विश्व के इतिहास में प्रथम विश्व युद्ध (28 जुलाई 1914 ई. से 11 नवंबर 1918 ई.) के मध्य संसार के तीन महाद्वीप यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच जल, थल और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध (World War) का नाम दिया गया। Show
प्रथम विश्वयुद्ध 4 वर्ष (लगभग 52 महीने) तक चला था। लगभग आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अनुमानतः एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मारे गए। विश्व युद्ध खत्म होते-होते चार बड़े देश रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और उस्मानिया (Ottoman Empire) ढह गए। यूरोप महाद्वीप की सीमाएं फिर से निर्धारित हुईं और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'सुपर पावर' बन कर उभरा। प्रथम विश्व युद्ध क्यों हुआ था।प्रथम विश्व युद्ध, जिसे महान युद्ध और प्रथम विश्व युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, एक घातक वैश्विक संघर्ष (global conflict) था जिसकी उत्पत्ति यूरोप में हुई थी। यह 1914 से शुरू हुआ और 1918 तक चला, प्रथम विश्व युद्ध में लगभग नौ मिलियन लड़ाकू मौतें और 13 मिलियन नागरिक मौतें संघर्ष के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में हुईं। 19 वीं शताब्दी के अंत में, यूरोपीय राष्ट्रों के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता (competition) सभी बहुत स्पष्ट हो गई। जर्मनी, 1871 में अपने एकीकरण पर, एक औद्योगिक शक्ति बन रहा था और यूरोप के अन्य राष्ट्रों, विशेष रूप से फ्रांस और ब्रिटेन, को इससे खतरा महसूस हुआ। इस समय के आसपास ओटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) ने बाल्कन क्षेत्र में नए देशों को जन्म दिया। उनमें से एक, सर्बिया, ऑस्ट्रिया और हंगरी के साम्राज्य की कीमत पर भूमि और शक्ति प्राप्त कर रहा था। इस खतरे का मुकाबला करने के लिए, भविष्य के किसी भी व्यक्ति के साथ, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य(Austria-Hungary Empire) ने एक दूसरे का बचाव करने के लिए जर्मनी और इटली के साथ गठबंधन किया। जवाब में, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने इसी उद्देश्य के लिए ट्रिपल एंटेंट (The Triple Entente) का गठन किया। 1900 के दौरान ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने अपने नौसैनिक शस्त्रागार में बड़े और बेहतर युद्धपोतों को जोड़ा। यूरोप के बाकी हिस्सों ने भी शूट किया। 1914 तक, अधिकांश यूरोपीय देशों ने अपनी सेनाओं को युद्ध के लिए तैयार कर लिया था। इसे प्रज्वलित करने के लिए सभी की आवश्यकता एक चिंगारी थी। यह चिंगारी तब सामने आई जब 28 जून, 1914 को बोस्निया (Bosnia) के सार्जेवो (Sarajevo) में आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड (Archduke Franz Ferdinand) की हत्या कर दी गई। प्रथम विश्व युद्ध के कारण:युरोपीय शक्ति का संतुलन का बिगड़ना:
गुप्त संधियो का प्रचलन:
जर्मनी और फ्रांस का संघर्ष:
साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा:
सेन्यवाद और शस्त्रीकरण पर जोर:
उग्र राष्ट्रवाद:
सामाचार पत्र एव प्रचार सधनो द्वारा विसेली प्रचार:
तत्कालीन कारण:
पेरिस शांति सम्मेलन:प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस में विजयी देशों का जो सम्मेलन हुआ उसे पेरिस शांति सम्मेलन कहते हैं। इसमें पराजित देशों पर लागू की जाने वाली 'शांति की शर्तों' का निर्माण हुआ। यह सम्मेलन 1919 में पेरिस में हुआ था जिसमें विश्व के 32 देशों के राजनयिकों ने भाग लिया। इसमें लिये गये मुख्य निर्णय थे- लीग ऑफ नेशन्स का निर्माण तथा पराजित देशों के साथ पाँच शान्ति-संधियाँ। वर्साय की सन्धि: यह संधि मित्र राष्ट्रों एवं जर्मनी के बीच में हुई थी। जिनमें फ्रान्स, अमेरिका, रूस आदि देश सम्मिलित थे। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी ने 28 जून 1919 के दिन वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर किये। इसकी वजह से जर्मनी को अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा, दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबन्दी लगा दी गयी, उनकी सेना का आकार सीमित कर दिया गया और भारी क्षतिपूर्ति थोप दी गयी। वर्साय की सन्धि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस कारण एडोल्फ हिटलर और अन्य जर्मन लोग इसे अपमानजनक मानते थे और इस तरह से यह सन्धि द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों में से एक थी। सेंट-जर्मैन-एन-लाए की संधि: सेंट-जर्मैन-एन-लाए की संधि 10 सितम्बर 1919 को हुई थी इसके साथ मांटिनिग्रो को मिलाकर युगों स्लोवाकिया का निर्माण किया गया. पोलैंड का पुनर्गठन हुआ. ऑस्ट्रिया का कुछ क्षेत्र इटली को भी दिया गया। जिसमें बोस्निया एवं हर्जेगोविना प्रदेश छीनकर सर्बिया को दिये गए। कुछ क्षेत्रों को अलग कर चेकोस्लोवाकिया राज्य की स्थापना की गई। आस्ट्रिया पर जर्मनी के साथ किसी भी प्रकार के राजनैतिक सम्बन्धों पर रोक लगाई गई। निऊली की संधि: 27 नवम्बर 1919 को बुल्गारिया के कुछ क्षेत्र यूनान, युगोस्लाविया और रोमानिया को दे दिया। ट्रियानान की संधि: 4 जून 1920 में स्लोवाकिया तथा रुथेनिया, चेकोस्लोवाकिया को दिया गया। युगोस्लाविया तथा रोमानिया को भी अनेक क्षेत्र दिए गए। इन संधियों के परिणामस्वरुप ऑस्ट्रिया हंगरी की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति अत्यंत दुर्बल हो गई। सेव्रेस की संधि: प्रथम महायुद्ध में तुर्की जर्मनी की और से लड़ा था और पराजित होने के बाद उसे मित्र राष्ट्रों से संधि करनी पड़ी जिसे सेव्रेस की संधि कहा जाता है यह संधि 10 अगस्त 1920 को हुई थीमिस्त्र, सूडान, फिलिस्तीन, मोरक्को, अरब, सीरिया, इरान आदि क्षेत्र तुर्की से अलग किए गए। सीरिया पर फ्रांस एवं फिलिस्तीन एवं इरान जैसे क्षेत्र पर ब्रिटेन का नियंत्रण हुआ। रपालो की संधि: रपालो की संधि 16 अप्रैल 1922 को जर्मनी और रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणराज्य के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अंतरगत प्रथम विश्व युद्ध के शत्रु रूस और जर्मनी इटली के शहर रपालो में तय किया था कि वे उन क्षेत्रीय और वित्तीय दावों को छोड़ देंगे जो 1918 में ब्रेस्ट-लिटोव्सक के शांति समझौते (Peace Treaty of Brest-Litovsk) के अंतरगत उन्हें प्राप्त हुए थे। लुसाने की संधि: लुसाने की संधि (The Treaty of Lausanne) स्विट्जरलैण्ड के लुसाने नगर में 26 जुलाई 1923 को किया गया एक शान्ति समझौता था। इसके परिणामस्वरूप तुर्की, ब्रिटिश साम्राज्य, फ्रेंच गणराज्य, इटली राजतंत्र, जापान साम्राज्य, ग्रीस राजतंत्र, रोमानिया राजतंत्र तथा सर्व-क्रोट-स्लोवीन राज्य के बीच प्रथम विश्वयुद्ध के आरम्भ के समय से चला आ रहा युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। यह सेव्रेस की संधि के टूट जाने के बाद शान्ति की दिशा में किया गया दूसरा प्रयास था। [ad336] प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े महवपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:
प्रथम विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान की घटनाएँ इन्हें भी पढे: भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध कब और किसके बीच हुए बाल्कन क्षेत्र को यूरोप में बारूद का ढेर क्यों कहा जाता है?ब्रिटेन के अलावा ग्रीस, फ्रांस, हांगकांग, जर्मनी आदि देशों से भी समय-समय पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए बम मिलना इशारा करता है कि पूरा यूरोप अभी भी बारूद के ढेर पर बैठा है। 1939 से 1945 तक चले इस युद्ध में लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल थीं।
यूरोप का कौन सा क्षेत्र बाल्कन के रूप में जाना जाता है?Answer: बाल्कन या बाल्कन प्रायद्वीप दक्षिण-पूर्वी यूरोप का एक क्षेत्र है जो भौगोलिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से अपना अलग पहचान बना चुका है। इसका कुल क्षेत्रफल 5,50,000 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या लगभग साढ़े 5 करोड़ है। इसे बाल्कन प्रायद्वीप भी कहा जाता है जिसका कारण इसकी भौगोलिक स्थिति है।
बाल्कन क्षेत्र के निवासियों को क्या कहा जाता है?इस क्षेत्र के निवासियों को प्रायः स्लाव कहकर पुकारा जाता था। बाल्कन क्षेत्र का अधिकतर हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य का भागा था। इस क्षेत्र में अग्रलिखित कारणों से पनपा - <br> (i) बाल्कन क्षेत्र का बड़ा भाग लम्बे समय तक ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था।
बाल्कन क्षेत्र में कौन कौन से देश आते हैं?इस प्रकार संपूर्ण अल्बानिया, यूनान, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया और रोमानिया के कुछ भाग को बॉल्कन प्रायद्वीप कहा जाता है। इन छह देशों को 'बॉल्कन स्टेट' भी कहा जाता है।
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