विश्व की पहली महिला टीचर का नाम क्या है? - vishv kee pahalee mahila teechar ka naam kya hai?

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सावित्रीबाई फुले को एकमात्र ऐसी महिला कहा जाता है, जिन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के सहयोग से न केवल दलितों और महिलाओं की शिक्षा के उत्थान के लिए प्रयास किए बल्कि सति-प्रथा, बाल-विवाह, अशिक्षा और विधवा विवाह जैसी परंपराओं के खिलाफ जमकर संघर्ष किया। आइए जानते हैं आज के इस आर्टिकल में उनसी जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में-

कौन थी सावित्रीबाई फुले? (Who was Savitribai Phule?)

सावित्रीबाई फुले का जन्म 1831 में महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था। सावित्रीबाई एक समाज सुधारक, शिक्षाविद और कवियत्री थी। उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है। उनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई का विवाह सन् 1840 में 9 वर्ष की आयु में एक्टिविस्ट और समाज-सुधारक ज्योतिराव फुले से कर दिया गया था। विवाह के बाद अपने पति की मदद से सावित्रीबाई फुले ने पढ़ना-लिखना सीखा। उस समय लड़कियों को पढ़ाना एक कट्टरपंथी विचार माना जाता था। जब वो स्कूल जाती थीं तो लोग अक्सर उन पर गोबर और पत्थर फेंकते थे लेकिन फिर भी उन्होंने पढ़ना नहीं छोड़ा। जिसके बाद दोनों ने मिलकर वर्ष 1848 में पुणे में भिडेवाड़ा नामक स्थान पर लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल खोला।

सावित्री बाई फुले का योगदान- (Contribution of Savitri Bai Phule)

सावित्रीबाई फुले के लिए महिलाओं की शिक्षा और अछूतों की वकालत करना आसान नहीं था क्योंकि महाराष्ट्र में बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में वर्ष 1881-1920 के मध्य एक राष्ट्रवादी विमर्श चल रहा था। जिसमें तिलक सहित कुछ राष्ट्रवादियों ने राष्ट्रीयता की क्षति का हवाला देते हुए लड़कियों और गैर-ब्राह्मणों के लिए स्कूलों की स्थापना का विरोध किया था।

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भारत की पहली महिला शिक्षिका- (India's first female teacher)

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले संग मिलकर स्त्रियों के अधिकारों और उन्हें शिक्षित करने के लिए कई क्रांतिकारी प्रयास किए थे। वो भारत के पहले कन्या विद्यालय की पहली महिला शिक्षिका थी। जिन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत भी माना जाता है।

दलितों के उन्नति में सावित्रीबाई फुले का योगदान- (Contribution of Savitribai Phule in the progress of Dalits)

सावित्रीबाई फुले को एकमात्र ऐसी महिला कहा जाता है, जिन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के सहयोग से न केवल दलितों और महिलाओं की शिक्षा के उत्थान के लिए प्रयास किए बल्कि सति-प्रथा, बाल-विवाह, अशिक्षा और विधवा विवाह जैसी परंपराओं के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

विश्व की पहली महिला टीचर का नाम क्या है? - vishv kee pahalee mahila teechar ka naam kya hai?

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सावित्रीबाई फुले का निधन- (Savitribai Phule passed away)

10 मार्च, 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी के दौरान सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। प्लेग से प्रभावित एक बच्चे की सेवा करने के कारण वह भी प्लेग से प्रभावित हुईं और इसी कारण से उनकी मृत्यु हो गई। उनके सम्मान में वर्ष 2014 में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय कर दिया गया।

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सावित्रीबाई शिक्षक होने के साथ समाज सुधारक, नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता और कवयित्री भी थी। इन्‍होंने लड़कियों व महिलाओं के लिए उस समय स्‍कूल खोला, जब इनके लिए शिक्षा अभिशाप माना जाता था। सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर पुणे में 1848 में बालिकाओं के लिए पहला स्‍कूल खोला।

Savitribai Phuleपहली महिला टीचर सावित्री बाई फूले के बारे में जाने सबकुछ | तस्वीर साभार: Twitterमुख्य बातेंसावित्रीबाई फूले का 3 जनवरी 1831 को सतारा जिले में हुआ जन्‍म3 जनवरी 1848 को पुणे में बालिकाओं के लिए खोला पहला स्‍कूलपति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर एक साल में खोल दिए 5 स्‍कूल

Savitribai Phule: सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षक थी। इनका जन्‍म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नयागांव के एक दलित परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई शिक्षक होने के साथ समाज सुधारक, नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता और कवयित्री भी थी। 18वीं सदी में जब महिलाओं का स्कूल जाना पाप समझा जाता था, तब इन्‍होंने महिलाओं के लिए देश में पहला स्‍कूल खोलकर इनको शिक्षित करने के लिए बड़ा कदम उठाया। हालांकि इसके लिए इन्‍हें समाज के ठेकेदारों से कड़े विरोध का सामना भी करना पड़ा, लेकिन ये अपने लक्ष्य से कभी डगमग नहीं हुई और लड़कियों व महिलाओं को शिक्षा का हक दिलवा कर रहीं। शिक्षक दिवस पर आइए जानते हैं सावित्रीबाई फुले के सराहनीय कार्यों को।

नौ साल की उम्र में हुआ विवाह

सावित्रीबाई का विवाह वर्ष 1840 में महज नौ साल की उम्र में समाजसेवी ज्‍योतिबा फुले के साथ हुई थी। शादी के बाद वह अपने पति के साथ पुणे आ गईं थी। शादी से पहले वह पढ़ी-लिखी नहीं थीं, लेकिन पढ़ाई में उनकी बहुत लगन थी। उनके पढ़ने और सीखने की चाह से प्रभावित होकर ज्‍योतिबा फुले ने उन्हें पढ़ना और लिखना सीखने में मदद की। जिससे आगे चलकर सावित्रीबाई एक योग्य शिक्षिका बनीं।

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18वें जन्‍मदिन पर पहले स्‍कूल की स्‍थापना

सावित्रीबाई ने ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर अपने 18वें जन्‍मदिन पर 3 जनवरी 1848 को पुणे में बालिकाओं के लिए पहले स्‍कूल की स्‍थापना की। इसमें विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं को दाखिला मिला। इसके बाद सावित्रीबाई रूकी नहीं, बल्कि एक ही वर्ष में पांच नये विद्यालय खोल दिए। उस दौर में एक महिला प्रिंसिपल के लिये बालिका विद्यालय चलाना बहुत मुश्‍किल था। क्‍योंकि सामाजिक तौर पर महिलाओं व लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी थी। लेकिन सावित्रीबाई फुले खुद के पढ़ने के साथ दूसरी लड़कियों के पढ़ने की भी पूरी व्‍यवस्‍था की।

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शिक्षा देने के बदले मिले पत्‍थर और गंदगी

सावित्रीबाई का बालिकाओं को शिक्षक करने का सफर बहुत मुश्किल भरा रहा। इसके लिए उन्हें समाज के एक बड़े वर्ग द्वारा विरोध भी झेलना पड़ा। वह स्कूल जाती, तो लोग उन्हें पत्थर मारते और उनपर गंदगी फेंकते। सावित्रीबाई हमेशा अपने थैले में एक साड़ी लेकर चलती और स्कूल पहुंच कर गंदी साड़ी बदलत लेती। सावित्रीबाई ने 1854 में विधवाओं के लिए एक आश्रय भी खोला। यहां निराश्रित महिलाओं, विधवाओं और उन बाल बहुओं को जगह दी गई। सावित्रीबाई उन सभी को पढ़ाती लिखाती थीं।

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दुनिया की सबसे पहली महिला शिक्षक कौन थी?

19वीं सदी में समाज में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा-विवाह जैसी कुरीतियां व्याप्त थी। सावित्रीबाई फुले का जीवन बेहद ही मुश्किलों भरा रहा। दलित महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने, छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें एक बड़े वर्ग द्वारा विरोध भी झेलना पड़ा।

विश्व का पहला शिक्षक कौन है?

विश्व का पहला शिक्षक कौन था? - Quora. भारत में यह भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन 5 सितंबर को मनाया जाता है। चीन में 1931 में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी और बाद में 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्म दिन, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन 1951 में इसे रद कर दिया गया।

भारत का प्रथम महिला शिक्षक कौन है?

सावित्रीबाई फुले जनवरी 1831 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थ‍ित नायगांव नामक छोटे से गांव में पैदा हुई थीं.