अव्यय indeclinables – आज हम सीखेंगे अव्यय क्या होता है | इसके सभी भेदों को विस्तार पूर्वक समझेंगे | और उदाहरण भी पढ़ेंगे इन सभी के | अगर कुछ समझ न आये या कुछ पूछना हो | Show
तो बिना किसी संकोच के नीचे कमेंट करें | तो चलिए अव्यय सीखते हैं |
Table of Contents
अव्यय के भेद परिभाषा उदहारण सहित
अव्यय की परिभाषा ( Avyay ki paribhasha ) –ऐसे शब्द जिसमें लिंग , वचन , पुरुष , कारक आदि के कारण कोई विकार नहीं आता अव्यय कहलाते हैं। इधर , किंतु , क्यों , जब , तक , इसलिए , आदि।
अव्यय के भेद ( Avyay ke bhed ) –अव्यय के चार भेद माने जाते हैं।
1 क्रिया विशेषण Kriya visheshan –जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं। अर्थ के आधार पर क्रिया विशेषण चार प्रकार के होते हैं १ स्थानवाचकरीतिवाचक – यहां , वहां , भीतर , बाहर।
२ कालवाचकसमयवाचक – आज , कल , अभी , तुरंत।
३ परिमाणवाचकअधिकताबोधक – बहुत , खूब , अत्यंत , अति।
४ रीतिवाचकऐसे , वैसे , कैसे , धीरे , अचानक , कदाचित , अवश्य , इसलिए , तक , सा , तो , हां , जी , यथासंभव।
2 संबंधबोधक Sambandh bodhak –जो अव्यय किसी संज्ञा के बाद आकर उस संज्ञा का संबंध वाक्य के दूसरे शब्द से दिखाते हैं उन्हें संबंधबोधक कहते हैं। जैसे
संबंधबोधक अव्ययों के कुछ और उदाहरण निम्नलिखित है – अपेक्षा , सामान , बाहर , भीतर , पूर्व , पहले , आगे , पीछे , संग , सहित , बदले , सहारे , आसपास , भरोसे , मात्र , पर्यंत , भर , तक , सामने।
3 समुच्चयबोधक Samucchya bodhak –दो वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अव्यय कहे जाते हैं। जैसे –
समुच्चयबोधक अव्यय मूलतः दो प्रकार के होते हैं १ समानाधिकरण २ व्यधिकरण।
१ समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार उपभेद हैं – संयोजक – और , एवं , तथा।
२ व्यधिकरण के चार उपभेद हैं – कारणवाचक – क्योंकि , जोकि , इसलिए कि।
4 विस्मयादिबोधक Vismayadi bodhak –जिन अवयवों से हर्ष , शोक , घृणा , आदि भाव प्रकट होते हैं। जिनका संबंध वाक्य के किसी दूसरे पद से नहीं होता उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे – हाय! वह चल बसा। इस अव्यय के निम्न भेद हैं – हर्षबोधक – वाह , आह , धन्य , शाबाश।
निपात – मूलतः निपात का प्रयोग अवयवों के लिए होता है। इनका कोई लिंग , वचन नहीं होता। निबातों का प्रयोग निश्चित शब्द या पूरे वाक्य को श्रव्य भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है। निपात सहायक शब्द होते हुए भी वाक्य के अंग नहीं होते। निपात का कार्य शब्द समूह को बल प्रदान करना होता है। निपात कई प्रकार के होते हैं जैसे – स्वीकृतिबोधक – हां , जी , जी हां, अवश्य।
अव्यय का पद परिचय Avyay ka pad parichay –वाक्य में अव्यय का पद परिचय देने के लिए अव्यय उसका भेद उससे संबंध रखने वाला पद इतनी बातों का उल्लेख करना चाहिए। जैसे – वह धीरे – धीरे चलता है धीरे-धीरे – अव्यय क्रिया विशेषण , रीतिवाचक क्रिया , चलता की विशेषता बताने वाला है। दोस्तों आपको इस पोस्ट ने किस हद तक मदद करी | नीचे करके अवश्य बताएं | अगर कोई समस्या है तब भी जरूर पूछें | हम आपकी उस समाया का हर संभव समाधान करेंगे | समुच्चयबोधक से आप क्या समझते हैं?जिन शब्दों की वजह से दो या दो से ज्यादा वाक्य , शब्द , या वाक्यांश जुड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक कहा जाता है। जहाँ पर तब , और , वरना , किन्तु , परन्तु , इसीलिए , बल्कि , ताकि , क्योंकि , या , अथवा , एवं , तथा , अन्यथा आदि शब्द जुड़ते हैं वहाँ पर समुच्चयबोधक होता है। इन समुच्चयबोधक शब्दों को योजक भी कहा जाता है।
समुच्चयबोधक किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं?पर ,परंतु, लेकिन ,किंतु ,या, अथवा ,वरना, और एवं आदि। (१)समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद:- समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद है। (2)व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :- किसी वाक्य के मुख्य वाक्य के साथ आश्रित उपवाक्य को जोड़ने वाले शब्द, व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं ।
|