मानव श्वसन तंत्र का चित्र सहित वर्णन कीजिए - maanav shvasan tantr ka chitr sahit varnan keejie

प्रत्येक जीव को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यही ऑक्सीजन कोशिकाओं तक पहुँच कर भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण कर ऊर्जा पैदा करती है। ऑक्सीजन हम साँस के साथ अन्दर लेते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हें। ऑक्सीजन द्वारा भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप जल व CO2 का निर्माण होता है तथा ऊर्जा मुक्त होती है यही श्वसन कहलाता है। चलिए जानते हैं Respiratory System in Hindi के बारे में।

This Blog Includes:
  1. श्वसन क्या है?
  2. अंत:श्वसन व बहि श्वसन में अंतर
    1. जन्तुओं में श्वसन
    2. श्वसन तन्त्र
  3. श्वसन तन्त्र के अंग 
    1. 1) नाक/ नासिका
    2. 2) ग्रसनी
    3. 3) स्वरयन्त्र
    4. 4) श्वास-नली/श्वासप्रणाल
    5. 5) वायु नलियाँ
    6. 6) डायाफ्राम
    7. 7) फेफड़े
  4. श्वसन तन्त्र का कार्य
  5. श्वसन की प्रक्रिया
  6. श्वसन तंत्र काम कैसे करता है?
    1. पौधों में श्वसन
    2. पौधे कैसे श्वसन करते हैं?
  7. श्वसन तंत्र को मजबूत कैसे बनाएं?
  8. श्वसन तंत्र संबंधी विकार क्या हैं?
  9. श्वसन पथ
  10. श्वास-गति
  11. FAQs

श्वसन क्या है?

Yogendra कहते हैं:

दिसम्बर 11, 2021 को 10:59 पूर्वाह्न पर

Good

प्रतिक्रिया

  1. Team Leverage Edu कहते हैं:

    दिसम्बर 27, 2021 को 10:17 अपराह्न पर

    आपका शुक्रिया

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  • Shekh Sadoon कहते हैं:

    दिसम्बर 11, 2021 को 11:32 पूर्वाह्न पर

    This is excellent for read in hindi

    प्रतिक्रिया

    1. Team Leverage Edu कहते हैं:

      दिसम्बर 27, 2021 को 10:17 अपराह्न पर

      आपका धन्यवाद

      प्रतिक्रिया

  • Naina कहते हैं:

    दिसम्बर 31, 2021 को 10:20 अपराह्न पर

    Thank you for sharing it….

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    1. रश्मि पटेल कहते हैं:

      जनवरी 31, 2022 को 7:13 अपराह्न पर

      इस लेख को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

      प्रतिक्रिया

  • Pratibha yadav कहते हैं:

    जनवरी 5, 2022 को 1:38 अपराह्न पर

    Apki jankari kafi helpful rahi

    प्रतिक्रिया

    1. रश्मि पटेल कहते हैं:

      जनवरी 31, 2022 को 7:05 अपराह्न पर

      हमारे लेख को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

      प्रतिक्रिया

    1. Yogendra कहते हैं:

      दिसम्बर 11, 2021 को 10:59 पूर्वाह्न पर

      Good

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      1. Team Leverage Edu कहते हैं:

        दिसम्बर 27, 2021 को 10:17 अपराह्न पर

        आपका शुक्रिया

        प्रतिक्रिया

    2. Shekh Sadoon कहते हैं:

      दिसम्बर 11, 2021 को 11:32 पूर्वाह्न पर

      This is excellent for read in hindi

      प्रतिक्रिया

      1. Team Leverage Edu कहते हैं:

        दिसम्बर 27, 2021 को 10:17 अपराह्न पर

        आपका धन्यवाद

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    11. डायाफ्राम के कार्य-  यह डायाफ्राम वक्ष एवं उदर को विभजित करने का कार्य करता है। फेफड़ों का इस डायाफ्राम के साथ जुड़ने के कारण जब फेफड़ों में श्वास भरता हैं तब इसका प्रभाव उदर (पेट) पर पड़ता है तथा डायाफ्राम का दबाव नाचे की ओर होने के कारण उदर का विस्तार होता है जबकि इसके विपरित फेफड़ों से श्वास बाहर निकलने पर जब फेफड़ें संकुचित होते हैं तब डायाफ्राम का खिचाव ऊपर की ओर होने के कारण उदर का संकुचन होता है। इस प्रकार श्वसन क्रिया का प्रभाव उदर प्रदेष पर पडता है। 

    Solution : श्वसन तंत्र-मनुष्य में श्वसन क्रिया एक पूर्ण विकसित तंत्र द्वारा होती है। जिसे श्वसन तंत्र कहते हैं। मनुष्य में यह तंत्र कई अंगों का बना होता है। इन अंगों को श्वसनांग कहते हैं। कार्य के अनुसार श्वसन अंगों को दो समूहों में बाँटा जा सकता है (i) मुख्य या आवश्यक अंग-श्वसन तंत्र में फेफडा आवश्यक अंग है जिसमें रक्त तथा वायु के मध्य `O_2` एवं `CO_2` का परस्पर विनिमय होता है।
    श्वसन के मुख्य अंग या फेफड़ा (Lungs)-मनुष्य के श्वसन तंत्र में एक जोड़ी फेफड़ा पाया जाता है, जो शंकु के समान होता है। यह हृदय के दोनों तरफ फुफ्फुसीय गुहा से ढंका हुआ रहता है। श्वसन के सहायक अंग-इनकी रचनाएँ निम्नांकित भागों में बँटी रहती हैं (1) नासा छिद्र या नासा मार्ग-मनुष्य के मुख के ऊपर एक जोड़ी नासा छिद्र पाये जाते हैं जिनके बीच में एक पट पाया जाता है। यह छोटी गुहा में खुलता है, जिसे नासा मार्ग कहते हैं। (2) कंठ तथा श्वास नाल-नासा गुहा से श्वसन में ली गई `O_2` ग्रसनी से होते हुए एक नली में जाती हैं जिसे श्वास नली कहते हैं। यह करीब 12 से.मी. लम्बी होती है। श्वास नली का अगला सिरा एक बक्से के समान रचना बनाता है, जिसे कंठ या स्वर कोष (Larynx) कहते हैं। (3) ब्रोंकाई एवं ब्रोंकिओल्स-श्वासनली वक्षीय गुहा रब में जाकर दो भागों में बँट जाती है। जिन्हें ब्रोंकाई कहते हैं। से प्रत्येक ब्रोंकस अपने-अपने तरफ के फेफड़ों में जाकर कई द्व शाखाओं में बँट जाती है। ये शाखाएँ पुन: पतली शाखाओं में कि बँट जाती हैं जिन्हें ब्रोंकिओल्स कहते हैं। पुन: बोंकिओल्स2f से 10 शाखाओं में बँट जाती हैं, जिन्हें कूपिका वाहिनी कहते हैं। कूपिका वाहिनी का अन्तिम सिरा फूलकर छोटे कोषों में समाप्त हो जाता है, जिन्हें कूपिका कोष कहते हैं। इनमें और छोटे-छोटे कोष होते हैं जो कि कूपि कोष या वायु कोष्ठ कहलाते हैं। इनकी दीवार फुफ्फुसीय ऊतकों की बनी होती है। कपिकाओं के कारण ही फेफड़ा स्पॉन्जी होता है।