संसद का पुराना नाम क्या था? - sansad ka puraana naam kya tha?

नया संसद भवन मौजूदा संसद भवन के पास ही बनना प्रस्तावित है. ये एक तिकोनी इमारत होगी जबकि मौजूदा संसद भवन वृत्ताकार है.

क्यों बनाया जा रहा है नया संसद भवन?

सरकार और अधिकारियों के अनुसार संसद के बढ़ते काम के कारण एक नई इमारत के निर्माण की ज़रूरत महसूस की गई. अभी का संसद भवन ब्रिटिश दौर में बना था जो लगभग 100 वर्ष (93 वर्ष) पुराना है और उसमें जगह और अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है.

कब तैयार हो जाएगी नई इमारत ?

लोकसभा सचिवालय के अनुसार ऐसी उम्मीद की जा रही है कि नया संसद भवन अक्तूबर 2022 तक बन जाएगा. काम दिसंबर 2020 में शुरू करने की उम्मीद जताई गई है.

हालाँकि इसके निर्माण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. अदालत ने अभी केवल आधारशिला रखने की इजाज़त दी है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भरोसा दिया है कि इससे संबंधित याचिकाओं पर जब तक सुप्रीम कोर्ट अपना फ़ैसला नहीं दे देती तब तक सरकार किसी भी तरह के निर्माण या तोड़-फोड़ का काम नहीं करेगी.

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संसद भवन की नई बिल्डिंग में क्या होगा ख़ास?

नया संसद भवन कितना बड़ा होगा

अधिकारियों के अनुसार संसद के नए भवन में निचले सदन लोक सभा के 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. नई इमारत में लोक सभा भूतल में होगी.

वहीं उच्च सदन राज्य सभा के 384 सदस्य इसमें बैठ सकेंगे.

ऐसा भविष्य में सांसदों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखकर किया गया है.

भारत में अभी लोक सभा में 543 और राज्य सभा में 245 सीटें हैं.

नए संसद भवन की संयुक्त बैठक के दौरान वहाँ 1272 सदस्य बैठ सकेंगे.

इसके अलावा नए संसद भवन में और क्या होगा?

अधिकारियों के अनुसार नए भवन में सभी सांसदों को अलग दफ़्तर दिया जाएगा जिसमें आधुनिक डिजिटल सुविधाएँ होंगी ताकि 'पेपरलेस दफ़्तरों' के लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सके.

नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टीच्यूशन हॉल या संविधान हॉल होगा जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत को दर्शाया जाएगा. वहाँ भारत के संविधान की मूल प्रति को भी रखा जाएगा.

साथ ही वहाँ सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हॉल, एक लाइब्रेरी, समितियों के लिए कई कमरे, भोजन कक्ष और बहुत सारी पार्किंग की जगह होगी.

इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर होगा. यह मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्ग मीटर अधिक होगा

मौजूदा संसद भवन का क्या होगा?

अधिकारियों के अनुसार मौजूदा संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा.

566 मीटर व्यास वाले संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था. ये छह साल में बनकर तैयार हुआ था.

तब इसके निर्माण पर 83 लाख रुपए ख़र्च हुए थे.

इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था.

ब्रिटिश काल के इस संसद भवन का डिज़ाइन एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने बनाया था.

नए संसद भवन के निर्माण पर कितना ख़र्च होगा

अधिकारियों के मुताबिक़ संसद की नई इमारत बनाने की लागत क़रीब 971 करोड़ रुपये होगी.

कौन बना रहा है नया संसद भवन

नई इमारत बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है. उसने सितंबर 2020 में 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाकर ये ठेका हासिल किया था.

नया संसद भवन सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट का खाका गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फ़र्म एचसीपी डिज़ाइन्स ने तैयार किया है.

सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में और क्या होगा

संसद की नई इमारत के अलावा इस प्रोजेक्ट के तहत एक कॉमन केंद्रीय सचिवालय बनाया जाएगा. वहाँ मंत्रालयों के दफ़्तर होंगे.

साथ ही राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को भी नया रूप दिया जाएगा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार ऐसी संभावना भी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और उनके आवास को साउथ ब्लॉक के पास ले जाया जा सकता है.

वहीं उपराष्ट्रपति के आवास को नॉर्थ ब्लॉक के पास ले जाया जा सकता है. प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति का मौजूदा आवास उन इमारतों में आता है जिन्हें गिराया जाना है.

साथ ही नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को संग्रहालयों में बदल दिए जाने की योजना है.

पीटीआई के अनुसार प्रोजेक्ट के तहत केंद्रीय सचिवावय बनाने के लिए उद्योग भवन, कृषि भवन और शास्त्री भवन की इमारतों को तोड़ा जा सकता है.

दिल्ली की हुकूमतः अनंगपाल तोमर से लेकर नरेंद्र मोदी तक

कई बार बनी और तबाह हुई दिल्ली का पहला प्रामाणिक इतिहास आठवीं शताब्दी से मिलता है. उस वक्त दिल्ली पर राजा अनंगपाल तोमर का शासन था. अनंगपाल तोमर की सत्ता उनके बनाए गए लाल कोट किले से चलती थी. तमाम इतिहासकार इसी को वास्तविक लाल किला मानते हैं.

इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और सल्तनत काल का एक लंबा दौर गुजरा, लेकिन दिल्ली भारत की सत्ता का केंद्र बनी रही.

मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने साम्राज्य को चलाने के लिए लाल किले का निर्माण कराया. 1857 के गदर में अंग्रेजों से हारने और बंदी बनाकर बर्मा भेजे जाने तक अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर इसी लाल किले से अपनी सत्ता चलाते रहे.

इसके बाद कुछ वक्त तक अंग्रेजी राज की राजधानी कोलकाता रही, लेकिन 12 दिसंबर 1911 को किंग जॉर्ज पंचम ने अपने ऐलान के साथ दिल्ली को फिर से भारत की राजधानी बना दिया.

1931 तक वायसरॉय और उनके सचिवालय के लिए नई बिल्डिंग्स बनाई गईं और देश के आजाद होने यानी 1947 तक अंग्रेजी हुकूमत इन्हीं बिल्डिंगों के जरिए चली.

अब 2020 में केंद्र की मोदी सरकार इसी सेंट्रल विस्टा, संसद भवन और दूसरे केंद्रीय मंत्रालयों के दफ्तरों को फिर से डिवेलप कर इसे नया रूप देना चाहती है. भारत की हुकूमतें इन्हीं नए संसद परिसर, सेंट्रल विस्टा और कॉमन सचिवालय से चला करेंगी.

1931 में विकसित हुई थी मौजूदा लुटियंस दिल्ली

रायसिना हिल्स पर मौजूद बिल्डिंग्स का निर्माण 1911 से 1931 के बीच हुआ था. इसका डिजाइन सर एडविन लुटियन और सर हरबर्ट बेकर ने बनाया था. उस वक्त इन बिल्डिंग्स को वायसरॉय और उनके सचिवालय के लिए तैयार किया गया था. इसी अवधि में संसद भवन भी बनाया गया था.

राजपथ के इर्दगिर्द मौजूद कई बिल्डिंग्स को अलग-अलग चरणों में मंत्रालयों और विभागों की जरूरतों के हिसाब से बनाया जाता रहा.

सेंट्रल विस्टा की शुरुआत राष्ट्रपति भवन से होती है और यह इंडिया गेट तक जाता है.

इस पूरे इलाके को डिवेलप हुए 100 साल गुजरने के बाद रायसिना हिल और राजपथ को फिर से तैयार करने की जरूरत सरकार को लग रही थी.

गुजरात की एसपीसी डिजाइन को मिला कंसल्टेंसी का काम

सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) ने संसद, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट और सेंट्रल विस्टा के डिवेलपमेंट के लिए कंसल्टेंसी का काम एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट को पिछले साल अक्तूबर में सौंपा था.

सेंट्रल विस्टा इलाके के मास्टर प्लान के डिवेलपमेंट और नई जरूरतों के हिसाब से बिल्डिंग्स का डिजाइन बनाने के काम में यह कंपनी शामिल रही है.

इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने का टेंडर सीपीडब्ल्यूडी ने पिछले साल सितंबर में निकाला था. कंसल्टेंसी के लिए 229.75 करोड़ रुपये का खर्च तय किया गया था. इस बिड में एचसीपी डिजाइन को जीत हासिल हुई.

एचसीपी डिजाइन के पास गुजरात के गांधीनगर में सेंट्रल विस्टा और राज्य सचिवालय, अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट डिवेलपमेंट, मुंबई पोर्ट कॉम्प्लेक्स, वाराणसी में मंदिर कॉम्प्लेक्स के रीडिवेलपमेंट, आईआईएम अहमदाबाद के नए कैंपस के डिवेलपमेंट जैसे कामों का पहले से अनुभव है.

मास्टर प्लान के तैयार होने के बाद सीपीडब्ल्यूडी ने कंस्ट्रक्शन और दूसरे कामों के लिए कॉन्ट्रैक्टर्स को तय करने की प्रक्रिया शुरू की.

भारत की संसद का पुराना नाम क्या है?

भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन – राज्यसभा (राज्यों की परिषद) और लोकसभा (लोक सभा) शामिल हैं। पर आम तौर पर भारत की संसद को लोकसभा बोल दिया जाता है राष्ट्रपति के पास संसद के सदन को बुलाने और प्रचार करने या लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ हुआ था ।

संसद का दूसरा नाम क्या है?

यह भारत के राष्ट्रपति और दो सदनों: राज्य सभा (राज्यों का सदन) और लोक सभा (लोगों का सदन) से बना एक द्विसदनीय विधानसभा है।

भारत का संसद कब बना था?

26 जनवरी 1950भारतीय संसद / स्थापना की तारीख और जगहnull

संसद का निर्माता कौन है?

संसद भारत का सर्वोच्च संस्था है। इसका भवन 91 वर्ष पुराना है और इसकी संरचना पूर्णत: गोलाकार है। कहा जाता है कि इस इमारत के निर्माता ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस ने मध्य प्रदेश के मुरैना के पास स्थित प्राचीन चौसठ योगिनी मंदिर से इस भवन का डिजाइन अपनाया था।