मानव हृदय में रक्त परिसंचरण को दोहरा परिसंचरण क्यों कहा जाता है? मानव हृदय में रक्त परिसंचरण को दोहरा परिसंचरण कहा जाता है क्योंकि रक्त शरीर के एक पूर्ण चक्र में दो बार हृदय से होकर गुजरता है – एक बार दाएं आधे से फेफड़ों में ऑक्सीजन रहित रक्त के रूप में (फुफ्फुसीय परिसंचरण) और अगला बाएं आधे भाग में शरीर के सभी अंगों (प्रणालीगत परिसंचरण) में ऑक्सीजन युक्त रक्त का रूप। दोहरा परिसंचरण तंत्र किसे कहते हैं ? यह किनमें पाया जाता है। दोहरा परिसंचरण- रक्त का एक चक्र में दो बार हृदय से गुजरनापहली बार शरीर का समस्त अशुद्ध रुधिर हृदय के दाहिने आलिन्द में एकत्रित होकर दाहिने निलय में होते हुए फेफड़ों में जाता तथा दूसरी बार हृदय के बायें आलिन्द में फेफड़ों से फुफ्फुस शिराओं द्वारा एकत्रित होकर शुद्ध रुधिर महाधमनी द्वारा समस्त शरीर में पम्प किया जाता है। इस प्रकार के रक्त परिभ्रमण को दोहरा परिसंचरण (Double Circulation) कहते हैं। इस प्रकार परिसंचरण मनुष्य में पाया जाता है। परिसंचरण का मतलब क्या होता है? परिसंचरण तंत्र या वाहिकातंत्र (circulatory system) अंगों का वह समुच्चय है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों का यातायात करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप एवं pH स्थिर बना रहता है। दोहरा परिवहन से आप क्या समझते हैं? दोहरे परिसंचरण का संबंध रक्त परिवहन से है। परिवहन के समय रक्त दो बार हृदय से गुज़रता है। अशुद्ध रक्त दायें निलय से फेफड़ों में जाता है और शुद्ध हो कर बायें आलिंद के पास आता है। इस पल्मोनरी परिसंचरण कहते हैं। दोहरे परिसंचरण से क्या तात्पर्य है? इसकी क्या महत्ता है? दोहरा परिसंचरण – विऑक्सिजनित रक्त शरीर के विभिन्न भागों से महाशिराओं द्वारा दाएँ अलिंद में इकट्ठा किया जाता है। जब दायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह दाएँ निलय में चला जाता है। जब दायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह विऑक्सिजनित रक्त फुफ्फुस धमनी के माध्यम से फुस्फुस (फेफड़ों) में चला जाता है, जहाँ पर गैसों का विनिमय होता है। यह रक्त ऑक्सिजनित होकर फुफ्फुस शिराओं के द्वारा वापिस ह्दय में बाएँ अलिंद में आ जाता है। जब बायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह ऑक्सिजनित रक्त बाएँ निलय में आता है। जब बायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह रक्त शरीर के विभिन्न भागों में महाधमनी के माध्यम से वितरित किया जाता है। अत: वही रक्त ह्दय चक्र में ह्दय में से दो बार गुज़रता है, एक बार ऑक्सिजनित तथा दूसरी बार विऑक्सिजनित रक्त के रूप में। इसी को दोहरा परिसंचरण कहते हैं। दोहरा परिसंचरण किसे कहते हैं? मानव संचार प्रणाली एक दोहरा संचार प्रणाली है। इसके दो अलग-अलग सर्किट होते हैं और रक्त दो बार हृदय से होकर गुजरता है: फुफ्फुसीय सर्किट हृदय और फेफड़ों के बीच होता है। प्रणालीगत सर्किट हृदय और अन्य अंगों के बीच है। इस पोस्ट में मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है? दोहरा परिसंचरण तंत्र का चित्र दोहरा परिसंचरण तंत्र को समझाइए रक्त परिसंचरण तंत्र का चित्र खुला परिसंचरण तंत्र manushya me dohra parisancharan tantra ki vyakhya kijiye मनुष्य में दोहरा परिसंचरण कैसे होता है? मानव परिसंचरण को दोहरा परिसंचरण क्यों कहा जाता है? से संबंधित काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे. Tags रक्त का एक चक्र में दो बार हृदय से गुजरनापहली बार शरीर का समस्त अशुद्ध रुधिर हृदय के दाहिने आलिन्द में एकत्रित होकर दाहिने निलय में होते हुए फेफड़ों में जाता तथा दूसरी बार हृदय के बायें आलिन्द में फेफड़ों से फुफ्फुस शिराओं द्वारा एकत्रित होकर शुद्ध रुधिर महाधमनी द्वारा समस्त शरीर में पम्प किया जाता है। इस प्रकार के रक्त परिभ्रमण को दोहरा परिसंचरण (Double Circulation) कहते हैं। नमस्कार दोस्तों ! हम प्रतिदिन आपके सवालों के जवाब देने का प्रयास करते है, जिन प्रश्नों के उत्तर आसानी से प्राप्त नही होते है उनके उत्तर भी आप तक पहुचने का निरंतर प्रयास करते है जैसे की आज का प्रश्न है मानव में दोहरा परिसंचरण क्यों आवश्यक है? यह है इसका उत्तर आपको आज के हमारे इस आर्टिकल में मिल जाएगा। परिसंचरण तंत्रपरिसंचरण तंत्र हृदय, धमनियों तथा शिराओं का वह समूह है जो शरीर के प्रत्येक भाग में खून को पहुचाता है, जिससे उसे पोषण और ऑक्सीजन हर कोशिका प्राप्त हो सकें, खून को पंप कर ह्रदय द्वारा धमनियों की सहायता से कोशिकाओ तक पहुचाया जाता है । तथा ऑक्सीजन से विहीन रुधिर को वे शिरा में लौटाकर हृदय में लाती हैं जो उसको फुप्फुस में ऑक्सीजन लेने के लिए भेज देता है। मानव में दोहरा परिसंचरण क्यों आवश्यक है?मनुष्य के परिसंचरण तंत्र को दोहरा परिसंचरणकहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक चक्र में रक्त दो बार हृदय में प्रवेश करता है। हृदय का दायाँ और बायाँ हिस्सा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रक्त को आपस मिलने से बचाता है। परिसंचरण तंत्र अंगों का वह समूह है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों तथा रक्त को पहुचाता है जिस वजह से वह कार्य कर पाते है। मानव शरीर में उच्च ऊर्जा की जरूरत होती है, जिस कारण शरीर को ऑक्सीजन का हर कोशिका तक सही समय में पहुचना जरुरी होता है जिस कारण मानव शरीर में दोहरा परिसंचरण आवश्यक होता है। |