नाखून चबाने से कौन सा रोग होता है? - naakhoon chabaane se kaun sa rog hota hai?

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अगर आपके नाखूनों के रंग, बनावट, आकार, मोटाई में फर्क आता है और आपको इसका कारण पता नहीं है, तो आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए। (उदाहरण के लिए आपके नाखूनों पर कभी चोट नहीं लगी है और ना ही आपने उनको मुंह से काटा है)।

नाखूनों में समस्याओं के सबसे ज्यादा संभावित कारण निम्न हैं:

  • नाज़ुक या टूटे हुए नाखून
  • फीके रंग के नाखून
  • सफेद नाखून
  • मोटे और ज्यादा बढ़े हुए नाखून
  • ढीले नाखून
  • गड्ढेदार चम्मच के आकार के नाखून
  • नाखूनों पर गड्ढे या धंसने के निशान होना
  • नाखूनों की चौड़ाई में बने हुए गड्ढे
  • असामान्य तौर पर मुड़े हुए उंगली के पोर और नाखून
  • नाखूनों पर सफेद रंग की धारियां
  • नाखूनों के नीचे गहरे रंग की धारियां
  • नाखूनों के नीचे लाल और भूरे रंग की छोटी धारियां
  • खंडित नाखून ss
  • नाखूनों के तह में संक्रमण(नाखूनों के पास की दर्दनाक लाल और सूजी हुई त्वचा)

नाज़ुक या टूटे हुए नाखून

नाज़ुक नाखून आमतौर पर उम्र बढ़ने का संकेत होते हैं या लंबे समय तक पानी या रसायनों जैसे डिटर्जेंट और नेल पॉलिश के संपर्क में आने के कारण होते हैं।

जहां आपके हाथ ज्यादा समय तक पानी के संपर्क में रहे हों वहां आप दस्ताने पहनकर अपने नाखूनों को बचा सकते हैं। अपनी उंगलियों और नाखूनों पर नियमित रूप से मॉशराइजिंग क्रीम लगाने से भी बचाव हो सकता है।

कभी-कभी, नाजुक या टेढ़े नाखूनों के कारण हो सकते हैं:

  • फंगल नेल इन्फेक्शन (fungal nail infection ) -यह अक्सर पैरों के नाज़ुक नाखूनों के कारण होता है और एंटी फंगल दवाइयों का प्रयोग करने से इससे बचाव हो सकता है।
  • लाइकेन प्लानस (lichen planus) नामक त्वचा की स्थिति के कारण, यह केवल नाखूनों पर ही प्रभाव डालती है।
  • कम या ज्यादा सक्रिय थायराइड-जहां थायराइड ग्रंथि या तो हार्मोंस नहीं बनाती या ज्यादा मात्रा में हार्मोंस बनाती है। 

नेल सोरायसिस (nail psoriasis ) - लंबी त्वचा की हालत के कारण नाखून टूटने जैसे हो जाते हैं।

रिएक्टिव आर्थराइटिस (Reactive arthritis) के चलते नाखूनों के भंगुर होने की आशंका बहुत कम होती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की असामान्य प्रतिक्रिया है जो आपके जोड़ो, मांसपेशियों और शरीर के दूसरे भागों को किसी संक्रमण के बाद प्रभावित करती है। अगर आपका डॉक्टर आपके शरीर के किसी भाग पर यह मिले-जुले लक्षण देखता है तो इस हालत का सुझाव दे सकता है। 

फीके रंग के नाखून

नाखूनों का पीला रंग आम तौर पर फफूंदी संक्रमण और नाखूनों के छाल रोग/ सोरायसिस के कारण होता है।

पीले नाखूनों के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे:

  •  नाखूनों पर बार बार नेल वार्निश लगाना-लिंफोडीमा- (lymphoedema ) ये एक एक लंबी बीमारी की स्थिति जिसके कारण त्वचा में सूजन हो सकती है।
  • ब्रोन्किइक्टेसिस (bronchiectasis ) के कारण श्वासनलियों को स्थाई नुकसान होना-लंबे समय तक फेफड़ों की गंभीर स्थिति
  • साइनसाइटिस(sinusitis) – साइनस के अस्तर की सूजन
  • गले में पाई जाने वाली थायराइड ग्रंथि में सूजन
  • ट्यूबरक्लोसिस/ tuberculosis-टीबी - एक बैक्टीरियल इनफेक्शन जो आपके फेफड़ों को प्रभावित करता है
  • पीलिया (त्वचा का पीला पड़ना)- लिवर की बीमारी के कारण
  • कुछ दवाइयां जैसे कि मेपाक्राइन और कैरोटीन(mepacrine or carotene)
  • दीर्घकालिक परोनोईचिया (chronic paronychia) - नाखूनों की तह में संक्रमण होना

नाखूनों का हरा और काला होना उनमें स्यूडोमोनास(pseudomonas) नामक बैक्टीरिया की बहुत मात्रा में बढ़ने की वजह से होता है , खासकर ढीले नाखूनों के नीचे। इसका इलाज नाखूनों के तह में आंखों की एंटीबायोटिक दवा लगाकर और प्रभावित नाखूनों को एंटीसेप्टिक सोल्यूशन (antiseptic solution) या सिरके में डुबोकर हो सकता है।

मलेरिया रोधी और माइनोसाइक्लिन (minocycline) दवाओं के कारण नाखूनों का रंग ग्रे हो सकता है।

थायराइड की बीमारी, गर्भावस्था, कुपोषण और नेल वार्निश के लगातार प्रयोग के कारण भी कभी-कभी नाखून भूरे रंग के हो जाते हैं।

नाखूनों के नीचे पीले और लाल रंग की बूंदों का दिखना

अगर आपको नाखूनों के नीचे तेल की बूंद या साल्मन (salmon-एक प्रकार की मछली) के रंग जैसा फीकापन दिखाई दे तो आपको नाखूनों का सोरायसिस हो सकता है।

आधे सफेद, आधे भूरे नाखून

गुर्दे खराब होने या जहां गुर्दा ठीक से काम करना बंद कर देता है वहां उंगलियों के नाखून आधे सफेद और आधे भूरे(पोरों के पास से भूरे) हो सकते हैं।

अभी तक इसे सही तरह से समझा नहीं जा सका है, मगर ऐसा मानना है कि गुर्दे के खराब होने से खून में रासायनिक बदलाव आने लगता है जो मेलानिन (melanin) को नाखूनों के आधार में जाने के लिए प्रेरित करता है। यह भी संभव है कि किडनी फेल होने के कारण नाखूनों के आधार(nail bed) में खून की बहुत सी छोटी-छोटी नसें बनती हों।

यह अनुमान लगाया जाता है कि गुर्दों की खराबी से पीड़ित 40 फीसदी से ज्यादा लोगों को ‘हाफ़ एंड हाफ़’ फ़िंगरनेल की बीमारी होती है। यह कभी-कभी ऐसे लोगों में भी दिखाई देता है जिनको एड्स की बीमारी हो या जिनकी कीमोथेरेपी हुई हो।

सफेद नाखून

अगर ज्यादातर नाखून सफेद पड़ गए हैं और यह नाखूनों के आधार से अलग होने की वजह से नहीं है तो यह संभव है कि या तो नाखूनों में फफूंदीय संक्रमण है या आपके नाखूनों के आधार में खून के बहाव की कमी आई है। इसे "टेरी नेल्स(Terry's nails)" के नाम से भी जाना जाता है।

यह आमतौर पर लालिमा लिए हुए सफेद या पोरों पर से गहरे रंग के हो सकते हैं और बहुत सी स्वास्थ्य स्थितियों का लक्षण हो सकता है जिनमें शामिल है:

  • लिवर सिरोसिस (लिवर पर निशान या नुकसान होना)-सिरोसिस से प्रभावित 80% लोगों के “टेरिस नेल्स’ होते हैं।
  • लिवर-किडनी और हार्ट का फेल होना
  • डायबिटीज (diabetes)
  • आयरन डिफिशंसी एनीमिया (iron-deficiency anaemia) – इसमें शरीर में आयरन (लोहधातु ) की कमी की वजह से खून में लाल रक्त कोशिकाओं का कम होना शामिल है
  • कीमोथेरेपी (chemotherapy)
  • अति सक्रिय थायराइड - जहां थायराइड ग्रंथि बहुत ज्यादा मात्रा में हार्मोंस बनाती है
  • कुपोषण (malnutrition )

मोटे और ज्यादा बढ़े हुए नाखून

नाखूनों के मोटे होने का सामान्य कारण नाखूनों में फफूंदीय संक्रमण है। इसकी वजह से नाखून फीके रंग के और टूटने जैसे हो जाते हैं (ऊपर देखें)।

नाखूनों के मोटे होने और बढ़ने के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे:

  • सोरायसिस (psoriasis) -ऐसी लंबी स्थिति जिसके कारण त्वचा पर लाल, परतदार धब्बे बन जाते हैं।
  • ऐसे जूते जो पंजों पर बहुत छोटे और बहुत संकीर्ण हों जिसकी वजह से पंजों पर दबाव पड़ता है
  • रिएक्टिव आर्थिराइटिस (reactive arthritis) - जहां रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण की वजह से आपके जोड़ों, मांसपेशियों और शरीर के दूसरे भागों पर हमला करती है

अत्यधिक बढ़े हुए सींग जैसे नाखून(Severely overgrown horn-like nails)

कभी-कभी पैरों के नाखून इतने अधिक मोटे और बढ़ जाते हैं कि वह पंजो जैसे दिखाई देते हैं। इन्हें पारंपरिक नेल कटर से काटना अत्यधिक मुश्किल है। इन नाखूनों के विकारों को ओनायकोग्राइफोसिस/ onychogryphosis (रैम्स हॉर्न नेल्स) के नाम से जाना जाता है। यह उन लोगों में दिखाई देते हैं जिनकी उम्र ज्यादा हो गई हो या जिनके नाखूनों पर अत्यधिक दबाव पड़ता हो। नियमित किरोपडी (chiropody) इसमें मदद कर सकता है, लेकिन कभी-कभी नाखूनों को पोडियाट्रिस्ट (podiatrist) या डॉक्टर द्वारा निकालने की आवश्यकता होती है।

ढीले नाखून

पैरों के नाखूनों का ढीले हो जाना या किसी चोट के बाद पंजों से नाखूनों का गिर जाना सामान्य बात है। इसके अलावा नाखूनों का ज्यादा मैनीक्योर (manicuring) करवाना और किसी तीखी वस्तु से नाखूनों के नीचे सफाई करना नाखूनों के ढीले होने का एक अन्य सामान्य कारण हो सकता है।

कुछेक मामलों में नाखूनों के ढीला होना नीचे दी गई स्वास्थ्य स्थितियों में से किसी एक का संकेत हो सकता है :

  • नाखूनों में फफूंदीय संक्रमण 
  • नाखूनों में सोरायसिस
  • नाखूनों के आस-पास मस्सों का जमा हो जाना
  • अति सक्रिय थायराइड
  • सारकॉइडोसिस(sarcoidosis) - ऐसी स्थिति जहां शरीर के अंगों और उत्तको में कोशिकाएं छोटे गुच्छे के रूप में बन जाती हैं।
  • एमाइलॉयडोसिस (amyloidosis) -जहां अंगों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है
  • शरीर के कनेक्टिव टिश्यू फाइबर्स (connective tissue fibres) में समस्या , जो शरीर के ऊतकों और अंगों को सपोर्ट प्रदान करते हैं
  • खराब प्रसार - धूम्रपान और रेनॉड्स फेनोमेनन (Raynaud's phenomenon) के कारण (एक ऐसी स्थिति जहां उंगलियों और पैरों में खून की आपूर्ति प्रभावित होती है जिसके कारण वह सफेद हो जाते हैं)
  • दवाओं से एलर्जी प्रतिक्रिया (खासतौर पर एंटीबायोटिक) और नाखूनों के सौंदर्य प्रसाधन

नाखूनों को वहां से काट देना चाहिए जहां से वह आधार से अलग होने लगे, ताकि जब वह दोबारा बढ़े तो खाल के साथ जुड़ सकें। आपको एक मुलायम नाखून के ब्रश के अलावा अपने नाखूनों को किसी और चीज से साफ नहीं करना चाहिए।

इंडेंट किए गए चम्मच के आकार के नाखून

(कोइलोनिकिया/ koilonychia)

अगर आपके नाखून चम्मच की तरह अंदर की तरफ मुड़े हुए हैं (कोइलोनिकिया /koilonychias ) तो आपको इनमें से कोई एक बीमारी हो सकती हैं:

  • हमला करती हैआइरन की कमी से हुआ एनीमिया
  • हेमोक्रोमेटोसिस (haemochromatosis) - जहां आपके शरीर में बहुत अधिक मात्रा में आइरन जमा हो जाता है
  • रेनॉड्स फेनोमेनन (Raynaud's phenomenon)

ल्यूपस एरिथेमेटोसस (lupus erythematosus) - एक असामान्य स्थिति जहां रोग प्रतिरोधक क्षमता आपके शरीर की कोशिकाओं ,तंतु और अंगों को क्षति पंहुचा सकती है

नाखूनों पर गड्ढे या धंसने के निशान होना

आपके नाखूनों की सतह पर गड्ढे या छोटे धंसे हुए धब्बे। ये निम्नलिखित में से किसी दिक्कत का संकेत हो सकते हैं:

  • सोरायसिस (psoriasis)
  • एग्जिमा (eczema) / चर्म रोग - त्वचा की ऐसी लंबी बीमारी जिसके कारण त्वचा में खुजली, त्वचा का लाल होना, सूखा होना और त्वचा में दरारें पड़ना जैसे समस्याएँ हो सकती हैं।
  • रिएक्टिव आर्थिराइटिस (reactive arthritis)
  • एलोपेसिया एरियाटा (alopecia areata) - एक ऐसी स्थिति जिसके कारण आपके सिर पर अस्थाई गंजापन हो सकता है जिसका आकार बड़े सिक्के की तरह हो सकता है

नाखूनों की चौड़ाई में बने हुए गड्ढे (Grooves across the fingernails (Beau's lines)

गहरी धारियां और झुर्रियां जो नाखूनों में उल्टे से सीधी तरफ जाती हैं , इन्हें बीयू लाइन भी कहते हैं। इसका कारण हो सकता है:

  • पहले की कोई बीमारी- यह धारियां आपकी बीमारी के समय बनती हैं।
  • कीमोथेरेपी कराना
  • पहले की कोई चोट
  • ज्यादा ठंडे तापमान की वजह से अगर आपको रेनॉड्स फेनोमेनन (Raynaud's phenomenon) हो

बीमारी ,चोट और ठंडा तापमान नाखूनों के बढ़ने में रुकावट पैदा कर सकता है और नाखूनों के आधार पर धारियां उत्पन्न हो सकती हैं

नाखूनों की धारियों को कुछ महीनों के बाद ही देखा जा सकता है, जब नाखूनों का आकार बढ़ता है तो धारियां नाखूनों के ऊपर दिखाई देने लगती हैं। इसमें उंगलियों के नाखूनों को पूरी तरह बढ़ने में 4 से 6 महीने और पैरों के नाखूनों को 6 से 12 महीने लग जाते हैं।

असामान्य तौर पर मुड़े हुए उंगली के पोर और नाखून

उंगलियों के क्लबिंग का मतलब है कि उंगलियों के नीचे के तंतु का मोटा और फूला हुआ हो जाना , जिसकी वजह से उंगलियों के पोर गोल और उभरे हुए दिखाई देते हैं। उंगलियों के नाखून मुड़ कर गोल हुए पोरो के ऊपर आ जाते हैं।

ऐसा समझा जाता है कि क्लबिंग अँगुलियों में खून के बहाव के बढ़ने के कारण होती है। ये परिवार की पीढ़ियों में फैल सकता है और बिलकुल भी नुकसानदायक नहीं है। हालांकि अगर यह अचानक बनते हैं तो यह किसी स्वास्थ्य स्थिति के कारण हो सकते हैं जिनमें शामिल है:

  • लंबे समय तक चलने वाली फेफड़ों और दिल की बीमारियां जैसे कि फेफड़ों का कैंसर, (ब्रोन्किइक्टेसिस/ bronchiectasis) श्वास नलियों का फैलना, हृदय में सूजन (एंडोकारडाइटिस/ endocarditis)
  • आंत में सूजन की बीमारी(
  • inflammatory bowel disease) - लंबे समय तक बनी हुई कोई स्थिति जिसके कारण पेट के बाहरी हिस्से में जलन/सूजन महसूस होता है
  • पेट का कैंसर या आंत का कैंसर
  • सिरोसिस (लिवर पर धब्बे बनना)
  • पॉलीसिथिमिया (polycythaemia)- एक ऐसी स्थिति जिसमें खून गाढ़ा हो जाता है।

नाखूनों पर सफेद रंग की धारियां

इसमें सफेद धब्बे और लकीरें सामान्य है, जिसमें चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन ऐसी स्थिति, जिसमें सफेद धारियां नाखूनों पर हर तरफ फैल जाती हैं , जिसे Muehrcke's lines कहते हैं। इसका मतलब खून में प्रोटीन की कमी होता है।

बीयू लाइन के विपरीत ये अंडाकार नहीं होते। यह लिवर की बीमारी और कुपोषण के परिणाम स्वरूप दिखाई देते हैं।

नाखूनों के नीचे गहरे रंग की धारियां

नाखूनों के नीचे गहरे रंग की धारियां (लीनियर मेलानोनिशिया/ linear melanonychia) 20 से ऊपर की उम्र के अश्वेत लोगों में दिखना सामान्य बात है। इनमें से ज्यादातर मामले पूरी तरह से सामान्य है।

गहरे रंग की धारियों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह कभी-कभी त्वचा के कैंसर का संकेत भी हो सकता है। जो आपके नाखूनों के आधार को प्रभावित करता है। इसे सबंगुअल मेलानोमा (subungual melanoma) कहते हैं। ये जरूरी है कि डॉक्टर आपको मेलनोमा है या नहीं की भी जांच करें।

सबंगुअल मेलानोमा (subungual melanoma) आमतौर पर केवल एक नाखून को ही प्रभावित करता है। इसमें नाखूनों की लकीरें भी बदल सकती हैं। उदाहरण के लिए यह वक्त के साथ गहरी और बड़ी होती जाती हैं और रंजकता (pigmentation) इसके आसपास की त्वचा को प्रभावित कर सकता है (मुड़े हुए नाखून)।

नाखूनों के नीचे लाल और भूरे रंग के छोटे निशान

अगर आपके नाखूनों के नीचे लाल और भूरे रंग के छोटे निशान हैं तो हो सकता है कि यह स्प्लिंटर हेमोरहेज (splinter haemorrhages) है- रक्त वाहिनियों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से खून की बारीक धारियांI

एक नाखून के नीचे थोड़े निशान चिंता की बात नहीं है और हो सकता है यह किसी चोट की वजह से हुए हो। हालांकि अगर आपके एक से ज्यादा नाखून इससे प्रभावित हैं तो यह निशान ल्युपस एरिथेमेटोसस (lupus erythematosus), सोरायसिस , दिल के वाल्व में संक्रमण (एंडोकार्डिटिस/ endocarditis) और अन्य कोई अंदरूनी स्थिति हो सकती है।

खंडित नाखून(A destroyed nail)

  • नाखून खंडित हो सकते हैं अगर:
  • चोट लगना जिसमें नाखूनों को चबाना भी शामिल है
  • त्वचा की स्थिति जैसे कि चर्म रोग और लाइकेन प्लानस
  • आसपास के तंतुओं के बढ़ जाने से आम तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, मसलन- एक मस्से के कारण
  • त्वचा के कैंसर के कारण आसपास के तंतु का बढ़ जाना (कम सामान्य)
  • नेल पटेला सिंड्रोम (nail patella syndrome) - यह एक आनुवंशिक स्थिति है जिसकी वजह से आपको जन्म के समय से ही नाखूनों का ना होना- जैसी स्थिति हो सकती है

अगर आपका कोई एक नाखून खराब हो गया है और आपको कोई चोट भी याद नहीं है तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए‌।

नाखूनों की तह में संक्रमण /नाखूनों के पास की दर्दनाक लाल और सूजी हुई त्वचा (पेरोनिसिया)

पेरोनिसिया नाखूनों की तह का सूजन है (वो त्वचा और मुलायम तंतु जो नाखून को आकार देते हैं)।

इसका सबसे सामान्य कारण संक्रमण, चोट और खुजली है और ये पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में तीन गुना ज्यादा सामान्य है। कभी-कभी यह त्वचा की आधारभूत स्थिति जैसे कि चर्म रोग और सोरायसिस और कोई अन्य स्वास्थ्य स्थिति जैसे कि मधुमेह और एचआईवी से जुडी हो सकती है।

पेरोनिसिया कुछ घंटों में ही हो सकता है (अक्यूट पेरोनिसिया)। अगर यह 6 हफ्तों से ज्यादा रहता है तो इसे

क्रॉनिक पेरोनिसिया कहा जाता है।

एक्यूट पेरोनिसिया (Acute paronychia)

एक्यूट पेरोनिसिया आमतौर पर नाखूनों में किसी छोटी चोट के कारण शुरू होता है - जैसे नाखूनों को चबाने, काटने और मैनीक्योर (manicures) करने की वजह से लगी चोट । प्रभावित जगह लाल, गर्म, पीड़ादायक और सूजी हुई हो सकती है। कुछ समय बाद इसमें नाखून के आसपास मवाद बनने लगता है जिसकी वजह से नाखून अलग हो काटे हैं।

एक्यूट पेरोनिसिया आमतौर पर स्टैफाइलोकोकस (Staphylococcus) संक्रमण के कारण हो सकता है। लेकिन कभी-कभी इसका कारण कोल्ड सोर्स के विषाणु भी हो सकते हैं (हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस/ herpes simplex virus)। इस स्थिति में इसको हरपैटिक व्हीटलो (as herpetic whitlow ) के नाम से जाना जाता है।

अक्यूट पेरोनिसिया के इलाज में एंटीबायोटिक क्रीम और दवाएं शामिल है। अगर वहां ज्यादा मात्रा में मवाद है तो वहां सर्जरी द्वारा मवाद को निकाला जा सकता है। इलाज से संक्रमित नाखून को कुछ ही दिनों में ठीक किया जा सकता है। अगर इसका इलाज नहीं किया जाए या इस पर इलाज का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तो यह स्थिति लंबे समय तक रह सकती है।

क्रोनिक पेरोनिसिया (Chronic paronychia)

यह बीमारी उन लोगों को हो सकती है जिनके हाथ लंबे समय तक पानी मे रहते हैं या जो रसायनों के संपर्क में आते हैं जैसे कि सफाई कर्मचारी, शराब घर में काम करने वाले, जलपान गृह के कर्मचारी और मछुआरे।

यह किसी एक नाखून की तह से शुरू होती है और बाकी उंगलियों को भी प्रभावित करती है। प्रभावित नाखूनों में सूजन हो सकती है और समय समय पर यह लाल और पका हुआ भी हो सकता है, खासकर पानी के सम्पर्क में आने के बाद I नाखून की तह जैसे जैसे बढ़ती है, वह धीरे-धीरे मोटी और खुरदरी हो जाती है और यह पीली ,हरी और भुरभुरी हो सकती है।

अगर स्थिति गंभीर हैं तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। वह आपको एंटीबायोटिक क्रीम और दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। कुछ मामलों में वह आपको त्वचा विशेषज्ञों के पास भेज सकते हैं।

इस बीमारी को दूर होने के लिए कई महीने लग सकते हैं और उसके बाद ,आपके नाखूनों को सामान्य होने में एक साल के करीब लग सकता है I अपने हाथों को सूखा और गर्म रखकर, हाथों की क्रीम और मलहम लगाकर और नाखूनों को चबाना या काटना बंद करके आप नाखूनों को सामान्य होने में मदद कर सकते हैं।

मुंह से नाखून खाने से क्या होता है?

नाखून चबाने से नाखूने के आसपास की त्वचा सूज सकती है और उसमें इन्फेक्शन (Infection) हो सकता है. नाखून को बढ़ने में मदद करने वाली टिशूज क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. इसी के चलते हमेशा नाखून चबाते रहने वाले लोगों के नाखून बढ़ना बंद हो जाते हैं. इससे नाखून के साथ-साथ दांत (Teeth) भी डैमेज हो जाते हैं.

नाखून खाने से क्या बीमारी हो सकती है?

- नाखून चबाने से नाखून खराब होने लगते हैं. - नाखून के आसपास की स्किन खराब होने लगती है. - उसमें इन्फेक्शन होने का चांस बढ़ जाता है. - ऐसे ही इन्फेक्शन मुंह में भी होने का चांस होता है.

लड़कियां नाखून क्यों खाती है?

नाखून को बाइट करने से से घबराहट और चिंता से कुछ देर के लिए राहत मिल सकती है। कुछ मामलों में, एडीएचडी, डिप्रेसिव डिसऑर्डर, OCD और एंग्जायटी डिसऑर्डर जैसी दिमागी परेशानियों के कारण होता है।

नाखून चबाने वाले लोग कैसे होते हैं?

जर्नल ऑफ बिहेवियर थेरेपी एंड एक्सपेरिमेंटल साइकियाट्री के एक अध्ययन के मुताबिक फ्रस्टेशन उन फिलिंग्स में से एक है जो नाखून चबाने का कारण बन सकती है। नाखून चबाना एक मामूली आदत लग सकती है लेकिन कई बार इससे हेल्थ को बड़ा खतरा हो सकता है। ये आदत नेल्स को तो खराब करती ही है साथ ही ये हेल्थ के लिए भी खतरनाक हो सकती है।