समाज कार्य में अर्थ अवधारणा व परामर्श के उद्देश्य पर चर्चा करें - samaaj kaary mein arth avadhaarana va paraamarsh ke uddeshy par charcha karen

सामाजिक कार्यकर्त्ता की भूमिका एवं निपुणताएं


सामाजिक कार्यकर्त्ता की भूमिका एवं निपुणताएं 



समाज कार्य व्यवसाय के अंतर्गत सामाजिक कार्यकर्ता ही वह महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसके ऊपर समस्याओं के समाधान का संपूर्ण उत्तरदायित्व होता है सामाजिक कार्यकर्ता समाज कार्य व्यवसाय में शिक्षित एवं प्रशिक्षित व्यक्ति होता है उसे मानव व्यवहार संस्कृति मूल्यों तथा सामाजिक समस्याओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है जिससे वह अपनी भूमिकाओं का निर्वाह कर सकें एवं उत्तरदायित्व को पूरा कर सकें।
     सामाजिक कार्यकर्ता को सेवा प्रदान करने के दौरान विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं का निर्वाह करना पड़ता है जो परिस्थितियों तथा आवश्यकता ओं के अनुसार अलग अलग ढंग से निभाई जाती हैं इसलिए कार्यकर्ता कभी मार्ग दर्शक कभी मध्यस्थ तथा कभी सुविधा प्रदाता की भूमिका का निर्वाह कर व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।


सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका

सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है सामान्यतः ऐसा कहा जाता है और विश्वास भी किया जाता है की प्रभावशाली समाज कार्य एक कार्यकर्ता के ही माध्यम से ही किया जाता है कार्यकर्ता अपनी सहायक की भूमिका में समाज को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तथा सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार की व्यवस्थाओं एवं प्रावधानों के लिए उत्तरदाई होता है

सामाजिक कार्यकर्ताओं के सभी प्रकार्यों का उद्देश्य लक्ष्यों की प्राप्ति है उस कार्य के लिए कार्यकर्ता को विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं का निर्वाह करना पड़ता है उसके द्वारा निर्वाह की जा रही भूमिकाएं बहुत कुछ समस्या की प्रकृति के आधार पर निश्चित होती हैं इसलिए कार्यकर्ता की भूमिका विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती हैं।


कार्यकर्ता एक ऐसा व्यक्ति होता है जो विशिष्ट प्रकार के ज्ञान निपुणता और मूल्यों से युक्त होता है कार्यकर्ता एक सहायक व्यक्ति होता है उसकी अंतः क्रिया परोक्ष होती है ना की प्रत्यक्ष। वह एक अधिशासी नहीं होता नाही एक अध्यापक जिसको की कुछ मुद्दों की विशेषज्ञता प्राप्त हो। वह अपनी गति से काम करता है और आवश्यकता पड़ने पर सेवार्थी को विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है।

कार्यकर्ता जब समूह के साथ कार्य करता है तब वह विभिन्न दायित्व का निर्वहन करता है कार्यकर्ता समूह का कोई भाग नहीं होता है। लेकिन वह समूह में तब प्रवेश करता है जब व्यक्तिगत रूप से समूह का कोई सदस्य या पूरा समूह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए व्यावसायिक सहायता की मांग करता है समूह कार्यकर्ता की भूमिका विभिन्न समूहों में अलग-अलग होती है। वह समूह के गठन से पूर्व ही अपनी भूमिका का निर्वाह करना प्रारंभ कर देता है। विशेष कर तब जबकि एक कार्यकर्ता संस्था के अंतर्गत कार्य करते हुए उद्देश्य पूर्वक एक समूह का गठन करता है।उसकी भूमिका उसके द्वारा गठित किए समूह में इस बात पर निर्भर करती है कि समूह की माँगे एवं आवश्यकताएं क्या है? समूह के साथ कार्य करते समय कार्यकर्ता को पारित लोचशीलता धारण करनी चाहिए जिससे कि वह एक समूह में अपना योगदान कर सकें समूह के विकास की अवस्था में अपना योगदान दे सके तथा एक समूह का दूसरे समूह के साथ संबंधों के संदर्भ में योगदान कर सकें।

कार्यकर्ता की भूमिका को प्रभावित करने वाले कारक

कार्यकर्ता को अपनी भूमिका की व्याख्या करने से पूर्व आसपास की परिस्थितियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए उसकी भूमिका को प्रभावित करने वाले कारक निम्न प्रकार से हैं -

1 समुदाय

2 संस्था की प्रकृति, इसका कार्य और क्षेत्र

3 संस्था द्वारा प्रदत्त सुविधाऐं और कार्यक्रम

4 सेवार्थी का प्रकार, जिसके लिए कार्यकर्ता कार्यकर्ता है

5 सेवार्थी के हित, आवश्यकताएं क्षमताएं एवं सीमाएं

6 कार्यकर्ता की अपनी क्षमता एवं निपुणताएं

7 समूह की आवश्यकता की सीमा तथा इच्छा और इसके लिए कार्यकर्ता की सहायता स्वीकार करने की इच्छा

उपरोक्त कारक प्रत्येक प्रकार की परिस्थितियों में उपस्थित रहते हैं कार्यकर्ता को अपनी भूमिका के निर्धारण के समय इनमें से प्रत्येक कारक का अलग-अलग ढंग से अध्ययन किया जाता है और प्रत्येक कारक का एक दूसरे के संदर्भ में अध्ययन किया जाता है

कार्यकर्ता को अपनी भूमिकाओं को सभी प्रकार की परिस्थितियों में निभाने के लिए कुछ मुहूर्त तकनीकों का पालन करना पड़ता है और अपनी भूमिका को सतत या बनाए रखना पड़ता है कुछ प्रकार के समूहों में कार्यकर्ता को अधिक उत्तरदायित्व लेना पड़ सकता है ऐसा विशेषकर नए समूहों के गठन के संदर्भ में होता है आगे चलकर कार्यकर्ता दायित्वों को कभी भी कर सकता है क्योंकि समूहों के गठन में कुछ समय व्यतीत हो जाता है

कार्यकर्ता प्रत्येक चरण में संस्था को अनुभव प्रदान करता है इससे सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कार्यकर्ता संस्था का एक प्रतिनिधि है

सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका

सहायता की प्रक्रिया सदस्यों के आपसी संबंधों का निर्भर करती है यह संबंध सदैव स्थिर नहीं रहते यह समय और परिस्थितियों के संदर्भ में परिवर्तित होते हैं जैसे समूह कार्य की प्रणाली में समूह के संबंध सदस्यों के बीच की अंतः क्रियाऐ, विकास और समूह में घटित होने वाले परिवर्तन समूह की प्रक्रिया कहलाते हैं।समूह कार्य की प्रक्रिया में सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका को एक नर्स की भूमिका के समान समझा जा सकता है जो शिशु के जन्म से लेकर लालन-पालन और पोषण करने में मां के समान होती है वह एक पद्धति शास्त्रीय सहायक और उत्प्रेरक होता है। वह समूह कार्य की प्रक्रिया के अंतर्गत सा भाइयों को विभिन्न प्रकार के ज्ञान और अनुभव उपलब्ध करवाता है। जैसे युवाओं का समूह, उपचारात्मक समूह । कार्यकर्ता इस प्रकार से समुदायों को अपनी व्यावसायिक सेवा उपलब्ध कराने में योगदान देता है।

कार्यकर्ता को सेवार्थी के साथ कार्य करते समय विभिन्न प्रकार की भूमिका के निर्वाह की आवश्यकता पड़ती है जो निम्नवत है -

1 सामर्थदाता की भूमिका - 

इस भूमिका में कार्यकर्ता एक सहायक और सामर्थ्य दाता के रूप में रहता है वह सेवार्थी के साथ कार्य करता है ना कि सेवार्थी के लिए वह सेवार्थी को सेवार्थी की आवश्यकताओं की व्याख्या करने सेवार्थी की समस्याओं की पहचान करने और स्पष्ट करने सेवार्थी की रणनीतियों की खोज करने उनका चयन करने उनको लागू करने का कार्य करता है और विभिन्न प्रकार की समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए क्षमता वन बनता है एक समर्थ दाता के रूप में कार्यकर्ता सेवार्थी को अपनी शक्तियों को पुनर गठित करने संसाधनों को गतिशील करने और समस्याओं से निपटने की शक्ति में वृद्धि करता है

2 एक शिक्षक की भूमिका -


कार्यकर्ता के महत्वपूर्ण भूमिकाओं में एक भूमिका शिक्षक की भी है जिसमें कार्यकर्ता सेवार्थी को उनके लक्ष्यों की प्राप्ति के विषय में जानकारी प्रदान करता है इस भूमिका में कार्यकर्ता विभिन्न प्रकार की सूचनाएं प्रदान करता है और नई-नई निपुणता ओं का विकास करता है एक अच्छे शिक्षक के लिए कार्यकर्ता को एक अच्छा संवाददाता भी होना चाहिए जिससे कि वह जो भी सूचना और निपुणता सदस्यों को प्रदान करें ताकि वह त्वरित रूप से और वैसे ही गृहीत की जा सके जैसा कि संदेश दिया जाना है

3 अधिवक्ता की भूमिका -

इस भूमिका में कार्यकर्ता कुछ दिशा-निर्देश देने का कार्य करता है विशेष कर ऐसे से सेवार्थियों के लिए जो कुछ संस्थाओं की सेवाएं ग्रहण कर रहे हैं और वहां पर उनके हितों की समुचित देखभाल नहीं हो पा रही है इस भूमिका में कार्यकर्ता विभिन्न प्रकार की सूचनाएं एकत्र करता है वह उनकी आवश्यकताओं और आवेदनों आदि के संदर्भ में तथा सुधार करने के संदर्भ में और संस्थाओं के द्वारा प्रदान किए जा रहे सेवाओं के निर्णय के संदर्भ में नेतृत्व का कार्य करता है जिससे परिस्थितियों में आवश्यक सुधार किया जा सके

4 एक मध्यस्थ के रूप में -

कार्यकर्ता प्रायः समुदाय तथा समूह और संस्था के बीच मध्यस्थ की भूमिका का निर्वाह करता है। एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता विवादों को हल करने संघर्षों या असहमति के बिंदुओं को स्पष्ट करने तथा व्यक्तियों और संगठनों के बीच मध्यस्थता का कार्य करता है मध्यस्थ के रूप में कार्य करता समझौते तक पहुंचने में विभिन्न नेताओं को कम करने में तथा विवाह आदि के मामले में विवाद होने पर एक साझा समझौते तक पहुंचाने में मध्यस्थता करता है। जैसे युवाओं के एक मनोरंजनात्मक समूह में कार्यकर्ता दो किशोरों के बीच किसी मनोरंजनात्मक क्रिया में भाग लेने के संदर्भ में उत्पन्न विवाद को हल करवाने के लिए मध्यस्थता करता है।

5 एक पहलकर्ता के रूप में -

कार्यकर्ता एक पहल करता के रूप में सदस्यों का ध्यान समस्या की ओर खींचता है या समस्या की गंभीरता को बताता है वह सेवार्थी को इस योग्य बनाने का प्रयास करता है कि कुछ समस्याओं को पहले से ही पहचाना जा सकता है एक अनुभवी कार्यकर्ता के रूप में वह समस्याओं की गहनता के आधार पर सदस्यों के ध्यान को आकर्षित करते हुए विभिन्न प्रकार के समाधान सुझा सकता है।इस भूमिका में वह समस्या और उसके हाल के लिए किए जाने वाले प्रयासों को लेकर बातचीत करने और कार्यवाही करने के लिए विचार-विमर्श प्रारंभ करवा सकता है।

6 सुविधा प्रदाता के रूप में - 

सुविधा प्रदाता हुआ होता है जो सेवार्थी की गतिविधियों को संपन्न करने में एक नेता की भूमिका का निर्वाह करता है। कार्यकर्ता सेवार्थी को विचार-विमर्श करने में सुविधा प्रदान करता हैऔर उन्हें किसी भी निर्णय तक पहुंचने में सुविधा प्रदान करता है कार्यकर्ता प्रक्रियाओं के पालन करने की विधि के विषय में सहायता प्रदान करता है। वह वीडियो के विषय में विमर्श नहीं करता बल्कि इन्हें लागू करने के तरीकों के बारे में बताता है वह समूह के विभिन्न मामलों और समस्याओं में स्वयं को सम्मिलित नहीं करता है बल्कि सेवार्थी को अपनी समस्याओं का समाधान करने में कार्यकर्ता अपनी राय तथा विचार देता है। इसके अतिरिक्त कार्यकर्ता सेवार्थी को विभिन्न प्रकार के भौतिक तथा भौतिक संसाधनों को उपलब्ध करवाने में सहायता करता है।

7 वार्ताकार की भूमिका के रूप में-

एक वार्ताकार की भूमिका में कार्यकर्ता उन सभी पक्षों को एक साथ लाने का प्रयास करता है जो संघर्षरत होते हैं। जो एक से अधिक मुद्दों पर किसी प्रकार की सौदा कारी या समझौता करने का प्रयास करते हैं। उन पक्षों को कार्यकर्ता एक सामान्य समझौते तक पहुंचने में सहायता करता है। मध्यस्थ के रूप में तटस्थ रहने के बजाय वार्ताकार के रूप में कार्य करता दोनों बच्चों के साथ संबंध होकर किसी समझौते तक पहुंचने का प्रयास करता है। इस प्रकार की भूमिका का निर्वाह कार्यकर्ता सेवार्थी संस्था और समुदाय से उन मुद्दों के पालन के समय करता है।

कार्यकर्ता की उक्त प्रकार की भूमिकाओं के संदर्भ में कहा जा सकता है कि कार्यकर्ता वास्तविक अर्थों में सेवार्थी को दिशा प्रदान करता है वह अपनी विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाह करते हुए सेवार्थी को उसके लक्ष्य तक ले जाता है। कार्यकर्ता अपनी भूमिकाओं के सफल निर्वाह के माध्यम से कार्यक्रम के विकास को भी तय करता है। वह सेवार्थी को इस योग्य बनाने का प्रयास करता है कि वह अपनी सभी क्रियाएं सही ढंग से संपन्न कर सके

सामाजिक कार्यकर्ता की निपुणताएं

सामाजिक कार्यकर्ता की निम्नलिखित निपुणताएं हैं -

1 उद्देश्य पूर्ण संबंध स्थापित करने की निपुणता - 

समाज कार्य व्यवसाय में सेवा प्रदान करने के लिए सेवार्थी से संबंधों की स्थापना की आवश्यकता होती है। इनके कुछ निश्चित उद्देश्य होते हैं तथा यह उद्देश्य पूर्णता व्यावसायिक होते हैं।

2 परिस्थिति विश्लेषण की निपुणता - 

कार्यकर्ता में समाज के विकासात्मक स्तर को समझने की निपुणता होनी चाहिए साथ ही उसमें आवश्यकताओं और गतिशीलता को ज्ञात करने की भी क्षमता होनी चाहिए।

3 परिस्थिति के साथ सहभागिता की निपुणता -

कार्यकर्ता को स्थानीय स्तर से ही नेतृत्व का विकास करने और उत्तरदायित्व ग्रहण करने की योग्यता का विकास करने में सहायता देने की निपुणता होनी चाहिए।

4 समाज की भावनाओं से निपटने में निपुणता - 

कार्यकर्ता को समाज द्वारा अपनी सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार की अभिव्यक्ति में समर्थ बनाने निपुणता होनी चाहिए। इससे किसी भी प्रकार की सामूहिक व आंतरिक चुनौती से निपट सकता है।

5 कार्यक्रम के विकास में निपुणता -

कर्ता में परिस्थिति के अनुसार अपने विकास के लिए कार्यक्रमों के निर्माण की क्षमता विकसित करने में सहायता प्रदान करने की निपुणता अवश्य होनी चाहिए। कर्ता के चिंतन की प्रक्रिया का ज्ञान अवश्य होना चाहिए जिससे समूह की खामियों का गठन हो सके और उन्हें समझा जा सके।


   इस प्रकार से विद्वानों द्वारा विभिन्न उद्देश्य की पहचान की गई है जिन्हें प्राप्त करने का प्रयास कार्यकर्ता द्वारा किया जाना चाहिए।इसी प्रकार से समाज कार्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक निपुणता उसे लक्ष्यों को प्राप्त करने के संदर्भ में देखा जा सकता है। निपुणता ओं के संदर्भ में एच वाई सिद्दीकी कहते हैं कि हमें कुछ आधारभूत निपुणता ओं की पहचान करनी चाहिए जिनकी आवश्यकता सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अन्य पेशेवरों को है ना कि मात्र वैयक्तिक, सामूहिक व सामुदायिक कार्य के उद्देश्यों के प्रगति के संदर्भ में। यह आधारभूत निपुणतायें निम्नलिखित हैं

1 संचार।
2 सुनना।
3 अवलोकन।
4 विश्लेषणात्मक चिंतन।
5 परानुभूति।

6 आत्मनियंत्रण।
7 नेतृत्व।


1 संचार - सामाजिक कार्यकर्ता या अन्य कोई भी पेशेवर जो किसी भी प्रकार की सेवा प्रदान करने में संलग्न है संचार कौशल का प्रयोग एकाधिक लक्ष्यों की प्राप्ति में कर सकते हैं। सामान्य रूप से संचार का अभिप्राय किसी व्यक्ति के द्वारा अपने विचारों को प्रेषित करने से है। एक प्रभावशाली संचार का उद्देश्य संदेश को इस प्रकार से पहुंचाना है कि उसे तर्कपूर्ण ढंग से संग्रह द्वारा ग्रहण किया जा सके और उस पर गंभीरता पूर्वक कार्यवाही की जा सके।
संचार के प्रमुख स्वरूपों में मौखिक एवं मौखिक साधनों द्वारा लिखित संकेत तथा शारीरिक भाषा आदि सम्मिलित है संचार के विभिन्न साधन जैसे पोस्टर चार्ट स्लाइड वीडियो आदि के उपयोग की क्षमता निपुणता का एक आवश्यक अंग है
रोविंस 1997 के अनुसार संचार चार प्रकार के प्रमुख प्रकार्यों की पूर्ति समूह में करता है।वे हैं 


1 नियंत्रण

2 अभिप्रेरण

3 भावनाओं की अभिव्यक्ति

4 सूचना

       कर्ता तथा समूह के नेतृत्व कर्ता का संचार प्रभावशाली ढंग से करना चाहिए। संचार के दौरान संचार कर्ता को उचित ढंग के स्वर का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि सामान्यतया ऐसा देखा गया है कि बातें करते समय लोग तेज स्वर का प्रयोग करते हैं। तथा प्राया ऐसा होता है लोग अपनी अप्रसन्नता आदि व्यक्त करने के लिए विशेष स्वर का इस्तेमाल करते हैं इस प्रकार की स्थितियाँ यह दर्शाती है कि समूह के सदस्यों का अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं है।
संचार करते समय वस्तुनिष्ठता का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि भावनात्मक आधार पर किया गया संचार बाधित होता है। संचार के दौरान उद्देश्यों में स्पष्टता होनी चाहिए कि किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संचार किया जा रहा है किससे समूह में संचार का अपेक्षित परिणाम प्राप्त किया जा सके।

2 सुनना - सुनना एक कौशल है जिसकी क्षमता प्रत्येक व्यक्ति में होती है किंतु हम में से बहुत कम ही इस क्षमता का समुचित उपयोग करते हैं। एक व्यवसायिक श्रवणकर्ता है वह है जो न केवल वक्ता द्वारा व्यक्त किए जा रहे विषय वस्तु को समझता है बल्कि वह इसके पीछे की प्रेरणा और संचार के माध्यम से दिए जा रहे संदेशों के कारणों को भी समझता है।
सुनने की निपुणता वक्ता के वक्तव्य स्वर स्पीच शारीरिक भाषा और भाव भंगिमा के विश्लेषण की क्षमता द्वारा विकसित होती है। जिसका प्रयोग व्यवसाय ढंग से कार्यकर्ता संबंधों के विकास करने में और सेवार्थी के विभिन्न प्रकार के अनुभवों को जानने एवं समझने में करता है।

3 अवलोकन -

 अवलोकन किसी व्यक्ति की उच्च क्षमता को व्यक्त करता है जिसमें कि वह अवलोकन की तकनीक का प्रयोग करके तथ्यों को समझता है एक उत्सुक अवलोकन कर्ता उन सूक्ष्म और सामान्य तथ्यों का अवलोकन करने में सक्षम होता है जिन्हें सामान्य लोग या तो छोड़ देते है या महत्वपूर्ण नहीं समझते हैं। समूह कार्य में सदस्यों के विचारों भावनाओं और क्रियाओं को कर्ता बिना उनसे प्रश्न किए भी समझ सकता है। कर्ता को समूह के सदस्यों की भावनाओं भाव भंगिमाओंं, तनाव प्रसन्नता या अप्रसन्नता को भी समझना चाहिए। कर्ता को समूह में अंतर वैयक्तिक संबंधों में होने वाले परिवर्तनों को भी समझना चाहिए। कर्ता को समूह में कार्यक्रम के विकास के स्तर पर भी ध्यान देना चाहिए जिससे कि इस तथ्य का अनुमान लगाया जा सके कि समूह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कितना प्रयत्नशील है।


4 विश्लेषणात्मक चिंतन - 
कार्यकर्ता समूह से प्रत्यक्ष रूप से संबंध होता है किंतु एक सदस्य के रूप में नहीं बल्कि एक अवलोकन करता तथा मार्गदर्शक के रूप में।वह समूह की गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से तो भाग नहीं लेता किंतु वह समूह में चलने वाली प्रक्रियाओं का अवलोकन करता रहता है इस अवलोकन से कार्यकर्ता को समूह के विकास के स्तर का पता चलता है जिससे उसे समूह के अंदर चल रही प्रक्रियाओं के बारे में चिंतन करने का अवसर प्राप्त होता है और वह इस तथ्य का अनुमान लगा सकता है कि लक्ष्य प्राप्ति हेतु समूह में नकारात्मक प्रक्रिया चल रही है या सकारात्मक।

5 परानुभूति - परानुभूति से अभिप्राय किसी व्यक्ति की ऐसी क्षमता से है जिसमें वह अपने आप को किसी अन्य व्यक्ति की स्थिति या स्थान पर रखकर उसके अनुभव एवं भावनाओं को समझता है एक कार्यकर्ता को इस बात में निपुण होना चाहिए कि वह इस तथ्य का अनुमान लगा सके कि व्यक्ति किस प्रकार से अपने आप को अभिव्यक्त करते हैं। वे किस प्रकार से तनाव व संघर्षों से निपटते हैं तथा धमकियों आदि से बचते हैं।
इस निपुणता का प्रयोग प्रायः कठिन परिस्थितियों में काम करने में होता है।

6 आत्मनियंत्रण आत्मनियंत्रण कार्यकर्ता का एक प्रमुख अंग हैं । जिसका उपयोग कार्यकर्ता द्वारा अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में किया जाता है । किन्तु आत्मनियंत्रण कभी कभी एक कार्यकर्ता को उसके लक्ष्यों कि प्राप्ति से रोक सकता है ।समूह में आत्म नियंत्रण की हानि का अर्थ लोगों द्वारा नाराजगी या अप्रसन्नता हिंसा या निराशा तथा कुंठा की विभिन्न परिस्थितियों में प्रदर्शन से है।आत्म नियंत्रण की हानि व्यक्ति के विचार भावनाओं तथा कार्यों में झलकती है जैसे कार्यकर्ता समूह में कुछ लोगों के विलंब से आने पर चिल्ला सकता है। बच्चों में संघर्ष होने पर डांट सकता है जो कार्यकर्ता के आत्मनियंत्रण की हानि या कमी का स्पष्ट संकेत है। आत्मनियंत्रण को प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण आदि के माध्यम से एक व्यवसायिक दृष्टिकोण का विकास किया जा सकता है तथा जागरूकता के द्वारा अपने व्यवसाय क्षमता का विकास निरंतर समीक्षा करके किया जाता है इस प्रकार से कार्यकर्ता में एक बेहतर सुधार हो सकता है


7 नेतृत्व - नेतृत्व समूह और इसके सदस्यों के विकास के मार्गदर्शन की प्रक्रिया है मार्गदर्शन की इस प्रक्रिया में बहुत से गतिविधियां सम्मिलित है जैसे सदस्यों को समूह के उद्देश्यों का स्पष्टीकरण करना, सदस्यों को समूह की गतिविधियों से जोड़ना, समूह में संचार पर ध्यान केंद्रित करना, समूह में अंतः क्रियाओं का मार्गदर्शन करना, समूह में संघर्षों का समाधान करना,समूह में विभिन्न प्रकार के मुद्दों की व्याख्या करना इत्यादि।
इनके अतिरिक्त कार्यकर्ता के पास संस्था और सामुदायिक साधनों के उपयोग की निपुणता मूल्यांकन की निपुणता संस्था के कार्यों के उपयोग की निपुणता। सामूहिक कार्य प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति के सहायता की निपुणता। सामाजिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए कार्यक्रमों के उपयोग की निपुणता आदि भी होनी चाहिए जो एक अच्छे नेतृत्वकर्ता के गुण हैं

समाज कार्य का क्या अर्थ है समाज कार्य के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए?

समाज कार्य एक सहायातामूलक कार्य है जो वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा मानवदर्शन का प्रयोग करते हुए व्यक्तियों की एक व्यक्ति, समूह के सदस्य अथवा समुदाय के निवासी के रूप में उनकी मनो-सामाजिक समस्याओं का अध्ययन एवं निदान करने के पश्चात् परामर्श, पर्यावरण में परिवर्तन तथा आवश्यक सेवाओं के माध्यम से सहायता प्रदान ...

सामाजिक कार्य की अवधारणा क्या है?

सामाजिक कार्य का अर्थ है सकारात्मक, और सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से लोगों और उनके सामाजिक माहौल के बीच अन्तःक्रिया प्रोत्साहित करके व्यक्तियों की क्षमताओं को बेहतर करना ताकि वे अपनी ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करते हुए अपनी तकलीफ़ों को कम कर सकें।

समाज कार्य क्या है इसकी अवधारणा एवं कार्य को समझाइए?

समाज कार्य एक ऐसा विषय है जिसमें विभिन्न प्रकार की अवधारणाओं का उपयोग करके समाज कार्य की विषय वस्तु का निर्माण किया जाता है समाज में लोगों की सहायता करने के लिए इन अवधारणाओं की समझ एवं ज्ञान का होना एक सामाजिक कार्यकर्ता के लिए आवश्यक माना जाता है इन अवधारणाओं का उपयोग सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा या तो सेवा प्रदान ...

सामाजिक कार्य का उद्देश्य क्या है?

मानवीय कल्याण को बढ़ावा देना, निर्धनता, सामाजिक अन्याय तथा दमन समाप्त करने की कोशिश करना। व्यक्तियों, परिवारों, समूहों संगठनों तथा समुदायों की सामाजिक क्रियाशीलता तथा अंत क्रियाओं को बढ़ाना। लक्ष्य प्राप्ति, संसाधनों के विकास तथा समस्या की रोकथाम व उन्मूलन करना।