Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह, अट नहीं रही है Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf. GSEB Class 10 Hindi Solutions उत्साह, अट नहीं रही है Textbook Questions and Answers प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
Hindi Digest Std 10 GSEB उत्साह, अट नहीं रही है Important Questions and Answers अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
अतिरिक्त प्रश्न-उत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. 2. अट नहीं रही है। उत्साह, अट नहीं रही है Summary in Hindiकवि-परिचय : निरालाजी का जन्म बंगाल के मेदनीपुर जिले के महिषादल में हुआ था। निरालाजी का व्यक्तित्व सचमुच निराला था, अनोखा था। छायावादी कवियों में उनका व्यक्तित्व सबसे ज्यादा संघर्षशील रहा। विद्वानों ने उन्हें ‘काव्य का देवता निराला’ तथा ‘महाप्राण निराला’ जैसे विशेषणों से विभूषित किया है। आजीवन अनेकविध अभावों से जूझनेवाला, लेकिन कभी न झुकनेवाला यह स्वाभिमानी कवि एक निराली मस्ती और फकड़पन के साथ जीया । एक के बाद एक पिता, पत्नी और पुत्री के अकाल अवसान के आघातों ने कवि-हृदय को हिला कर रख दिया किन्तु पराजय स्वीकार नहीं की। पुत्री सरोज की स्मृति में लिखी गई कविता में ‘दुःख ही जीवन की कथा रही’ जैसी पंक्ति में फूट पड़नेवाला उद्गार इसका प्रमाण है। सन् 1961 ई. में उनका निधन हुआ था। छायावादी कवियों में निराला का स्वर अलग प्रकार का रहा है। प्रेम, प्रकृति, सौंदर्य आदि के चित्रण में अन्य छायावादी कवियों से वे अलग उभर आते हैं। उनकी कविता का मूल स्वर विद्रोह का रहा है। उन्होंने रूढ़ियों और परंपराओं को तो तोड़ा ही, स्वयं भी अपनी ही परंपरा में न बंध सकें। छायावादी होकर भी उन्होंने ही सबसे पहले छायावाद का अतिक्रमण करके प्रगतिशील एवं प्रयोगशील दृष्टि का परिचय दिया। छंद के बंधन तोड़कर मुक्त छंद का प्रवर्तन किया। ओज और माधुर्य दोनों की अभिव्यक्ति कुशलतापूर्वक हुई है। भाषा में तत्सम् शब्दों का प्रयोग है, किंतु लयात्मकता बनी रहती है। अनामिका, परिमल, गीतिका, बेला, नये पत्ते, तुलसीदास तथा कुकुरमुत्ता उनकी मुख्य काव्य कृतियाँ हैं । गद्य रचनाओं के अंतर्गत निरालाजी ने अप्सरा, अलका, निरुपमा, कुल्लीभाट, बिल्लेसुर बकरिहा जैसे उपन्यास तथा लिली, सखी, सुकुल की बीवी आदि कहानी संग्रहों की रचना की है। कविता का सार (भाव) : उत्साह : निराला जीवन को व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं। उत्साह बादल को संबोधित करके लिखा गया एक आह्वान गीत है। बादल निराला का प्रिय विषय है। इस कविता में एक ओर ललित चेतना है तो दूसरी ओर क्रांति भी। कवि निराला ने बादल के माध्यम से मानव प्रोत्साहित किया है, उसके उत्साह को प्रेरित किया है। बादल गरजो भावार्थ : कवि निराला उत्साह तथा क्रांति के प्रतीक बादल को संबोधित करते हुए उसका आहवान कर रहे है। कवि बादल से कह रहा है, ‘तुम अपनी भयानक गर्जना से मनुष्यों में नई चेतना का संचार करो। हे बादल ! तुम संपूर्ण आकाश को घेरकर भयंकर गर्जना करो और बरसो । तुम सुंदर और धुंघराले काले बालोंवाले हो । तुम्हारे अंत:करण में बिजली की आभा है। तुम नूतन जीवन देनेवाले हो । तुम्हारे अंदर वन जैसी अपार शक्ति है। तुम इस संसार को नई चेतना से भर दो। गरजो और अपनी गर्जना से जन की चेतना में विप्लव और क्रांति का जन्म हो।’ विकल विकल, उन्मन थे उन्मन, भावार्थ : कवि कहता है कि गर्मी से परेशान अनमने मनुष्यों के हृदय के बादलों ने शीतलता प्रदान कर दी। कवि कहता है, हे बादल ! तुम इतना गरजो, इतने बरसो कि निरंतर ताप से व्याकुल अनमने उदासीन, उद्विग्न हृदयों को शीतलता का अनुभव हो । आकाश की अशात दिशा से चारों तरफ से घेर कर तप्त धरा को अपने शीतल जल से ठंडा कर दो। इतना गरजो, इतना बरसो कि समस्त पीड़ित जनों को, समस्त जन-सामान्य को सुख तथा नव परिवर्तन का अनुभव हो। शब्दार्थ-टिप्पण
अट नहीं रही है कहीं सांस लेते हो, पत्तों से लदी डाल भावार्थ : फागुन माह का उल्लास इतना अधिक है कि वह कहीं समा नहीं पा रहा है। सभी जगह फागुन का सौंदर्य ही दिखाई पड़ रहा है। कवि फागुन से कह रहा है कि हे फागुन ! जब तुम श्वास छोड़ते हो तब तुम्हारी उच्छ्वास के साथ सारा परिवेश सुगंध से भर जाता है। सुगंध के पंख लग जाते है जिससे उड़कर वह सारे आकाश को सुगंध से भर देता है। इस दृश्य को कवि अपलक निहार रहा है। चाहकर भी वह अपनी आंखें दृश्य से हटा नहीं पा रहा हैं। पेड़ों की शाखाओं पर नव पल्लव लग गए हैं जिससे वे कहीं हरे तो कहीं लाल दिख रहे हैं मानों फागुन के उर पर पुष्प-माल पड़ी हुई है। इस तरह सौंदर्य से परिपूर्ण फागुन की शोभा इतनी अधिक है कि वह पूरी तरह समा नहीं पा रही, अट नहीं रही है। शब्दार्थ-टिप्पण :
उत्साह कविता में कवि ने बादलों को ही क्यों संबोधित किया है?उत्तर: कविता का शीर्षक 'उत्साह' इसलिए रखा गया है, क्योंकि कवि ने बादलों की गर्जना को उत्साह का प्रतीक माना है । प्रस्तुत कविता में ओज गुण विद्यमान है। बादलों की गर्जना नवजीवन का प्रतीक है। मनुष्य में उत्साह होना ही उसकी उन्नति का कारण है, जिसमें उत्साह है, उसी में जीवन है।
उत्साह कविता में कवि ने बादलों के सम्बन्ध में क्या क्या कहा है?Answer: उत्साह कविता में कवि ने बादलों को पुकारा है। मगर, वो बादलों से बारिश करने के बजाय गरजने के लिए कहते हैं। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि वो बादलों के जरिये लोगों के मन में क्रांति का बीज बोना चाहते हैं, जन-जन में उत्साह का संचार करना चाहते हैं।
कवि ने बादलों को क्या कह कर संबोधित किया?कवि ने बादल को अनंत घन इसलिए कहा है ,क्योंकि बादलों का कभी अंत नहीं होता है।
उत्साह कविता में कौन किसको संबोधित कर रहा है?उत्साह कविता में कवि ने कवियों के लिए 'नव जीवन वाले' संबोधन का प्रयोग किया है। 8. कवि बादल को सम्पूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए क्यों कहता है? कवि बादल को संपूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए इसलिए कहता है ताकि वे मृतप्राय पड़ी संपूर्ण सृष्टि में एक साथ जीवन का संचार कर सकें।
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