खून बढ़ाने के लिए : एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी, यह छोटे-बड़े हर उम्र के लोगों को हो सकता है लेकिन प्रैग्नेंट महिला और बच्चों में खून की कमी ज्यादा देखने को मिलती है। खून का कार्य शरीर के सभी भाग को भोजन और ऑक्सीजन पहुंचाना है। अगर खून में कमी आ जाए तो शरीर की गतिविधियों पर काफी असर पड़ता है। खून को लाल रंग हीमोग्लोबिन नामक पदार्थ से प्राप्त होता है, जब इन लाल कोशिकाओं में कमी आ जाती है तो एनीमिया की समस्या आती है। Show
बच्चों में एनीमिया का कारण बच्चों में खून की कमी होने का सबसे बड़ा कारण उसके शरीर में आयरन यानि कि लौह तत्वों की कमी होना। इसके अलावा उन बच्चों में खून की कमी देखने को मिलती है जो समय से पहले जन्म लेते है। बच्चों में एनीमिया के लक्षण नीली और सिकुड़ी हुई आंखें, कमजोर नाखून, भूख में कमी, थकान, सिरदर्द, झुंझलाहट, पीली त्वचा और सांस लेने में दिक्कत अन्य आदि। इसी के साथ होंठों की भीतरी त्वचा, आंखों की भीतरी त्वचा, उसकी हथेलियों और नाखूनों का रंग सफेद या पीला दिखाई देने लगता है। हीमोग्लोबिन बढाने के घरेलु उपाय 1. टमाटर टमाटर बच्चे के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा तेजी से बढ़ाने का काम करता है। इसलिए बच्चों को रोज 5-7 टमाटर का रस या सूप बनाकर दें। 2. सेब सेब का रस निकालकर उसमें शहद मिला लें और बच्चे को पीने को दें। इस जूस में लौह तत्व अधिक मात्रा में होता है जो खून की कमी को पूरा कर देता है। 3. अनार अनार बच्चोें के लिए ही नहीं बल्कि बड़ों के लिए फायदेमंद है। इसलिए बच्चों के घर में अनार का जूस निकालकर पिलाएं। 4. मुनक्का मुनक्का शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा तेज़ी से बढ़ाता है। रात को पानी में मुनक्का भिगोकर रख दें। सुबह इसका पानी को बच्चों पीने के लिए दें। 5. चुकंदर चुकंदर में आयरन की मात्रा अधिक होती है। यह शरीर में लाल रक्त कणों की सक्रियता को बढ़ाता और खून की कमी पूरा करता है। बच्चे को जूस या इसकी प्यूरी बनाकर खिलाएं। बच्चों में न्यूट्रिशयन, फोलिक एसिड, आयरन और विटामिन 12 एन्जाइम की कमी है। उनमें हीमोग्लोबिन पांच ग्राम से कम नहीं होना चाहिए। जो बच्चे थैलेसिमिया से ग्रसित हैं। उनका हीमोग्लोबिन दस और कार्डियक पल्मोनरी डिजीज में 12 ग्राम जरूरी है। विशेष रूप से आईसीयू में एडमिट है। कई बार ब्लड चढ़ाने के बाद भी बच्चे का हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ पाता है। ऐसा 42 दिन से पुराना ब्लड चढ़ाने की वजह से भी हो सकता है। पुराना ब्लड चढ़ाने से इम्युनिटी कम हो सकती है। वहीं, हीमोग्लोबिन मैनेज नहीं होने के कारण एनीमिया का खतरा बढ़ सकता है। ब्रेन तक मलेरिया पहुंचने और डीआईसी डवलप होने पर भी ब्लड चढ़ाया जाता है।बच्चे में ब्लड कब चढ़ाएं किन-किन बीमारियों में चढाते हैं ब्लड ताकत के लिए नहीं चढ़वाएं ब्लड -डॉ. रामबाबू शर्मा पीडियाट्रिशियन, जेकेलोन हॉस्पिटल, जयपुर इसमें कोई दो राय नहीं कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस कारण उन्हें सर्दी, जुकाम, बुखार आदि जल्दी हो जाता है। साथ ही कुछ ऐसी समस्याएं भी होती हैं, जो गंभीर रूप ले लेती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक एनीमिया है। अगर समय रहते इस बीमारी के प्रति कोई उचित कदम न उठाया जाए, तो भविष्य में उसके कई घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। विषय की इसी गंभीरता को देखते हुए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चे में एनीमिया के कारण, लक्षण और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचने के उपाय भी बताएंगे। आइए, सबसे पहले हम यह जान लें कि एनीमिया क्या है। इसके बाद हम इस समस्या से जुड़े अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे। बच्चों में एनीमिया क्या है? | Bachon Mein Anemiaआम भाषा में कहें तो एनीमिया का अर्थ है शरीर में खून की कमी। वहीं, वैज्ञानिक भाषा में खून में मौजूद रेड ब्लड सेल्स की कमी या उनके बनने की प्रक्रिया की गति धीमी होने की स्थिति को एनीमिया कहा जाता है। रेड ब्लड सेल्स शरीर के सभी टिश्यू तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से आयरन की कमी के कारण होती है। दरअसल, मानव शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में एक आयरन ही है, जिसे रेड ब्लड सेल्स के निर्माण का मुख्य स्रोत माना जाता है। यही कारण है कि बच्चों में आयरन की कमी के चलते एनीमिया की शिकायत देखी जाती है (1)। हालांकि, एनीमिया होने के कई अन्य कारण भी हैं, जिनके बारे में हम लेख में आगे चलकर विस्तार से बताएंगे। एनीमिया क्या है, यह जानने के बाद अब हम बच्चों में एनीमिया के प्रकार पर भी नजर डाल लेते हैं। बच्चों में एनीमिया के प्रकार?बच्चों में एनीमिया के मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं (2)।
एनीमिया के प्रकार जानने के बाद आइए अब हम बच्चों में एनीमिया होने के कारण भी जान लेते हैं। बच्चों में एनीमिया होने के कारणबच्चों में एनीमिया होने के कारण कुछ इस प्रकार हैं (1) (2)।
बच्चों में एनीमिया होने के कारणों को जानने के बाद आइए अब हम इसके लक्षणों पर भी गौर कर लेते हैं। बच्चों में एनीमिया के लक्षणबच्चों में एनीमिया होने की स्थिति में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं (1)।
लेख के अगले भाग में हम जानेंगे कि किन बच्चों को एनीमिया होने की आशंका अधिक होती है। किन बच्चों को एनीमिया होने का जोखिम अधिक है?कुछ विशेष स्थितियां हैं, जो बच्चों में एनीमिया होने की आशंका को बढ़ा देती हैं। आइए, उन स्थितियों के बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं।
लेख के अगले भाग में हम बच्चों में एनीमिया के निदान के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। बच्चों में एनीमिया का निदानबच्चों में एनीमिया के निदान के लिए मुख्य तौर पर कुछ विशेष खून की जांच की जाती हैं, जिनके माध्यम से शरीर में मौजूद आयरन की स्थिति का पता लगाया जाता है। एनीमिया की जांच के लिए निम्न प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं (1):
बच्चों में एनीमिया के निदान के बारे में जानने के बाद आइए अब हम इसके इलाज के बारे में भी चर्चा कर लेते हैं। बच्चों में खून की कमी का इलाज | Bachon Mein Khoon Ki Kami Ka Ilajनिम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम बच्चों में एनीमिया के इलाज की प्रक्रिया को समझ सकते हैं (1) (9)।
लेख के अगले भाग में अब हम बच्चों में खून बढ़ाने के कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं। बच्चों में खून बढ़ाने के घरेलू उपायजैसा कि हम लेख में ऊपर बता चुके हैं कि दूध पीने वाले बच्चों को आयरन युक्त फॉर्मूला मिल्क देकर एनीमिया के जोखिमों को दूर रखा जा सकता है। वहीं, अगर बच्चा ठोस आहार लेने योग्य है, तो निम्न घरेलू उपायों की सहायता से उसे एनीमिया के खतरे से बचाया जा सकता है।
बच्चों में खून बढ़ाने वाले घरेलू उपाय जानने के बाद अब हम एनीमिया के दीर्घकालिक परिणामों को भी जान लेते हैं। एनीमिया के दीर्घकालिक प्रभावएनीमिया का सही समय पर इलाज न करने की स्थिति में बच्चों में निम्न जटिलताएं देखने को मिल सकती हैं, जो लेड की अधिकता का परिणाम हो सकती हैं (1) (18)।
एनीमिया की जटिलताओं को जानने के बाद अब हम इससे बचाव के कुछ आसान उपाय बताने जा रहे हैं। बच्चों में एनीमिया को होने से कैसे रोकें?एनीमिया से बचाव के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना जरूरी है (9)।
एनीमिया ऐसी समस्या नहीं है, जो ठीक न हो सके। जरूरत है, तो बस शिशु के जन्म के बाद उसका अच्छी तरह से ध्यान रखना, समय-समय पर चेकअप करवाना, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करवाना और 6 माह के बाद पोषक तत्व युक्त ठोस खाद्य पदार्थों को उसकी डाइट में शामिल करना। हां, अगर फिर भी बच्चे में आयरन की कमी होती है, तो डॉक्टर से चेकअप जरूर करवाएं। साथ ही इस लेख में बताए गई जरूरी बातों को भी ध्यान में रखें। यह लेख आप अपने मित्रों व परिचितों के साथ भी शेयर करें, ताकि वो भी इस विषय के संबंध में जागरूक हो सकें। अगर आप इस विषय के संबंध में और कुछ जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। References:1.Anemia caused by low iron – infants and toddlers By Medlineplus
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