नाथ संप्रदाय का मूल मंत्र क्या है? - naath sampradaay ka mool mantr kya hai?

नव नाथ,नाथ सम्प्रदाय

नाथ संप्रदाय का मूल मंत्र क्या है? - naath sampradaay ka mool mantr kya hai?

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नाथ सम्प्रदाय के सबसे आदि में नौ मूल नाथ हुये हैं । जैसे नवनाथ के स्रम्बन्ध में काफी मतभेद है । किन्तु वर्तमान नाथ सम्प्रदाय के क्रमश: ये है

( 1 ) आदिनाथ . ॐ कार शिव, ज्योति रूप

(2) उदयनाथ पार्वती, पृथ्वी रूप

(3 ) सत्यनाथ ब्रम्हा, जल रूप

(4) संतोष नाथ विष्णु, तेज रूप

( 5 ) अचल (अचंभे) नाथ शेषनाग, पृथ्वी भार आरी

(6 ) क्रंथडिनाथ … गणपति, आकाश रूप

( 7 ) चौरंगीनाथ चन्द्रमा, वनस्पति रूप

( 8 ) मत्स्येन्द्रनाथ (नाश … माया रूप, करुणामय

( 8) गोरक्षनाथ अयोनिशंकर त्रिनेत्र, अलक्ष्य रूप

नवनाथ स्वरूप

सत नमो आदेश ,गुरु जी को आदेश ,
ॐ गुरु जी ॐ कार आदिनाथ ॐ कार स्वरूप बोलिये उदयनाथ पार्वती स्वरुप बोलिये
,सत्यनाथ ब्र्हमाजी स्वरूप बोलिये ,संतोषनाथ विष्णुजी खडग खांडा तेज स्वरुप बोलिये
अचल अचम्भेनाथ आकाश स्वरुप बोलिये ,गजेबलि गजकंथडनाथ गणेशजी गज हस्ती स्वरुप बोलिये
,ज्ञानपरखी सिद्धचौरंगी नाथ अठारह भर वनस्पति स्वरुप बोलिये ,
मायारूपी दादा मत्स्येन्द्र्नाथ माया स्वरूपं बोलिये ,
घटे पिंडे नव निरंतरे सम्पूर्ण रक्षा करंते श्री शम्भूजतो गुरु गोरख नाथ स्वरुप बोलिये
,इतना नो नाथ स्वरुप मंत्र सम्पूर्ण भया अनंत कोट सिद्धो में बैठकर गोरखनाथ जी ने कहाया नाथ जी गुरूजी आदेश \

इसके बाद योगेस्वर ने धरत्री गायत्री का जाप करके अपने नासिक की बांया स्वर चले तो प्रथम बांया पैर

,या दांया चले तो दांया पैर अथवा दोनों कहले तो दोनों पैर धरती रखे और नमस्कार करे

धरत्री गायत्री

सात नमो आदेश गुरूजी को आदेश ॐ गुरूजी | आद अलील अनाद उपाया सत्यकी धरती जुहारलो काया
,पहले जल ,जल पर कमल ,कमल पर मच्छ,मच्छ पर करम ,करम पर वासुकि ,वासुकि पर धौल बैल ,
धौल बैल पर सींग,सींग पर राइ ,राइ पर श्री नाथ जी ने नवखंड पृथ्वी ठहराई |
प्रथम धरत्री द्वितीय विशंभरा तीसरा मेरु मेदिनी चतुर्थे चतुर्भुजी पंचमे कृतिका ,
षष्टमे ब्रह्मचण्डी सप्तमी शिवकुमारी अष्टमे बल बज्रजोगिनि नवमे नवदुर्गा दसमे सिंहभवानी
एकादशे मृतिका नाक द्वादशे वरदायनी | माता धरत्री पिता आकाश ,पिंड प्राण का तो पर वास |
तो पर टेकु दोनों पाई आगमदे मेंलादु पाई | धरती माता तू सबसे बड़ी तुझ से बड़ा न कोई

जो पग टेकु तोपर मोपर कृपा सुहाय | धरती द्वादश नाम पठै गुणहै मनमे धरे |
जोगी का सब काम सिद्ध होय वाचा फुरे | इतना धरत्री गायत्री द्वादश नाम जाप सम्पूर्ण भया |
अनंत कोटि सिद्धों में श्री नाथ जी ने कहा गुरु जी को आदेश दादा मत्स्येन्द्र नाथ की पादुका को नमस्ते नमः |
औषधि पूर्ति पात्र दधाना सुमुखाम्बुजा सर्व ससयालया शुभ्रा भूदेवी शरण भजे |
समुद्रवसने देवी ,पर्वत स्तनमंडले विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यम पाद स्पर्श क्षमस्व में ||

पांव उठाते समय निचे लिखा मंत्र पढ़े


सात नमो आदेश | गुरु जी को आदेश | ॐ गुरु जी | जिस दिशा को सुर वहत चलै, अवर चलन को चित्तू | सोई पग आगै धरो वेद कहे यहु हित्तु || चारि मंगला रवि प्रियने शशि सूर | गोरख जोगी भाखिया यही जीवन का सूर ||

यह प्रक्रिया होने के बाद धरती पर पांव रखे तथा धरती माता को नमस्कार करे | फिर निचे लिखे मन्त्र से हाथ पांव धोये तथा पानी पीये |

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सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरु जी |
ॐ अलख निरंजन तेरी माया | जल बिम्बाय विदमहे निल पुरुषाय धी मही तन्नो अलील प्रचोदयात \
नाथ जी गुरु जी को आदेश |

अब गणेश मंत्र से काया शुद्ध करे

गणेश मंत्र

सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ गुरु जी |ॐ मूल चक्र को करलो पाक परसो परम ज्योति प्रकाश |
गणपत स्वामी सन्मुख रहे , शुद्धि बुद्धि निर्मली गहे | गम की छोड़ अगम की कहे |
सतगुरु शब्द भेद पर रहे | ज्ञान गोष्ठी की काया थरपी नसतगुरु दियो लखाय |
मूल महल में पिंडक जड़िया गगन गर्जियों जय |
ॐ गणेशाय विद्यहे महागणपतये तन्नो एक दन्त प्रचोदयात |
इति गणेश गायत्री मंत्र संपूर्ण भया अनंत कोटि सिद्धों में बैठकर गुरु गोरखनाथ जी सुनाया |
नाथ गुरु जी को आदेश

नाथ साधुओ का मुख्य इष्ट गुरु गोरख नाथ या गोरक्ष नाथ जी को माना गया है |नाथ साधुओ के बारे मे जानने के साधक इच्छुकों के लिए इस पोस्ट को लिख रहा हूँ |या इस तरह की अन्य पोस्ट जैसे रक्षा मंत्र , वशीकरण मंत्र , शिव गायत्री , गोरख गायत्री ,सट्टा मंत्र, सिद्धियों जैसे  अन्य विषयो के बारे में अधिक जानने के लिए विजिट करे -

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अब मै अपनी  पोस्ट की तरफ आता हूं | साधु या साधक को सुबह चौथे पहर से पहले उठकर शौच आदि से मुक्त होकर अपने शरीर के उपयुक्त आसन लगाते है , जिनमे से प्रमुख पद्मासन ,सिद्धासन ,गोरक्षासन इत्यादि है | उपयुक्त आसन लगाकर सीधा बैठ जाये |अपनी आँखों का ध्यान अपनी भोंहो के बीच भ्रूमध्य में स्थित करे | फिर सत गुरु जी समरण करे |फिर गुरु मंत्र का जाप  करे |इसके बाद गुरु गोरख नाथ जी का ध्यान  करे | या गोरख नाथ जी मंत्र बीज मंत्र का ध्यान करे | या गुरु गोरख नाथ जी के बारह नमो का सुमिरन करे |


जो की इस प्रकार है -

गोरख नाथ जी के बारह नामो का जप या द्वादश जाप-

सत नमो आदेश | गुरूजी को आदेश | ॐ  गुरूजी |
श्री शम्भू जति गुरु गोरक्ष नाथ जी के द्वादश नाम तै कोण कोण बोलिये |
ॐ गुरूजी प्रथमे निरंजन दास ,द्वितीय श्री सुधबुधनाथ , तृतीय श्री कलेश्वर नाथ ,
चतुर्थ श्री सिद्ध चौरंगीनाथ जी ,पांचवे श्री लाल ग्वाल नाथ जी ,छठे श्री विमल नाथ जी ,
सातवे श्री सर्वाङ्गनाथ जी ,आठवे श्री सत्यनाथ जी ,नवमे श्री गोपालनाथ जी ,
दसमे श्री क्षेत्रनाथ जी ,एकादशे श्री भूचर नाथ जी ,द्वादशे श्री गोरक्ष नाथ जी |
ॐ नमो नमो गुरुदेव को .नमो नमो सुखधाम |
नामलिये से नर उबरे ,कोटि कोटि प्रणाम |
इति श्री शम्भुजती गोरक्षनाथ जी के द्वादश नाम पठन्ते ,
हरन्ते पाप ,मोक्ष मुक्ति पदे पदे |
नादमुद्रा ज्योति ज्वाला पिंड ज्ञान प्रकाशते |
श्री नाथ गुरूजी को आदेश | आदेश | आदेश |


गोरख नाथ जी  का बीज  मंत्र  ये ह -

ॐ शिव गोरक्ष योगी 


इसके बाद साधु नवनाथ स्वरुप का जाप करते है |
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 नवनाथ स्वरुप मंत्र

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नवनाथ स्वरूप का ध्यान करने के बाद धरती गायत्री का जाप किया जाता है |
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धरती गायत्री मंत्र 

यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद साधु आपन आसन खोलता है |
और धरती माता को नमस्कार करता है |
फिर जल मंत्र का ध्यान करके हाथ पैर धोये जाते है|
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जल मंत्र

इसके बाद पानी पिया जा सकता है |
 फिर गणेश मंत्र का ध्यान किया जाता है |
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गणेश मंत्र

इसके पश्चात योग क्रियाये की जातीं है |
योग साधना के बाद स्नान किया जाता है |
स्नान मंत्र का ध्यान किया जाता है |

स्नान  मंत्र

इसके साथ साथ अलील गायत्री का भी पाठ किया जाता है |
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अलील गायत्री


फिर शिव गायत्री का पाठ किया जाता है |
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शिव गायत्री

इसके बाद इष्ट देवो को जल का तर्पण किया जाता है |
जल तर्पण की क्रिया के बाद धुनें पर नमस्कार की जातीं है |
फिर भस्म  गायत्री मंत्र से भभूत रमाई जातीं है |
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 भस्म  गायत्री मंत्र


इसके बाद भगवा बाणा पहना जाता है |
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भगवा बाणा मंत्र 


फिर नाद जनेऊ मंत्र का ध्यान करके जनेऊ धारण किया जाता है |
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नाद जनेऊ मंत्र


इसके बाद गोरक्ष गायत्री का पाठ किया जाता है | तत्पश्चात धुनें पर पूजित इष्टदेव की आदेश उठाई जातीं है |सभी विराजमान साधुओ को भी आदेश उठाई जातीं है |इसके बाद सभी नित्यकर्म के कार्य किये जाते है |

नाथ कितने प्रकार के होते हैं?

ओंकार नाथ, उदय नाथ, सन्तोष नाथ, अचल नाथ, गजबेली नाथ, ज्ञान नाथ, चौरंगी नाथ, मत्स्येन्द्र नाथ और गुरु गोरक्षनाथ।

नाथ सम्प्रदाय का मुखिया कौन है?

दूसरों के अनुसार, दत्तात्रेय को नाथों के आदिनाथ संप्रदाय के आदि-गुरु (प्रथम शिक्षक) के रूप में सम्मानित किया गया है, जो तंत्र (तकनीकों) की महारत के साथ पहले "योग के भगवान" हैं।

नाथ समाज क्या है?

चौरासी नाथों की परंपरा में सबसे प्रमुख हैं। उन्हें बंगाल, नेपाल, असम, तिब्बत और बर्मा में खासकर पूजा जाता है। 6. गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के बाद उनके शिष्य गुरु गोरखनाथ ने शैव धर्म की सभी प्रचलित धारणाओं और धाराओं को एकजुट करने 'नाथ' परंपरा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

नो नाथ कौन कौन से हैं?

मत्स्येंद्रनाथ.
गोरखनाथ.
गहिनीनाथ.
जालन्धर नाथ.
कानिफनाथ.
भर्तरीनाथ.
रेवणनाथ.
नागनाथ.