दहन की क्रिया के लिए कितने शर्त आवश्यक है? - dahan kee kriya ke lie kitane shart aavashyak hai?

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इसे सुनेंरोकें*दहन के लिए आवश्यक शर्तें हैं:*1️⃣ ईंधन और वायु 2️⃣ ईंधन, वायु और ऊष्मा 3️⃣ ईंधन और ऊष्मा 4️⃣ वायु और ऊष्मा​

दहन में सहायता करने वाली गैस कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंदहन का समर्थन करने वाली गैस ऑक्सीजन है। दहन प्रक्रिया में, ऑक्सीजन एक आक्सीकारक के रूप में कार्य करता है, जलने में सहायता करता है और परिणामस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प का निर्माण होता है।

दहन कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंदहन की अभिक्रिया के दर के आधार पर दहन को तीन भागों में बाँटा जा सकता है। दहन के ये तीन प्रकार हैं तीव्र दहन, स्वत: दहन तथा विस्फोट।

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दहन की परिभाषा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी जलने वाले पदार्थ के वायु या आक्सीकारक द्वारा जल जाने की क्रिया को दहन या जलना (Combustion) कहते हैं। दहन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (exothermic reaction) है। इस क्रिया में दहन आँखों से ज्वाला दिख भी सकती है और नहीं भी। इस प्रक्रिया में ऊष्मा तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) भी उत्पन्न होते हैं।

लकड़ी का जलना कौन से दहन का उदाहरण है?

इसे सुनेंरोकेंनिम्न में कौन स्वतः दहन का उदाहरण है? लकड़ी का जलना .

दहन की प्रक्रिया क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजिस प्रक्रिया में कोई पदार्थ ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है, उसे दहन कहते हैं।

दहन और ज्वाला क्या है?

इसे सुनेंरोकेंदहन होने के लिए उस पदार्थ को ऑक्सीजन की उपस्थिति की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन न मिलने पर दहन बंद हो जाता है। ज्वाला- जब किसी पदार्थ का दहन होता है उस समय उसमें से कुछ लपटे बाहर निकल कर आती हैं जिसे हम जवाला कहते हैं। हम आग पर नियंत्रण कैसे पाते हैं।

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कोयले का दहन का रासायनिक समीकरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंCकोयला+O2ऑक्सीजन→CO2कार्बन डाई ऑक्साइड ऑक्सीकरण अभिक्रिया है।

आग जलाने के लिए वायु की जरूरत क्यों होती है?

इसे सुनेंरोकेंहम जानते हैं कि काष्ठ-कोयला वायु में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड, ऊष्मा और प्रकाश देता है। चित्र 6.1 : मैग्नीशियम का दहन। रासायनिक प्रक्रम जिसमें पदार्थ ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर ऊष्मा देता है, दहन कहलाता है। जिस पदार्थ का दहन होता है, वह दाह्य कहलाता है।

किसी जलने वाले पदार्थ के वायु या आक्सीकारक द्वारा जल जाने की क्रिया को दहन या जलना (Combustion) कहते हैं। दहन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (exothermic reaction) है। इस क्रिया में दहन आँखों से ज्वाला दिख भी सकती है और नहीं भी। इस प्रक्रिया में ऊष्मा तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) भी उत्पन्न होते हैं। आम दहन के उत्पाद गैसों के द्वारा प्रदूषण भी फैलता है। विज्ञान के इतिहास में अग्नि वा ज्वाला सबंधी सिद्धांतों का विशेष महत्व रहा है।

उदाहरण के लिए किसी हाइड्रोकार्बन के दहन का सामान्य रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है-

CxHy+(x+y4)O2→xCO2+(y2)H2O{\displaystyle \mathrm {C} _{x}\mathrm {H} _{y}+\left(x+{\frac {y}{4}}\right)\mathrm {O_{2}} \rightarrow \;x\mathrm {CO_{2}} +\left({\frac {y}{2}}\right)\mathrm {H_{2}O} }

मिथेन के लिए इस समीकरण का स्वरूप निम्नवत हो जाएगा-

C3H8+5O2→3CO2+4H2O{\displaystyle \mathrm {C_{3}H_{8}} +\mathrm {5O_{2}} \rightarrow \;\mathrm {3CO_{2}} +\mathrm {4H_{2}O} }

मध्यकालीन युग तक लोग अग्नि को एक तत्व मानते रहे। रॉबर्ट बॉयल (Robert Boyle) तथा रॉबर्ट हुक (Robert Hook) ने यह दिखलाया कि यदि किसी बर्तन से हवा निकाल दी जाए तो उसमें गंधक या कोयला नहीं जलेगा और यदि उसमें पुन: हवा प्रविष्ट कर दी जाए तो वह फिर जल उठेगा। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि शोरे (saltpetre) के साथ किसी पदार्थ का मिश्रण शून्य स्थान में भी प्रज्वलित हो जाता है, जिससे यह पता लगता है कि हवा तथा शोरे दोनों में कोई ऐसा पदार्थ है जिसके कारण ज्वलन की क्रिया होती है। बाद में यह भी पता चला कि हवा में किसी पदार्थ के जलने से हवा के आयतन में कमी हो जाती है तथा बची हुई हवा निष्क्रिय होती है, जिसमें दहन संभव नहीं है। यह भी मालूम हुआ कि बंद स्थान में जीवधारियों की श्वासक्रिया से भी वही परिणाम मिलता है। अत: श्वासक्रिया तथा दहन समान क्रियाएँ हैं।

स्टाल (G.E. Stahl) ने 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्लाजिस्टन सिद्धांत का प्रतिपादन किया, परंतु उसने बॉयल द्वारा ज्ञात तथ्यों की ओर ध्यान नहीं दिया। उसने यह बतलाया कि प्रत्येक दाह्य पदार्थ दो प्रमुख अवयवों से बना होता है। एक फ्लोजिस्टन, जो दहन क्रिया होने पर निकल जाता है तथा दूसरा राख (calx), जो बाद में बच रहती है। यह विचारधारा 1774 ई. तक प्रचलित रही। 1775 ई. में प्रीस्टले (Priestley) तथा शेले (Scheele) ने एक गैस का पता लगाया, जिसका नाम बाद में लाब्वाज़्ये (Lavoisier) ने ऑक्सीजन रखा। सन् 1783 में लाब्वाज़्ये ने सुझाव रखा कि हवा का सक्रिय भाग ऑक्सीजन है, दहन में इसी की आवश्यकता पड़ती है और बिना इसके दहन संभव नहीं है। उसने यह भी बतलाया कि दाह्य पदार्थों के साथ जलते समय ऑक्सीजन रासायनिक संयोग करता है।

लकड़ी तथा कोयले के जलने में सबसे पहले उनमें से वाष्पशील पदार्थ निकलते हैं, जिनमें कुछ गैसों का मिश्रण होता है। इसके बाद बचा हुआ कोयला ऑक्सीजन की सहायता से जलता है और इसकी दहन गति सतह पर ऑक्सीजन के पहुँचने पर निर्भर है। अपूर्ण दहन होने पर कार्बन मोनोक्साइड नामक एक विषैली गैस बनती है। साधारणतया ईंधन के ऊपरी भाग का पर्याप्त आक्सीजन प्राप्त हो जाने से वह जलकर कार्बन डाइक्साइड बनता है, पर यदि हवा निकलने का ठीक प्रबंध नहीं है तो यह कमरों में इकट्ठा होती रहती है और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होती है।

यदि दहनशील पदार्थ अधिक मात्रा में एकत्रित किए जाएँ तो कभी कभी उनमें स्वत: दहन हो जाता है। उनमें मंद ऑक्सीकरण होता है। इससे निकलती उष्मा इतनी अधिक होती है कि उनका ताप बढ़ जाता है, जिससे वे जलने लगते हैं। मृदुकोक (soft coke) के छोटे टुकड़ों में स्वत: दहन की संभावना अधिक रहती है, अत: उनको गीला करके सुरक्षित रखा जाता है। द्रव ईंधन वाष्पीकृत होने पर ही हवा या ऑक्सीजन के साथ मिश्रण बनने पर जलते हैं।

इससे प्रदर्शित होता है कि सतत दहन के लिए वायु (आक्सीजन) आवश्यक है।

गैसों के अणु गतिशील होते हैं और एक दूसरे से टकराते रहते हैं। निम्न ताप पर इसका अधिक प्रभाव नहीं पड़ता, परंतु ऊँचे ताप पर टकराने से पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे रासायनिक क्रियाएँ संपन्न हो सकती है। ईंधन और ऑक्सीजन के बीच की दहन क्रिया पहले सरल समझी जाती थी, पर अब सिद्ध हो गया है कि ये जटिल शृंखंलाबद्ध क्रियाएँ हैं। अधिक ऊर्जावाले अणुओं की टक्कर से परमाणु या मुक्तमूलक बनते हैं। ये मंद शृंखलाक्रियाएँ या तीव्र शृंखला-क्रियाएँ उत्पन्न कर सकते हैं।

दहन के लिए आवश्यक की शर्तें क्या है?

(b) हवा (ऑक्सीजन) हवा का अर्थ ऑक्सीजन की उपलब्धता है। ऑक्सीजन किसी भी पदार्थ को दहन में सहायता करता है। बिना ऑक्सीजन की उपलब्धता के दहन संभव नहीं है।

दहन कितने प्रकार के होते हैं?

जब कोई वस्तु आक्सीजन की उपस्थिति में जलता है तो उसे दहन कहते है।.
यह दो प्रकार के होते है।.
१ तीव्र दहन_जब दाह्य तेजी से जलकर उष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है, तो इस प्रकार के दहन को तीव्र दहन (रैपिड कम्बसन) कहा जाता है।.
२स्वत: दहन (स्पौनटेनियश दहन).

दहन के लिए वायु आवश्यक है क्यों?

हवा में ऑक्सीजन दहन के लिए आवश्यक है. दहन की प्रक्रिया के दौरान, गर्मी और प्रकाश दिया जाता है. इग्निशन तापमान सबसे कम तापमान है, जिस पर एक दहनशील पदार्थ आग फैल जाती है. ज्वलनशील पदार्थों बहुत कम इग्निशन तापमान है.

दहनशील पदार्थ का अर्थ क्या है?

Solution : जो पदार्थ जलकर ऊष्मा और प्रकाश देते हैं उन्हें दहनशील पदार्थ कहते हैं। इन्हें ईधन भी कहते हैं। जैसे -- लकड़ी, तेल इत्यादि।