उत्साह कविता में कवि ने बादलों को सम्बोधित किया है आप समझाइए कि कवि ने बादलों को ही क्यों संबोधित किया? - utsaah kavita mein kavi ne baadalon ko sambodhit kiya hai aap samajhaie ki kavi ne baadalon ko hee kyon sambodhit kiya?

Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 5 उत्साह, अट नहीं रही है Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.

GSEB Class 10 Hindi Solutions उत्साह, अट नहीं रही है Textbook Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कवि ने बादलों से गरजकर बरसने के लिए क्यों कहा है ?
अथवा
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए क्यों कहता है ?
उत्तर :
कवि बादलों से गरजकर बरसने का अनुरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि गर्जना सुनकर जन-सामान्य में उत्साह का संचार हो जाए और कवि का जो मंतव्य है- क्रांति की अपेक्षा है वह पूरी हो। बादलों की फुहार या रिमझिम वर्षा से मन में कोमल भावों का जन्म होता है, क्रांति के लिए जिस ओज की जरूरत है वह उत्साह बरसने से नहीं अपितु गरजने से ही आ सकता है। अत: कवि बादलों से गर्जना करने का अनुरोध कर रहा है।

प्रश्न 2.
कविता का शीर्षक उत्साह’ क्यों रखा गया है ?
अथवा
‘उत्साह’ कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए।
उत्तर :
कवि निराला ने ‘उत्साह’ शीर्षक कविता में बादलों से गरजने का अनुरोध किया ताकि जन-सामान्य में चेतना का संचार हो और वे उत्साहित हो । कवि को विश्वास है कि बादलों की गर्जना सुनकर अनमने-उदासीन लोग भी उत्साहित हो जाएगे। ऐसी अपेक्षा के कारण ही कवि ने कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ रखा है।

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प्रश्न 3.
‘उत्साह’ कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर :
उत्साह शीर्षक कविता में ‘बादल’ निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत कर रहा है

  1. बादल मानव मन की उदासीनता हरनेवाला है।
  2. बादल मानवजीवन की पीड़ाओं को दूर करने की ओर संकेत करता है।
  3. बादल जीवन में उत्साह भरने का प्रतीक है।
  4. बादल जीवन में परिवर्तन लाने का प्रतीक है।
  5. बादल जीवन में नवीनता लाने का भी प्रतीक है।

प्रश्न 4.
शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन से शब्द हैं, जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छांटकर लिखें।
उत्तर :
‘उत्साह’ कविता की निम्न पंक्तियों में नाद-सौंदर्य मौजूद है,

  1. घेर-घेर घोर गगन
  2. विकल विकल उन्मन थे उन्मन
  3. ललित ललित काले घुघराले
  4. शीतल कर दो, बादल गरजो

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Hindi Digest Std 10 GSEB उत्साह, अट नहीं रही है Important Questions and Answers

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1.
फागुन महीने के सांस लेने का संसार पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर :
कवि ने फागुन महीने का मानवीकरण किया है। उसके साँस छोड़ने से पूरे परिवेश में सुगंध व्याप्त हो गई है। ऐसे चलनेवाली हवाओं से घर-घर आवाज आ रही है। सुगंध को मानो पर लग गए हैं और उसने सारे आकाश को सुगंध से भर दिया है।

प्रश्न 2.
फागुन माह का पेड़-पौधों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर :
फागुन महीने में सभी पेड़-पौधों की डालों पर नए पत्ते आ गए हैं। उनमें से कुछ हरे हो चुके हैं तो कहीं अभी किसलय हैं जो हलके लाल रंग के हैं। वनस्पतियां रंग-बिरंगे फूलों से लद गई है, ऐसा लगता है मानो पेड़-पौधों के गले में मंद-सुगंधित पुष्पों की माला पड़ी है। ऐसा लगता है पेड़ पौधों ने नवजीवन पा लिया है।

प्रश्न 3.
‘उड़ने को नभ में तुम पर-पर भर देते हो’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
फागुन महीने में वातावरण में सर्वत्र गंध व्याप्त रहती है। उसकी मादकता को मानो पंख लग गए हैं जो आकाश में उड़ने को तत्पर है। इसे देखकर मन खुशी से, प्रसन्नता से भरकर कल्पना की उड़ान भरने लगता है।

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प्रश्न 4.
फागुन में पेड़ों की शाखाएं कैसी लग रही हैं ? क्यों ?
उत्तर :
फागुन महीने में पेड़-पौधों की शाखाओं पर नवपल्लव आ गए हैं, शाखाएँ पल्लव-पुष्पों से लद गई है। नए पालवों, किसलयों से आच्छादित शाखाएँ कहीं हरी कहीं लाल दिखाई दे रही हैं। ऐसा लगता है कि फागुन के उर पर मंद-गंध पुष्पों की माला पड़ी हो।

प्रश्न 5.
कवि की आख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है ?
उत्तर :
फागन महीने में प्रकृति का सौंदर्य सर्वत्र व्याप्त रहता है। प्रकृति के इस सौंदर्य का मानव मन पर इतना प्रभाव पड़ता है वह प्रकृति के दर्शन से तृप्त ही नहीं हो पा रहा है। फागुन महीने में सर्वत्र व्याप्त प्रकृति की शोभा श्री से वह अघा नहीं रहा, इसलिए उसकी आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही।

प्रश्न 6.
फागुन में ऐसा क्या होता है जो अन्य ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर :
फागुन महीने के पहले पतझर की ऋतु होती है, जिसमें पेड़-पौधे अपनी पत्तियों को झाड़कर निपत्र हो जाते हैं। फागुन में वसंत के आगमन के साथ पेड़-पौधों की शाखाएं नवपल्लवों से भरकर हरी-लाल लगती हैं। पुष्पों की मंदगंध पूरे परिवेश में फैलकर परिवेश को मादक बना देती है। ऐसा केवल वसंत ऋतु के फागुन महीने में ही होता है, और कभी नहीं।

प्रश्न 7.
‘अट नहीं रही है’ कविता में वर्णित प्रकृति के व्यापक रूप को समझाइए।
उत्तर :
‘अट नहीं रही है’ शीर्षक निराला की कविता में प्रकृति की व्यापकता का वर्णन इस प्रकार हुआ है

  1. फागुन महीने में पेड़-पौधों पर सर्वत्र नवपल्लव आ जाते हैं, पुष्प खिल जाते हैं।
  2. प्रकृति का प्रभाव मानव मन पर भी पड़ता है। वह प्रकृति के सौंदर्य से इतना अभिभूत है कि उसकी आँखों में वह पूरी तरह समा नहीं पा रहा है।
  3. मनुष्य का मन प्रकृति के सौंदर्य दर्शन से तृप्त नहीं हो रहा है, वह उसे देखते रहना ही चाहता है।
  4. प्रकृति की प्रफुल्लता से मानव मन भी उत्साहित-उल्लसित रहता है।
  5. फागुन महीने का अतिशय प्राकृतिक सौंदर्य कहीं अट नहीं रहा है, समा नहीं पा रहा है।

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प्रश्न 8.
दोनों कविताओं के आधार पर निराला के काव्य की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर :
निराला के काव्य-शिल्प की निम्नलिखित विशेषताएं देखने को मिलती हैं –

  1. इस कविता का शब्दचयन अनूठा है, उनमें नाद सौंदर्य है।
  2. ‘उत्साह’ तथा ‘अट नहीं रही है’ दोनों कविताओं में प्रकृति का मानवीकरण है। ‘उत्साह’ कविता में कवि ‘बादल’ को संबोधित कर रहा है तो ‘अट नहीं रही है’ में फागुन से बातचीत करता दिख रहा है-कहीं सांस लेते हो, घर-घर भर देते हो।
  3. प्रतीकात्मकता इन कविताओं की एक प्रमुख विशेषता है। अट नहीं रही है कविता में फागुन माह को साँस लेने से घर-घर का भर जाना प्रसन्नता और प्रफुल्लता का प्रतीक है तो ‘बादल’ क्रांति एवं परिवर्तन का।
  4. कविता में तत्सम सामासिक पदावली है।

प्रश्न 9.
छायावाद की एक खास विशेषता अंतर्मन, मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। अट नहीं रही है’ कविता की किन पंक्तियों में यह धारणा पुष्ट होती है ? लिखिए।
उत्तर :
मानवीकरण द्वारा प्रकृति के माध्यम से मानव-मन का चित्रण छायावाद की प्रमुख विशेषता हैं। ‘अट नहीं रही है’ कविता की निम्नलिखित पंक्तियों में प्रकृति के मानवीकरण के माध्यम से मानव-मन की अभिव्यक्ति हुई है

  1. कहीं, साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो।
  2. कहीं पड़ी है उर में, मंद-गंध पुष्प-माल ।
  3. आँख हटाता हूँ तो, हट नहीं रही है ।

अतिरिक्त प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1.
‘उत्साह’ कविता में नव-जीवनवाले पदबंध का प्रयोग किसके लिए और क्यों किया गया है?
उत्तर :
उत्साह कविता में ‘नव जीवनवाले’ पदबंध का प्रयोग बादल के लिए किया गया है क्योंकि बादल वर्षा द्वारा तप्त धरती की प्यास बुझाकर उसे नया जीवन प्रदान करते हैं। प्रकृति की प्रफुल्लता के साथ सभी जीवों में, मानव में भी उत्साह का संचार होता है। इस संदर्भ में बादलों के लिए ‘नव जीवनवाले’ पदबंध का प्रयोग किया गया है।

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प्रश्न 2.
‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि क्या संदेश दे रहा है ?
उत्तर :
‘अट नहीं रही है’ कविता में फागुन महीने की प्रकृति की व्यापकता का चित्रण किया गया है। पेड़-पौधे अपने सौंदर्य का वैभव प्रकट कर रहे हैं। सर्वत्र प्रकृति में उन्माद है। कवि कामना करता है कि व्यक्ति प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन का लाभ उठाएं। थके मादे जीवन में प्रसन्नता का संचार हो, व्यक्ति इतने प्रफुल्लित तथा आनंदित हो कि फागुन के असीम सौंदर्य की भांति ही उसकी खुशियां भी अनंत हो।

प्रश्न 3.
फागुन के प्राकृतिक सौंदर्य की आभा का मानव जीवन पर पड़नेवाला प्रभाव हमें किन रूपों में दिखाई देता है ?
उत्तर :
फागन के सौंदर्य की आभा प्राकृतिक सौंदर्य की आभा है। मनुष्य के मन पर उसका जो प्रभाव पड़ता है, वह होली के रंगो-गीतों तथा लोक गीत नृत्य में दिखलाई देता है। सभी जगह प्रसन्नता दिखलाई देती है। होली के रंग ऊँच-नीच, बच्चे-बूढ़े का भेदभाव मिटकर सबको अपने में सराबोर कर लेते हैं। ये रंग मानव मन की प्रसन्नता को प्रकट करते हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि ने बादलों को बच्चों की कल्पना जैसा क्यों कहा है?
उत्तर :
जिस तरह बचपन में बच्चों के मन की मधुर-मधुर कल्पनाएँ निरंतर बदलती रहती है, उसी तरह बादल का सौंदर्य भी पल-पल बदलता रहता है। जिस तरह बाल-कल्पनाएँ मनोहारी होती हैं, उसी तरह बादल की छवि भी मनमोहक प्रतीत होती है। अत: कवि ने बादल के सौंदर्य में बाल मन की कल्पना की है।

प्रश्न 2.
उत्साह कविता का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
उत्साह कविता का मुख्य स्वर ‘ओज’ का है। कवि अपनी ओजस्विता से जन-चेतना लाकर जन-सामान्य में क्रांति लाना चाहता है। कवि बादलों से संपूर्ण आकाश को घेर लेने को कहता है। कविता के स्वर में ओज, क्रांति, विप्लव तथा परिवर्तन का आवेग है।

प्रश्न 3.
‘विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि बादल के उर में विद्युत-आभा है, उसमें चमक है, जिसमें ओजस्विता है जो कवि की कविता में नूतन परिवर्तन लाने में सक्षम . है। समाज को परिवर्तित करने की क्षमता है।।

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प्रश्न 4.
बादलों के न बरसने से धरती तथा लोगों की क्या दशा हो रही थीं?
उत्तर :
बादलों के न बरसने से धरती तप्त हो गई थी। लोगों में बेचैनी-उद्विग्नता तथा अनमनापन बढ़ गया था। उन्हें कहीं भी चैन नहीं मिल रहा था।

प्रश्न 5.
कवि ने बादलों को अनंत के घन’ कहकर क्यों संबोधित किया है ?
उत्तर :
अनंत का एक अर्थ आकाश होता है। बादलों की उपस्थिति आकाश में होती है अत: कवि ने बादलों को अनंत के घन कहकर संबोधित किया

प्रश्न 6.
कवि बादलों से क्या अनुरोध कर रहा है और क्यों ?
उत्तर :
कवि बादलों से मूसलाधार बारिस करने का अनुरोध कर रहा है, क्योंकि तीब्र गर्मी के कारण धरा तप्त होकर छटपटा रही है। सभी लोग गर्मी से बेचैन हैं, व्याकुल है। वर्षा के जल से धरा ठंडी हो जाए । सामान्य जन भी शीतल हो जाएँ, उनकी उद्विग्नता-बेचैनी समाप्त हो जाएं, इसलिए बादलों से वर्षा करने का अनुरोध कर रहा है।

2. अट नहीं रही है।
काव्य का सार (भाव): यह कविता फागुन महीने की मादकता को प्रकट करती है। कवि फागुन महीने के सौंदर्य से इतना अभिभूत है कि फागुन की आभा समाती हुई नहीं दिख रही है। फागुन मास में सर्वत्र प्रकृति का सौंदर्य को कवि अनेक संदर्भो में देखता है। उसे हर ओर फागुन का उल्लास तथा सौंदर्य नजर आता है। सुंदर शब्दचयन और लय ने कविता को भी फागुन की ही तरह ललित एवं सुंदर बना दिया है।

उत्साह, अट नहीं रही है Summary in Hindi

कवि-परिचय :

निरालाजी का जन्म बंगाल के मेदनीपुर जिले के महिषादल में हुआ था। निरालाजी का व्यक्तित्व सचमुच निराला था, अनोखा था। छायावादी कवियों में उनका व्यक्तित्व सबसे ज्यादा संघर्षशील रहा। विद्वानों ने उन्हें ‘काव्य का देवता निराला’ तथा ‘महाप्राण निराला’ जैसे विशेषणों से विभूषित किया है। आजीवन अनेकविध अभावों से जूझनेवाला, लेकिन कभी न झुकनेवाला यह स्वाभिमानी कवि एक निराली मस्ती और फकड़पन के साथ जीया ।

एक के बाद एक पिता, पत्नी और पुत्री के अकाल अवसान के आघातों ने कवि-हृदय को हिला कर रख दिया किन्तु पराजय स्वीकार नहीं की। पुत्री सरोज की स्मृति में लिखी गई कविता में ‘दुःख ही जीवन की कथा रही’ जैसी पंक्ति में फूट पड़नेवाला उद्गार इसका प्रमाण है। सन् 1961 ई. में उनका निधन हुआ था।

छायावादी कवियों में निराला का स्वर अलग प्रकार का रहा है। प्रेम, प्रकृति, सौंदर्य आदि के चित्रण में अन्य छायावादी कवियों से वे अलग उभर आते हैं। उनकी कविता का मूल स्वर विद्रोह का रहा है। उन्होंने रूढ़ियों और परंपराओं को तो तोड़ा ही, स्वयं भी अपनी ही परंपरा में न बंध सकें। छायावादी होकर भी उन्होंने ही सबसे पहले छायावाद का अतिक्रमण करके प्रगतिशील एवं प्रयोगशील दृष्टि का परिचय दिया।

छंद के बंधन तोड़कर मुक्त छंद का प्रवर्तन किया। ओज और माधुर्य दोनों की अभिव्यक्ति कुशलतापूर्वक हुई है। भाषा में तत्सम् शब्दों का प्रयोग है, किंतु लयात्मकता बनी रहती है। अनामिका, परिमल, गीतिका, बेला, नये पत्ते, तुलसीदास तथा कुकुरमुत्ता उनकी मुख्य काव्य कृतियाँ हैं । गद्य रचनाओं के अंतर्गत निरालाजी ने अप्सरा, अलका, निरुपमा, कुल्लीभाट, बिल्लेसुर बकरिहा जैसे उपन्यास तथा लिली, सखी, सुकुल की बीवी आदि कहानी संग्रहों की रचना की है।

उत्साह कविता में कवि ने बादलों को सम्बोधित किया है आप समझाइए कि कवि ने बादलों को ही क्यों संबोधित किया? - utsaah kavita mein kavi ne baadalon ko sambodhit kiya hai aap samajhaie ki kavi ne baadalon ko hee kyon sambodhit kiya?

कविता का सार (भाव) :

उत्साह : निराला जीवन को व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं। उत्साह बादल को संबोधित करके लिखा गया एक आह्वान गीत है। बादल निराला का प्रिय विषय है। इस कविता में एक ओर ललित चेतना है तो दूसरी ओर क्रांति भी। कवि निराला ने बादल के माध्यम से मानव प्रोत्साहित किया है, उसके उत्साह को प्रेरित किया है।

बादल गरजो
घेर घेर घोर गगन ओ!
ललित ललित काले घुघराले
बाल कल्पना के-से पले
विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले !
वज लिए, नूतन कविता
फिर भर दो –
बादल, गरजो!

भावार्थ :

कवि निराला उत्साह तथा क्रांति के प्रतीक बादल को संबोधित करते हुए उसका आहवान कर रहे है। कवि बादल से कह रहा है, ‘तुम अपनी भयानक गर्जना से मनुष्यों में नई चेतना का संचार करो।

हे बादल ! तुम संपूर्ण आकाश को घेरकर भयंकर गर्जना करो और बरसो । तुम सुंदर और धुंघराले काले बालोंवाले हो । तुम्हारे अंत:करण में बिजली की आभा है। तुम नूतन जीवन देनेवाले हो । तुम्हारे अंदर वन जैसी अपार शक्ति है। तुम इस संसार को नई चेतना से भर दो। गरजो और अपनी गर्जना से जन की चेतना में विप्लव और क्रांति का जन्म हो।’

विकल विकल, उन्मन थे उन्मन,
विश्व के निदाध के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के धन !
तप्त धरा ! जल से फिर
शीतल कर दो
बादल, गरजो!

भावार्थ :

कवि कहता है कि गर्मी से परेशान अनमने मनुष्यों के हृदय के बादलों ने शीतलता प्रदान कर दी। कवि कहता है, हे बादल ! तुम इतना गरजो, इतने बरसो कि निरंतर ताप से व्याकुल अनमने उदासीन, उद्विग्न हृदयों को शीतलता का अनुभव हो । आकाश की अशात दिशा से चारों तरफ से घेर कर तप्त धरा को अपने शीतल जल से ठंडा कर दो। इतना गरजो, इतना बरसो कि समस्त पीड़ित जनों को, समस्त जन-सामान्य को सुख तथा नव परिवर्तन का अनुभव हो।

उत्साह कविता में कवि ने बादलों को सम्बोधित किया है आप समझाइए कि कवि ने बादलों को ही क्यों संबोधित किया? - utsaah kavita mein kavi ne baadalon ko sambodhit kiya hai aap samajhaie ki kavi ne baadalon ko hee kyon sambodhit kiya?

शब्दार्थ-टिप्पण

  • अटना – समाना
  • आभा – चमक
  • पाट-पाट – जगह-जगह पर-पर पंख ही पंख
  • पुष्पमाल – फूलों की माला
  • शोभा-श्री – सौंदर्य से परिपूर्ण
  • पटना – समाना, भरना
  • घर-घर – साँस लेते समय होनेवाली आवाज ।

अट नहीं रही है
– आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।

कहीं सांस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर भर देते हो,
आँखे हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।

पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।

भावार्थ :

फागुन माह का उल्लास इतना अधिक है कि वह कहीं समा नहीं पा रहा है। सभी जगह फागुन का सौंदर्य ही दिखाई पड़ रहा है। कवि फागुन से कह रहा है कि हे फागुन ! जब तुम श्वास छोड़ते हो तब तुम्हारी उच्छ्वास के साथ सारा परिवेश सुगंध से भर जाता है। सुगंध के पंख लग जाते है जिससे उड़कर वह सारे आकाश को सुगंध से भर देता है।

इस दृश्य को कवि अपलक निहार रहा है। चाहकर भी वह अपनी आंखें दृश्य से हटा नहीं पा रहा हैं। पेड़ों की शाखाओं पर नव पल्लव लग गए हैं जिससे वे कहीं हरे तो कहीं लाल दिख रहे हैं मानों फागुन के उर पर पुष्प-माल पड़ी हुई है। इस तरह सौंदर्य से परिपूर्ण फागुन की शोभा इतनी अधिक है कि वह पूरी तरह समा नहीं पा रही, अट नहीं रही है।

उत्साह कविता में कवि ने बादलों को सम्बोधित किया है आप समझाइए कि कवि ने बादलों को ही क्यों संबोधित किया? - utsaah kavita mein kavi ne baadalon ko sambodhit kiya hai aap samajhaie ki kavi ne baadalon ko hee kyon sambodhit kiya?

शब्दार्थ-टिप्पण :

  • घेर-घेर – चारों ओर से घेरकर
  • घोर – भयानक
  • धाराधर – बादल
  • ललित – सुंदर
  • विद्युत – बिजली
  • छबि – चित्र, आभा
  • नूतन – नई
  • विकल – परेशान, उद्विग्न
  • उन्मन – अनमनेपन का भाव, बेचैन, उदासी
  • निदाध – तेज गर्मी
  • सकल – समस्त, सभी
  • अनंत – जिसका अंत न हो, आकाश, ईश्वर आदि
  • धरा – पृथ्वी।

उत्साह कविता में कवि ने बादलों को ही क्यों संबोधित किया है?

उत्तर: कविता का शीर्षक 'उत्साह' इसलिए रखा गया है, क्योंकि कवि ने बादलों की गर्जना को उत्साह का प्रतीक माना है । प्रस्तुत कविता में ओज गुण विद्यमान है। बादलों की गर्जना नवजीवन का प्रतीक है। मनुष्य में उत्साह होना ही उसकी उन्नति का कारण है, जिसमें उत्साह है, उसी में जीवन है।

उत्साह कविता में कवि ने बादलों के सम्बन्ध में क्या क्या कहा है?

Answer: उत्साह कविता में कवि ने बादलों को पुकारा है। मगर, वो बादलों से बारिश करने के बजाय गरजने के लिए कहते हैं। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि वो बादलों के जरिये लोगों के मन में क्रांति का बीज बोना चाहते हैं, जन-जन में उत्साह का संचार करना चाहते हैं।

कवि ने बादलों को क्या कह कर संबोधित किया?

कवि ने बादल को अनंत घन इसलिए कहा है ,क्योंकि बादलों का कभी अंत नहीं होता है।

उत्साह कविता में कौन किसको संबोधित कर रहा है?

उत्साह कविता में कवि ने कवियों के लिए 'नव जीवन वाले' संबोधन का प्रयोग किया है। 8. कवि बादल को सम्पूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए क्यों कहता है? कवि बादल को संपूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए इसलिए कहता है ताकि वे मृतप्राय पड़ी संपूर्ण सृष्टि में एक साथ जीवन का संचार कर सकें।