भारत में दिव्यांगता: समस्याएँ एवं समाधान
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में देश में दिव्यांग व्यक्तियों के समक्ष चुनौतियों और सरकार द्वारा इससे निपटने हेतु किये गए प्रयासों व संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show संदर्भ:किसी शारीरिक या मानसिक विकार के कारण एक सामान्य मनुष्य की तरह किसी कार्य (जो मानव के लिये सामान्य समझी जाने वाली सीमा के भीतर हो) को करने में परेशानी या न कर पाने की क्षमता को दिव्यांगता के रूप में पारिभाषित किया जाता है। दिव्यांगता विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देश में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। दिव्यांगता के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में घोषित किया गया है। यह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आदि जैसे जीवन के हर पहलू में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों तथा उनके हितों को प्रोत्साहित करने की परिकल्पना करता है। भारत में कई कानूनों और योजनाओं के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के लिये अवसरों की सुलभता और समानता सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। हालाँकि भारत अभी भी दिव्यांग व्यक्तियों के लिये अवसंरचनात्मक, संस्थागत और दृष्टिकोण/व्यवहार संबंधी बाधाओं को दूर करने में बहुत पीछे है। भारत में दिव्यांगता:
चुनौतियाँ:
आगे की राह:
निष्कर्ष:‘दिव्यांग’ या 'डिफरेंटली एबल्ड' जैसे शब्दों के प्रयोग मात्र से ही दिव्यांग लोगों के प्रति बड़े पैमाने पर सामाजिक विचारधारा को नहीं बदला जा सकता। ऐसे में यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि सरकार द्वारा नागरिक समाज और दिव्यांग व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य करते हुए एक ऐसे भारत के निर्माण का प्रयास किया जाए जहाँ किसी की दिव्यांगता पर ध्यान दिये बगैर सभी का स्वागत और सम्मान किया जाता है। अभ्यास प्रश्न: ‘‘दिव्यांग’ या 'डिफरेंटली एबल्ड' जैसे शब्दों के प्रयोग मात्र से ही दिव्यांग लोगों के प्रति बड़े पैमाने पर सामाजिक विचारधारा को नहीं बदला जा सकता।” भारत में दिव्यांगजनों के समक्ष चुनौतियों के प्रकाश में इस कथन पर चर्चा कीजिये। दिव्यांगता से क्या समझते हैं?शारीरिक और मानसिक अक्षमताओं को दिव्यांगता कहते हैं। शारीरिक अक्षमता में पेशीय एवं स्नायु संबंधी विकार और हाथ-पैर न होना आदि शामिल होते हैं जबकि मानसिक अक्षमता में मानसिक बीमारी तथा मंदबुद्धि आदि शामिल किये गये हैं। किसी व्यक्ति का पूरी तरह से ध्वनि सुनने में अक्षम होना श्रवण दिव्यांगता कहलाता हैं।
दिव्यांगता कितने प्रकार की होती है?दिव्यांग व्यक्तियों में, दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित, वाकबाधित, अस्थि दिव्यांग और मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति शामिल हैं।
विकलांगता के प्रकार कौन कौन से हैं?Nishakt Jan Seva. दृष्टी बाधित. कम दृष्टि. कुष्ठ ठीक व्यक्तियों. सुनवाई हानि (बहरा और सुनवाई की कड़ी). लोकोमोटर विकलांगता. बौनेवाद. बौद्धिक विकलांगता. मानसिक बीमारी. अपंगता का क्या अर्थ है यह कितने प्रकार की होती है?इस शब्द का उपयोग अक्सर शारीरिक बाध्यता/हानि, संवेदी हानि, संज्ञानात्मक हानि, बौद्धिक हानि, मानसिक बीमारी और विभिन्न प्रकार के क्रोनिक रोगों के संदर्भ में किया जाता है। विकलांग व्यक्ति "विश्व का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक" है।
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