1819 से 1826 तक मृदा का गवर्नर कौन था? - 1819 se 1826 tak mrda ka gavarnar kaun tha?

“1853 में जन्मे ये पश्चिमी भारत के पारसी थे। ये "इंडियन स्पेक्टेटर" तथा "वायस ऑफ इंडिया" के संपादक थे। ये एक समाज सुधारक थे और सम्मति आयु अधिनियम 1891 के पक्ष में प्रमुख संघर्षकर्ता थे।" किसके विषय में है?

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भारत के गवर्नर जनरल तथा वायसराय: भारत के गवर्नर जनरल (Governor General of India) भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज का प्रधान पद था। जिसपर सिर्फ अंग्रेजो का अधिकार था। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व कोई भी भारतीय इस पद पर नहीं बैठा। गवर्नर जनरल ऑफ द प्रेसीडेंसी ऑफ फोर्ट विलियम के शीर्षक के साथ इस कार्यालय को 1773 में सृजित किया गया था।

1858 ई. तक गवर्नर जनरल की नियुक्ति ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा की जाती थी, 1857 के विद्रोह के बाद इनकी नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाने लगी।

1947 में जब भारत और पाकिस्तान को आजादी मिली तब वायसराय की पदवी को हटा दिया गया, लेकिन दोनों नई रियासतों में गवर्नर-जनरल के कार्यालय को तब तक जारी रखा गया जब तक उन्होंने क्रमशः 1950 और 1956 में गणतंत्र संविधान को अपनाया।

Table of Contents

  • बंगाल के गवर्नर
    • लॉर्ड क्लाइव (Lord Clive)
  • बंगाल के गवर्नर-जनरल
    • वारेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings)
    • सर जॉन मैकफरसन (Sir John Macpherson)
    • लॉर्ड कॉर्नवालिस ( Lord Cornwallis or Charles Cornwallis)
    • सर जॉन शोर (Sir John Shore)
    • सर अलर्ड क्लार्क (Sir Alured Clarke)
    • लॉर्ड वेलेजली (Lord Wellesley)
    • लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)
    • सर जॉर्ज बारलो (Sir George Barlow)
    • लॉर्ड मिंटो (Lord Minto)
    • मार्क्विस हेस्टिंग्स (Marquess Of Hastings)
    • जॉन ऐडम्स (John Adam)
    • लॉर्ड एमहर्स्ट (Lord William Amherst)
    • विलियम बटरवर्थ बेले (William Butterworth Bayley)
    • लॉर्ड विलियम बैंटिक (Lord William Bentinck)
  • भारत के गवर्नर जनरल
    • लॉर्ड विलियम बैंटिक (Lord William Bentinck)
    • सर चार्ल्स मेटकॅाफ (Lord Metcalfe or Charles Metcalfe)
    • लॉर्ड ऑकलैंड (Lord Auckland)
    • लॉर्ड एलनबरो (Lord Ellenborough)
    • लॉर्ड हार्डिंग (Lord Hardinge)
    • लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)
    • लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)
  • भारत के वायसराय
    • लॉर्ड एल्गिन (Lord Elgin)
    • सर रॉबर्ट नेपियर (Sir Robert Napier)
    • सर विलियम डेनिसन (Sir William Denison)
    • सर जॉन लॉरेंस (Sir John Lawrence)
    • लॉर्ड मेयो Lord Mayo
    • सर जॉन स्ट्रेची (Sir John Strachey)
    • द लॉर्ड नेपियर (The Lord Napier)
    • लॉर्ड नार्थब्रुक (Lord Northbrook)
    • लॉर्ड लिटन (Lord Lytton)
    • लॉर्ड रिपन (Lord Ripon)
    • लॉर्ड डफरिन (Lord Dufferin)
    • लॉर्ड लैंसडाउन (Lord Lansdowne)
    • लॉर्ड एल्गिन (Lord Elgin)
    • लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon)
    • लॉर्ड मिन्टों द्वितीय (Lord Minto II)
    • लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (Lord Hardinge II)
    • लॉर्ड चेम्सफोर्ड (Lord Chelmsford)
    • लॉर्ड रीडिंग (Lord Reading)
    • लॉर्ड इरविन (Lord Irwin)
    • लॉर्ड विलिंगडन (Lord Willingdon)
    • लॉर्ड लिनलिथगो (Lord Linlithgow)
    • लॉर्ड वेवेल (Lord Wavell)
    • लॉर्ड माउंटबेटेन (Lord Mountbatten)
    • चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (Chakravarti Rajagopalachari)

बंगाल के गवर्नर

लॉर्ड क्लाइव (Lord Clive)

कार्य काल – 1757-1760 एवं 1765-1767

  • लॉर्ड क्लाइव ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा भारत में नियुक्त होने वाला प्रथम गवर्नर था।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया।
  • लॉर्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी शासन का जन्मदाता माना जाता है।

मुख्य घटना और कार्य

  • क्लाइव ने बंगाल में द्वैध शासन की व्यवस्था की, जिसके तहत राजस्व वसूलने, सैनिक संरक्षण एवं विदेशी मामले कम्पनी के अधीन थे, जबकि शासन चलाने की जिम्मेदारी नवाबों के हाथ में थी।
  • क्लाइव के बाद, द्वैध शासन के दौरान वेरेल्स्ट (1767-1769) और कार्टियर (1769-1772) बंगाल के गवर्नर रहे।
  • 1757 का प्लासी का युद्ध (Battle of Plassey) भी लॉर्ड क्लाइव के नेतृत्व में लड़ा गया।

बंगाल के गवर्नर-जनरल

वारेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings)

कार्यकाल – 20 अक्टूबर 1773 – 1 फ़रवरी 1785

मुख्य घटना और कार्य

  • 1773 ई. में रेग्युलेटिंग एक्ट के द्वारा वारेन हेस्टिंग्स को बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया, जिसने बंगाल में स्थापित द्वैध शासन प्रथा को समाप्त कर दिया एवं प्रत्येक जिले में फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की।
  • हेस्टिंग्स के समय में रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत 1774 में कलकत्ता में उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी।
  • हेस्टिंग्स ने बंगाली ब्राह्मण नन्द कुमार पर छूटा आरोप लगा कर न्यायालय से फाँसी की सजा दिलवाई।
  • प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध वारेन हेस्टिंग्स के समय में ही लड़ा गया, प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775 – 1782 ई.) जो सलबाई की संधि (1782ई.) से समाप्त हुआ एवं द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1780-1784 ई.) जो मंगलौर की संधि (1784ई.) के द्वारा समाप्त हुआ।
  • हेस्टिंग्स के समय में 1784 ई. को एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल (Asiatic Society of Bangal) की स्थापना हुई।
  • हेस्टिंग्स के समय में ही बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू (Board of Revenue) की स्थापना हुई।
  • हेस्टिंग्स ने 1781 ई. में कलकत्ता में प्रथम मदरसा की स्थापना की।
  • हेस्टिंग्स के समय में 1782 ई. को जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की।
  • वारेन हेस्टिंग्स के समय में ही पिट्स इंडिया एक्ट (Pitt’s India Act) पारित हुआ, जिसके द्वारा बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल की स्थापना हुई|
  • पिट्स एक्ट के विरोध में इस्तीफ़ा देकर जब वारेन हेस्टिग्स फ़रवरी, 1785 ई. में इंग्लैण्ड पहुँचा, तो बर्क द्वारा उसके ऊपर महाभियोग लगाया गया। ब्रिटिश पार्लियामेंट में यह महाभियोग 1788 ई. से 1795 ई. तक चला, परन्तु अन्त में उसे आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

सर जॉन मैकफरसन (Sir John Macpherson)

कार्यकाल – 1 फ़रवरी 1785 – 12 सितंबर 1786

  • इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।

लॉर्ड कॉर्नवालिस ( Lord Cornwallis or Charles Cornwallis)

कार्यकाल – 12 सितंबर 1786 – 28 अक्टूबर 1793

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड कॉर्नवॉलिस को भारत में सिविल सेवा एवं पुलिस व्यवस्था का जनक माना जाता है।
  • इसके समय में जिले के समस्त अधिकार जिला कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए।
  • कार्नवालिस के समय में 1790 से 1792 ई. में तृतीय आंग्ल-मैसूर (Anglo-Mysore War) युद्ध हुआ।
  • 1793 में कार्नवालिस ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भूमि कर से सम्बंधित स्थाई बंदोबस्त पद्धति (Permanent Settlement) लागू की, जिसके तहत जमींदारो को अब भूराजस्व का लगभग 90% कंपनी को तथा लगभग 10% अपने पास रखना था।
  • कॉर्नवॉलिस ने जिले में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया।

सर जॉन शोर (Sir John Shore)

कार्यकाल – 28 अक्टूबर 1793 – 18 मार्च 1798

मुख्य घटना और कार्य

  • अहस्तक्षेप नीति एवं खारदा का युद्ध सर जॉन शोर के काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
  • खारदा का युद्ध 1795 ई. में मराठों एवं निजाम के बीच लड़ा गया।

सर अलर्ड क्लार्क (Sir Alured Clarke)

कार्यकाल – 18 मार्च 1798 – 18 मई 1798

  • इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।

लॉर्ड वेलेजली (Lord Wellesley)

कार्यकाल – 18 मई 1798 – 30 जुलाई 1805

  • लॉर्ड वेलेज़ली जो अपने आप को बंगाल का शेर कहता था।

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि की पद्धति लागू की।
    • नोट- भारत में सहायक संधि का प्रयोग वेलेज़ली से पहले फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने किया था।
  • वेलेजली के समय में हैदराबाद, मैसूर, तंजौर, अवध, जोधपुर, जयपुर, बूंदी, भरतपुर और पेशावर ने सहायक संधि पर हस्ताक्षर किये।
  • वेलेज़ली ने 1800 ई. में नागरिक सेवा में भर्ती हुए युवकों को प्रशिक्षण देने के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
  • वेलेज़ली के काल में ही चौथा आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. में हुआ जिसमें टीपू सुल्तान मारा गया था।
  • इसके शासन काल में द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध 1803-1805 ई. में हुआ था।

लॉर्ड कार्नवालिस (Lord Cornwallis)

कार्यकाल – 30 जुलाई 1805 – 5 अक्टूबर 1805

मुख्य घटना और कार्य

  • 1805 ई. में लॉर्ड कॉर्नवॉलिस का दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ, परन्तु शीघ्र ही उनकी म्रत्यु हो गयी।

सर जॉर्ज बारलो (Sir George Barlow)

कार्यकाल – 10 अक्टूबर 1805 से 31 जुलाई 1807

मुख्य घटना और कार्य

  • 1805 ई. की राजपुरघाट की संधि एवं 1806 ई. का वेल्लोर में सिपाही विद्रोह इसके काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
  • राजपुरघाट की संधि 1805 ई. में धेलकार एवं सर जॉन बारलो के मध्य हुई थी।

लॉर्ड मिंटो (Lord Minto)

कार्यकाल – 31 जुलाई 1807 – 4 अक्टूबर 1813

मुख्य घटना और कार्य

  • अमृतसर की संधि एवं चार्टर एक्ट इसके काल की महत्वपूर्ण घटना थी।
  • अमृतसर की संधि 25 अप्रैल 1809 ई. में रणजीत सिंह एवं लॉर्ड मिन्टो के मध्य हुई जिसकी मध्यस्थता मेटकॉफ ने की थी।
  • 1813 का चार्टर एक्ट मिन्टो के काल में ही पास हुआ था।

मार्क्विस हेस्टिंग्स (Marquess Of Hastings)

कार्यकाल – 4 अक्टूबर 1813 – 9 जनवरी 1823

मुख्य घटना और कार्य

  • हेस्टिंग्स के कार्यकाल में 1814-1816 ई. को आंग्ल नेपाल युद्ध हुआ, इसमें नेपाल के अमरसिंह को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
  • मार्च 1816 ई. में हेस्टिंग्स एवं गोरखों के बीच संगोली की संधि के द्वारा आंग्ल-नेपाल युद्ध का अंत हुआ। इसी संधि के कारण वर्तमान में भारत और नेपाल के बीच कालापानी सीमा का विवाद चला रहा है।
  • संगौली की संधि के द्वारा काठमांडू में एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखना स्वीकार किया गया और इस संधि के द्वारा अंग्रेजों को शिमला, मसूरी, रानीखेत, एवं नैनीताल प्राप्त हुए।
  • हेस्टिंग्स के ही कार्यकाल में तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-1818 ई.) हुआ, और 1818 में हेस्टिंग्स ने पेशवा का पद समाप्त कर दिया।
  • 1817-1818 ई. में ही इसने पिंडारियों का दमन किया, जिसके नेता चीतू, वासिल मोहम्मद तथा करीम खां थे।
  • हेस्टिंग्स ने 1799 में प्रेस पर लगाये गए प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया।
  • इसी के समय में 1822 ई. को टैनेन्सी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम लागू हुआ।

जॉन ऐडम्स (John Adam)

कार्यकाल – 9 जनवरी 1823 – 1 अगस्त 1823

  • इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।

लॉर्ड एमहर्स्ट (Lord William Amherst)

कार्यकाल – 1 अगस्त 1823 – 13 मार्च 1828

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड एमहसर्ट के काल में 1824-1826 ई. को प्रथम आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया था।
  • 1825 ई. में ब्रिटिश सेना के सैनिक कमाण्डर ने बर्मा सेना को परास्त कर 1826 ई. में ‘याण्डबू की सन्धि’ की।
  • 1824 ई. का बैरकपुर का सैन्य विद्रोह भी लॉर्ड एमहर्स्ट के समय में ही हुआ था।

विलियम बटरवर्थ बेले (William Butterworth Bayley)

कार्यकाल – 13 मार्च 1828 – 4 जुलाई 1828

  • इन्हें अस्थायी गवर्नर जनरल नियुक्त किया था।

लॉर्ड विलियम बैंटिक (Lord William Bentinck)

कार्यकाल – 4 जुलाई 1828 – 1833

  • लॉर्ड विलियम बैंटिक 1803 ई. में मद्रास के गवर्नर की हैसियत से भारत आया।
  • 1833 ई. के चार्टर-एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर को भारत का गवर्नर-जनरल बना दिया गया।
  • लॉर्ड विलियम बैंटिक 1828-1833 तक बंगाल के गवर्नर एवं 1835 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा, जिसे ‘विलियम कैवेंडिश बैटिंग’ के नाम से भी जाना जाता है।

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड विलियम बैंटिक के शासन काल में कोई युद्ध नहीं हुआ, एवं इसका शासन काल शांति का काल रहा था।
  • लॉर्ड विलियम बैंटिक ने 1829 में राजा राममोहन राय की सहायता से ‘सती प्रथा‘ पर प्रतिबन्ध लगा दिया, इसके बाद उसने शिशु-वध पर भी प्रतिबन्ध लगाया।
  • बैंटिक के कार्यकाल में देवी-देवताओं को नर बलि देने की प्रथा का भी अंत कर दिया गया।

 

भारत के गवर्नर जनरल

लॉर्ड विलियम बैंटिक (Lord William Bentinck)

कार्यकाल – 1833 – 20 मार्च 1835

  • 1833 ई. में लॉर्ड विलियम बैंटिक भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल बने।

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड विलियम बैंटिक भारत में किये गए सामाजिक सुधारों के लिए विख्यात है।
  • बैंटिक ने कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स की इच्छाओं के अनुसार भारतीय रियासतों के प्रति तटस्थता की नीति अपनायी।
  • इसने ठगों के आतंक से निपटने के लिए कर्नल स्लीमैन को नियुक्त किया।
  • बैंटिक के कार्यकाल में अपनायी गयी मैकाले की शिक्षा पद्धति ने भारत के बौद्धिक जीवन को उल्लेखनीय ढंग से प्रभावित किया, इस प्रकार लॉर्ड विलियम बैंटिक का भारत के शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान।

सर चार्ल्स मेटकॅाफ (Lord Metcalfe or Charles Metcalfe)

कार्यकाल – 20 मार्च 1835 – 4 मार्च 1836

मुख्य घटना और कार्य

  • चार्ल्स मेटकॅाफ में भारत में समाचार पत्रों पर लगे प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया, इस कारण इसे प्रेस का मुक्तिदाता भी कहा जाता है

लॉर्ड ऑकलैंड (Lord Auckland)

कार्यकाल – 20 मार्च 1836 – 4 मार्च 1842

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड ऑकलैंड के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (first Anglo-Afghan, 1838-1842 ई.) हुआ।
  • 1839 ई. में ऑकलैंड ने कलकत्ता से दिल्ली तक ग्रैंड ट्रक रोड की मरम्मत करवाई।
  • ऑकलैंड के समय में भारतीय विद्यार्थियों को डॉक्टरी की शिक्षा हेतु विदेश जाने की अनुमति मिली।
  • आकलैण्ड के कार्यकाल में बम्बई और मद्रास मेडिकल कालेजों की स्थापना की गयी|

लॉर्ड एलनबरो (Lord Ellenborough)

कार्यकाल – 28 फ़रवरी 1842 – जून 1844

मुख्य घटना और कार्य

  • एलनबरो के समय में प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध समाप्त हुआ।
  • 1843 में एलनबरो ने चार्ल्स नेपियर को असैनिक एवं सैनिक शक्तियों के साथ सिन्ध भेजा। नेपियर ने अगस्त, 1843 में सिन्ध को पूर्ण रूप से ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
  • 1843 के एक्ट – V के द्वारा दास-प्रथा का उन्मूलन भी एलनबरो के समय में हुआ।

लॉर्ड हार्डिंग (Lord Hardinge)

कार्यकाल – 23 जुलाई 1844 – 12 जनवरी 1848

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड हार्डिंग के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध (1845-1846 ई.) हुआ। जो लाहौर की सन्धि के द्वारा समाप्त हुआ।
    लॉर्ड हार्डिंग ने नरबलि-प्रथा पर प्रतिबंध लगाया।

लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie)

कार्यकाल – 12 जनवरी 1848 – 28 फ़रवरी 1856

  • लॉर्ड डलहौज़ी, जिसे ‘अर्ल ऑफ़ डलहौज़ी’ भी कहा जाता था।
  • लॉर्ड डलहौजी एक कट्टर उपयोगितावादी एवं साम्राज्यवादी था, लेकिन डलहौजी को उसके सुधारों के लिए भी जाना जाता है।

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड डलहोजी के समय में द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-49 ई.) तथा 1849 ई. में पंजाब का ब्रिटिश शासन में विलय और सिक्ख राज्य का प्रसिद्ध हिरा कोहिनूर महारानी विक्टोरिया को भेज दिया गया।
  • डलहौजी के कार्यकाल में 1851-1852 में द्वितीय आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया और 1852 में बर्मा के लोअर बर्मा एवं पिगु राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
  • डलहौजी के कार्यकाल में ही भारत में रेलवे और संचार प्रणाली का विकास हुआ।
  • इसके कार्यकाल में भारत में दार्जिलिंग को सम्मिलित कर लिया गया।
  • लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में वुड का निर्देश पत्र (Wood’s dispatch) आया, जिसे भारत में शिक्षा सुधारों के लिए ‘मैग्नाकार्टा’ कहा जाता है।
  • इसने 1852 ई. में एक इनाम कमीशन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भूमि कर रहित जागीरों का पता कर उन्हें छिनना था।
  • इसने 1854 में नया डाकघर अधिनियम (Post Office Act) पारित किया, जिसके द्वारा भारत में पहली बार डाक टिकटों का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
  • 1856 ई. में अवध को कुशासन का आरोप लगाकर अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।
  • 1856 ई. में तोपखाने के मुख्यालय को कलकत्ता से मेरठ स्थानांतरित किया, और सेना का मुख्यालय शिमला में स्थापित किया।
  • डलहौजी के समय में भारतीय बंदरगाहों का विकास करके, इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य के लिये खोल दिया गया|
  • लॉर्ड डलहौजी के समय में ही हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम भी पारित हुआ।
  • इसने शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया।
  • डलहोजी ने नर-बलि प्रथा को रोकने का प्रयास भी किया।

लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)

कार्यकाल – 128 फ़रवरी 1856 – 1 नवम्बर 1858

  • लॉर्ड कैनिंग भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था।

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना 1857 का विद्रोह था। 1857 के विद्रोह के पश्चात् बहादुर शाह को रंगून निर्वासित कर दिया गया।

भारत के वायसराय

लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning)

कार्यकाल – 1 नवम्बर 1858 – 21 मार्च 1862

  • 1858 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम द्वारा इसे भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया।

मुख्य घटना और कार्य

  • कैनिंग के कार्यकाल में IPC, CPC तथा CrPC जैसी दण्डविधियों को पारित किया गया।
  • कैनिंग के समय में ही लंदन विश्वविद्यालय की तर्ज पर 1857 में कलकत्ता, मद्रास, और बम्बई विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।
  • 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम कैनिंग के समय में ही पारित हुआ।
  • कैनिंग के कार्यकाल में ही भारतीय इतिहास का प्रसिद्ध नील विद्रोह भी हुआ।
  • 1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम कैनिंग के समय में ही पारित हुआ।
  • इसके समय में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 ई. में स्वतन्त्र रूप से लागू हुआ।

लॉर्ड एल्गिन (Lord Elgin)

कार्यकाल – 21 मार्च 1862 – 20 नवम्बर 1863

मुख्य घटना और कार्य

  • इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी- ‘वहाबी आंदोलन’ का सफलतापूर्वक दमन।
  • लॉर्ड एल्गिन की 1863 ई. में धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में मृत्यु हो गई।

सर रॉबर्ट नेपियर (Sir Robert Napier)

कार्यकाल – 21 नवम्बर 1863 – 2 दिसम्बर 1863

  • सर रॉबर्ट नेपियर को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।

सर विलियम डेनिसन (Sir William Denison)

कार्यकाल – 2 दिसम्बर 1863 – 12 जनवरी 1864

  • सर विलियम डेनिसन को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।

सर जॉन लॉरेंस (Sir John Lawrence)

कार्यकाल – 12 जनवरी 1864 – 12 जनवरी 1869

मुख्य घटना और कार्य

  • जॉन लॉरेंस ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप न करने की नीति का पालन किया, इसके कार्यकाल में यूरोप के साथ संचार व्यवस्था (1869-1870) कायम की गयी।
  • जॉन लॉरेंस के ही कार्यकाल में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में उच्च न्यायालयों की स्थापना की गयी।
  • इसके कार्यकाल में पंजाब में काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया।

लॉर्ड मेयो Lord Mayo

कार्यकाल – 12 जनवरी 1869 – 8 फ़रवरी 1872

मुख्य घटना और कार्य

  • लॉर्ड मेयो के कार्यकाल में भारतीय सांख्यिकीय बोर्ड का गठन किया गया।
  • भारत में अंग्रेजों के समय में प्रथम जनगणना 1872 ई. में लॉर्ड मेयो के समय में हुई थी।
  • मेयो के काल में 1872 ई. में अजमेर, राजस्थान में मेयो कॉलेज की स्थापना की गई।
  • 1872 ई. में कृषि विभाग की स्थापना भी मेयो के काल में हुई थी।
  • लॉर्ड मेयो की एक अफगान ने 1872 ई. में चाकू मार कर हत्या कर दी।

सर जॉन स्ट्रेची (Sir John Strachey)

कार्यकाल – 9 फ़रवरी 1872 – 23 फ़रवरी 1872

  • सर जॉन स्ट्रेची को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।

द लॉर्ड नेपियर (The Lord Napier)

कार्यकाल – 24 फ़रवरी 1872 – 3 मई 1872

  • द लॉर्ड नेपियर को भारत के कार्यवाहक वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया था।

लॉर्ड नार्थब्रुक (Lord Northbrook)

कार्यकाल – 3 मई 1872 – 12 अप्रैल 1876

  • इसके समय में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा।

मुख्य घटना और कार्य

  • भारत में उसकी नीति “करों में कमी, अनावश्यक क़ानूनों को न बनाने तथा कृषि योग्य भूमि पर भार कम करने” की थी।

    1819 से 1826 तक बर्दाश्त का गवर्नर कौन था?

    Expert-Verified Answer. मुनरो को 1819 में मद्रास का गवर्नर नियुक्त किया गया और 1826 तक इस पद पर रहे।

    1813 में भारत के गवर्नर जनरल कौन थे?

    सही उत्तर लॉर्ड मिंटो प्रथम है। लॉर्ड मिंटो प्रथम, बंगाल का गवर्नर-जनरल था जब 1813 का चार्टर अधिनियम पारित किया गया था

    भारत के प्रथम गवर्नर कौन थे?

    भारत का पहला गवर्नर जनरल विलियम बैंटिक थे। 31 दिसंबर, 1600 की ईस्ट इंडिया कंपनी ने रानी एलिज़ाबेथ से एक रॉयल चार्टर प्राप्त हुआ जिसके बाद भारतवर्ष में एक व्यापारिक इकाई के रूप में ब्रिटिश शासन शुरू हो गया। इसके करीब 300 वर्ष पश्चात् देखते ही देखते वह एक व्यापारिक शक्ति से सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति तब्दील हो गया।

    भारत का प्रथम गवर्नर जनरल और वायसराय कौन था?

    लॉर्ड माउंटबेटन (1947-48) स्वतंत्र भारत के अंतिम वायसराय और पहले गवर्नर जनरल थे। Download the app to view unlimited solutions on app. Q.