सम्पूर्ण दशांश हवन विधि Show माला एवं सम्पूर्ण सामग्री के साथ आसन पर बेठ जाना चाहिए। पंचोपचार पूजन विधि द्वारा गुरु ,गणेश , दशांश हवन कुण्ड आदि का पूजन संपन्न करे : सबसे पहले पवित्रीकरण- ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वा गतोअपी वा य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यांतर: शुचि: | इसके बाद पंचपात्र से जल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए जल पिए : ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा | ॐ अमृतापिधानीमसि स्वाहा | ॐ सत्यं यश: श्रीर्मयि श्री:श्रयतां स्वाहा | अब निम्न मंत्र बोलकर हाथ धो ले ॐ नारायणाय नमः। अब शिखा पर हाथ रखकर मस्तिष्क में स्तिथ चिदरूपिणी महामाया दिव्य तेजस शक्ति का ध्यान करें जिससे साधना में प्रवृत्त होने हेतु आवश्यक उर्जा प्राप्त हों सके—चिदरूपिणि महामाये दिव्यतेज: समन्वितः | तिष्ठ देवि ! शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे | | अब अपने आसन का पूजन करें जल, कुंकुम, अक्षत से— ॐ ह्रीं क्लीं आधारशक्तयै कमलासनाय नमः | ॐ पृथ्वी ! त्वया धृतालोका देवि ! त्वं विष्णुना धृता त्वं च धारय माँ देवि ! पवित्रं कुरु चासनम | ॐ आधारशक्तये नमः, ॐ कूर्मासनाय नमः, ॐ अनंतासनाय नमः | अब
दिग्बन्ध करें यानि दसों दिशाओं का बंधन करना है, अतः इसके लिए चावल या जल अपने चारों ओर छिडकना है और बांई एड़ी से भूमि पर तीन बार आघात करना है …. अब भूमि शुद्धि करना है जिसमें अपना दायाँ हाथ भूमि पर रखकर मन्त्र बोलना है— ॐ भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्यधर्त्रीं | पृथ्वी यच्छ पृथ्वीं दृ (गुं) ह पृथ्वीं मा ही (गूं) सी: दीप पूजन : दीपक जला लें | दीपो ज्योति: परं ब्रम्ह दीपो ज्योति: जनार्दन: | दीपो हरतु में पापं दीपज्योति: नमोऽस्तु ते || कलश पूजन : हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कलश में ‘ॐ’ वं वरुणाय नम:’ कहते हुए वरुण देवता का तथा निम्न श्लोक पढ़ते हुए तीर्थों का आवाहन करेंगे – गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति | नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु || (अक्षत –पुष्प कलश के सामने चढ़ा दें | ) कलश को तिलक करें | पुष्प, बिल्वपत्र व दूर्वा चढायें | धुप व दीप दिखायें | प्रसाद चढायें | अब ललाट पर चन्दन, कुंकुम या भस्म का तिलक धारण करे…. कान्तिं लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलमं मम ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्याहम || संकल्प :मैं ……..अमुक……… गोत्र मे जन्मा,………………. यहाँ आपके पिता का नाम………. ……… का पुत्र………………………..यहाँ आपका नाम…………………, निवासी…………………..आपका पता………………………. आज सभी देवी-देव्ताओं को साक्षी मानते हुए गणपति ,गुरु जी की पूजा ,……….. का दशांश हवन कर रहा हूँ , स्वीकार करना और साधना में सफलता दिलाना।।।। जल पृथ्वी पर छोड़ दे तत्पश्चात गुरुपूजन करें:- गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा गुरु ही साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः अब आवाहन करें….. ॐ स्वरुपनिरूपण हेतवे श्री गुरवे नमः, अब गुरुदेव का पंचोपचार पूजन संपन्न करें—- अब गणेश पूजन करें — हाथ में जल अक्षत कुंकुम फूल लेकर ॐ गणानां त्वां गणपति (गूं) हवामहे आहमजानि गर्भधमा त्वामजासी गर्भधम | ॐ गं गणपतये नमः ध्यानं समर्पयामी | आवाहन— हे हेरम्ब! त्वमेह्येही अम्बिकात्रियम्बकत्मज | सिद्धि बुद्धिपते त्र्यक्ष लक्ष्यलाभपितु: पितु: ॐ गं गणपतये नमः आवाहयामि स्थापयामि नमः पूजयामि नमः | गणपतिजी के
विग्रह के अभाव में एक गोल सुपारी में कलावा अब क्षमा प्रार्थना करें— विनायक वरं देहि महात्मन मोदकप्रिय | निर्विघ्न कुरु मे देव सर्व कार्येशु सर्वदा || विशेषअर्ध्य— एक पात्र में जल चन्दन, अक्षत कुंकुम दूर्वा आदि लेकर अर्ध्य समर्पित करें, निर्विघ्नंमस्तु निर्विघ्नंस्तू निर्विघ्नंमस्तु | ॐ तत् सद् ब्रह्मार्पणमस्तु | अनेन कृतेन पूजनेन सिद्धिबुद्धिसहित: श्री गणाधिपति: प्रियान्तां || अब माँ का पूजन करें— माँ आदि शक्ति के भी अनेक ध्यान हैं जो प्रचलित है: सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके | शरण्ये त्रयाम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते || अब भैरव पूजन करें— ॐ यो भूतानामधिपतिर्यास्मिन लोका अधिश्रिता: | यऽईशे महाते महांस्तेन गृह्णामी त्वामहम || ॐ तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पांतदहनोपम् | भैरवाय नमस्तुभ्यंनुज्ञां दातुर्महसि || ॐ भं भैरवाय नमः | अग्नि स्थापन : अग्नि प्रज्वलित करके अग्निदेव को प्रणाम करें | ॐ पावकान्गयें नम: | अब घी से अहुतिया देते हुए एक बूंद जल में छोड़ते जायेंगे: ॐ ब्रम्हणे स्वाह । इदं ब्रम्हणे नमम ।। ॐ प्रजापतये स्वाह। इदं प्रजापतये नमम।। ॐ इन्द्राये स्वाह । इदं इन्द्राये नमम ।। ॐ अग्नेय स्वाह । इदं अग्नेय नमम।। ॐ अनुमतये स्वाह । इदं अनुमतये नमम।। ॐ कश्पाये स्वाह। इदं कश्पाये नमम। ॐ विश्वेभ्यो देवोभ्यो स्वाह। इदं विश्वेभ्यो देवोभ्यो नमम। ॐ सर्वोभ्यो देवोभ्यो स्वाह । इदं सर्वोभ्यो देवोभ्यो नमम। ॐ अश्वनीकुमाराभ्याम स्वाह । इदं अश्वनीकुमाराभ्याम नमम।
Pages: 1 2 3 125000 का दशांश कितना होता है?125000 का दशांश कितना होता है?. दशांश यज्ञ क्या है?दशांश हवन का अर्थ होता है कि जितना जप किया है उसका दस प्रतिशत हवन कर देना।
हवन विधि कैसे बनाएं?हवन की विधि : हवन करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें। इसके तहत सबसे पहले प्रतिदिन की तरह पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करते हुए, हवन कुंड में आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद हवन मंत्रों से आहुति देते हुए प्रारंभ करें। फिर नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें।
नित्य हवन कैसे करें?हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियां या उपले घी में डुबोकर डाले जाते हैं। पंडित वैभव जोशी कहते हैं कि हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से हवन शुरू करें।
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