उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए? - upaniveshavaad se aap kya samajhate hain isake prakaaron ka varnan keejie?

उपनिवेशवाद के बारें में (About Colonialism In Hindi) : इसे सरल शब्दों में समझे तो एक उपनिवेश एक ऐसा देश या क्षेत्र है जो किसी अन्य देश के पूर्ण या आंशिक राजनीतिक नियंत्रण में होता है, आमतौर पर दूर के देश द्वारा एक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया जाता है उसे उपनिवेशवाद कहा जाता हैं।

उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए? - upaniveshavaad se aap kya samajhate hain isake prakaaron ka varnan keejie?

या इसे ऐसे समझे की एक उपनिवेशिक देश (colonialism in india) का आर्थिक और सामाजिक विकास पूरी तरह से शासक देश के अधीन है। औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था सभी स्वतंत्र आर्थिक निर्णयों से छीन ली गई है। कृषि का विकास, देश के विशाल प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, इसकी औद्योगिक और टैरिफ नीतियों, विदेशी देशों के साथ व्यापारिक संबंध, और इसी तरह सत्तारूढ़ देश के हाथों में छोड़ दिया जाता है।

आपको बता दे की इतिहास में प्राय: पन्द्रहवीं शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी तक उपनिवेशवाद (post colonialism) का काल रहा। इस काल में यूरोप के लोगों ने विश्व के विभिन्न भागों में उपनिवेश बनाये। इसके परिणाम की बात करें तो पूंजीवाद में सम्मिलित उत्पादन की सभी शक्तियाँ तथा औपनिवेशिक संबंधों के बीच विरोधाभास इसका परिणाम है।

उपनिवेशवाद के प्रकार (Types of colonialism) :

यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको उपनिवेशवाद के प्रकारों से अवगत करा रहे है, जो मुख्यत: 4 प्रकार के होते है...

  • बसने वाले उपनिवेशवाद
  • शोषण उपनिवेशवाद
  • सरोगेट उपनिवेशवाद
  • आंतरिक उपनिवेशवाद
  • उपनिवेश की स्थापना के कारण :

    यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको उपनिवेश की स्थापना के कारणों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...

  • कच्चे माल की प्राप्ति
  • जनसंख्या में वृद्धि
  • निर्मित माल की खपत
  • समृद्धि की लालसा
  • ट्रिपल G नीति

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    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    ♦ उपनिवेशवाद से औपनिवेशिक भारतीय समाज में होने वाले मौलिक परिवर्तनों को दिखाना है।
    ♦ किस प्रकार उपनिवेशवाद से पूंजीवादी व्यवस्था का अभिन्न अंग बना गया?

    हल करने का दृष्टिकोण

    ♦ उपनिवेशवाद का संक्षिप्त परिचय दें।
    ♦ उपनिवेशवाद ने औपनिवेशिक भारतीय समाज को कैसे परिवर्तित किया?
    ♦ यह विश्व पूंजीवादी व्यवस्था का अंग कैसे बना?
    ♦ निष्कर्ष।


    उपनिवेशवाद से तात्पर्य किसी शक्तिशाली एवं विकसित राष्ट्र द्वारा किसी निर्बल एवं अविकसित देश पर उसके संसाधनों को अपने हित में दोहन करने के लिये राजनीतिक नियत्रंण स्थापित करना है। इस क्रम में औपनिवेशिक शक्ति अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये उपनिवेशों पर सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक नियंत्रण भी स्थापित करती है। इससे औपनिवेशिक समाज में मौलिक परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं।

    जहाँ तक भारतीय औपनिवेशिक समाज की बात है तो उपनिवेशवाद ने इसे निम्नलिखित संदर्भो में मौलिक रूप से परिवर्तित किया जैसे:

    राजनीतिक स्तर पर स्वतंत्रता, समानता एवं जनतंत्र के विचारों का प्रसार हुआ। फलत: भारतीयों ने भी परंपरागत वंशानुगत शासन प्रणाली के स्थान पर लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में अपनी आस्था व्यक्त की।

    प्रशासन के स्तर पर भी वंशानुगत एवं कुलीन प्रशासक के स्थान पर योग्यता का महत्त्व स्थापित हुआ। शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत के आधार पर प्रशासन एवं न्याय को अलग-अलग देखा जाने लगा। विधि के शासन का महत्त्व स्थापित हुआ।

    संचार एवं परिवहन के साधनों के विकास तथा प्रशासनिक एकरूपता के कारण एकीकरण एवं राष्ट्रवाद की भावना के विकास को बढ़ावा मिला, जो अंतत: भारतीय राष्ट्र बनने की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण सहायक सिद्ध हुआ।

    उपनिवेशवाद से पाश्चात्य शिक्षा एवं चितंन का प्रचार-प्रसार हुआ, जिससे तार्किकता एवं मानवतावादी दृष्टिकोण का उदय हुआ। इसके आधार पर परंपरागत रूढ़ियों, धार्मिक एवं जातीय कुरूतियों में सुधार के प्रयास आरंभ हुए। इसी क्रम में राजा राममोहन राय, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, रमाबाई एवं सर सैबयद अहमद खाँ जैसे समाज सुधारक सामने आए।

    जहाँ तक विश्व पूंजीवाद व्यवस्था के अंग बनने की बात है तो अंग्रेज़ों ने मातृ देश के हित में कई नीतियाँ लागू कीं, जैसे:

    अंग्रेज़ों ने भारतीय कृषि को परिवर्तित करने के प्रयास में जमींदारी व्यवस्था का सूत्रपात किया जो मुगल काल में भारत में विद्यमान नहीं थी। ज़मीन को व्यक्तिगत संपत्ति बनाने से इसमें पूंजीवादी तत्त्व जुड़ गए, जो बड़े पैमाने पर स्वतंत्र रूप से खरीदी एवं बेची जाती थी।

    कृषि के वाणिज्यीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ गई तथा कृषि का पूंजीवादी रूपातंरण हुआ। उदाहरण के लिये अमेरिकी क्रांति के दौरान भारत से कपास के निर्यात में वृद्धि हुई।

    पूंजीवाद से ही प्रभावित होकर ब्रिटिश निवेशकों ने भारत में रेलवे, जूट उद्योग एवं चाय बगानों आदि में निवेश किया।

    लेकिन पूंजीवाद का यह स्वरूप मुख्यत: औपनिवेशिक शक्ति के ही हित में था तथा यह उपनिवेश के विकास में सहायक की बजाय अवरोधक ही था। इसका कारण औपनिवेशिक शक्ति द्वारा अपने मातृ देश के हित में नीतियाँ बनाना था। इसी का परिणाम था कि भारत विश्व पूंजीवाद का अभिन्न अंग होते हुए भी अपनी स्वतंत्रता के समय विऔद्योगीकरण एवं कृषि में पिछड़े देश के रूप में सामने आया।

    निष्कर्षत: कह सकते हैं कि उपनिवेशवाद ने औपनिवेशिक भारतीय समाज में राजनीतिक, प्रशासनिक एवं सामाजिक दृष्टि से मौलिक परिवर्तन किया तथा इसे विश्व पूंजीवादी व्यवस्था का अंग बना दिया। इस पूंजीवाद का स्वरूप औपनिवेशिक शक्ति के ही हित में था।

    उपनिवेशवाद कितने प्रकार के होते है?

    उपनिवेशवाद आबादकार उपनिवेशवाद, शोषण उपनिवेशवाद, वृक्षारोपण उपनिवेशवाद, छद्म उपनिवेशवाद और आंतरिक उपनिवेशवाद पाँच प्रकार के होते हैं। उपनिवेशवाद और शोषण उपनिवेशवाद उपनिवेशवाद के दो मुख्य रूप हैं। बसने वाले उपनिवेशवाद में धार्मिक, आर्थिक या राजनीतिक कारणों से बड़े पैमाने पर आप्रवासन शामिल है।

    उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं वर्णन करें?

    उपनिवेशवाद का अर्थ है - किसी समृद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने विभिन्न हितों को साधने के लिए किसी निर्बल किंतु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राष्ट्र के विभिन्न संसाधनों का शक्ति के बल पर उपभोग करना।

    उपनिवेशवाद से आप क्या समझते है उपनिवेशवाद के आरम्भ के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये?

    यूरोप के राज्यों मे पूंजी की मांग कम थी अतः उस पर बहुत कम ब्याज मिलने की संभावना थी। इसी कारण पूंजी को उपनिवेशों मे लगाने की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई। इस तरह यूरोपीय देशों के अतिरिक्त पूंजी वाले लोगों ने अपनी सरकार को उपनिवेश स्थापना के लिए प्रेरित किया। उपनिवेशवाद के उदय का एक कारण कच्चे माल की आवश्यकता भी थी।

    उपनिवेशवाद क्या है और इसके विभिन्न चरण क्या हैं?

    उपनिवेशवाद एक पद्धति के रूप में आधुनिक काल के आरंभ, यानी सोलहवीं शताब्दी में ही उद्गमित होना शुरू हो गया था। इसके विशिष्ट स्वरूप को समझने के लिए पूर्व कालों से इसकी भिन्नता पर गौर करना होगा । उपनिवेश तो हमेशा ही रहे हैं। यूनानी ईसापूर्व काल में ही उपनिवेश स्थापित कर चुके थे ।