प्रधानमंत्री की शक्तियां क्या क्या होती है? - pradhaanamantree kee shaktiyaan kya kya hotee hai?

जैसा की हम सब जानते हैं, हमारे भारत में शासन की संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है, जो कि ब्रिटेन से प्रेरित है तथा इसमें दो प्रकार के प्रमुख होते हैं-

  1. नाममात्र का प्रमुख- राष्ट्रपति, हमारे देश का संवैधानिक प्रमुख होता है तथा वही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति अन्य सभी मंत्रियों की भी नियुक्ति करता है तथा उन सभी के माध्यम से कार्यपालिका का कार्य होता है।  यही कारण है कि राष्ट्रपति को सत्ता का केवल नाममात्र का प्रमुख कहा जाता है।
  2. वास्तविक प्रमुख- राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री एवं मंत्रीपरिषद की सहायता से करता है। इसीलिए प्रधानमंत्री को वास्तविक प्रमुख कहा जाता है।

प्रधानमंत्री की शक्तियां क्या क्या होती है? - pradhaanamantree kee shaktiyaan kya kya hotee hai?
पं. जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री के पद को समझने के लिए हमें निम्न 2 अनुच्छेदों को समझना भी जरूरी है-

  • अनुच्छेद 74– संविधान के इस अनुच्छेद में बताया गया है कि राष्ट्रपति की सहायता के लिए एक मंत्री परिषद का गठन होगा।
  • अनुच्छेद 75– हमारे संविधान के अनुच्छेद 75 में प्रधानमंत्री पद की व्याख्या की गई है, जिसमें बताया गया है कि उपरोक्त मंत्रीपरिषद का प्रमुख प्रधानमंत्री होगा; अर्थात हम कह सकते हैं की केंद्र की कार्यपालिका का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है तथा सरकार का सम्पूर्ण दायित्व प्रधानमंत्री की देख-रेख में ही निभाया जाता है।

प्रधानमंत्री की नियुक्ति-

प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। लोकसभा में बहुमत दल के नेता को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है।

लोकसभा में बहुमत

जैसा कि पढ़ चुके हैं बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है; अब हम समझते हैं कि यह बहुमत कितना होना चाहिए?

लोकसभा में आधे से ज्यादा या कहें की 50%+1 मत प्राप्त करने वाले दल को बहुमत प्राप्त दल कहा जाता है।

न्यूनतम आयु

क्यूंकि प्रधानमंत्री बनने के लिए संसद के किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी है; इसीलिए प्रधानमंत्री पद के न्यूनतम आयु लोकसभा के सदस्य की न्यूनतम आयु के बराबर यानि 25 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। 

प्रधानमंत्री पद के लिए अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं है। हमारी संसदीय व्यवस्था में चुनाव के माध्यम से चुने गए उम्मीदवार (नेता) की अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं होती है।

राष्ट्रपति पद की तरह ही प्रधानमंत्री भी कितनी भी बार बना जा सकता है। संविधान में इसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

प्रधानमंत्री की शक्तियां क्या क्या होती है? - pradhaanamantree kee shaktiyaan kya kya hotee hai?
नरेंद्र मोदी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री

शपथ

भारत के राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री को पद और गोपनीयता संबंधी शपथ दिलाते हैं।

कार्यकाल

लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है इसीलिए, प्रधानमंत्री का कार्यकाल भी 5 वर्ष कहा जाता है। जबकि वास्तविक रुप में प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत (इच्छानुसार) होते हैं यानि जब तक प्रधानमंत्री को बहुमत प्राप्त होता है राष्ट्रपति इन्हें प्रधानमंत्री के रुप में कार्य करने देते हैं।

त्याग-पत्र

प्रधानमंत्री अपना त्याग-पत्र राष्ट्रपति को सौंपते हैं।

वेतन

वैसे तो प्रधानमंत्री को संसद के अन्य सांसदों जितना ही वेतन मिलता है; परंतु प्रधानमंत्री को मिलने वाले भत्ते बाकी सांसदों से अधिक होते हैं। जोकि प्रधानमंत्री को अन्य सांसदों से अलग बनाते हैं।

प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। व्यवहार में राष्ट्रपति लोक सभा के बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्ति करते है। प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जब लोकसभा में किसी एक दल या घटक को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो तो राष्ट्रपति स्वविवेक से ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्ति करता है जो लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध कर सके। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति द्वारा, संसद के बाहर से भी किसी व्यक्ति की नियुक्ति प्रधानमंत्री पद पर की जा सकती है, परन्तु बाहरी व्यक्ति को पद ग्रहण करने की तिथि से 6 माह के अंदर संसद के किसी भी सदन का सदस्य निर्वाचित हो जाना अनिवार्य होता है अन्यथा उसे अपने पद से हटाना पडता है।

प्रधानमंत्री के कार्यों और शक्तियों का वर्णन

‘प्रधानमंत्री की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन इन शीर्षकों के आधार पर किया जा सकता है 

1. संसदीय शासन 

संसदीय प्रणाली में शासन की वास्तविक शक्ति मंत्रीपरिषंद् में निहित होती है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करता है। प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालिका का वास्तविक अध्यक्ष होता है। प्रधानमंत्री को ‘‘मंत्रिमण्डल रूपी नाव का मल्लाह कहा जाता है।’ ‘प्रधानमंत्री की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन इन शीर्षकों के आधार पर किया जा सकता है -

  1. लोकसभा का नेता - प्रधानमंत्री लाके सभा के बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है और वही सरकार की महत्वपूर्ण नीतियों की सदन में घोषणा करता है। वार्षिक बजट एवं अन्य समस्त सरकारी विधेयक उसी के निर्देशानुंसार तैयार किये जाते है आरै सदन में प्रस्तुत किये जाते है। इसके अतिरिक्त वह सरकारी वह राष्ट्रपति को लोक सभा भंग करने का परामर्श दे सकता है। 
  2. मंत्रिपरिषद् व प्रधानमंत्री - प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद का निर्माण करता है, मंत्रियों में विभागों का बंटवारा करता है, विभागों मे परिवर्तन करना व मंत्रियों को पद से हटाना, मंत्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करना प्रधानमंत्री का प्रमुख कार्य है। 
  3. मंत्रिपरिषद् और राष्ट्रपति के मध्य की कडी - प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् की समस्त कार्यवाहियों से राष्ट्रपति को अवगत कराता है। राष्ट्रपति भी मंत्रिपरिषद् को यदि को परामर्श या निर्देश देना चाहे तो वह प्रधानमंत्री के माध्यम से ही देता है । 
  4. नियुंक्ति सम्बन्धी परामर्श- राष्ट्रपति को जो नियुक्तियॉ करने का अधिकार पा्र प्त है व्यवहार में वे सभी नियुक्तियॉ प्रधानमंत्री के परामर्श से ही राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। 
  5. उपाधि वितरण में राष्ट्रपति को परामर्श- राष्ट्रपति ‘भारत रत्न’ पद्म-भूषण पद्मश्री तथा अन्य राष्ट्रीय परु स्कारों का वितरण प्रधानमंत्री के परामर्श से ही करता है । 
  6. सरकार का प्रधान प्रवक्ता - संसद में, देश और विदेशों में प्रधानमंत्री ही सरकार की नीतियां का अधिकृत प्रवक्ता होता है । 
  7. आपातकालीन शक्तियॉ - राष्ट्रपति को प्राप्त आपातकालीन शक्तियों का वास्तविक प्रयोग, प्रधानमंत्री ही करता हैं। यद्धु पा्ररम्भ करने के सम्बन्ध में निर्णय लेना, राष्ट्रीय सुरक्षा, विजय, पराजय का पूर्णरूपेण उत्तरदायित्व प्रधानमंत्री का होता है। 
  8. अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भारत का प्रतिनिधित्व - प्रधानमंत्री अन्तर्राष्ट्रीय जगत में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। विदेश नीति सम्बन्धी निर्णय अंतिम रूप से प्रधानमंत्री द्वारा ही लिये जाते है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेना, अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं एवं विवादों को सुलझाने विदेशों से सन्धियॉं - समझौते करने में भी प्रधानमत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । 

2. मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रीमण्डल

मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रीमण्डल जैसे शब्दों का प्रयोग, पा्रय: एक दूसरें के लिए कर लिया जाता है।। वास्तविकता में ऐसा नहीें है। संविधान के 44 वें संशोधन से पूर्व मंत्रिमण्डल शब्द का प्रयोग संविधान में नहीे किया गया था। हम मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रीमण्डल में अंतर जाने जो इस प्रकार है : मंत्रिपरिषद् में सभी प्रकार के मंत्री होते है जैसे कैबिनेट मंत्री तथा राज्य मंत्री जबकि मंत्रिमण्डल में केवल वरिष्ठ मंत्री होते हैं। 


इसमें मंत्रियों की संख्या 15 से 20 के बीच होती है जबकि मंत्रीपरिषद में 70 से भी अधिक मंत्री हो सकते है। सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद की बैठक कभी-कभी ही होती है। दूसरी आरे मंत्रीमण्डल की बैठक आवश्यकतानुसार बार-बार होती रहती है। सरकार की नीतियों तथा कार्यक्रमों का निर्धारण मंत्रिमण्डल ही करता है न कि मंत्रिपरिषद्। 


इस प्रकार मंत्रिमण्डल मंत्रिपरिषद् के नाम से ही कार्य करता है तथा उसी की ओर कार्य करता है।

3. मंत्रिमण्डल के कार्य एवं शक्तियां

मंत्रिमण्डल की शक्तियां विशाल तथा जिम्मेदारियां अनेक है। राष्ट्रपति की सभी कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमण्डल करता है। मंत्रिमण्डल देश की आंतरिक एवं विदेशी नीति के निर्धारण संबंधी सभी प्रमुख निर्णय लेता है। लोगों को बेहतर जीवन की परििस्थ्ंतियां उपलब्ध कराने के लिए भी मंत्रिमण्डल नीतियां निर्धारित करता है। यह राष्ट्रीय वित्त पर नियंत्रण रखता है। सरकार द्वारा किए जाने वाला सारा खर्च तथा आवश्यक राजस्व जुटाना इसकी जिम्मेदारी है। 


राष्ट्रपति द्वारा संसद में दिए जाने वाले अभिभाषण की विषय वस्तु भी मंत्रिमण्डल तैयार करता है। जब संसद का अधिवेशन से न हो रहा हो, तो राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करवाने का दायित्च भी इसी पर है। प्रधानमंत्री के माध्यम से मंत्रिमण्डल की सलाह पर राष्ट्रपति संसद के अधिवेशन बुलाता है। संसद के कार्यक्रम की रूप रेखा भी मंत्रिमण्डल द्वारा तैयार की जाती है।

4. मंत्रियों का उत्तरदायित्व 

हम पहले पढ चुके हैं कि राष्ट्रपति को परामर्श तथा सहयोग देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होती है। जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करता है। संविधान के अनुसार मंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद काल तक अपने पद पर बने रहते हैं। परन्तु वास्तव में वे लोक सभा के प्रति उत्तदायी है और लोक सभा ही उन्हें हटा सकती है। वस्तुत: यह संविधान में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद् केवल लोक सभा के प्रति उत्तदायी है, दोनो सदनों के प्रति नहीं। मंत्रिपरिषद् उत्तरदायित्व संसदात्मक सरकार का एक आवश्यक लक्षण है। मंत्रिपरिषद्ीय दायित्व के सिद्धांत के दो आयाम है: सामूहिक उत्तरदायित्च तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्च ।

5. सामूहिक उत्तरदायित्व - 

हमारे संविधान में यह स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप में लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होगी। इस का वास्तव अर्थ यह है कि मंत्री लोक सभा के प्रति व्यक्तिगत रूप से ही उत्तरदायित्व नही अपितु सामूहिक रूप से भी हैं। सामूिहक उत्तरदायित्व के दो निहित अर्थ हैं। पहला यह कि मंत्रिपरिषद् का प्रत्येक सदस्य मंत्रीमण्डल के प्रत्येक निर्णय की जिम्मेदारी स्वीकार करता है। प्रधानमंत्री को मंत्रिपरिषद रूपी मेहराब की आधारशीला कहा जाता है यदि वह एक शीला न रहे तो समूचा मंत्रिपरिषद ध्वस्त हो जाता है। 


प्रधानमंत्री की स्थिति उस नाविक के समान होती है जिसके सहारे मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्य इकट्ठे तैरते हैं तथा इकट्ठे डूबते हैं। जब मंत्रीमण्डल द्वारा को निर्णय से मंत्री को बिना किसी झिझक के उसका समर्थन करना होगा। यदि को मंत्री, मंत्रिमण्डल के निर्णय से सहमत नहीं है तो उसके लिए केवल एक विकल्प बचता है कि वह मंत्रीपरिषद् से त्यागपत्र दे। सामूहिक उत्तरदायित्व का स्तर यह है कि मंत्री सरकार के साथ मतदान करें, यदि प्रधानमंत्री आग्रहपूर्वक कहे तो उसका समर्थन करें और बाद में ससंद में या अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अपने निर्णय की आलोचना को इस आधार पर रद्द न करें कि वह इस निर्णय से सहमत नहीं था। 


दूसरा यह कि प्रधानमंत्री के विरूद्ध अविश्वास का पारित होना समूचे मंत्रिपरिषद् के विरूद्ध अविश्वास है। इसी प्रकार, लोक सभा में किसी सरकारी विधेयक या बजट के विरूद्ध बहुमत होना, सारे मंत्रिमण्डल के विरूद्ध अविश्वास है न कि केवल विधेयक प्रस्तावित करने वाले के विरूद्ध़।

प्रधानमंत्री को कौन कौन सी शक्तियां प्राप्त हैं?

यह निश्चित करता है कि किस मंत्री को कौन सा विभाग दिया जायेगा और वह उनको आवंटित विभाग में फेरबदल भी कर सकता है। वह मंत्री परिषद् की बैठक की अध्यक्षता भी करता है और अपनी मर्जी के हिसाब से निर्णय बदल भी सकता है। किसी मंत्री को त्यागपत्र देने या उसे बर्खास्त करने की सलाह राष्ट्रपति को दे सकता है।

प्रधानमंत्री की क्या क्या भूमिका है?

भारतीय संविधान के अनुसार, प्रधानमन्त्री केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद् का प्रमुख और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का प्रमुख होता है और सरकार के कार्यों को लेकर संसद के प्रति जवाबदेह होता है।

राष्ट्रपति की शक्तियां क्या है?

विधायी शक्तियां राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत, सत्रावसान करना एवं लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी रखता है। नए राज्यों के निर्माण राज्य की सीमा में परिवर्तन संबंधित विधेयक, धन विधेयक या संचित निधि से व्यय करने वाला विधेयक एवं राज्य हित से जुड़े विधेयक बिना राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति के संसद में प्रस्तुत नहीं होते हैं।

राष्ट्रपति से बड़ा कौन होता है?

भारत का प्रधानमंत्री देश का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होता है. भारत के राष्ट्रपति का पद देश का सर्वोच्च पद होता है. 3. भारत का प्रधान मंत्री कैबिनेट और मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है.