सुहागन मरने से क्या होता है - suhaagan marane se kya hota hai

कई बार सुहागन स्त्रियां कुछ ऐसी चीजे भी पहन लेती है, जिसके कारण उनका रिश्ता तक टूटने की नोबत आ जाती है, लेकिन जानकारी ना होने के चलते वह इस दोष को समझ नहीं पातीं। इसीलिए वास्तु शास्त्र के हवाले से हम आपको ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में बताने जा रहे है, जिन्हे सुहागन महिलाओ को भूल कर भी नहीं पहनना चाहिए।तो आइये जानते हैं उन खास चीजों के बारे में...।

काले रंग की चूड़ियां

सुहागन स्त्रियों को कभी भी काले रंग की चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए, क्यूकि इससे उन्हें शनिदेव का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। ऐसे में उनका विवाहित जीवन भी खराब हो सकता है। यहां तक कि उनके घर में भी नकारात्मक शक्तियों का वास होने लगता है। इसके इलावा घर में बच्चो पर भी कई मुश्किलें आ सकती हैं।

पैरो में सोना तत्व

कई सुहागन महिलाएं अपने पैरो में सोने से बनी पायल या बिछिया पहनती हैं। इसे सुहागन महिलाओं के लिए अशुभ माना जाता है। बता दें कि, पैरो में सोने के आभूषण पहनने से कुबेर जी नाराज होते हैं, जिसके कारण आपके जीवन में दरिद्रता आ सकती है। इससे घर में होने वाली आमदनी में अड़चने आती हैं, पति की तरक्की भी रुक जाती है और आपको आर्थिक समस्या का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए सुहागन महिलाओ को अपने पैरो में हमेशा चांदी तत्व ही पहनना चाहिए।

सफेद रंग की साड़ी

सुहागन महिलाओं को कभी भी सफेद रंग की साड़ी नहीं पहननी चाहिए। हालांकि, आज के समय में महिलाएं सफ़ेद साड़ी पहनने में जरा सा भी संकोच नहीं करती। जिसके कारण उन्हें जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि सफेद साड़ी पहनने से सुहागन महिलाओ का पतिव्रता धर्म खत्म होता है, इससे आपके दाम्पत्य रिश्ते में नकारात्मक शक्तियों का वास बढ़ता है।

1.हिंदू शास्त्रों के अनुसार एक विवाहित महिला के लिए सिंदूर ही उसकी सबसे बड़ी पहचान होती है। इसलिए सभी सुहागिन स्त्रियों को इसका सम्मान करना चाहिए। मगर कई बार हम सिंदूर लगाते समय ध्यान नहीं देते हैं और कभी भी मांग भर लेते हैं। मगर इसका सही तरीका यह है कि सिंदूर हमेशा नहाने के बाद सिर पर पल्ला रखकर भरना चाहिए।

2.कई बार महिलाएं साज-श्रृंगार करते समय अपने घर-परिवार में मौजूद अन्य सुहागन स्त्री का सिंदूर भर लेती हैं या उन्हें अपना सिंदूर दे देती हैं, लेकिन ये बिल्कुल गलत है। ऐसा करने से आपका सुहाग बंट सकता है और घर में कलेश हो सकता है।

3.विवाहित महिलाओं को कभी अपना काजल भी दूसरों से सांझा नहीं करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ऐसा करने से पति का प्रेम आपके लिए कम हो सकता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऐसा करने पर आंखों का इंफेक्शन हो सकता है।

4.सुहागन स्त्रियों को कभी भी आपने हाथ में पहनी हुई चूडियां किसी दूसरे को नहीं देनी चाहिए। ऐसा करने से आपका भाग्य कमजोर हो सकता है। क्योंकि चूड़ियों के साथ आपकी किस्मत भी दूसरी महिला की झोली भी चली जाएगी।

5.शास्त्रों के अनुसार विवाहित महिलाओं को अपने माथे की बिंदी भी दूसरों को नहीं देनी चाहिए। इससे पति की जान को खतरा हो सकता है। इससे संबध विच्छेद का भी खतरा रहता है।6.हालांकि कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अगर आपको मजबूरी में अपनी बिंदी दूसरों को देनी पड़े तो बिंदी को आप पहले पान या किसी अन्य पेड़ के पत्ते पर लगा दें। इसके बाद पत्ते में रखकर ही उसे दूसरी स्त्री को दें।

7.बिछिया को भी सुहागन की निशानी माना जाता है। इसलिए इन्हें भूलकर भी दूसरों को नहीं देना चाहिए। ऐसा करने से आपका सौभाग्य छिन सकता है। इससे आर्थिक समस्याएं भी आ सकती हैं।8.महिलाएं अक्सर अपनी शादी का जोड़ा अपनी बहन, सहेली व अन्य स्त्री को दे देती हैं, क्योंकि वो इसे दोबारा नहीं इस्तेमाल कर सकती हैं। मगर शास्त्रों के अनुसार दूसरी स्त्री को अपनी शादी का जोड़ा नहीं देना चाहिए। इससे घर की समृद्धि प्रभावित हो सकती है।

खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।

खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं?

खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं?

खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं?

खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है?

पिताजी की मामी को हम दादी कह कर बुलाते थे। कुछ समय पहले उनका निधन हो गया। महीने भर की बीमारी के दौरान उनके बेटों से ज्यादा बेटियों ने उनकी खूब सेवा की। अंतिम समय में बिस्तर पर पड़े रहने की स्थिति में उन्हें साफ-सुथरा रखना, कपड़े बदलवाना, समय पर दवा देना जैसे सारे काम उनकी बेटियों ने ही किए। उस वक्त जो बेटियां उनके पास थीं, उनमें से एक कुंवारी है और एक का विवाह हुआ था, लेकिन उसके पति की मौत हो चुकी है। उन दोनों ने अपनी मां की पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी थी। लेकिन आखिरकार वे नहीं बचीं। खैर, दादी के अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी। शव को अंतिम स्नान कराने, कपड़े पहनाने और शृंगार कराने की बात हो रही थी। सवाल उठा कि कौन पूरे करेगा ये संस्कार! कौन-से रीति-रिवाज के हिसाब से काम संपन्न होंगे! महिलाओं के समूह से आवाज आई कि कुंवारी लड़कियां और विधवा महिलाएं अंतिम संस्कार नहीं कर सकतीं। हम लोग बनारस के हैं, इसलिए वहीं के रिवाज के हिसाब से सारे संस्कार पूरे होंगे!

जब तक दादी जिंदा, लेकिन बीमार थीं, तब तक बिस्तर पर पड़े रहने के दौरान महीने से ज्यादा वक्त से उनकी बेटियां ही सारी सेवा कर रही थीं। लेकिन उस दिन उनकी मृत्यु के बाद बेटियों को अपनी मां के अंतिम संस्कार में हिस्सा तक लेने से वंचित कर दिया गया। यह धर्म का विधान है, यही रिवाज है! वहीं कुछ महिलाएं ऐसी बातें भी कर रही थीं कि दादी कितनी किस्मत वाली हैं… सुहागन ही मरीं… सबके ऐसे भाग्य कहां…! कोई-कोई औरत ही सुहागन मरती है! ऐसी बातें कहने वाली वहां मौजूद आमतौर पर कुछ विधवा महिलाएं थीं। उनकी बातों और उनके चेहरों से लगा कि उन्हें इस बात पर बहुत दुख था कि वे अपने पति से पहले नहीं मर सकीं!

कहां से आते हैं ये विधान? कौन बनाता है इन्हें? मृत्यु के बाद कितने संस्कार होते हैं? दादी की कुंवारी और विधवा बेटियां इन्हीं सवालों में उलझी बहुत लाचार दिख रही थीं। लेकिन इसमें कुछ भी सवाल उठाने लायक नहीं मानने वाली और चुपचाप उन पर अमल करने वाली विधवा या दूसरी महिलाएं किन वजहों से ऐसा सोचती हैं!
वहीं दादी की बहू भी थीं, जिनके चेहरे पर मालकिन जैसा भाव आता दिख रहा था। एक सवाल उठा कि दादी के कान और नाक में सोने के गहने थे, उनका क्या होगा! बेटियों का कहना था कि सब मां के साथ जाने देना चाहिए, अंतिम संस्कार में। उसी शहर में रहने वाली बहू की बड़ी बहन भी आ गई थीं। उनसे बहू ने कहा कि सासू मां के कान-नाक से धागा बांध कर गहने निकाल लेती हूं… सोने के हैं सब! ऐसा कहते हुए उनके चेहरे पर थोड़ी हंसी भी आ गई। उनकी बड़ी बहन ने उन्हें आंख दिखा कर हलके से डांटा और इशारे से चुप रहने को कहा। बहू को अहसास हुआ कि ओह, यह मैंने क्या किया! पता नहीं किस-किसने मुझे हंसते हुए देख लिया होगा! वे तुरंत शांत हो गर्इं।

इस बीच वहां बात होने लगी कि गरुड़ कथा का आयोजन कराना होगा। किसे-किसे सुनने के लिए बुलाना है… कितने दिन तक क्या करना है… तेरहवीं कैसे करनी है…! सिर्फ संस्कार भर नहीं, उन पर खर्च कितना आएगा! दो बेटे हैं। छोटे बेटे की आमदनी इतनी नहीं है कि उससे ज्यादा पैसा निकालने को कहा जा सके। बड़ा बेटा और बहू बजट पर सोच-विचार कर रहे थे। पिता वृद्ध, बीमार और कुछ बेबस-से थे। अभी कुछ महीने पहले चौकी से उतरते हुए रात में गिर पड़े थे। तब से लाठी लेकर चल रहे हैं। टीबी की बीमारी से पहले से है। खांसी रुक नहीं रही थी। उन्हें ऊपर वाले कमरे में रखा गया था। वे एक तरह से बंद ही हैं। उन्हें नीचे घर और आंगन में चल रही गतिविधियों के बारे में कुछ नहीं मालूम था। मगर शाम होते-होते वे सब कुछ से वाकिफ हो गए। अगर पति जिंदा है तो अंतिम संस्कार आखिर उसके बिना कैसे संभव है!

दादी की विधवा बेटी अपने एक बेटे के साथ मायके में ही रहती हैं। दूसरा बेटा अपनी दादी के साथ रहता है। मां की आखिरी सांस तक सेवा करने वाली विधवा बेटी विधान के मुताबिक अपने हाथों से कफन नहीं डाल सकती थी। इसलिए उसने अपने बेटे को बुलवाया, ताकि उसके हाथों से कफन अपनी मां की मृत देह पर डलवा सके। विवाहित महिलाओं ने दादी की मृत देह को नहलाया, कपड़े पहनाए। फिर उन्हें बांस की टिकटी पर रखा गया। इसके बाद दादा जी को नीचे लाया गया, आखिरी बार दादी की मांग में सिंदूर भरने के लिए! दादी सुहागन मरी थीं। वे बड़ी ‘भाग्यवान’ थीं! उनकी विधवा बेटी थोड़ी दूर पर खड़ी सब कुछ चुपचाप देख रही थी…!

 

फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/Jansatta

ट्विटर पेज पर फॉलो करने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/Jansatta

 

लोकप्रिय खबरें

सुहागन मरने से क्या होता है - suhaagan marane se kya hota hai

Yearly Horoscope 2023: सभी 12 राशि वालों के लिए साल 2023 कैसा रहेगा? पढ़ें यहां वार्षिक राशिफल 

सुहागन मरने से क्या होता है - suhaagan marane se kya hota hai

11 दिन बाद उदय होने जा रहे हैं बुध ग्रह, इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन, हर कार्य में सफलता के योग

सुहागन मरने से क्या होता है - suhaagan marane se kya hota hai

2023 में इन 3 राशि वालों की गोचर कुंडली में बनेगा ‘मालव्य राजयोग’, मिल सकता है अपार पैसा और पद- प्रतिष्ठा

पत्नी का अंतिम संस्कार कौन करता है?

अंतिम संस्कार औरत नहीं कर सकती है। यह तथ्य मौजूदा सदी में अव्यावहारिक परंपरा मानी जा सकती है। भारतीय संस्कृति में किसी की मौत होने पर उसको मुखाग्नि मृतक का बेटा/भाई/ भतीजा/पति या पिता ही देता है। दूसरे लफ्जों में आमतौर पर पुरुष वर्ग ही इसे निभाता है।

सुहागन स्त्री को क्या करना चाहिए?

सभी विवाहित महिलाओं को इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि उनकी मांग हमेशा भरी रहे। खास तौर पर सावन के महीने में भूलकर भी आपकी मांग खाली नहीं रहनी चाहिए और इसमें सदैव सिंदूर सजा रहना चाहिए। सिंदूर लगाकर ही महिलाओं को पति के सामने आना चाहिए। ऐसा करने वाली महिलाओं को भोलेनाथ अखंड सौभाग्‍यवती रहने की आशीर्वाद देते हैं।

पति की रक्षा कैसे करें?

पति के लिए.
रक्षा हेतु निम्नलिखित मन्त्र जपें :-.
ॐ जूं स: माम् पति पालय पालय स: जूं ॐ.
रोगनिवारण हेतु निम्नलिखित मन्त्र जपें:-.
सद्बुद्धि हेतु निम्नलिखित मन्त्र जपें:-.
ॐ भुर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात।.
कलह निवारण हेतु निम्नलिखित मन्त्र जपें:-.

सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार क्यों नहीं किया जाता है?

शास्त्रों की मानें तो रात में यानी सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार करने पर स्वर्ग के सभी द्वार बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं। इसलिए यदि इस समय अंतिम संस्कार किया गया तो सीधे नर्क में स्थान मिलता है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि ऐसे व्यक्ति को अगले जन्म में कोई अंग दोष भी हो सकता है।