रोहतक। आर्यसमाज रूपनगर में चल रहे कार्यक्रम के चौथे दिन शिक्षा और विद्या के मौलिक अंतर को समझाया गया। आचार्य वीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी या आजीविका का अर्जन है जबकि विद्या से मनुष्य को ज्ञान मिलता है। उन्होंने दोनों की ही जरूरत को अहम बताया। उन्होंने भजन के जरिए मानव जीवन को बताया। कार्यक्रम में हरियाणा आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री रामपाल आर्य, कर्ण सिंह, सुखबीर दहिया, बलराज आर्य, दया किशन, राजेंद्र शास्त्री आदि मौजूद रहे। भौतिक उन्नति प्रगति, विकास और ज्ञान का सम्बन्ध शिक्षा से है। शिक्षा अक्षर ज्ञान, पुस्तकीय ज्ञान, सूचना संग्रह, अच्छे नम्बर और डिग्रियों तक सीमित है। शिक्षा शारीरिक सुख भोगों तक सीमित है। विद्या आत्मिक उन्नति परमात्म-चिन्तन और जीवन को श्रेष्ठ एवं पवित्र बनाती है। जीवन में धार्मिकता, आधुनिकता, नैतिकता, सदाचार शिष्टाचार आदि की भावना जाग्रत करती है। विद्या सुखी नीरोगी प्रसन्नता जीवन की कुंजी कहलाती है तभी कहा है, ‘‘विद्वाविहीनः पशुभिः समानः’’ विद्या हीन व्यक्ति पशु के समान होता है। विद्या से ही व्यक्ति विद्वान बनता है। शिक्षा से तरह-तरह का ज्ञान तो एकत्र हो जायगा, मगर सच्चे अर्थ में आत्मज्ञानी तथा विद्वान नहीं हो सकता है। Show
भारत सदा से विद्या का उपासक रहा है। यूरोप ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत उन्नति की है। मगर जीवन से विद्या और परमार्थ विद्या में पिछड़ गया। विद्या से ही मनुष्य सच्चे अर्थ में मानव बनता तथा कहलाता है। शास्त्र कहते हैं- ‘‘विद्या सा या विमुक्तये’’, सच्ची विद्या वह है जो हमें वचनों, बुराईयों, दोषों एवं अवगुणों से छुड़ाए। हमारे अन्दर प्रभुता से हटकर देवत्व की भावना जाग्रत करें। जो हमें जीवन का सत्य स्वरूप और सन्मार्ग बताए। सच्ची विद्या का पढ़ना-समझना जीवन का असली स्लेबस है। आज स्कूलों, कालेजों एवं विश्वविद्यालयों में भौतिक ज्ञान व शिक्षा पर तो पूरा समय, शक्ति, धन लगाया जा रहा है। जीवन की असली आत्मपरमात्म विद्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उसी का परिणाम है कि आदमी सच्चे अर्थ में इन्सान नहीं बन पा रहा है। जिसमें इन्सानियत, मनुष्योचित, गुण, कर्म, स्वभाव और आकर्षण हो। ‘‘विद्या धर्मेण शोभते’’ विद्या धर्म से बढ़ती, फलती-फूलती और शोभा प्राप्त होती है। विद्या से ही जीवन में आर्ट ऑफ लिविंग की कला आती है। जीवन में यदि जीवन नहीं तो चाहे कितना भी भौतिक ज्ञान, सुख-साधन, भोग पदार्थ एकत्र कर लें तब भी जीवन अपूर्ण तथा अधूरा ही रहता है। शिक्षा स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बढ़ाती है और विद्या स्टैंडर्ड ऑफ लाईफ को ऊंचा ले जाती है। विद्या धर्म युक्त जीवन जीते हुए धर्म अर्थ काम मोक्ष तक ले जाती है। यही जीवन का सत्य लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वर्तमान भौतिक शिक्षा में कुछ पढ़ाया और बताया नहीं जा रहा है। इसलिए वर्तमान शिक्षा विद्या से रहित अधूरी है। वेद का सन्देश ‘विद्या च अविद्या, च अविद्यो च’’ भौतिक ज्ञान के साथ मात्र आध्यात्म विद्या दोनों का समन्वय करके चलो तभी जीवन-जगत में सुख-शान्ति प्रसन्नता विश्वबन्धुत्व की भावना बनेगी। उपनिषद भी कहते हैं ‘विद्यया अमृतं अश्नुते’’ विद्या से अमृतत्व ;आनन्दद्ध की प्राप्ति संभव है। शिक्षा से भौतिक सुख भोग पदार्थ तो मिल जायेंगे, मगर सच्चा आत्म आनन्द नहीं मिलेगा। सच्चे आनन्द के खजाने का ताला तो आत्मविद्या की कुंजी से ही खुलेगा। जीवन जगत को जितनी भौतिक भिक्षा ;ज्ञानद्ध की जरूरत है, उतनी ही आत्म विद्या की भी आवश्यकता है। तभी वर्तमान समस्याओं, उलझनों, विवादों, दुःखों, कष्टों अशान्ति आदि का समाधान संभव है। आज शिक्षा बढ़ रही है। जीवन की असली विद्या घट रही है। भारत का जीवन-दर्शन रहा है शिक्षा-विद्या, भोग योग, भौतिकता आध्यात्मिकता, शरीर-आत्मा, प्रकृति परमात्मा आदि का सन्तुलन एवं समन्वय करके चलो। तभी जीवन-जगत सन्मार्ग की ओर प्रेरित रहेगा। भारतीय शिक्षा दर्शन में विद्यार्थी और विद्यालय बोला जाता है। जिसका सीधा सम्बन्ध विद्या के साथ है, न कि शिक्षा के साथ है। शिक्षा का सम्बन्ध इहलोक के साथ है और विद्या का सम्बन्ध इह श्रेष्ठ जीवन तथा परलोक दोनों के साथ है। आर्य समाज डॉ महेश विद्यालंकार नमस्कार दोस्तों…आज हम आपको “Knowledge और Education” अर्थात “ज्ञान और शिक्षा” के विषय में बताने जा रहे हैं. वैसे इनमे कुछ खास अंतर नहीं होता है और कहीं न कहीं ये दोनों एक दूसरे से जुड़े भी होते हैं. लेकिन कुछ इनमे अंतर भी पाए जाते हैं, जो इन्हे एक दूसरे से अलग सिद्ध करते हैं. जिन्हे आज हम आपको बताने की कोशिश करेंगे. आज हम आपको बताएंगे कि “ज्ञान और शिक्षा क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक. सूची
शिक्षा क्या है | What is Education in Hindi !!शिक्षा जिसे अंग्रेजी में “Education” बोला जाता है. ये एक फॉर्मल तरीका होता है जिसके जरिये ज्ञान प्राप्त किया जाता है. इसमें पूरी प्रक्रिया नियम के अनुसार चलती है. इसमें एक बच्चे को पहले स्कूल जाना होता है और एक निश्चित पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या को निभाते हुए सभी कक्षा को उत्तीर्ण करके कॉलेज या यूनिवर्सिटी तक का सफर पूर्ण करना होता है. इन सभी सफर के दौरान विभिन्न प्रकार के ज्ञान आपको प्राप्त होंगे. शिक्षा एक मुख्य जरिया होता है ज्ञान प्राप्त करने का. ज्ञान क्या है | What is knowledge in Hindi !!ज्ञान को अंग्रेजी में “knowledge” के रूप में जाना जाता है. ये एक इनफॉर्मल एक्सपीरियंस होता है. जो हम अपने जीवन के कई उतार चढ़ाव और शिक्षा द्वारा पाते हैं. ज्ञान का दूसरा अर्थ किसी व्यक्ति की चीज़ों की परिचितता और जागरूकता से भी होता है. फिर वो किसी भी विषय से जुड़ा हो सकता है जैसे कि: व्यक्ति, स्थान, घटनाओं, विचारों, मुद्दों की जागरूकता, आदि। इस प्रकार की जागरूकता को चीजों को सीखने और विचार करने या खोज करने के माध्यम से इकट्ठा किया जाता है. ये अवधारणाओं, अध्ययन और अनुभव की समझ के माध्यम से प्राप्त होती है. Difference between Education and Knowledge in Hindi | शिक्षा और ज्ञान में क्या अंतर है !!# शिक्षा एक फॉर्मल प्रोसेस है और ज्ञान एक इनफॉर्मल एक्सपीरियंस होता है. # शिक्षा का तरीका फॉर्मल शिक्षण से शुरू होता है जैसे कि: स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी जबकि ज्ञान वास्तविक जीवन के अनुभवों से प्राप्त किया जाता है. # शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिये कुछ उपयोगी अनुप्रयोग के लिए ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है जबकि ज्ञान अच्छी शिक्षा, साथियों, परामर्श और व्यापक रूप से पढ़ने से प्राप्त तथ्य होता है। # शिक्षा को एक अध्यापक द्वारा शिष्य को पढ़ाया जाने का तरीका है जबकि ज्ञान स्वयं प्राप्त किया जाता है या स्वयं संचालित होता है. # शिक्षा को एक के बाद एक फैक्ट्स, आईडिया और थ्योरी द्वारा चलाया जाता है जबकि ज्ञान इन तथ्यों और सिद्धांतों का अनुप्रयोग है, जहाँ किसी प्रकार का मार्गदर्शन नहीं होता है. # शिक्षा में पहले से ही नियमों को बनाया गया है और उन्ही के अनुसार पाठ्यक्रम को चलाया जाता है जबकि ज्ञान के लिए कोई नियम नहीं है कभी भी कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है. उम्मीद करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गयी इनफार्मेशन से कुछ लाभ अवश्य मिला होगा और साथ ही आपको हमारा ब्लॉग पसंद भी आया होगा. यदि फिर भी आपको कोई गलती दिखाई देती है, या कोई सवाल या सुझाव आपके मन में आता है. तो आप हमे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के बता या पूछ सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम आपकी उम्मीदों पे खरा उतर पाएं। धन्यवाद !!! विद्या और ज्ञान में क्या अंतर है?विद्या, जो एक से दूसरे को संबोधन द्वारा विकसित करने हेतु या पथ प्रदर्शक रूप प्रदान करने में सहायक होती है । ज्ञान, जो स्वयं के तप द्वारा मनुष्य को विद्या और अविद्या का अंतर प्रदान करता है, और जीवन के आचरण को सदुपयोग और सौहार्दपूर्ण रूप से प्रषस्त करने में सहायक होता है।
शिक्षा एवं ज्ञान में क्या सम्बन्ध है?शिक्षा मानव के अंतर्मन का एक ऐसा भाव है, एक ऐसी अनुभूति है जिससे हमारा वर्तमान ही नहीं भविष्य भी जुड़ा होता है। इस शिक्षा के संबंध में हमारे ऋषियों ने बहुत चिंतन किया होगा, वर्षो तक उन्होंने कार्य किया होगा और उस पर गहरे शोध किए होंगे, तब जाकर एक निश्चित मार्ग निकल पाया होगा।
विद्या कितने प्रकार के होते हैं?( छः वेदांग, चार वेद, मीमांसा, न्याय, पुराण और धर्मशास्त्र – ये ही चौदह विद्याएँ हैं ॥ २८ ॥ इन्ही में आयुर्वेद, धनुर्वेद और गान्धर्व इन तीनों को तथा चौथे अर्थशास्त्र को मिला लेने से कुल अठारह विद्या हो जाती हैं॥
शिक्षा का ज्ञान क्या है?शिक्षा ज्ञान, उचित आचरण, तकनीकी दक्षता, विद्या आदि को प्राप्त करने की प्रक्रिया को कहते हैं। शिक्षा में ज्ञान, उचित आचरण और तकनीकी दक्षता, शिक्षण और विद्या प्राप्ति आदि समाविष्ट हैं। इस प्रकार यह कौशलों (skills), व्यापारों या व्यवसायों एवं मानसिक, नैतिक और सौन्दर्यविषयक के उत्कर्ष पर केंद्रित है।
|