य होते हैं| इसलिए इनके कागज से भी पतले पत्तर बनाये जा सकते हैं|




रासायनिक गुण----

धातुओं में धनायन में परिवर्तन हो जाने की प्रकृति होती है, धातुओं के इसी प्रकृति के कारण इनमें कुछ विशिष्ट रासायनिक गुण आ जाते हैं| ये तीन गुण इस प्रकार हैं----





आक्सीजन के साथ अभिक्रिया-----

सभी धातुएँ आक्सीजन के साथ संयोग करके आक्साइड बनाती है----

4Na  +  O2----> 2Na2O(सोडियम मोनोक्साइड) 

2Mg  +  O2---->2MgO(मैग्नीशियम आक्साइड) 

धातु के आक्साइड भास्मिक होते हैं| कुछ आक्साइड जल में घुलकर क्षार बनाते हैं जैसे-----

Na2O(s) +  H2O(l) ------> 2NaOH(aq) 

K2O(s)   +   H2O(l) ------> 2KOH(aq) 

CaO (s)  +    H2O(l) ------> Ca(OH)2(aq) 

कुछ धातुएँ के आक्साइड (Al2O3, ZnO आदि) में अम्लीय एवं भास्मिक दोनों प्रकार के गुण रहते हैं| ये द्विधर्मी आक्साइड कहलाते हैं| ये अम्ल एवं भस्म दोनों के साथ अभिक्रिया करते हैं| उदाहरण के लिए ZnO तनु HCl के साथ अभिक्रिया करके ZnCl2 और H2O बनाता है|





जल के साथ अभिक्रिया-----

विभिन्न धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया भिन्न भिन्न वेग से होती है| कुछ धातुएँ ठंडे जल के साथ अभिक्रिया कर लेती है| कुछ धातुओं को जल के साथ गर्म करने पर अभिक्रिया होती है, जबकि कुछ धातुएँ भाप के साथ अभिक्रिया करती है, किन्तु हर स्थिति में H2 गैस मुक्त होती है, एवं इन धातुओं के आक्साइड/हाइड्राक्साइड बनते हैं| उदाहरण के लिए सोडियम, पोटैशियम एवं कैल्सियम धातुयें ठंडे जल के साथ ही अभिक्रिया करती है-----

2Na  +   2H2O  ------> 2NaOH  +   H2^

2K     +    2H2O  ----->  2KOH    +   H2^

Ca     +     2H2O   ------>  Ca(OH)2  +   H2^




अम्लों के साथ अभिक्रिया------

धातुएँ प्रायः अम्लों के साथ अभिक्रिया करके अम्लों से हाइड्रोजन मुक्त करती है| अम्लों के साथ धातु की अभिक्रिया का वेग धातु के विद्युत धनात्मक गुण या उसकी क्रियाशीलता पर निर्भर करता है| अधिक विद्युत धनात्मक धातु कम विद्युत धनात्मक धातु की अपेक्षा अम्लों के साथ तेजी से अभिक्रिया करती है| उदाहरण के लिए, सोडियम धातु तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड बनाती है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है|





4. अधातुओं के किन्हीं तीन गुणों का उल्लेख करें|

उत्तर:- धातुओं की तरह अधातुओं को भी मुख्यतः दो गुणों के आधार पर बांटा जाता है----

भौतिक गुण तथा रासायनिक गुण



भौतिक गुण----

भौतिक अवस्था----

अधातुएं सामान्य ताप पर पदार्थ की तीनों अवस्थाओं (ठोस, द्रव एवं गैस के रूप में) में पायी जाती है| उदाहरण के लिए, कार्बन, सल्फर, फास्फोरस, आयोडीन ठोस रूप में ब्रोमीन द्रव की अवस्था में जबकि हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, क्लोरीन आदि गैसीय अवस्था में रहते हैं|




भंगुरता----

अधातुएं प्रायः भंगुर होती हैं जिनसे चादरें एवं तार नहीं बनाए जा सकते हैं| अत: इनमें आघातवर्धनीयता और तन्यता नहीं होती है| इन्हें हथौड़े से पीटने पर या खींचने पर चूर चूर हो जाती है|




ऊष्मा एवं विद्युत चालकता---

अधातुएं प्रायः ऊष्मा एवं विद्युत की कुचालक होती हैं| सिर्फ ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है|




रासायनिक गुण----

अधातुओं के तीन रासायनिक गुण इस प्रकार हैं-------




आक्सीजन के साथ अभिक्रिया----

अधातुएं आक्सीजन के साथ संयोग करके अम्लीय आक्साइड बनाती है, ये आक्साइड जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं-----

C   +    O2 ------> CO2

   कार्बन डाइऑक्साइड

S    +     O2 ------> SO2

              कार्बनिक अम्ल

SO2    +    H2O ------> H2SO3

         सल्फर डाइऑक्साइड

2S    +    3O2   ------->  2SO3

          सल्फर ट्राइ आक्साइड

SO3   +    H2O   ------>  H2SO4

             सल्फ्यूरिक अम्ल





क्लोरीन के साथ अभिक्रिया-----

अधातुएं क्लोरीन के साथ अभिक्रिया करके क्लोराइड बनाती है| उदाहरण के लिए, फास्फोरस की अभिक्रिया क्लोरीन के साथ कराने पर फास्फोरस ट्राइक्लोराइड बनता है|

P4    +    6Cl2  ------> 4PCl3

उसी प्रकार हाइड्रोजन की अभिक्रिया क्लोरीन से कराने पर हाइड्रोजन क्लोराइड बनता है|

H2    +   Cl2   -------> 2HCl




हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया-------

अधातुएं हाइड्रोजन के साथ संयोग करके हाइड्राइड का निर्माण करती है|

H2   +    S  ------>H2S

हाइड्रोजन सल्फाइड

N2   +    3H2   -----> 2NH3

अमोनिया





5. जस्ता कापर सल्फेट के विलयन से तांबा को विस्थापित कर देता है, किन्तु तांबा जिंक सल्फेट के विलयन से जस्ता को विस्थापित नहीं कर सकता, क्यों? 

उत्तर:-

क्रियाशील धातुएँ अपने से कम क्रियाशील धातु के लवण के विलयन से कम क्रियाशील धातु को विस्थापित कर देती है| जब जिंक धातु के टुकड़े को कापर सल्फेट के विलयन में डालते हैं तो कापर सल्फेट विलयन का नीला रंग धीरे धीरे गायब होने लगता है और कापर धातु की लाल परत जिंक धातु पर जम जाती है|


 Zn     +         CuSO4   --------> ZnSO4  +  Cu

जिंक         कापर सल्फेट जिंक         सल्फेट कापर


धातु अधिक क्रियाशील होने के कारण विलयन से कापर धातु को विस्थापित कर देती है| तांबा (कापर) बेहद कम क्रियाशील धातु है| जो जिंक सल्फेट के विलयन से जस्ता विस्थापित नहीं कर सकता है| अत: कहा जा सकता है कि जस्ता कापर सल्फेट के विलयन से तांबा को विस्थापित कर देती है, जबकि तांबा जिंक सल्फेट के विलयन से जस्ता को विस्थापित नहीं कर सकता है|





6. द्विधर्मी आक्साइड क्या है? द्विधर्मी आक्साइडों को दो उदाहरण दें|

उत्तर:-

कुछ धातुओं के आक्साइड में अम्लीय एवं भास्मिक या क्षारीय दोनों प्रकार के गुण रहते हैं| ये द्विधर्मी आक्साइड कहलाते हैं| ये अम्ल एवं भस्म दोनों के साथ अभिक्रिया करते हैं| उदाहरण के लिए ऐलुमिनियम आक्साइड (Al2O3) तथा जिंक आक्साइड (ZnO) दोनों द्विधर्मी आक्साइड है|





7. भौतिक व रासायनिक गुणों के आधार पर धातु एवं अधातु में अंतर स्पष्ट करें|

उत्तर:-



भौतिक गुणों के आधार पर धातु एवं अधातु में विभेद-----



धातुएँ----

धातुएँ सामान्य ताप पर ठोस होती है परंतु केवल पारा सामान्य ताप पर तरल अवस्था में होता है|

धातुएँ तन्य तथा आघातवर्ध्य तथा लगिष्णु होती है|

धातुएँ प्रायः चमकदार होती है अर्थात उनमें धात्विक चमक होती है|

धातुएँ ऊष्मा तथा विद्युत की सुचालक होती है परंतु बिस्मथ इसका अपवाद है|

धातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक बहुत अधिक होते हैं|

धातुएँ अधिकांशतः कठोर होती है परंतु सोडियम तथा पोटैशियम चाकू से काटी जा सकती है|

धातुओं का आपेक्षिक घनत्व अधिक होता है परंतु Na, K इसके अपवाद है| 

धातुएँ अपारदर्शक होती है|






अधातुएं-----

अधातुएं सामान्य ताप पर तीनों अवस्थाओं में पाई जाती है| फास्फोरस और सल्फर ठोस रूप में, H2, O2, N2 गैसीय रुप में तथा ब्रोमीन तरल रूप में होती है|

ये प्रायः भंगुर होती है|

अधातुओं में धात्विक चमक नहीं होती परंतु हीरा, ग्रेफाइट तथा आयोडीन इसके अपवाद है|

ग्रेफाइट और गैस कार्बन को छोड़कर सभी अधातुएं कुचालक हैं|

अधातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं| 

इनकी कठोरता भिन्न भिन्न होती है| हीरा सब पदार्थों से कठोरतम है|

अधातुओं का आपेक्षिक घनत्व प्रायः कम होता है|

गैसीय अधातुएं पारदर्शक हैं|






रासायनिक गुणों के आधार पर धातु एवं अधातु में विभेद------



धातुएँ-----

धातुएँ क्षारीय आक्साइड बनाती है जिसमें से कुछ क्षार बनाती है|

धातुएँ अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस पुनः स्थापित करती है तथा अनुरूप लवण बनाती है|

धातुएँ धनात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं|

धातुएँ क्लोरीन से संयोग करके क्लोराइड बनाती हैं जो वैद्युत संयोजक होते हैं|

कुछ धातुएँ हाइड्रोजन से संयोग करके हाइड्रोक्साइड बनाती हैं जो विद्युत संयोजक होते हैं|

धातुएँ अपचायक हैं|

धातुएँ जलीय विलयन में धनायन बनाती हैं|






अधातुएं------

अधातुएं अम्लीय तथा उदासीन आक्साइड बनाती हैं|

अधातुएं अम्लों में से हाइड्रोजन गैस को पुनः स्थापित नहीं करती हैं|

अधातुएं ऋणात्मक आवेश की प्रकृति की होती है|

अधातुएं क्लोरीन से संयोग कर क्लोराइड बनाती हैं, परंतु वे सहसंयोजक होते हैं|

अधातुएं हाइड्रोजन के साथ अनेक स्थायी हाइड्राइड बनाती हैं जो सहसंयोजक होते हैं|

अधातुएं आक्सीकारक हैं|

अधातुएं जलीय विलयन में ऋणात्मक बनाती हैं|






8. वैद्युत अपघटन विधि से धातु का शोधन किस प्रकार किया जाता है? 

उत्तर:-

इस विधि द्वारा तांबा (कापर), जिंक, टिन, निकेल, सिल्वर, गोल्ड, ऐलुमिनियम आदि धातुओं को शुद्ध रूप में प्राप्त किया जाता है| इसमें अशुद्ध धातु को ऐनोड एवं शुद्ध धातु की प्लेट को कैथोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| धातु के एक लवण का विलयन वैद्युत अपघट्य का कार्य करता है| विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ऐनोड से शुद्ध धातु निकलकर विलयन में आती है और विलयन में से उतनी ही शुद्ध धातु कैथोड पर एकत्रित हो जाती है| विलेय अपद्रव्य विलयन में चले जाते हैं, जबकि अविलेय अपद्रव्य ऐनोड के नीचे पेंदी में एकत्र हो जाते हैं ऐनोड मड कहलाते हैं|





9. वैसे किन्हीं तीन अधातुई आक्साइडों के नाम लिखें जो अम्लीय होते हैं, जल के साथ आक्साइडों की अभिक्रिया कैसे होती है? 

उत्तर:-

कार्बोनिक अम्ल(H2CO3), सल्फ्यूरस अम्ल (H2SO3), सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) ऐसे तीन अधातुई आक्साइड है जो अम्लीय होते हैं| अधातुएं आक्सीजन के साथ संयोग करके अम्लीय आक्साइड बनाती हैं| ये आक्साइड जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं|

C  +   O2    -------> CO2

                   कार्बन डाइऑक्साइड

H2O   +   CO2   ------> H2CO3 

                               कार्बोनिक अम्ल





10. अयस्कों के सांद्रण से क्या समझते हैं? सल्फाइड अयस्क का सांद्रण आप किस विधि द्वारा करेंगे? 

उत्तर:-


अयस्क का सांद्रण----

अयस्क में विद्यमान अपद्रव्यों को दूर करना अयस्क का सांद्रण कहलाता है| सल्फाइड अयस्क के सांद्रण के लिए फेन उत्प्लावन विधि का प्रयोग किया जा सकता है----




प्रयोग---

सल्फाइड अयस्क के भारी चूर्ण को जल से भरी टैंक में डालते हैं| इसके बाद जल में थोड़ा तेल डालकर वायु प्रवाह द्वारा जल को खूब आलोडित (हिलाया) किया जाता है, विलय अपद्रव्य जल में घुल जाते हैं और सल्फाइड अयस्क के हल्के कण फेन के साथ जल की सतह के ऊपर आ जाते हैं जिन्हें अलग कर लिया जाता है| फेन (झाग) को समाप्त करने के लिए उसमें थोड़ा अम्ल मिलाया जाता है| फिर सल्फाइड अयस्क को छानकर सुखा लेते हैं|





11. अयस्कों के निस्तापन एवं जारण से आप क्या समझते हैं? इनमें अंतर स्पष्ट करें|



उत्तर:-



अयस्कों का निस्तापन----

निस्तापन की प्रक्रिया में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में उसके द्रवणांक से कम ताप पर तीव्रता से गर्म किया जाता है|



उदाहरण---- 


(1) आक्साइड अयस्क को गर्म करने पर उसमें उपस्थित जलवाष्प एवं वाष्पशील अपद्रव्य बाहर निकल जाते हैं|

Al2O3•2H2O -----> Al2O3   +   2H2O


(2) कार्बोनेट अयस्क को गर्म करने पर वह धातु के आक्साइड में परिवर्तित हो जाता है|

CaCO3 ------> CaO  +   CO2

CaCO3 + MgCO3 ---->CaO + MgO + 2CO2

ZnCO3 --------> ZnO  +    CO2

कैलमीन अयस्क

CuCO3•Cu(OH) ----->2CuO  +  H2O +CO2




अयस्कों का जारण-----

जारण प्रक्रिया में सांद्रित अयस्क को पर्याप्त वायु की आपूर्ति में अयस्क के द्रवणांक से ताप पर तीव्रता से गर्म करते हैं| इससे उसमें विद्यमान आर्सेनिक तथा अन्य अपद्रव्य आक्सीकृत होकर वाष्प रूप में बाहर निकल जाते हैं तथा धातु आक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाती है|