विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2022 - vikalaang vyaktiyon ke adhikaar adhiniyam, 2022

मुख्य पृष्ठ अधिनियम

1 . दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995

यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेतद 253 सह पठित संघ सूची की मद क्रम संख्यां 13 के अंतर्गत अधिनियमित किया गया है। यह एशियाई एवं प्रशांत क्षेत्र में दिव्यांग व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समानता की उद्घोषणा को कार्यान्वित करता है और उनकी शिक्षा, उनके रोजगार, बाधारहित परिवेश का सृजन, सामाजिक सुरक्षा, इत्यादि का प्रावधान करता है। इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों, स्थानीय निकायों सहित यथोचित सरकारों द्वारा एक बहु कार्यक्षेत्र सहयोगात्माक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

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 दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 

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2. ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहुदिव्यांगताओं इत्यादि से ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999

यह अधिनियम राष्ट्रींय न्यास के गठन, स्थायनीय स्तर समितियां, न्यास की जवावबदेही और निगरानी का प्रावधान करता है। इसमें दिव्यांग व्यरक्तियों के चार वर्गों के कानूनी अभिरक्षकों और उनके लिए यथासंभव स्वातंत्र जीवनयापन के लिए समर्थकारी परिवेश के सृजन के प्रावधान करता है।

ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहुदिव्यांगताओं इत्यादि से ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 

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3. भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1992

यह अधिनियम, पुनर्वास पेशेवरों के प्रशिक्षण, केन्द्रीय पुनर्वास रजिस्टर का अनुरक्षण करने, मान्याता प्राप्त पुनर्वास योग्यता, शिक्षण का न्यूनतम मानक इत्या्दि का विनियमन करने के लिए भारतीय पुनर्वास परिषद के गठन का प्रावधान करता है।

भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1992

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निशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक, 2014

दिव्यांग अधिकारअधिनियम, 2016 

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5. दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016

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अंतिम नवीनीकृत : 2021-10-01 03:14:09

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मुख्य पृष्ठ दिव्यांगजन व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त

  1. दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त कार्यालय की स्थापना विकलांग व्यक्तियों (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 की धारा 57 (1) के तहत की गई थी और यह अधिकार व्यक्तियों के अधिकार की धारा 74 के तहत जारी है। विकलांगता अधिनियम, 2016 के साथ। मुख्य आयुक्त को विकलांग व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्तों के काम के समन्वय, केंद्र सरकार द्वारा वितरित धन के उपयोग की निगरानी करना और विकलांग लोगों को उपलब्ध अधिकारों और सुविधाओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाना अनिवार्य है।
  2. मुख्य आयुक्त, अपने स्वयं के प्रस्ताव पर, या किसी भी पीड़ित व्यक्तियों के आवेदन पर या अन्यथा विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों से वंचित करने या नियमों, गैर-कार्यान्वयन, नियमों, कार्यकारी आदेशों, दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन से संबंधित शिकायतों पर गौर कर सकते हैं। , या विकलांगों के अधिकारों के कल्याण और संरक्षण के लिए बनाए गए या निर्देश आदि जारी किए गए हैं और संबंधित अधिकारियों के साथ मामला उठाते हैं। विकलांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त को कार्यों के प्रभावी निर्वहन के लिए एक सिविल कोर्ट की कुछ शक्तियां सौंपी गई हैं।
  3. आयुक्त का कार्यालय पीडब्ल्यूडी के लिए विवाद समाधान का एक सुलभ और त्वरित स्थल रहा है। मुख्य आयुक्त के समक्ष अधिकांश कार्यवाही रोजगार, पदोन्नति या सेवा के मामलों से संबंधित होती है। मुख्य आयुक्त के समक्ष याचिकाकर्ताओं को दी गई राहत में प्रतिष्ठानों के लिए बहाली और सलाह के लिए निर्देश शामिल हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिव्यांग के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है।

अंतिम नवीनीकृत : 2020-11-17 03:10:03

मुख्य पृष्ठ Document विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कोर ग्रुप की बैठक का कार्यवृत्त 26 जुलाई, 2022 को एजेंडा पर "विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर राष्ट्रीय नीति के मसौदे पर चर्चा, 2021" पर आयोजित किया गया।

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दिव्यांगों काे अपमानित किया या धमकाया तो जेल होगी

दिव्यांग होना कोई अपराध नहीं है। यह प्रकृति की देन है। इसके लिए उन्हें अपमानित करने या धमकाने जैसे मामले में आरोपी को जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है। केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के अधिकार के प्रति संवेदनशील पहल की है। इसके मुताबिक अब दिव्यांगों को अपमानित करने, धमकी देने, पिटाई करने पर छह माह से पांच साल तक की सजा हो सकती है। राजपत्र में प्रकाशित दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 में इसे लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसके लिए हर जिले में स्पेशल कोर्ट बनाए जाएंगे, जहां ऐसे मामलों का जल्द से जल्द निराकरण करने का प्रयास होगा। वहीं, हर राज्य सरकार को दिव्यांगों को जरूरत पड़ने पर मदद मुहैया करवाने के उद्देश्य से विशेष कोष की स्थापना करनी होगी।

साल समाप्त होने से पहले ही केंद्र सरकार ने देश के दिव्यांगों के अधिकारों में बढ़ोतरी करने का अहम निर्णय लिया। राजपत्र में प्रकाशित किए गए दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 में दिव्यांगों के अधिकारों व सामाजिक स्थिति बेहतर करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, इसमें सबसे अहम दिव्यांगों पर फब्तियां कसने या सार्वजनिक स्थानों पर अपमानित करने के उद्देश्य से धमकी देने को अपराध घोषित कर दिया गया है। साथ ही दिव्यांग को अपमानित करने के उद्देश्य से धक्का देना, मारपीट करना, जानबूझकर उसके साथ भोजन या पानी लेने से इनकार करने, दिव्यांग बच्चे व महिला के यौन शोषण, दिव्यांगों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले सहायक उपकरणों को नुकसान पहुंचाने पर सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही दिव्यांग महिला की सहमति के बगैर एबार्शन करवाने को भी अपराध के दायरे में शामिल किया गया है। ऐसा करने पर 6 माह से लेकर पांच साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है।

निराकरण के लिए होंगे स्पेशल कोर्ट
अब दिव्यांगों की तीन कैटेगरी होगी
दिव्यांगों से संबंधित मामलों के जल्द निराकरण के लिए राज्य सरकार संबंधित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सहमति से स्पेशल कोर्ट की व्यवस्था करेगा। सेशन कोर्ट में स्थापित होने वाले स्पेशल कोर्ट में पैरवी के लिए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए वकालत का सात साल का अनुभव रखने वाले वकील की ही नियुक्ति की जाएगी।

अधिनियम के तहत अब दिव्यांगों की तीन कैटेगरी होगी। पहली कैटेगरी में दिव्यांग व्यक्ति हैं, जो शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व संवेदन में कमियों के बावजूद अन्य सामान्य लोगों की तरह ही समाज में अपनी भागीदारी निभा सकता है। साथ ही बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्ति और बहुत ज्यादा मदद की जरूरत रखने वाले दिव्यांग की श्रेणियां निर्धारित की गई हैं।

भारत में दिव्यांगों के अधिकार कानून क्या है?

केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के अधिकार के प्रति संवेदनशील पहल की है। इसके मुताबिक अब दिव्यांगों को अपमानित करने, धमकी देने, पिटाई करने पर छह माह से पांच साल तक की सजा हो सकती है। राजपत्र में प्रकाशित दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 में इसे लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं।

भारतीय संसद ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कानून हाल ही में पारित किया गया है?

दिव्‍यांग लोगों के लिए भारतीय संसद द्वारा पारित नवीनतम कानून दिव्‍यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम है। दिव्‍यांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 को 28.12.2016 को अधिनियमित किया गया और 19.04.2017 को लागू हुआ।

भारत में कौन सा मंत्रालय विकलांग व्यक्ति के अधिकार की रक्षा करता है?

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विकलांग व्यक्तियों के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों पर दी गई जानकारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विकलांग व्यक्तियों के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी दी गई है।