विद्यालय के प्रति आपकी क्या कर्तव्य? - vidyaalay ke prati aapakee kya kartavy?

विषयसूची

  • 1 विद्यालय के प्रति आपके क्या कर्तव्य है उत्तर?
  • 2 स्कूल के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी है?
  • 3 विद्यार्थी का कर्तव्य क्या है?
  • 4 विद्यार्थी के रूप में आप अपनी कर्तव्यपरायणता का परिचय कैसे दे सकते हैं?
  • 5 विद्यालय से आप क्या समझते हैं विद्यालय की प्रमुख विशेषताएं?
  • 6 विद्यार्थी का धर्म क्या है?

विद्यालय के प्रति आपके क्या कर्तव्य है उत्तर?

इसे सुनेंरोकेंअपने गुरुओं, शिक्षकों अथवा शिक्षिकाओं के प्रति विद्‌यार्थी का परम कर्तव्य है कि वह सभी का आदर करे तथा वे जो भी पाठ पढ़ाते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुने तथा आत्मसात् करे । वे जो भी कार्य करने के लिए कहते हैं उसे तुरंत ही पूर्ण करने की चेष्टा करे ।

स्कूल के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी है?

इसे सुनेंरोकेंविद्यालय विद्यार्थियों के लिए एक पूजनीय स्थान होता है और इसकी अहमियत किसी भी विद्यार्थी के जीवन में बहुत अधिक होती है। विद्यार्थियों के अपने विद्यालय के प्रति अनेकों कर्तव्य बनते हैं। अपने विद्यालय की साफ सफाई का ध्यान रखना और गन्दगी ना फैलाना, यह एक सबसे बड़ा कर्तव्य होता है किसी भी विद्यार्थी का।

देश के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है?

इसे सुनेंरोकेंराष्ट्र के प्रति व्यक्ति के विभिन्न कर्तव्य हैं जैसे कि आर्थिक विकास, विकास, स्वच्छता, सुशासन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, गरीबी को दूर करना, सभी सामाजिक मुद्दों को दूर करना, लैंगिक समानता लाना, सभी का सम्मान करना, मतदान करना, बाल श्रम को हटाना।

विद्यालय से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंविद्यालय वह स्थान है, जहाँ शिक्षा ग्रहण की जाती है। “विद्यालय एक ऐसी संस्था है, जहाँ बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक गुणों का विकास होता है। ‘ विद्यालय’ शब्द के लिए आंग्ल भाषा में ‘स्कूल’ शब्द का प्रयोग होता है, जिसकी उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘Skohla’ या ‘Skhole’ से हुई है, जिससे तात्पर्य है- ‘अवकाश’।

विद्यार्थी का कर्तव्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगुरुओं, शिक्षकों अथवा शिक्षिकाओं के प्रति विद्यार्थी का परम कर्तव्य है कि वह सभी का आदर करे तथा वह जो भी पाठ पढ़ाते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुनकर आत्मसात करे। वह जो भी कार्य करने के लिए कहते हैं उसे तुरंत ही पूर्ण करने की चेष्टा करें।

विद्यार्थी के रूप में आप अपनी कर्तव्यपरायणता का परिचय कैसे दे सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअपने विद्यालय की साफ सफाई का ध्यान रखना और गन्दगी ना फैलाना, यह एक सबसे बड़ा कर्तव्य होता है किसी भी विद्यार्थी का। जैसे एक पुजारी मन्दिर को साफ और स्वच्छ रखता है, वैसे ही विद्यार्थियों के लिए उसका विद्यालय भी एक मंदिर की तरह होता है और उसको साफ और स्वच्छ रखना उसके छात्रों का कर्तव्य।

विद्यार्थी का क्या कर्तव्य है?

इसे सुनेंरोकेंविद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपने राष्ट्र के प्रतीकों, राष्ट्रगान तथा संविधान का सम्मान करें। राष्ट्र की गरिमा को ठेस पहुंँचे, ऐसा कार्य कभी नहीं करना चाहिए। हमेशा राष्ट्र की हित की चिंता कर देश के लिए कुछ करना चाहिए। जिससे अपने देश का नाम रोशन हो सके।

तुम अपने देश की सेवा कैसे करोगे?

इसे सुनेंरोकेंआप छोटा परिवार रखकर देश की तरक्की मे योगदान दे सकते है। आप अपने आसपास सफाई रखकर देश को साफ रखने मे योगदान दे सकते है। खुले मे शौच न करके देश को बीमारी से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं। खाना बर्बाद न करके आप देश सेवा कर सकते हैं।

विद्यालय से आप क्या समझते हैं विद्यालय की प्रमुख विशेषताएं?

विद्यालय की विशेषताएं (Vidyalaya ki visheshta)

  • विद्यालय समाज द्वारा निर्मित संस्था है।
  • विद्यालय एक विशिष्ट वातावरण है जिसमें बालकों के वांछित विकास के लिए विशिष्ट गुणों, क्रियाओं तथा व्यवसायों की व्यवस्था की जाती है।
  • विद्यालय समाज का लघुरूप है जिसका उद्देश्य समाज द्वारा मान्य व्यवहार व कार्य की शिक्षा देना है।

विद्यार्थी का धर्म क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपढ़ाई करना, स्कूल का नाम रोशन करना, माता-पिता से ज्ञान लेना ही छात्र धर्म है।

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 विद्यार्थी का कर्त्तव्य

परिचय:

            विद्यार्थी उसे कहते हैं जो विद्या का अध्ययन करता है। अर्थात जो विद्या या ज्ञान को चाहता है उसे विद्यार्थी कहा जाता है। विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है। इस काल में विद्यार्थी जो भी सीखता है उसका असर सीधे-सीधे उसके व्यक्तित्व पर भी पड़ता है। माता-पिता एवं गुरु के द्वारा जो कुछ भी वह सीखता है उसे वह अपने दैनिक जीवन में उतारता है। छात्रों का जीवन बहुत अनमोल है। क्योंकि उनका जीवन सांसारिक सुख-दुखों तथा तनावों से मुक्त होता है। सांसारिक तनावों से मुक्त होने के बावजूद भी उसे अनेक दायित्व व कर्तव्य का पालन करना होता है। उन अहम दायित्व एवं कर्त्तव्य को हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझेंगे-

अनुशासन:

                विद्यार्थी में अनुशासन का होना अति आवश्यक है। बिना अनुशासन के एक अच्छा विद्यार्थी बन पाना असंभव है। इसलिए विद्यार्थीयों का कर्तव्य है कि वह अनुशासन के दायरे में रहकर कार्य करें। जो विद्यार्थी माता-पिता एवं शिक्षकों के मार्गदर्शन पर चलता है वह एक न एक दिन एक सफल इंसान जरूर बनता है।

बड़ों के प्रति सम्मान:

                विद्यार्थी का पहला कर्तव्य है कि वह अपने माता पिता और गुरु का सम्मान करें। माता पिता ने उनके लिए जो कष्ट एवं तकलीफें उठाई है उन पर ध्यान रखते हुए विद्यार्थी का कर्तव्य बनता है कि वे उनके दिशा-निर्देशों पर चले और पूरी लगन एवं परिश्रम से अध्ययन कर अपने माता-पिता का नाम रोशन करें।दूसरी ओर शिक्षकों के प्रति भी विशेष सम्मान का भाव रखना जरूरी है। शिक्षकों के द्वारा दिए गए कार्यों को सच्चे मन और निष्ठा के साथ संपूर्ण करना हर विद्यार्थी का कर्तव्य है। क्योंकि उनके द्वारा दिखाए गए मार्गदर्शन से ही विद्यार्थी आगे चलकर एक चरित्रवान इंसान बन पाता है।

 विद्यालय के प्रति दायित्व:

                   विद्यालय को स्वच्छ रखना और दूसरों को भी स्वच्छ रखने के लिए प्रेरित करना  विद्यार्थी का कर्तव्य होता है। छात्रों का यह दायित्व बनता है कि वह अपने विद्यालय को उन्नत बनाने में अपना सहयोग दें। विद्यार्थी अपने सहपाठियों के साथ मिलकर कक्षा तथा कक्षा के बाहरी परिवेश को सुंदर एवं स्वच्छ बनाए रखने में अपना योगदान देना चाहिए। 

अपने सहपाठियों के साथ मृदुल व्यवहार:

            विद्यार्थी जीवन में ही विद्यार्थी दोस्तों का चुनाव करता है। विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि वह अपने सहपाठियों के साथ प्यार से रहे, एक दूसरे की सहायता करें, आपस में ईर्षा, घृणा तथा कटूता जैसी भावना न रखें। अपने आप को बुरे संगत का शिकार मत बनने दें।

खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपना योगदान:

              विद्यार्थियों का कर्तव्य सिर्फ पुस्तकों का ज्ञान हासिल करना नहीं है। विद्यालयों में खेल-कूद, चित्रकारी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना भी जरूरी है। ऐसा करके वे अपने अंदर छिपी प्रतिभा को जान पाते हैं। तथा उसी प्रतिभा के बल पर खुद की पहचान बना सकते हैं। आज बच्चे खेल, संगीत तथा नित्य के बल पर काफी नाम कमा रहे हैं और अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रहे हैं।

राष्ट्र के प्रति दायित्व:

             विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपने राष्ट्र के प्रतीकों, राष्ट्रगान तथा संविधान का सम्मान करें। राष्ट्र की गरिमा को ठेस पहुंँचे, ऐसा कार्य कभी नहीं करना चाहिए। हमेशा राष्ट्र की हित की चिंता कर देश के लिए कुछ करना चाहिए। जिससे अपने देश का नाम रोशन हो सके।

उपसंहार:

         इस प्रकार विद्यार्थी को अपने जीवन में अनेक प्रकार के कर्तव्यों का निर्वाह करना पड़ता है। विद्यार्थियों को इस जीवन में बहुत सोच समझकर कदम उठाकर अनुशासन के दायरे में रहकर परिश्रम और लगनसील बनना है। तभी जाकर विद्यार्थियों का जीवन सफल बन सकता है।

Reetesh Kr. Das

M.A, B.ed

विद्यालय के प्रति आपके क्या कर्तव्य है?

अपने गुरुओं, शिक्षकों अथवा शिक्षिकाओं के प्रति विद्‌यार्थी का परम कर्तव्य है कि वह सभी का आदर करे तथा वे जो भी पाठ पढ़ाते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुने तथा आत्मसात् करे । वे जो भी कार्य करने के लिए कहते हैं उसे तुरंत ही पूर्ण करने की चेष्टा करे ।

विद्यालय के प्रति आपके क्या?

विद्यालय एक विद्या का मंदिर होता है जहाँ मनुष्य ज्ञान प्राप्त करता है। जिस तरह भक्तों के लिए मंदिर और पूजा स्थल पवित्र स्थान होता है उसी तरह से एक विद्यार्थी के लिए उसका विद्यालय एक पवित्र स्थल होता है।

विद्यार्थी के रूप में आप अपने कर्तव्य परायणता का परिचय कैसे दे सकते हैं?

अपने विद्यालय की साफ सफाई का ध्यान रखना और गन्दगी ना फैलाना, यह एक सबसे बड़ा कर्तव्य होता है किसी भी विद्यार्थी का। जैसे एक पुजारी मन्दिर को साफ और स्वच्छ रखता है, वैसे ही विद्यार्थियों के लिए उसका विद्यालय भी एक मंदिर की तरह होता है और उसको साफ और स्वच्छ रखना उसके छात्रों का कर्तव्य।

निबंध लिखिए :

विद्यार्थियों को चरित्र निर्माण की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्हें सादगी और सरलता से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें संन्यास ले लेना चाहिए, बल्कि शिक्षा को शिक्षा की तरह ग्रहण करना चाहिए। उन्हें मात्र किताबी कीड़ा न होकर सच्ची शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, जो उनके सर्वांगीण विकास में सहायक हो।