मध्यप्रदेश में जंगल सत्याग्रह कहाँ हुआ? - madhyapradesh mein jangal satyaagrah kahaan hua?

नमस्कार! दोस्तों आज के आर्टिकल में हम जानेंगे (Madhya Pradesh ke Pramukh Andolan aur Satyagraha) मध्य प्रदेश की इतिहास संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी जिसने हम जानेंगे कि मध्य प्रदेश के इतिहास में अनेकों आंदोलनों और सत्याग्रह में का वर्णन है भारत की आजादी में मध्य प्रदेश के किन-किन क्रांतिकारियों ने भाग लिया था और किस तरह सत्याग्रह और आंदोलनों की मदद से भारत की आजादी में अपना सहयोग प्रदान किया तो आइए जानते हैं मध्य प्रदेश के इतिहास में हुए प्रमुख आंदोलनों और सत्याग्रह के बारे में जो की परीक्षा में पूछे जा सकते हैं-

Madhya Pradesh ke Aandolan in Hindi

झंडा सत्याग्रह

  • मार्च 1923 में जबलपुर में तिरंगा झंडा फहराने को लेकर स्थानीय अधिकारियों में विवाद हुआ।
  • यह विवाद कांग्रेस सदस्यों द्वारा 8 मार्च 1923 को नगर पालिका भवन पर झंडा फहराने के समय ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर ने क्रोधित होकर झंडा नीचे उतारने का आदेश दिया था।
  • सरकारी प्रतिबंध की अवहेलना करते हुए जिला कांग्रेस समिति ने सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया जिसका नेतृत्व पंडित सुंदरलाल शर्मा ,सुभद्रा कुमारी चौहान और नाथूराम मोदी ने किया था।
  • सत्याग्रह करने वालों पर मुकदमा चलाया गया जिसमें पंडित सुंदरलाल शर्मा को 6 माह का कारावास हुआ।
  • इसके बाद नागपुर झंडा सत्याग्रह का केंद्र बन गया तब सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति लक्ष्मण सिंह को नागपुर भेज दिया गया।
  • 18 अगस्त 1923 को ब्रिटिश अधिकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ स्वयंसेवकों को जुलूस निकालने की
  • अनुमति दी जिसका नेतृत्व माखनलाल चतुर्वेदी, वल्लभभाई पटेल और राजेंद्र प्रसाद ने किया।

चरण पादुका नरसंहार

  • 14 जनवरी 1931 को मकर सक्रांति के दिन छतरपुर जिले में उर्मिला नदी के तट पर स्थित सिंहपुर चरण पादुका मैदान में चल रही जनसभा को ब्रिटिश सैन्य बल ने चारों ओर से घेर कर जनसभा में उपस्थित लोगों पर गोली चलवाई।
  • इस हत्याकांड में 21 लोगों की मृत्यु हो गई और 26 लोग घायल हुए शहीद होने वालों में सेट सुंदर लाल बौहरा, धर्मदास, रामलाल आदि शामिल थे।
  • चरण पादुका नरसंहार को मध्यप्रदेश के जलियांवाला बाग हत्याकांड की संज्ञा दी जाती है।
  • (Madhya Pradesh ke Pramukh Andolan aur Satyagraha)
  • इस नरसंहार ने पूरे बुंदेलखंड में अंग्रेज शासन के विरुद्ध लोगों को उत्तेजित कर दिया।

जंगल सत्याग्रह

  • वर्ष 1930 में घोड़ाडोंगरी बेतूल क्षेत्र में आदिवासियों ने सत्याग्रह किया।
  • जंगल सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा प्रारंभ किए गए नमक सत्याग्रह से प्रेरित था इसका नेतृत्व डी पी मिश्रा लाला बाजपेई आदि नेताओं ने किया था।
  • यह आंदोलन बेतूल, वंजारी, ढाल, छिंदवाड़ा, ओरछा, सिवनी, टूरिया और हरदा के जंगलों में व्यापक रूप से फैल गया।
  • जंगल सत्याग्रह के दौरान घोड़ाडोंगरी बेतूल के आदिवासी कंधे पर कंबल डालकर और हाथ में लाठी लेकर ब्रिटिश सत्याग्रह को चुनौती देते हुए गजेंद्र सेवकों के नेतृत्व में जंगल से बाहर आ गए।

मध्यप्रदेश में नमक सत्याग्रह

  • वर्ष 1930 में गांधी जी ने दांडी मार्च करके नमक सत्याग्रह के माध्यम से सरकार को चुनौती दी।
  • 6 अप्रैल 1930 को जबलपुर मैं सेठ गोविंद दास एवं द्वारिका प्रसाद मिश्र के नेतृत्व में नमक सत्याग्रह की शुरुआत हुई।
  • सत्याग्रह के दौरान सिवनी जिले के श्री दुर्गा शंकर मेहता ने गांधी चौक पर नमक बनाकर सत्याग्रह किया।
  • मध्यप्रदेश में जबलपुर और सिवनी के अतिरिक्त खंडवा, सीहोर, रायपुर आदि नगरों में भी नमक कानून तोड़ा गया।

सोहावल का नरसंहार

  • सतना जिले में बिरसिंहपुर के समीप हिनौता गांव में 10 जुलाई 1948 को सोहावल रियासत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध में लाल बुद्ध प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक आम सभा का आयोजन किया गया।
  • इस सभा में सम्मिलित होने जा रहे लाल बुद्ध प्रताप सिंह, रामआश्रय गौतम, मनधीर पांडे की माजन गांव के समीप ब्रिटिश सैनिकों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।
  • इस हत्याकांड को माजन गोली कांड के नाम से भी जाना जाता है।

भोपाल राज्य का स्वतंत्रता संग्राम

  • वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल भारत की स्वतंत्रता के समय स्वतंत्र नहीं हुई थी।
  • भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान ने भोपाल राज्य को स्वतंत्र रखने का निर्णय लिया परंतु वर्ष 1948 में भोपाल राज्य की भारत में विलय की मांग उठने लगी जिसका नेतृत्व भाई रतन कुमार प्रोफेसर अक्षय कुमार पत्रकार प्रेम श्रीवास्तव सूरजमल जैन मथुरा प्रसाद शांति देवी बसंती देवी आदि लोगों ने किया।
  • इस आंदोलन को गति देने के लिए भाई रतन कुमार उनके सहयोगीयों ने “नई राह” नामक अखबार निकाला।
  • इस आंदोलन का केंद्र भोपाल के जुबेर आती में स्थित रतन कुटी था जहां नई राह अखबार का कार्यालय भी था परंतु नवाब के आदेश पर इस कार्यालय को बंद कर दिया गया तब होशंगाबाद से एडवोकेट बाबूलाल वर्मा के घर से भूमिगत होकर आंदोलन चलाया गया।
  • अतः जनता का दबाव देखकर सरदार पटेल ने हस्तक्षेप किया जिसके कारण भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह को विवश होकर विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े इस प्रकार भोपाल 1 जून 1949 को भारत में सम्मिलित हो गया।

पंजाब मेल हत्याकांड

  • 24 जुलाई 1931 को वीर यशवंत सिंह देव नारायण तिवारी और दलपत राव ने खंडवा रेलवे स्टेशन पर हमला करके ब्रिटिश अधिकारी हेक्सेल की हत्या कर दी।
  • जिसके पश्चात 10 अगस्त 1931 को खंडवा दौलत में मुकदमा प्रस्तुत किया गया और 11 दिसंबर 1931 को यशवंत सिंह और देवनारायण तिवारी को फांसी की सजा और दलपतराम को काला पानी की सजा दी गई।

चावल आंदोलन (रीवा)

  • 28 फरवरी 1947 को रीवा राज्य में जबरिया लेवही वसूली के विरोध में त्रिभुवन तिवारी और भैरव प्रसाद उरमालिया ने आंदोलन प्रारंभ किया।
  • रीवा राज्य के सैनिकों द्वारा इन दोनों ही क्रांतिकारियों की हत्या कर दी गई इस आंदोलन को रीवा का चावल आंदोलन कहा जाता है।

जलियांवाला बाग कांड (भोपाल)

  • 14 जनवरी 1949 को मकर सक्रांति के दिन रायसेन बोर सा गांव में नर्मदा नदी के तट पर तिरंगा फहराने के कारण भोपाल रियासत की नवाबी सेना ने अधिकारी जाफर अली खान और स्थानीय लोगों के मध्य संघर्ष प्रारंभ हो गया।
  • इस संघर्ष में नवाब की सेना ने बैजनाथ गुप्ता छोटेलाल वीरधन सिंह मंगल सिंह और विशाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी।
  • इस अकाउंट को भोपाल का जलियांवाला बाग कांड कहा जाता है।

(Madhya Pradesh ke Pramukh Andolan aur Satyagraha)

रतौना का सत्याग्रह

  • सागर के निकट रतौना नामक स्थान में 1920 में कसाई खाने के विरुद्ध असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों पर आधारित आंदोलन प्रारंभ किया गया।
  • सागर के रतौना में ब्रिटिश सरकार ने कसाई खाना खोल रखा था जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों की तादात में गाय और बैल काटे जाते थे इसके विरोध में कई समाचार पत्रों और स्थानीय नेताओं ने विरोध दर्ज कराया था।
  • बढ़ते विरोध को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने एक समिति का गठन किया और इस समिति की सिफारिश पर कसाई खाने को बंद कर दिया गया असहयोग आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सागर में जनता की यह प्रथम विजय थी।

बुंदेला विद्रोह

  • 1842 में सागर के दीवानी न्यायालय ने सागर जिले के दो बुंदेला ठाकुर जवाहर सिंह बुंदेला और मधुकर शाह पर लगान वसूली के लिए डिक्री देकर उनकी संपत्ति जप्त करने की धमकी दी।
  • डिक्री के विरोध में बुंदेला ठाकुरों ने कुछ अंग्रेज सिपाहियों को मार दिया और शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
  • विद्रोह की आग समस्त बुंदेलखंड में फैल गई नरसिंहपुर में यह विद्रोह सबसे अधिक सफल रहा।
  • नरसिंहपुर से विद्रोह का नेतृत्व गोंड राजा दिल्हन शाह ने किया।
  • इस विद्रोह की आग जबलपुर में भी फैल गई जहां हीरापुर का राजा हृदय शाह ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया।
  • बुंदेला विद्रोह का परिणाम यह हुआ कि नर्मदा के दोनों तटों के बहुत बड़े भाग से विदेशी सत्ता कुछ समय के लिए समाप्त हो गई।
  • 1842 के अंत तक विद्रोही सरदारों और अंग्रेजों के बीच छोटी मोटी टक्कर होती रही।
  • इसी बीच कर्नल डेली द्वारा राजा हृदय शाह को सहपरिवार पकड़ लिया गया जिस कारण विद्रोहियों का मनोबल गिर गया।

मध्य प्रदेश के सत्याग्रह से संबंधित प्रश्नोत्तरी

Q.1 सिवनी में किस नेता ने गांधी चौक पर नमक सत्याग्रह किया था ?
A. दुर्गाशंकर मेहता
B. अब्दुल जब्बार
C. प्रभाकर डुंडी राज जटार
D. पूनम चंद राका

Q.2 6 अप्रैल 1930 को किसके नेतृत्व में मध्यप्रदेश में नमक सत्याग्रह प्रारम्भ हुआ ?
A. सेठ गोविंद
B. द्वारका प्रसाद मिश्र
C. ए ओर ब दोनों
D. इनमे से कोई नही

Q.3 मध्यप्रदेश में झंडा सत्याग्रह की शुरुआत कँहा से हुई थी ?
A. शिवपुरी
B. जबलपुर
C. बैतूल
D. छतरपुर

Q.4 13 अप्रैल 1923 को नागपुर में शुरू हुए सत्याग्रह के साथ जबलपुर में किसके नेतृत्व में सत्याग्रह का आयोजन हुआ?

मध्य प्रदेश में जंगल सत्याग्रह कहाँ हुआ था?

महात्मा गांधी के साथ बिलासपुर में पदयात्रा भी की। इसके बाद 1922 के असहयोग आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस वजह से एक वर्ष कारावास भी झेलना पड़ा। 1930 में जब जंगल सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ तो उसमें भी अंग्रेजों की खिलाफत करने लगे।

जंगल सत्याग्रह के जनक कौन?

जनवरी 1922 के प्रथम सप्ताह में जंगल सत्याग्रह की घोषणा की गई। इस सत्याग्रह के सूत्रधार थे श्यामलाल सोम।

घोड़ाडोंगरी सत्याग्रह कब हुआ?

घोड़ा-डोंगरी का जंगल सत्याग्रह की प्रमुख घटनाएँ बताइए। Solution : घोड़ा-डोंगरी का जंगल सत्याग्रह-आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिला स्वतन्त्रता आन्दोलन का प्रमुख केन्द्र रहा है और यहाँ के वनवासियों ने पराधीनता के विरुद्ध संघर्ष किया। सन् 1930 के जंगल सत्याग्रह के समय बैतूल के आदिवासी समुदाय ने आन्दोलन की मशाल थाम ली।

जंगल सत्याग्रह से आप क्या समझते हैं?

उसी जागरूकता के परिणामस्वरूप नमक भंडारण की सुविधाओं से विहीन तथा समुद्र से दूर मध्य प्रांत एवं बरार जैसे प्रांतों में भी लोगों ने नमक कानून का विरोध किया। उसी जागरूकता के कारण लोगों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा थोपे गए दूसरे जनविरोधी कानूनों को तोड़ने का साहस दिखाया। जंगल सत्याग्रह भी उसी जागरूकता का परिणाम था।