रेखाचित्र से आप क्या समझते हैं बताइए? - rekhaachitr se aap kya samajhate hain bataie?

रेखाचित्र किसे कहते हैं? रेखा चित्र का क्या अर्थ होता है? | Rekha Chitra kise kahate Hain [Nitya Study Point]

रेखाचित्र से आप क्या समझते हैं बताइए? - rekhaachitr se aap kya samajhate hain bataie?
रेखाचित्र किसे कहते हैं? रेखा चित्र का क्या अर्थ होता है?

नमस्कार मित्रों आज की पोस्ट में आपको रेखा चित्र किसे कहते हैं? तथा इसकी विशेषताएं। इनके कवियों के नाम के विषय में जानकारी मिलेगी। आपको पोस्ट अंत तक जरूर पढ़नी है।

रेखाचित्र किसे कहते हैं? रेखाचित्र का क्या अर्थ है।

रेखाचित्र शब्द अंग्रेजी के" स्केच" शब्द का अनुवाद है। तथा दो शब्द रेखा और चित्र के योग से बना है। इस विधा में क्रम बंधुता का ध्यान में रखकर किसी व्यक्ति की आकृति उसकी चाल ढाल या

 स्वभाव का शब्दों द्वारा सजीव चित्रण किया है। रेखाचित्र कहलाती है। रेखांकित शब्द चित्रकला का है जिसका अर्थ ऐसा खाका जिसमें क्रमबद्ध ब्योरे ना दिए गए हो। उसी के अनुकरण पर लिखना रेखा चित्र कहलाता है। इसी प्रकार थोड़े से शब्दों में किसी व्यक्ति घटनाएं स्थान या वस्तु को चित्रित कर देना कुशल रेखाचित्र कार का ही काम हैं। रेखा चित्र में लेखक कम से कम शब्दों में सजीवता भर देने का प्रयास करता है और उसके छोटे-छोटे पैने वाक्य एवं मर्मस्पर्शी होते हैं। महादेवी वर्मा ने अपने आश्रित सेवकों को ही नहीं बल्कि पशुओं को भी रेखा चित्र के माध्यम से अमर बना दिया है। रेखाचित्र गद्य साहित्य के आधुनिक विधा है। इस विधा में लेखक रेखा चित्र के माध्यम से शब्दों को ढांचा तैयार करता है। लेखक किसी सत्य घटना की वस्तु का या व्यक्ति का चित्रात्मक भाषा में वर्णन करता है। इसमें शब्द चित्रों का प्रयोग आवश्यक है।

रेखा चित्रकारों में महादेवी वर्मा ,कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ,बनारसीदास चतुर्वेदी ,रामवृक्ष बेनीपुरी एवं डॉ नागेंद्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

रेखाचित्र की परिभाषा -[Nitya Study Point]

रेखा चित्र शब्द अंग्रेजी के " स्केच" शब्द का अनुवाद है तथा दो शब्दों रेखा और चित्र के योग से बना है। इस विधा में क्रम बंधुता का ध्यान रखकर किसी व्यक्ति की आकृति उसकी चाल ढाल यह स्वभाव का, किन्हीं विशेषताओं का शब्द द्वारा सजीव चित्रण किया है, उसे रेखाचित्र कहलाती है।

हिंदी में रेखाचित्र के पर्याय रूप में व्यक्ति चित्र, शब्द चित्र, शब्दांकन आदि शब्दों का प्रयोग भी होता है, परंतु प्राया विद्वान इस विधा को रेखाचित्र नाम से अभिहित करते हैं।

प्रमुख रेखाचित्र और रेखा चित्रकार

हिंदी में रामवृक्ष बेनीपुरी को श्रेष्ठ रेखा चित्रकार माना जाता है। बनारसीदास चतुर्वेदी लिखते हैं,"यदि हम से प्रश्न किया जाए कि आज तक का हिंदी का श्रेष्ठ रेखा चित्रकार कौन है तो हम बिना किसी संकोच के बेनीपुरी जी का नाम उपस्थित कर देंगे"।

नीचे सारणी में कुछ लेखा चित्र और उनके लेखकों के नाम दिए गए हैं ध्यानपूर्वक पढ़िए।

  रेखा चित्र / वर्ष

    लेखक

पद्म पराग (1929 ई.)

पद्म सिंह शर्मा

बोलती प्रतिमा (1937ई.)

श्री राम शर्मा

पुरानी स्मृतियां और नए स्केच (1947 ई.)

प्रकाशचंद गुप्त

अतीत के चलचित्र (1941 ई.),

स्मृति की रेखाएं (1947 ई.)

महादेवी वर्मा

जो ना भूल सका (1945 ई.)

भदंत आनंद कौशल्या यन

माटी की मूरतें (1946 ई.),

गेहूं और गुलाब (1950 ई.)

रामवृक्ष बेनीपुरी

रेखाएं बोल उठी (1949 ई.)

देवेंद्र सत्यार्थी

अमिट रेखाएं (1951 ई.)

सत्यवती मलिक

रेखा चित्र (1952 ई.)

बनारसीदास चतुर्वेदी

रेखा और रंग (1955 ई.)

विनय मोहन शर्मा

रेखाएं और चित्र (1955 ई.)

उपेंद्रनाथ नाथ अश्क

स्मृति कण (1959 ई.)

सेठ गोविंद दास

रेखाचित्र (1959 ई.)

प्रेम नारायण टंडन

10 तस्वीरें (1963 ई.)

जगदीश चंद्र माथुर

बाबूराव विष्णु पराड़कर 

रामनाथ सुमन

वे दिन वे लोग (1965 ई.)

शिवपूजन सहाय

कुछ शब्द: कुछ रेखाएं (1965 ई.)

विष्णु प्रभाकर

मेरी कौन सुनेगा

महावीर त्यागी

आदमी से आदमी तक (1982 ई.)

भीमसेन त्यागी

रेखा चित्र की विशेषता [Nitya Study Point]

रेखा चित्र की विशेषताएं यह होती है कि इसमें साहित्यकार अपनी कल्पना या अनुभूति का अलग से कोई रंग नहीं भरता, जिस व्यक्ति, वस्तु या दृश्य का वर्णन करना है, उसका हू-ब-हू चित्र अंकित कर देता है। रेखा चित्र वर्णन-प्रधान संस्मरण है किंतु इनकी चित्रात्मकता संस्मरण से पृथक कर देती हैं।

रेखा चित्र की विशेषता विस्तार में नहीं तीव्रता में होती है। रेखाचित्र पूर्ण चित्र नहीं है-वह व्यक्ति, वस्तु, पटना आदि का एक निश्चित विवरण की न्यूनता के साथ-साथ तीव्र संवेदनशीलता वर्तमान रहती है। इसीलिए रेखा चित्रांकन का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है, उस दृष्टि बिंदु का निर्धारण, जहां से लेखक अपने वण विषय का अवलोकन कर उसका अंकन करता है। इस दृष्टि से व्यंगचित्र और रेखा चित्र की कलाएं बहुत समान है। दोनों में दृष्टि की सूक्ष्मता तथा कम से कम स्थान में अधिक से अधिक अभिव्यक्ति करने की तत्परता परिलक्षित होती है।

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Written by - Nitya Study Point

रेखाचित्र से आप क्या समझते हैं समझाइए?

रेखाचित्र या 'आरेखण' (ड्राइंग) एक दृश्य कला है जो द्वि-आयामी साधन को चिह्नित करने के लिए किसी भी तरह के रेखाचित्र उपकरणों का उपयोग करता है। आम उपकरणों में शामिल है ग्रेफाइट पेंसिल, कलम और स्याही, स्याहीदार ब्रश, मोम की रंगीन पेंसिल, क्रेयोन, चारकोल, खड़िया, पैस्टल, मार्कर, स्टाइलस, या विभिन्न धातु सिल्वरपॉइंट।

रेखाचित्र की क्या विशेषता है?

इस विधा की सर्वप्रमुख विशेषता उसकी चित्रात्मकता है। इसमें शब्दों को इस प्रकार चुन-चुन कर रखा जाता है जिससे चित्रित विषय का फोटो ही पाठक के सम्मुख उपस्थित हो जाता है। इस तत्त्व के महत्त्व का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि चित्रात्मकता के आधिक्य के कारण विद्वान् संस्मरणों को रेखाचित्र ही मानने लगे हैं

रेखाचित्र और संस्मरण से आप क्या समझते हैं?

रेखाचित्र में वर्णन का हू-ब-हू होना आवश्यक है और संस्मरण में उसका स्मृति के आधार पर लिखा जाना । एक अन्य बात यह भी है कि रेखाचित्र में लेखक का वर्णित घटना, व्यक्ति आदि के साथ निजी संबंध होना आवश्यक नहीं है, जबकि संस्मरण के लिए यह आवश्यक है ।

रेखाचित्र का तत्व कौन सा है?

रेखाचित्र के तत्व अथवा गुण रेखाचित्र एक ऐसी साहित्यिक विधा है, जिसमें अन्य गद्य विधाओं की कोई-न-कोई विशेषता समाहित है। फिर भी इसके तत्वों में विषयसंबंधी एकात्मकता, अंर्तमुखी चारित्रिक विशेषता, संवेदनशीलता, संक्षिप्तता, विश्वसनीयता, प्रतिकात्मकता को लिया जा सकता है।