Bundelkhand Ka PatharPradeep Chawla on 11-09-2018 Show
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Comments Subhash on 01-10-2021 Q. Malwa ka pather kasa pathar hai Jitendra on 27-12-2020 Indian ka kshetraphal kittna h Sonu on 24-12-2020 मध्यप्रदेश की ऐसी कौन सी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है Bundelkhand konse jile me h on 04-08-2020 Question 1 Bundelkhand konse jile me h Shankar nalwaya on 12-05-2019 Ram ghat kon se jile me h anekkumar on 12-05-2019 Anekkumar ka. Name. He. Ki. Nahi. Yahi. Bat. Pucch. Na. Chahta hu Dsds on 01-09-2018 Sidhy baba ki choti kis pathar me hai Home » Notes » राजस्थान के भौतिक प्रदेश राजस्थान के भौतिक प्रदेश
राजस्थान के भौतिक प्रदेश (Rajasthaan ke Bhautik Pradesh) राजस्थान विश्व का प्राचीनतम भूखंड है। जिसका निर्माण टेथिस सागर तथा गोंडवाना लैंड से हुआ है। राजस्थान की खारे पानी की झीले एवं थार के मरुस्थल का निर्माण टेथिस सागर से तथा अरावली पर्वत माला और प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण गोंडवाना लैंड से हुआ है। समुद्रतल से ऊँचाई के आधार पर भौगोलिक क्षेत्र को पांच भागों में बांटा जाता हैं-
पर्वत शिखर या उच्च शिखरइनकी ऊंचाई समुद्र तल से 900 मीटर से अधिक होती है। जैसे गुरुशिखर, जरगा, सेर, दिलवाडा आदि। यह राजस्थान के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र का 1% भाग है। पर्वत माला या पर्वत श्रंखलाइनकी ऊंचाई समुद्र तल से 600 से 900 मीटर होती है। जैसे अरावली पर्वत श्रंखला। यह राजस्थान के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र का 6% भाग है। उच्च भूमि या पठारइनकी ऊंचाई समुद्र तल से 300 से 600 मीटर होती है। जैसे नागौर की उच्च भूमि, हाड़ौती का पठार आदि। यह राजस्थान के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र का 31% है। मैदानइसकी ऊंचाई समुद्र तल से 150 से 300 मीटर होती है। जैसे राजस्थान का पूर्वी तथा उत्तरी पूर्वी मैदान इनका निर्माण नदियों द्वारा बहा कर लाई गई मृदा से होता है। यह राजस्थान के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र का 51% है। निम्न भूमिइसकी ऊंचाई 150 मीटर से कम होती है। जैसे खारे पानी की झीले और रन का मैदान। यह राजस्थान के संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र का 11% है। धरातलीय स्वरूप के आधार पर राजस्थान के भौगोलिक क्षेत्र को चार भौतिक प्रदेशों में विभक्त किया गया हैं-
1. थार का मरुस्थलयह उत्तर पश्चिमी रेतीला मैदान है। यह टेथिस सागर का अवशेष है। यह ग्रेट पोलियो आर्केटिक अफ्रीकी मरुस्थल का पूर्वी विस्तार है। जो भारत और पाकिस्तान में फैला हुआ है। इसको भारत में मरू प्रदेश या थार का मरुस्थल तथा पाकिस्तान में चोलीस्तान के नाम से जाना जाता है। थार का रेगिस्तान ऊतर-पश्चिम में लगभग 640 किलोमीटर लम्बा तथा लगभग 300 किलोमीटर चौड़ा है। यह राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 61.11% भाग (209142.25 वर्ग किलोमीटर) है। जो कि लगभग दो तिहाई हिस्सा है। संपूर्ण भारत में 142 डेजर्ट ब्लॉक में से 85 डेजर्ट ब्लॉक राजस्थान में है। थार के मरुस्थल की में कुल जनसंख्या लगभग का 40% भाग (लगभग 2,74,19,375) है। थार के मरुस्थल में सर्वाधिक जनसंख्या और जैव विविधता पाई जाती है। थार का मरुस्थल विश्व का सबसे युवा और सर्वाधिक जनसंख्या वाला (घनत्व 100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) मरुस्थल है। थार के मरुस्थल को 25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा दो भागों में विभक्त करती हैं-
शुष्क मरुस्थलइस भाग में 25 से कम वर्षा होती है। इसका विस्तार कच्छ की खाड़ी से अंतरराष्ट्रीय सीमा के सहारे पंजाब तक है। शुष्क मरुस्थल को पुनः दो भागों में विभक्त किया गया हैं-
A. बालुका स्पूत युक्त क्षेत्रइसका विस्तार जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर तथा जोधपुर में है। बालुका स्पूत निम्न प्रकार के होते हैं- 1. अनुप्रस्थ बालुका स्पूतपवन के वेग के समकोण पर बनने वाले 2. अनुदैर्ध्य बालुका स्पूतपवन के वेग के समानांतर बनने वाले 3. पैराबोलिक बालुका स्पूतपवन के वेग के विपरीत दिशा में बनने वाले 4. शब्रकाफीज बालुका स्पूतमरुस्थलीय वनस्पति के आसपास बनने वाले 5. बरखान बालुका स्पूतअर्द्धचंद्राकार सर्वाधिक गतिशील रेत के टीले 6. उर्मिकाएँ बालुका स्पूतलहरदार बालूका स्पूत सीफ – पवनों के वेग के कारण लम्बे बालूका स्तूप बनते है इनके बीच में कटी आकृति या खली जगह को सीफ कहते है । B. बालूका स्पूत मुक्त क्षेत्रइस क्षेत्र में टर्शीअरी युग की अवसादी परतदार चट्टाने पाई जाती है। जिनमें चुना पत्थर की अधिकता होती है। इसी क्षेत्र में थार का घड़ा, चंदन नलकूप और लाठी सीरीज भूगर्भिक पट्टी स्थित है। अर्द्ध शुष्क मरुस्थलइस भाग में 25 से 50 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। इसे चार भागों में बांटा गया हैं-
लूनी बेसिननदियों के द्वारा निर्मित मैदान को बेसिन कहते हैं। लूनी बेसिन का निर्माण लूनी नदी के द्वारा हुआ है। इसके अंतर्गत जालौर, पाली तथा बाड़मेर जिले आते हैं। जिनको गोडवाड प्रदेश भी कहा जाता है। बाड़मेर में मोकलसर से सिवाना तक छप्पन गोलाकार पहाड़ियां हैं जिन्हें छप्पन की पहाड़ियां कहते हैं। इन पहाड़ियों में नाकोड़ा पर्वत व हल्देश्वर की पहाड़ी प्रमुख पहाड़िया है। हल्देश्वर पहाड़ी पर पिपलुंद गांव बसा हुआ है। जिसे राजस्थान का लघु माउंट आबू भी कहा जाता है। जालौर में जसवंतपुरा की पहाड़ियां है। जिसमें सुंधा/सुंडा पर्वत स्थित है। नागौर की उच्च भूमियह नागौर में फैली हुई है। जो समुंदर तल से लगभग 500 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। शेखावाटी का अंतः प्रवाही क्षेत्रइसके अंतर्गत सीकर, चूरू तथा झुंझुनू जिलों को सम्मिलित किया गया है। जिन्हें बांगर प्रदेश भी कहा जाता है। घग्गर प्रदेशगंगानगर तथा हनुमानगढ़ जिलों का लगभग 75% भाग घग्गर प्रदेश के अंतर्गत आता है। इसका निर्माण घग्गर नदी के बेसिन में हुआ है। हनुमानगढ़ में घग्गर के मैदान को नाली या पाट का मैदान कहा जाता है। थार के मरुस्थल को मरुस्थल के प्रकार के आधार पर भी चार भागों में बाँटा गया है-
1. महान मरुस्थलयह शुष्क मरुस्थल है। जो कच्छ की खाड़ी से पंजाब तक फैली है इसे सहारा में इर्ग कहते है। 2. चट्टानी मरुस्थलयह जैसलमेर के पोकरण व रामगढ़, बाड़मेर तथा जालौर के मध्य फैली रहती है। इसे सहारा में हम्मादा कहते है। 3. पथरीला मरुस्थलयह जैसलमेर के रुद्रवा व रामगढ़ में फैला है। इसे सहारा में रेग कहा जाता है। 4. लघु मरुस्थलयह कच्छ ले रन से बीकानेर के महान मरुस्थल तक फैला है। Keywords राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh 2. अरावली पर्वत मालाइसकी उत्पत्ति प्रीकैंब्रियन युग में हुई है। यह प्राचीनतम वलित पर्वत माला है। इनमें क्वार्टजाइट चट्टाने पायी जाती है। वर्तमान में यह अवशिष्ट पर्वत वाला है। जिसकी तुलना अमेरिका के अपल्लेशियन पर्वत से की गई है। यह राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 9% भाग (30801.57 वर्ग किलोमीटर) है। इसमें राजस्थान की 10% (लगभग 68,54,844) जनसंख्या निवास करती है। राजस्थान में प्रीकैंब्रियन युगों के चट्टानों का अध्ययन सर्वप्रथम हैरोज ने किया। राजस्थान में अरावली का विस्तार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर है। इसका विस्तार खेड़ब्रह्मा (पालनपुर, गुजरात) से रायसीना पहाड़ी (राष्ट्रपति भवन, दिल्ली) तक है। यह सिरोही जिले के ईशानकोण गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती है, तथा झुंझुनू के खेतड़ी से राजस्थान से बाहर निकलती है। इसकी कुल लंबाई 692 किलोमीटर है। जिसमें से 550 किलोमीटर राजस्थान में स्थित है। अरावली का 80% भाग राजस्थान में स्थित है। अरावली का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर में तथा सबसे कम विस्तार अजमेर में है। अरावली का सर्वाधिक घनत्व राजसमंद में तथा सबसे अधिक ऊंचाई माउंट आबू में है। इसकी न्यूनतम ऊंचाई पुष्कर घाटी अजमेर है। इसके अन्य नाम मेरुपर्वत, सुमेरु पर्वत, पुराणानी आदि है। यह अरावली पर्वतमाला गंगा-यमुना के मैदान को सतलज-व्यास के मैदान से अलग करती है। यह सिंघु बेसिन तथा गंगा बेसिन के मध्य जलविभाजक या क्रेस्ट लाइन का निर्माण करता है। अरावली पर्वत माला को तीन भागों में बांटा गया हैं-
1. उत्तरी-पूर्वी अरावलीजयपुर, सीकर, झुंझुनू तथा अलवर जिलों में फैली है। उत्तरी-पूर्वी अरावली की सबसे ऊंची पर्वत चोटी रघुनाथगढ़ है, जो सीकर में स्थित है। रघुनाथगढ़ की ऊंचाई 1055 मीटर है। शेखावाटी में अरावली की पहाड़ियों को मालखेत या तोरावाटी की पहाड़ियां कहते है। सीकर में अरावली की पहाड़ियां हर्ष की पहाड़ियों तथा अलवर में हर्षनाथ की पहाड़ियों के नाम से प्रसिद्ध है। उत्तरी-पूर्वी अरावली क्षेत्र की प्रमुख चोटियाँ
2. मध्यवर्ती अरावलीइसका विस्तार अजमेर, पुष्कर, किशनगढ़, ब्यावर तथा नसीराबाद में है। अरावली के इस भाग में अजमेर की मुख्य पहाड़ियां तथा नागौर की निम्न पहाड़ियों को शामिल किया गया है। मध्यवर्ती अरावली, अरावली का न्यूनतम विस्तार व न्यूनतम ऊंचाई वाला भाग है। मध्यवर्ती अरावली की सबसे ऊंची चोटी तारागढ़ हैं, जो अजमेर में स्थित है। तारागढ़ की ऊंचाई 870 मीटर है। अन्य चोटी नाग तथा गोरमजी है। इस भाग में झिलवाडा, कछवाली अरनिया, देबारी, पिपली, बार पखेरिया शिवपुर घाट तथा सूरा घाट दर्रे है। इनमें से बार पखेरिया शिवपुर घाट तथा सूरा घाट दर्रे ब्यावर तहसील (अजमेर) में है। मध्यवर्ती अरावली की प्रमुख चोटियाँ
3. दक्षिणी-पश्चिमी अरावलीयह अरावली का सबसे ऊँचा, सर्वाधिक विस्तृत और पर्यटन की दृष्टि से सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूभाग है। इसका विस्तार सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर तथा राजसमंद जिलों में है। दक्षिणी-पश्चिमी अरावली का आकार हाथ के पंजे के समान है। इस क्षेत्र के प्रमुख दर्रे जिलवा की नाल, सोमेश्वर की नाल, हाथी गुढा की नाल, देसुरी की नाल, देवर तथा हल्दीघाटी की नाल आदि है। मध्यवर्ती अरावली की प्रमुख चोटियाँ
Keyword राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh 3. पूर्वी-मैदानी भागइसका निर्माण नदियों के द्वारा लाई गई जलोढ़ मृदा से हुआ है। यह टेथिस सागर का अवशेष है। इस भूभाग में गंगा-यमुना की सहायक नदियां बहती है। मैदानी भाग राजस्थान के क्षेत्रफल का 23% भाग है। जिसमें लगभग 39% जनसंख्या निवास करती है। यह राजस्थान का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला भाग है। क्योंकि राज्य की सबसे उपजाऊ भूमि इसी क्षेत्र में पाई जाती है। इस क्षेत्र में गेहूं, जौ, चना, तिलहन सरसों आदि की खेती होती है। इस क्षेत्र की सिंचाई का प्रमुख स्रोत कुँए है। मैदानी भाग को तीन भागों में विभक्त किया गया हैं-
1. चंबल बेसिनचित्तौड़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर,धौलपुर, करौली आदि जिलों में चंबल बेसिन का मैदान फैला हुआ है। चंबल नदी अपने मार्ग में बीहड़ भूमि का निर्माण करती है। सबसे लम्बी बीहड़ पट्टी कोटा से बारां (480किलोमीटर) के मध्य है। 2. माही बेसिनबांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ जिले में माही बेसिन का मैदान फैला हुआ है। जिसमें काली दोमट मिट्टी पाई जाती है। माही नदी बांसवाड़ा तथा प्रतापगढ़ के मध्य 56 के मैदान का निर्माण करती है। 3. बनास-बाणगंगा बेसिनइसका विस्तार राजसमंद, चित्तौड़, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, सवाई माधोपुर आदि जिलों में है। इसमें शिष्ट तथा नीस चट्टाने पायी जाती है। जयपुर, दौसा, अलवर तथा भरतपुर में बाणगंगा नदी के द्वारा जलोढ़ मृदा का जमाव किया गया है। बनास नदी दो मैदानों का निर्माण करती हैं- मेवाड़ का मैदानयह राजसमंद तथा चित्तौड़गढ़ जिले में है। मालपुरा का मैदानयह टोंक जिले में है। बनास बेसिन में भूरी दोमट मिट्टी पाई जाती है। 4. दक्षिणी-पूर्वी पठारी भागयह दक्कन के पठार का उत्तरी भाग है। इस भाग का निर्माण ज्वालामुखी से निकले बेसाल्टिक लावा ठंडे होने से हुआ है। इसलिए इसे लावा पठार भी कहते है। यह गोंडवाना लैंड का अवशेष है। इसे हाड़ौती का पठार या सक्रांति प्रदेश भी कहते है। सक्रांति प्रदेश अरावली पर्वतमाला को विध्यांचल पर्वत माला से अलग करता है। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा भाग है। इस भूभाग में काली रेगर मिट्टी पाई जाती है। इसमें कपास, सोयाबीन तथा अफीम की खेती होती है। विध्यांचल कगार भूमियह बनास तथा चंबल नदी के बीच स्थित दक्षिणी पूर्वी पठारी भाग है। दक्कन लावा का पठारयह कोटा तथा बूंदी जिले में फैला हुआ है। यह ऊपर माल के नाम से प्रसिद्ध है। राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान के प्रमुख पठार
keywords राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान की प्रमुख पहाड़ियाँ
महत्वपूर्ण तथ्यव्यर्थ भूमिभारत की कुल व्यर्थ भूमि का 20% भाग राजस्थान में है। तथा राजस्थान में सर्वाधिक व्यर्थ भूमि जैसलमेर में है। जबकि अनुपातिक दृष्टि से सर्वाधिक व्यर्थ भूमि राजसमंद में है। अधात्विक खनिजभारत में सर्वाधिक अधात्विक खनिज अरावली पर्वतमाला में पाये जाते है। हमो की भूसज्जनगढ़ अभयारण्य में अरावली के टीलेनुमा में पर्वतों को हमो की भू कहा जाता है। सर या सरोवरवर्षा ऋतु में बने अस्थाई तालाब को सर या सरोवर कहते है। जोहड या नाडाकच्चे-पक्के कुओं को जोहड या नाडा कहते है। प्लायापवन निर्मित अस्थाई खारे पानी की झीलों को प्लाया कहा जाता है। खड़ीनजैसलमेर में 15वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा अपनाई गई वर्षा जल संग्रहण पद्धति को खड़ीन कहते है। राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh हम्मादापथरीले मरुस्थल को हम्मादा कहते है। इसका विस्तार जैसलमेर के लोद्रवा व रामगढ़ में है। रेगमिश्रित मरुस्थल को रेग कहा जाता है। मरू त्रिकोणइसके अंतर्गत बीकानेर, जैसलमेर तथा जोधपुर जिले आते है। सौर त्रिकोणइसके अंतर्गत बाड़मेर, जैसलमेर तथा जोधपुर जिले आते है। नाचनाजैसलमेर का नाचना गांव मरुस्थल के प्रसार के लिए जाना जाता है। मरुस्थल के प्रसार को रेगिस्तान का मार्च पास्ट भी कहा जाता है। थलीचूरू से बीकानेर तक मरुस्थलीय पट्टी थली कहलाती है। राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh राजस्थान के भौतिक प्रदेश Rajasthaan ke Bhautik Pradesh रन/ठाटमरुस्थल में टीलों के बीच में वर्षा ऋतु से बनने वाली अस्थाई खारे पानी की झीलों या दलदली भूभाग को रन कहते है। डांडमरुस्थलीय क्षेत्र में विशिष्ट लवणीय झिल्लो को डांड कहते है। वल्लभ या मांड क्षेत्रजैसलमेर और बाड़मेर के आसपास का क्षेत्र वल्लभ या मांड क्षेत्र कहलाता है। नेबखाझाड़ियों के पीछे बनने वाले रेतीले नेबखा कहलाते है। लाठी सीरीजयह भूगर्भीय जलीय पट्टी है। जिसका विस्तार जैसलमेर के मोहनगढ़ से पोकरण तक है। संतों का शिखरजेम्स टॉड ने गुरुशिखर को संतों का शिखर कहा है। राजस्थान का बर्खोयान्सकमाउन्ट आबू (सिरोही) को कहा जाता है। हाथी गुढा की नालकुम्भलगढ़ दुर्ग हाथी गुढा की नाल पर स्थित है। कांठल प्रदेशबांसवाड़ा तथा प्रतापगढ़ के मध्य का पहाड़ी भाग कांठल प्रदेश के नाम से जाना जाता है। मेवल प्रदेशबांसवाड़ा तथा डूंगरपुर के मध्य का पहाड़ी भाग मेवल प्रदेश के नाम से जाना जाता है। भूडोल प्रदेशकांठल प्रदेश तथा मेवल प्रदेश के मध्य का भाग भूडोल प्रदेश कहलाता है। भोमट प्रदेशसिरोही, उदयपुर तथा डूंगरपुर का पहाड़ी भाग भोमट प्रदेश कहलाता है। ईडर प्रदेशदक्षिणी राजस्थान तथा गुजरात के मध्य का सीमावर्ती प्रदेश ईडर प्रदेश कहलाता है। भद्र प्रदेशपुष्कर घाटी तथा नागौर का सीमावर्ती प्रदेश भद्र प्रदेश कहलाता है। सपाद लक्षसांभर झील से सीकर तक का भूभाग सपाद लक्ष कहलाता है। कारवा गासीबरखान बालुका स्पूत के मध्य में ऊंटों के आने जाने का रास्ता होता है। जिन्हें कारवा गासी कहते है। पीडमानट मैदानबनास-बाणगंगा के द्वारा बना मैदान मगराउदयपुर के उत्तरी-पश्चिमी भाग का पर्वतीय क्षेत्र। आबू पर्वत खण्डइसे गुरुमाथा, बैथोलिक तथा इसेलबर्ग की संज्ञा डी जाती है। इन्हें भी पढ़ें
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भारत का सबसे ऊंचा पठार का नाम क्या है?Detailed Solution. सही उत्तर लद्दाख का पठार है। दक्कन का पठार भारत का सबसे बड़ा पठार है, जो 8 राज्यों में फैला हुआ है। लद्दाख का पठार भारत का सबसे ऊंचा पठार है, जो 3000 मीटर से अधिक ऊंचा है।
पठार कितने प्रकार के होते हैं?भू-संचलन द्वारा भू -पृष्ठ का कुछ भाग ऊपर उठकर जब पठारों का रूप धारण कर लेता है, तो इसे पटल विरूपण पठार कहा जाता है। जैसे – तिब्बत का पठार, पेटागोनिया का पठार, दक्षिण भारत का पठार आदि। भौगोलिक स्थिति (Geographical Situation) के आधार पर पटल विरूपणी पठारों को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है।
पठार का दूसरा नाम क्या है?गिरिपदीय पठार
जिसके एक ओर पर्वत तथा दूसरे मैदान या सागरतल की ओर होता है। इसका निर्माण पर्वतो के निर्माण के साथ-साथ होता है।
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