शांत रस का स्थायी भाव कौन सा है? - shaant ras ka sthaayee bhaav kaun sa hai?

‘शांत रस’ का स्थायी भाव इनमे से कौन सा है?

  1. हास
  2. निर्वेद
  3. क्रोध
  4. रति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : निर्वेद

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दिएगएविकल्पोंमेंसे निर्वेदशांतरसकास्थायीभावहै।अन्य विकल्पअसंगतहै।अतःसहीविकल्पनिर्वेदहै।

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

उदाहरण

हास्यरस

(इसकास्थाईभावहास है)

जहांविकृतआकार, वेश-भूषा, चेष्टाआदिकेवर्णन सेहास्यउत्पन्नहो।

जैसेतंबूरालेमंचपरबैठेप्रेमप्रताप, साजमिलेपंद्रहमिनट, घंटाभरआलाप।

रौद्ररस

(इसकास्थाईभाव क्रोधहै)

किसीव्यक्तिकेद्वाराक्रोधमेंकिएगए अपमानआदिसेउत्पन्नहुआभाव।

जैसे - अविरतबोलेवचनकठोर, बेगीदेखाउमूढनत आजू।उलतऊँमाहिजंहलगतवराजू।

शृंगाररस

(इसकास्थाईभाव रति (प्रेम) है)

जिसरसमेंनायकनायिकाकेप्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसीक्रियायोंकावर्णनहो।

जैसे - बतरसलालचलालकी, मुरलीधरीलुकाय।कहां करें, भौंहनीहंसे, दैनकहै, नटिजाय।

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Last updated on Sep 21, 2022

The Madhya Pradesh Professional Examination Board (MPPEB) is soon going to release the official notification for the MP Patwari Recruitment 2022. More than 5000+ vacancies are expected to release this year. For the last recruitment cycle, a total number of 9235 were released for the MP Patwari Post. The selection of the candidates depends on their performance in the Written Examination. With a minimum educational qualification of 12th pass, it is a great opportunity for job seekers. Candidates can check the MP Patwari eligibility criteria here.

शांत रस का स्थाई क्या भाव है?

शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है, जब यह स्थायी होकर विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों से संयुक्त होकर रस रूप में परिणत हो जाता है, तब शान्त रस कहलाता है।

शांत रस का स्थायी भाव क्या है निर्वेद वीर अद्भुत?

शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है। इस रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ शान्त रस कि उत्पत्ति होती है।

शांत रस का उदाहरण क्या है?

शांत रस का उदाहरणShant ras ka udaharan मन रे तन कागद का पुतला। लागै बूँद बिनसि जाए छिन में, गरब करे क्या इतना॥ कबहुँक हौं यहि रहनि रहौंगौ। श्री रघुनाथ-कृपालु-कृपा तें सन्त सुभाव गहौंगो।

शांत रस की परिभाषा क्या है?

शांत रस की परिभाषा (Definition of Shant Ras in Hindi) शांत रस (Shant Ras), मोक्ष और आध्यात्म की भावना, संसार से वैराग्य होने या परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर जो शान्ति मिलती है वहाँ शांत रस होता है. शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है.