स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे बड़ी समस्या कौन सी थी? - svatantrata ke baad bhaarat kee sabase badee samasya kaun see thee?

अभी बहुत आगे बढऩा है
आजादी के बाद देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव हुआ है। हमारा देश विकासशील देशों में आता है। इसलिए हमारी संतुष्टि देश के विकास को रोक सकती है। हमें संतुष्ट नहीं होना है, बल्कि देश के लिए अभी बहुत कुछ करना है। ।
रितु शेखावत, जयपुर
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खाद्यान्न में बन चुके आत्मनिर्भर
देश में आजादी के बाद हुए विकास से पूरी तरह संतुष्ट हैं। भारत 200 साल की ब्रिटिश गुलामी से सन 1947 में आजाद हुआ। जब देश आजाद हुआ, उस समय कई चुनौतियों से जूझ रहा था। ऐसे समय में देश ने अपना संविधान बनाया। संवैधानिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक सुधार किए। कई योजनाएं-परियोजनाएं चालू की गईं। कई बांध, पुल, नहरों व उद्योगों का विकास किया गया। इस दौरान हम खाद्यान्न में भी आत्मनिर्भर हो गए।
-रामचंद्र निनामा, बांसवाड़ा
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विकास की गति धीमी
आजादी के बाद देश में विकास हुआ है, लेकिन जिस गति से होना था वह नहीं हो पाया। जिस समय देश आजाद हुआ उस समय बहुत कम आबादी होने के बावजूद खाद्यान्न की कमी थी। बेरोजगारी की वजह से गरीबों की संख्या निरन्तर बढ़ रही थी, लेकिन देश आजाद होने के बाद से ही इन सारी चीजों में कमी आती गई और अधिकांश मामलों में आत्मनिर्भरता बढ़ी हैं। बावजूद इसके राजनीति और कार्यपालिका में बढ़ते भ्रष्टाचार की वजह से जिस विकास की उम्मीदें देशवासी लगाए बैठे थे, उसमें अपेक्षित सफलता नही मिली। खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होने के बावजूद कुप्रबन्धन की वजह से भुखमरी और कुपोषण की समस्या आज भी कायम हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है। इस कारण देश की बड़ी आबादी आज भी परेशान हैं ।
-विनोद कटारिय,ा रतलाम
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प्रगतिशील है भारत
स्वतंत्रता के बाद भारत को एक बिखरी अर्थव्यवस्था, व्यापक निरक्षरता और चौंकाने वाली गरीबी का सामना करना पड़ा। आजादी के बाद महात्मा गांधी व अन्य महापुरुषों के विचारों से देश को विकास के पथ पर लाने की कोशिश की गई।। नि:संदेह आजादी के बाद शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान के क्षेत्र मे निरंतर विकास हुआ है।
-धीरेंद्र सिंह भीनमाल
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गांव विकास से दूर
देश को आजाद हुए 73 वर्ष हो चुके हैं और इन वर्षों में विभिन्न सरकारों ने समय-समय पर कई योजनाएं देश के विकास के लिए बनाई और लागू की। भारत गांवों का देश है। गांवों की स्थिति को देखते हुवे देश के विकास के लिए किए गए प्रयास नाकाफी है। इसके कारण हमारा देश विकसित देशों की तुलना में पीछे है। इसके पीछे कई कारण है जिनमें से प्रमुख कारण शिक्षा का अभाव और भ्रष्टाचार है। हालांकि सरकारें भ्रष्टाचार को रोकने के लिए समय समय पर कदम उठा रही है। फिर भी भ्रष्टाचार थम नहीं रहा है। यहां तक कि भ्रष्टाचार में जन प्रतिनिधि और बड़े अधिकारी तक लिप्त पाए जा रहे हैं।
-शैलेन्द्र टेलर उदयपुर
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हर क्षेत्र में हुआ विकास
आजादी के बाद हुए देश के विकास से हर व्यक्ति को संतुष्ट होना चाहिए। हमने चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेेखनीय विकास किया है। विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थानों का निर्माण हुआ है। देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सड़कें, पुल और उन पर द्रुतगति से दौड़ते वाहन नजर आते हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में हम किसी से पीछे नहीं हैं। कहने का मतलब आजादी के बाद हमने हर क्षेत्र में झंडे गाड़े हैं।
-थानसिंह सिनसिनवार, तिलचिवी, भरतपुर
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विकास पर गर्व
आजादी के बाद हुए देश के विकास से देशवासियों को गर्व करना चाहिए। आजादी के बाद देश में शिक्षा, रोजगार, आत्मसम्मान, सुरक्षा, तकनीकी, प्रौद्योगिकी, खाद्यान्न उत्पादन, परिवहन साधन, पानी, बिजली, चिकित्सा सहित कई आधारभूत क्षत्रों मे आमूलचूक सुधार देखने को मिले। मेरा मानना है कि अब इन विकास कार्र्योंं को बढ़ावा देने की जरूरत हैं। आज भ्रष्टाचार उन्मूलन, आयुर्वेद चिकित्सा, रोजगार, गरीबी उन्मूलन, जल संरक्षण बिना कीटनाशक की खेती, गौ संवर्धन जैसे मुद्दों पर काम करने की जरूरत हैं ।
सुनील कुमार पाटनी, बगरू, जयपुर
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बढ़ गई बेरोजगारी
आजादी के बाद देश में बेरोजगारी की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। सरकार को इसके बारे मे विचार करने की जरूरत है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो देश पिछड़ जाएगा। जब तक सरकार रोजगार के लिए अच्छे प्रबंध नहीं करेगी, तब तक विकास तो न के बराबर ही माना जाएगा।
-स्वाति मोदी, जयपुर
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कलाम का सपना
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने कल्पना की थी और कहा था की सन 2020 तक भारत एक विकसित राष्ट्र होगा। उनकी कल्पना मात्र कल्पना ही रह गई। आज भी भारत देश विकासशील ही है। देश के योजनाबद्ध विकास कि जिम्मेदारी सरकारों की होती है, लेकिन सरकारें देश के विकास की बजाय खूद के दल के विकास में लगी हुई हैं। इससे जनता को निराशा ही हाथ लगी है। देश के विकास को गति देने के लिए कानूनों मे बदलाव कि सख्त आवश्कता है। आरक्षण क़ानून में बदलाव हो व जनसंख्या नियन्त्रण कानून जल्द से जल्द लागू हो।
-अर्पित खण्डेलवाल,जयपुर
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नए कीर्तिमान बनाए
आजादी के बाद भारत ने निरंतर विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क आदि क्षेत्र में विकास हुआ। कंप्यूटर क्रांति ने देश के विकास को गति दी।
-अरविंद भंसाली, जसोल
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मुश्किल में हैं महिलाएं
यह सही है कि आजादी के बाद हमारे देश की अर्थवयवस्था में सुधार आया है, सेवा क्षेत्र व शिक्षा क्षेत्र में वृद्धि देखने को मिली है , अंतरिक्ष क्षेत्र में उपलब्धियां मिली हैं । इसके बावजूद आज भी समाज संकीर्णता से नहीं उबर पाया है। इसकी वजह से आज भी देश की महिलाएं पूरी तरह आजाद नहीं हैं। महिला अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। गरीब आदमी आज भी भूख से मर रहा है। किसान आत्मत्या कर रहे हैं। अब भी जातिवाद हमारे देश के विकास में एक बहुत बड़ी बाधा है।
-पायल पालीवाल, बूंदी,
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तुलनात्मक रूप से कम
अगर विज्ञान, शिक्षा, आई टी, तकनीकी व अंतरिक्ष के क्षेत्र की बात करें, तो काफी हद तक भारत विकास की ओर अग्रसर है। अगर दूसरे देशों से तुलना की जाए, तो आज भी भारत कहीं पीछे दिखाई देता है। भारत की प्रतिभाएं दूसरे देशों में जाने को मजबूर हैं।
-करण सोलंकी, तखतगढ,़ पाली
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विकास हुआ, लेकिन समस्याएं भी हैं
आजादी के बाद जीडीपी में बढ़ोतरी हुई हैं, भारत की प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ी है। लोगों का लीविंग स्टैंडर्ड भी बढ़ा है। रेलवे, एयरपोर्ट, मशीनीकरण, उद्योग धंधे आदि का भी विकास हुआ है। इस प्रकार आजादी के बाद भारत का निरंतर विकास देखने को मिलता है। इसके बावजूद अब भी भारत में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी जैसे समस्याएं बनी हुई हैं। भारत में बड़ी संख्या में शिक्षित बेरोजगार हैं। उनके पास काम-धंधा नहीं है, जिसकी वजह से वे निराश हैं। इससे अपराध भी बढ़ रहे हैं। देश में आर्थिक तंगी के कारण किसानों की आत्महत्या भी बढ़ी हैं।
-कैलाश गहलोत, जोधपुर।
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बदल रहा है देश
औपनिवेशिक काल में भारत के एक पैन भी नहीं बनाने की क्षमता से लेकर आज तक जो प्रगति हुई है, वह उल्लेखनीय है। भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक बन गया है। शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अलावा अंतरिक्ष क्षेत्र में भी उपलब्धियां हासिल की है। शिक्षा का तेजी से प्रसार हुआ है।
-नरेंद्र सेन श्रीगंगानगर
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दो तस्वीर
आजादी के बाद भारत के विकास की दो तस्वीरे हंै। एक ओर तो उजाला नजर आता है, वहीं दूसरी ओर अंधकार। आजादी के 73 वर्ष बाद भी गरीबी सिर्फ राजनेताओं को अपनी राजनीति चमकाने का साधन नजर आती है, वहीं जो देश के लिए कुछ करने के योग्य हैं, वे सिर्फ अपने लिए ही कर रहे हंै। एक सरकारी चपरासी भी भ्रष्टाचार करके करोड़पति हो रहा है। आज भी देश की जनता स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा एवं मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान है।
-अतुल सर्राफ , रीवा, मप्र
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शिक्षा का प्रसार हुआ
आजादी के बाद हुए विकास से हम संतुष्ट हैं। सभी क्षत्रों में विकास हुआ है। आजादी के बाद देश में बड़े-बड़े कारखाने स्थापित किए। शिक्षा का प्रसार हुआ।
-मनीष चौधरी, पाली
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निम्न वर्ग को भी साथ लें
देश को आजाद हुए सात दशक से ज्यादा हो गए हैं। भारत आजादी के बाद लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत लगातार आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है। सही मायने में देश का आर्थिक विकास तब ही होगा जब समाज का निम्न वर्ग भी विकास की मुख्य धारा में शामिल होगा
-विनीत पँवार, मन्दसौर, मध्यप्रदेश
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शिक्षा और चिंकित्सा की उपेक्षा
किसी भी देश का विकास उस देश की शिक्षा के स्तर और स्वास्थ सुविधाओं से जाना जाता है। आजादी के सात दशक बाद सरकारी स्कूल बदहाल हैं। इन स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। इसी तरह सरकारी अस्पताल भी बदहाल हैं। किसी भी सरकार ने इन दो सुविधाओं पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। आज से पूरे भारत को इन दोनों सुविधाओं को पूरे देशवासियों को देने के लिए दृढ़ संकल्पित होना होगा, तभी सही मायने मे देश का विकास होगा।
-रीना सक्सेना, भोपाल, मध्य प्रदेश
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सुधार की जरूरत
आजादी के बाद हम देश के विकास से संतुष्ट हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना है। कुछ गांवों में अभी बिजली-पानी की व्यवस्था ही नहीं है। इसलिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
-प्रियांशु शर्मा शाहपुरा जयपुर
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आरक्षण के कारण असमानता बढ़ी
भारत ने आजादी के पश्चात अनेक क्षेत्रों में विकास किया। तकनीकी क्षेत्र में हमने अनेक मिसालें स्थापित कर विश्व में अपना नाम किया है। इसके विपरीत ऐसे भी क्षेत्र हैं, जिनमें हमें और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। हमारे स्वतंत्रता सैनानियों के अथक प्रयास से हमने आजादी तो प्राप्त कर ली है, लेकिन आजादी का सही मायनों में क्या अर्थ है, ये शायद हम भूल गए हंै। देश में आरक्षण व्यवस्था भी एक कारण है, जो भारतीय नागरिकों में असमानता की भावना पैदा करने का कार्य करती है। सर्वप्रथम हमें ऐसी व्यवस्थाओं की समीक्षा करने करने की आवश्यकता है, उसके पश्चात ही आजाद भारत को विकसित करने का सपना पूर्ण हो पाएगा।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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सभी क्षेत्रों में बढ़ी ताकत
आजादी के बाद देश में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व अवसंरचनात्मक बदलाव जरूर देखने को मिलता है, यह बदलाव तुलनात्मक रूप से संतोषजनक रहा है। वर्तमान स्वरूप पर नजर डाली जाए, तो आजादी के बाद प्रत्येक क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है, जिसके परिणाम स्वरूप ही भारत की सभी क्षेत्रों में ताकत बढ़ी है।
-मोहित कुमावत, बीकानेर
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प्रकृति को नुकसान पहुंचाया
आजादी के बाद भारत ने विश्व में अपना परचम लहराया है। आधुनिक संसाधनों का विकास हुआ है। दूसरा पक्ष यह भी है कि आजादी के साथ हमें घुटन भरी जिंदगी मिली है, क्योंकि हमने प्राकृतिक स्वरूप को भारी नुकसान पहुंचाया है। साथ ही पश्चिमी सभ्यता का हमारे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है। आज हम सब पश्चिमी खानपान, रहन-सहन को प्राथमिकता दे रहे हैं। क्या आजादी का मतलब यही है कि हम समाज में रहकर भी सामाजिक नियमों की अवहेलना करें? आजादी के बाद देश में भ्रष्टाचार भी बढ़ा है। अब भ्रष्टाचार से भी आजादी जरूरी है।
-सुनयना तोमर, ग्वालियर, मप्र,
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अधूरी है आजादी
यूं तो कड़े संघर्ष और कई बलिदानों के बाद हमने 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी पा ली थी, परंतु आजादी के सात दशक बाद भी हमारी यह आजादी अधूरी सी दिखती है। हमारा यह प्यारा भारत देश अब भी विकास के उस स्तर से कोसों दूर हैं, जिसका सपना हमने देखा था। देश के सभी क्षेत्रों में प्रगति तो हुई है, पर अब भी वैश्विक पैमाने पर हम काफी पिछड़े हुए प्रतीत होते हैं। खेद का विषय है नक्सल प्रभावित इलाकों में आज भी वहां के सामान्य नागरिक अपने मौलिक अधिकार पाने से वंचित हैं। 5 लाख कश्मीरी पंडित अब भी अपने मूल निवास स्थान पर नही लौट पाए हैं। देश की समस्या दोषपूर्ण शिक्षाप्रणाली और सरकार द्वारा दी जाने वाली निम्न स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, जिससे देश की अधिकांश जनता जूझ रही है। देश में हजारों की तादाद में तकनीकी कॉलेज होने के बावजूद हमारा देश सर्वाधिक संख्या में बेरोजगार पैदा कर रहा है। शिक्षा गुणवत्ताहीन हैै। बेहतर तो यह है कि योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पर विशेष काम किया जाए। राजनीतिक रूप से हम भले ही स्वतन्त्र हो गए हैं, पर बौद्धिक एवं मानसिक रूप से अब भी गुलाम हैं। देश की 60 प्रतिशत जनसंख्या की जीविका का साधन अब भी कृषि है, पर अब भी उनकी स्थिति में कोई खास सुधार नही हो पाया है और आए दिन उनकी आत्महत्या की खबर सामने आती है। यूं तो सरकार द्वारा उनके लिए कई प्रकार की योजनाएं संचालित हैं, पर उनका सही तरीके से क्रियान्यवन नहीं हो सका है। देश में अग भी कई ेेकुप्रथाएं चल रही हैं और हम पूर्ण तरीके से अब भी आजाद नही हो पाए हैं। राजनीति और उच्च वर्गों के बीच आम जनता ***** कर रह गई हैं। वस्तुत: अभी हम विकास की सीढिय़ां चढ़ रहे हैं, पर अब भी उस स्तर से कोसों दूर हैं जिसका सपना हम संजोए बैठे हैं।
-अनिल कुमार यादव,, कोरबा, छत्तीसगढ़।
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स्वतंत्रता के बाद भारत की प्रमुख समस्या क्या थी?

स्वतंत्रता के बाद भारत में बहुत सारी समस्याएं पैदा हुई । जैसे राजनीतिक समस्याएं जिसमें विभाजन की समस्या और शरणार्थी की समस्या एकता और अखंडता की समस्या, रियासतों की समस्या, कश्मीर की समस्या आदि । इसके अलावा बहुत सारी सामाजिक और आर्थिक समस्याएं शामिल है ।

आजादी के समय सबसे बड़ी समस्या क्या है?

शरणार्थियों की समस्या और नए संविधान के निर्माण की समस्या | विभाजन के बाद शरणार्थियों की समस्या और नए संविधान के निर्माण की समस्याएं दो बहुत प्रमुख समस्याएं थी। जिस समय भारत आजाद हुआ उस समय भारत में लगभग साढे 500 से अधिक देशी रियासतें थी जिनका भारतीय संघ में एकीकरण करना भी एक बहुत बड़ी बाधा और समस्या थी

स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

आजादी के बाद भारत में विकास करना बहुत बड़ी चुनौती थी । क्योंकि अंग्रेजी शासन के दौरान भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी । अंग्रेज भारत से कच्चा माल ले जाते थे और तैयार माल लाकर यहां पर बेचते थे । जिससे हमारा भारत बहुत गरीब हो गया था ।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत में कैसे शासन व्यवस्था को अपनाया?

स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को अपनायाभारत में संसदीय एवं संघीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को अपनाया, जिसके अंतर्गत भारत में शासन व्यवस्था का विभाजन कार्यपालिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका के अंतर्गत किया गया। यह तीनों ही लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ माने गए।