नशा मुक्ति पर निबंध हिंदी में - nasha mukti par nibandh hindee mein

आजकल युवा वर्ग और कई व्यस्क लोग भी सिगरेट या शराब का सेवन करते हुए नज़र आते है। उन्हें यह समझ नहीं आता की यह उनके लिए आगे चलकर हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती है। युवा वर्ग के लिए नशा एक फैशन बन गया है।

भारत में शराब और सिगरेट के निर्यात की वजह से करोड़ो रुपये मिलते है। लेकिन फिर भी सिगरेट के पैकेट्स पर ” नो स्मोकिंग ” लिखा रहता है। फिर भी रोज 17 साल के लड़की और लड़के इसका भरपूर सेवन करते है। धूम्रपान या शराब का सेवन स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है। यह जानकार भी लोग इसका सेवन करने से बाज़ नहीं आते। तम्बाकू, खैनी और गुटखा से माउथ कैंसर हो सकता है। कई सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना होता है। मगर कुछ मनचले लोग किसी की सुनते नहीं है।

नशे से मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बुरा असर पड़ता है। कुछ लोग नशा करके घर पर आकर अपनी पत्नी से मार- पीठ करते है। यह घिनौना अपराध है। नशा करके सड़क पर गाड़ी चलने से दुर्घटना हो सकती है और होती भी है। कम उम्र में नशा करने से आगे चलकर जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इससे परिवार में अशांति का निवास रहता है। नशा करने वाला व्यक्ति के पास आर्थिक तंगी हो जाती है। नशे की लत के कारण व्यक्ति अपनी आर्थिक सम्पति लुटा देता है, नशा करके समाज और कार्य स्थल पर तमाशे करता है जिससे उसकी इज़्ज़त पर आघात हो जाता है।

नशा मुक्ति भारतीय समाज की एक विडम्बना है। निम्न स्तर के लोग अक्सर अपने दैनिक काम के पैसे शराब पीने में लगा देते है। अगर वह पैसे अपने बच्चो की शिक्षा में इस्तेमाल करें तो उनका भविष्य उज्जवल हो सकता है। दुखद रूप से ऐसा कदापि नहीं होता, दो पल के सुख और मज़े के लिए इंसान अपना सब कुछ गवां देता है। प्रेम सम्बन्धो में धोखा मिलने पर युवा और कई तरह के लोग नशे के लत में डूब जाते है। इसके दुष्परिणाम इंसान को ही झेलने पड़ते है।

नशे की शुरुआत पहले मज़े और मित्रों के साथ जश्न से होती है। धीरे – धीरे इंसान नशे की अन्धकार जाल में फंसता चला जाता है और अंततः उससे कभी निकल नहीं पता। वह अपने जीवन के सारे लक्ष्य को भूलकर एक नसेड़ी जीवन की तरफ अग्रसर हो जाता है। नशे के कारण इंसान सही और गलत का फर्क भूल जाता है और अपने परिवार से मानसिक और जज़्बाती तौर पर कोसों दूर चला जाता है। जो लोग नशे की लत में पड़ जाते है, उन्हें लगता है की नशा करके उनके सारे दुखों पर पूर्णविराम लग जायेगा। लेकिन वास्तविक में यह सोच अत्यंत गलत है। लोग अपने दुखो को भुलाने के लिए शराब का सहारा लेते है जिसमे न उनका भला होता है न परिवार का न समाज का। अत्यधिक शराब के सेवन से इंसान का लिवर ख़राब हो सकता है और सिगरेट, तम्बाकू से कैंसर जैसी भयानक बीमारियां उत्पन्न होता है। ज़िन्दगी में मनुष्य को खुशियां और ज्ञान बाटना चाहिए न की नशा। हेरोइन और कई तरह के ड्रग्स इंसान को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से कंगाल बना देता है। अभी कई तरह के नशा मुक्ति सेंटर है जो नशे से पीड़ित लोगों का चिकित्सा करते है। कई लोग इन नशा मुक्ति सेंटर में आकर नशे की लत का त्याग कर चुके है जो काफी अच्छी बात है। डॉक्टर्स मरीज़ को नशा जैसे शराब और सिगरेट से आजीवन दूर रहने की सलाह देते है। लोगों को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना होगा ताकि वह नशे जैसी चीज़ों से बाहर निकलकर अपने लिए और अपनों के लिए एक नए भविष्य का निर्माण कर सके।

भारतीय सरकार ने नशा मुक्ति से राहत पाने के लिए कई नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की है। जो व्यक्ति अवैध रूप से नशे की तश्करी या नशीले पदार्थ बेचते हुए पाया गया उसे जेल हो सकती है और उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। ज़िन्दगी सिगरेट के धुएं से नहीं बल्कि अच्छे सुविचारों, सुशिक्षा और स्वंग नियंत्रण से चलती है। नशा किसी भी मनुष्य की ज़िन्दगी को तबाह करने में सक्षम है। मनुष्य को खुद पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। इस आज़ाद भारत को नशे की ज़ंजीरें बाँध नहीं सकती।

निष्कर्ष

नशा मुक्ति के कई काउंसलिंग सेंटर है जो नशे की लत छुड़वाने में प्रसंशनीय कार्य कर रहे है। ज़िन्दगी से हारकर नशे की लत में पड़ने वाले इंसान को ज़िन्दगी की खूबशूरती से अवगत करवाते है। उन्हें यह समझते है ज़िन्दगी के दुखों, परेशानियों से भागकर कुछ हासिल नहीं होता है। ज़िन्दगी के चुनौतियों से भागकर नशे जैसी चीज़ों का सहारा लेने वाला इंसान को किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। देश में खुशहाली लाने के लिए नशे पर प्रतिबन्ध लगाना आवश्यक है। सामाजिक और युवा पीढ़ी में जागरूकता अत्यंत अनिवार्य है तभी देश प्रगतिशील होगा। देश और देशवाशियों के हित के लिए नशे को जड़ से उखाड़ना होगा तभी देश का भविष्य उज्जवल होगा।

नशा मुक्ति पर निबंध | Essay on Nasha Mukti In Hindi नशाखोरी भारतीय समाज में बड़ी समस्या बन चुकी हैं. अक्सर लोग जीवन के तनाव तथा विफलताओं से पीछा छुड़ाने के लिए नशे की लत का सहारा लेते हैं, जिसका परिणाम एक दिन उन्हें नशे का गुलाम बना देता हैं, ह्रदय की पवित्रता तथा विचारों की शुद्धता के लिए नशा मुक्ति बेहद जरुरी हैं. यह एक तरह का संघर्ष है जो आपकों उस लत के विरुद्ध करता हैं.

नशा मुक्ति पर निबंध Essay on Nasha Mukti In Hindi

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नशाखोरी समस्या एवं समाधान पर निबंध, नशा मुक्ति अभियान एवं जनकल्याण योजना: स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना गया हैं. नशीले पदार्थों का सेवन करने हम स्वयं के दुशम न बन रहे हैं. यदि इंसान के पास पर्याप्त धन हो तो उसे नशीले पदार्थों के सेवन में व्यर्थ करने की बजाय अपने बच्चों की शिक्षा तथा आर्थिक विकास पर लगाना चाहिए.

मगर दुर्भाग्यवश ऐसा नही होता हैं. मुख्य रूप से निम्न वर्ग के लोगों में नशाखोरी की समस्या आम है वे अपनी कमाई का अधिकतर भाग नशे में ही खर्च कर देते हैं. यदि दूसरे शब्दों में कही तो ऐसे हालातों में परिवार के अन्य लोगों के लहू पीने जैसा हैं.

कैंसर जैसी बीमारियाँ इन्ही बुरी आदतों की वजह से आती हैं. 70 फीसदी से अधिक अपराध लोग नशे की हालत में करते हैं. अथवा उस अपराध को अंजाम तक पहुचाने के लिए ही नशा करते हैं.

यह भी सत्य है कि आप किसी नशेड़ी व्यक्ति को तर्क के आधार पर पराजित नहीं कर सकते हैं. उनके पास ऐसे कुतर्क होंगे जिनके जवाब आपके पास नहीं होंगे. मैं गम भुलाने के लिए पीता हूँ, नशा करने से दिमाग हल्का हो जाता है टेंशन दूर हो जाती हैं.

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ऐसी परिस्थतियों में इन्होने मजबूरी में नशे को चुना अथवा नशा नहीं ये तो दवाई है इस तरह के सैकड़ों अकाट्य तर्क आपकों नशे करने वाले व्यक्ति से मिल सकते हैं.

यदि यही हकीकत होती तो विश्व के बड़े बड़े वैज्ञानिक और गणितज्ञ शराब की बोतल हमेशा अपने पास ही रखते तथा हर इन्सान जेब में शराब लेकर घूमता ताकि टेंशन होने पर दवा के रूप में घूट ले सके. जबकि असल में ऐसा नहीं हैं.

नशे की लत में व्यक्ति का शरीर सम्बन्धित वस्तु का आदि हो जाता हैं तथा उसे वह चीज मिलने पर ही राहत मिलती है तथा मस्तिष्क में सक्रियता आती हैं.

हमारे वेदों में दो प्रकार की मानवीय प्रवृतियों का उल्लेख मिलता है पहली तामसिक तथा दूसरी सात्विक. सात्विक प्रवृतियों को अच्छा माना गया हैं. इसमें मनुष्य की अच्छी आदतों को गिना जाता हैं.

सत्य बोलना, दूसरों की मदद करना आदि. जब दूसरे प्रकार में बुरे व्यसनों तथा आदतों को गिना जाता है तथा ये व्यक्ति के चरित्र को पतन की तरफ ले जाती हैं.

एक नशेड़ी किसी भी समाज के लिए कलंक होता हैं. इन बुरी प्रवृतियों का आना संगत का बड़ा कारण हैं. यदि बचपन से बालक का ध्यान रखा जाए तो उसे इस प्रकार की दुष्प्रवृत्तियों से बचाया जा सकता हैं.

सामाजिक तथा धार्मिक नेताओं को भी चाहिए वे अपने समाज में लोगों को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करे. उन समस्त प्रेरणाओं की पहचान कर उसका खात्मा करे जो व्यक्ति को नशे की प्रवृति में धकेल देते हैं.

शराब को सब बुराइयों की जड माना जाता हैं. वैसे किसी भी नशे को आप अधिक बुरा या कम बुरे के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकते हैं. मगर शराब में व्यक्ति अपना शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरह के संतुलन को गवा देता हैं. किसी भी समाज में शराबी को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता हैं.

कोई भी नशा अपनी आरम्भिक अवस्था में शौक ही होता हैं. अपने दोस्त के साथ मौज मस्ती में कुछ दिन मन बहलाने के लिए मादक पदार्थों का सेवन किया जाता हैं, मगर ये ही शौक आगे जाकर नशाखोरी में अथवा मजबूरी में बदल जाते हैं.

जहाँ व्यक्ति के लिए उनका सेवन अनिवार्य बन जाता हैं. फिर स्वयं के विवेक से उसका त्याग कर देना अथवा स्वास्थ्य के लिहाज से वह चीज अच्छी नहीं है इस हिसाब से त्याग कर देने से काफी दूरी बन जाती हैं.

नशे में धूत व्यक्ति को इस बात का संज्ञान नहीं रहता है कि वह कहाँ है किसके सामने हैं तथा क्या बात कर रहा हैं. वह किसी वैचारिक दुनियां में अपने दिमाग को ले जाता हैं. उसके लिए समाज, मर्यादा, बहु बेटी, छोटे बड़े का फर्क शून्य हो जाता हैं. आमोद प्रमोद के लिए वह किसी हद तक भी जा सकता हैं.

एक आधुनिक समाज में नशा सबसे घातक बुराई हैं, जो न सिर्फ व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक रूप से ही बदहाल नहीं करते बल्कि परिवार के परिवार बर्बाद कर देती हैं. आपने भी कई ऐसे व्यसनी लोगों को अपने जीवन में देखा होगा, जिनकी एक बुरी आदत या यूँ कहे एक गलती ने उनके जीवन को तबाह कर दिया हैं.

उस परिवार की कल्पना करिए जिसमें पांच छः सदस्य हो तथा घर का एकमात्र मुखिया जो कमाता हैं. उसे नशे की लत हैं. परिवार के सभी सदस्य उनके घर आने का इन्तजार कर रहे है जिससे चूल्हा जलाया जाए,

मगर यदि वही हाथ में शराब की बोतल लिए अश्लील बाते कहते हुए घर में आकर मारपीट शुरू कर दे, परिवार के सदस्यों का जीवन कैसा होगा. उन्हें शारीरिक चोट से ज्यादा मान सम्मान का नुक्सान होता हैं. पड़ोसी उन पर हंसने लगते हैं. शराबी की बीबी बेटा जैसे शब्दों से सम्बोधित किया जाता हैं.

हमें संकल्प करना चाहिए कि हम एक नयें विचारों का समाज बनाए. जिसमें इन सामाजिक बुराइयों का कोई स्थान न हो. जो व्यक्ति नशेड़ी हैं.

कोशिश करे उन्हें यह लत छुडाएं तथा एक अच्छे समाज का सदस्य होने के नाते उनके कठिनाई भरे जीवन पर बुरे कमेन्ट करने की बजाय उनका इस बुराई से पीछा छुड़ाने में मदद करे. अपने समाज के लोगों को भी जागरूक बनाए तथा भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस गलत राह को न चूने इसके लिए विशेष रूप से जागरूक रहे.

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नशा मुक्ति पर निबंध कैसे लिखें?

पर नशे से जीवन में सुधार नहीं किया जा सकता है. नशा जीवन की बर्बादी का सबसे बड़ा माध्यम है. लोगो में शिक्षा का अभाव होने के कारण लोग अपनी भलाई को नहीं समझ पा रहे है. इसलिए इस समय हमें नशा मुक्ति योजना के माध्यम से सभी को नशे से होने वाले नुकसान से अवगत करवा कर नशा छुडवाने का प्रयास करना चाहिए.

नशा मुक्ति से आप क्या समझते हैं?

नशा मुक्ति कार्यक्रम एक स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा चलाया जाने वाला एक कार्यक्रम है जिसमें नशा करने वालों को उचित ज्ञान देकर इन्हें छोड़ने को कहते हैं। जो कि देशभर में चलता रहता है।

नशा मुक्ति दिवस कब मनाया जाता है?

'शराब वर्जित, बिहार हर्षित', 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस पर नशे से दूर रहने का संदेश देंगे स्कूली बच्चे बिहार में 26 नवंबर को नशा मुक्ति दिवस (Drug de addiction day 2022) के मौके पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

नशा का अर्थ क्या है?

मादक द्रव्य के व्यवहार से उत्पन्न होनेवाली दशा । विशेष—शराब, भाँग, गाँजा, अफीम आदि एक प्रकार के विष हैं । इनके व्यवहार से शरीर में एक प्रकार की गरमी उत्पन्न होती है जिससे मनुष्य का मस्तिष्क क्षुब्ध और उत्तेजित हो उठता है, तथा स्मृति (याद) या धारणा कम हो जाती है । इसी दशा को नशा कहते हैं ।