मोहन ने पुस्तक पढ़ी में ने कौन सा कारक है? - mohan ne pustak padhee mein ne kaun sa kaarak hai?

हिन्‍दी व्‍याकरण : कारक

Hindi Grammer : Karak (Case)

परिभाषा : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से, उसका संबंध वाक्‍य में प्रयुक्‍त अन्‍य शब्‍दों के साथ ज्ञात होता है, उसे कारक कहते हैं।

‘प्रत्‍येक वाक्‍य में एक क्रिया अवश्‍य होती है, जो क्रिया में सहायक हो या जो किसी शब्‍द का क्रिया से संबंध बताए वह ‘कारक’ है।’

जैसे – सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट को काफी ऊँचाई पर पहुँचाया।

यहाँ ‘पहुँचाना’ क्रिया का अन्‍य पदों सचिन तेंदुलकर, क्रिकेट, ऊँचाई आदि से संबंध है। वाक्‍य में ‘ने’, ‘को’ और ‘पर’ का प्रयोग हुआ है। इन्‍हें कारक चिह्न, विभक्ति चिह्न या परसर्ग कहते हैं।

हिन्‍दी में कहीं-कहीं कारक-चिह्न लुप्‍त रहते हैं।

जैसे-

– मोहन पुस्‍तक पढ़ता है।

– लड़कियाँ गीत गा रही थीं।

यहाँ ‘मोहन’ ‘पुस्‍तक’ ‘लड़कियाँ’, ‘गीत’ के साथ कारक-चिह्न नहीं है। ऐसे स्‍थानों पर शून्‍य चिह्न माना जाता है।

कारक एवं कारक चिह्न : –

हिन्‍दी में कारकों की संख्‍या आठ मानी गई है। इन कारकों के नाम एवं इनके कारक चिह्नों का विवरण निम्‍न प्रकार है :-

क्र. स. —कारक—कारक चिह्न

1.—कर्ता कारक—शून्‍य, ने (को, से द्वारा)

2.—कर्म कारक—शून्‍य, को

3. —करण कारक—से, द्वारा (साधन/माध्‍यम)

4. —सम्‍प्रदान कारक—को, के लिए

5. —अपादान कारक—से (अलग होने का भाव)

6. —संबंध कारक—का, के, की, ना, ने, नी, रा, रे री

7. —अधिकरण कारक—में, पर

8. —संबोधन कारक—हे, हो, अरे, अरी, अजी आदि।

कारकों का स्‍वरूप विवेचन :-

1. कर्ता कारक:- कर्ता का शाब्दिक अर्थ होता है, करने वाला। वाक्‍य में जो संज्ञा या सर्वनाम शब्‍द क्रिया को सम्‍पन्‍न करता है, ‘कर्ता कारक’ कहलाता है।

जैसे – रवि ने पत्र लिखा।

इस वाक्‍य में ‘लिखा’ क्रिया है जिसका संपादक ‘रवि’ है यानि कर्ता कारक रवि है।

कर्ता कारक का कारक चिह्न ‘शून्‍य’ और ‘ने’ है, जहाँ ‘ने’ चिह्न लुप्‍त रहता है, वहाँ कर्ता का ‘शून्‍य’ चिह्न माना जाता है।

जैसे – सूर्य प्रकाश देता है।

यहाँ सूर्य में ‘शून्‍य’ कारक चिह्न है।

यद्यपि कर्ता कारक के मूल कारक चिह्न ‘ने’ या ‘शून्‍य’ होते हैं तथापि कभी-कभी ‘को’, ‘से’, ‘द्वारा’, ‘के द्वारा’ का प्रयोग भी कर्ता कारक में देखा जाता है। (जब ये परसर्ग कर्ता के बाद जुड़े हो)

जैसे – राम को कल जयपुर जाना है।

– मुझसे आज खेला नहीं जायेगा।

– उसके द्वारा समाचार-पत्र पढ़ा गया।

– मोहन द्वारा कार्य पूर्ण कर लिया गया।

सर्वनाम शब्‍दों के साथ कारक-चिह्न उनसे जुड़कर प्रयुक्‍त होते हैं जबकि संज्ञा शब्‍दों के साथ ये स्‍वतंत्र रूप से प्रयुक्‍त होते हैं।

जैसे – उसने मेला देखा [उस- पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्‍यपुरुष]

– राम ने मेला देखा [राम- व्‍यक्तिवाचक संज्ञा]

यदि वाक्‍य सामान्‍य भूत, पूर्णभूत, संदिग्‍ध भूत एवं हेतुहेतुमद् भूत काल का है तथा वाक्‍य की क्रिया सकर्मक है तो कर्ता के आगे ‘ने’ परसर्ग का प्रयोग होता है। शेष वाक्‍यों में परसर्ग शून्‍य रहता है।

जैसे –

– सोहन ने पुस्‍तक पढ़ी। [सामान्‍य भूत]

– सोहन ने पुस्‍तक पढ़ी है। [आसन्‍न भूत]

– सोहन ने पुस्‍तक पढ़ी थी। [पूर्ण भूत]

– सोहन ने पुस्‍तक पढ़ी होगी। [संदिग्‍ध भूत]

– सोहन ने पुस्‍तक पढ़ी होती तो उत्तीर्ण हो जाता है। [हेतुहेतुमद् भूत]

2. कर्म कारक:-वाक्‍य में क्रिया का फल जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्‍द पर पड़ता है, उसे ‘कर्म कारक’ कहते हैं।

जैसे –

– राम ने रावण को मारा।

यहाँ ‘राम’ कर्ता कारक है और ‘रावण’ कर्म कारक।

– पुलिस ने चोर को पकड़ा।

यहाँ ‘पुलिस’ कर्ता कारक है और ‘चोर’ कर्म कारक।

कर्ता कारक की भाँति कर्म कारक भी विभक्ति रहित और विभक्ति सहित प्रयुक्‍त होता है।

जैसे – बालक पुस्‍तक पढ़ता है।

यहाँ ‘पुस्‍तक’ विभक्ति-चिह्न रहित है। इस स्थिति में क्रिया पर ‘क्‍या’ प्रश्‍न का आरोप करने पर जो उत्तर प्राप्‍त होता है, वह कर्म कारक होगा।

जैसे- 1. क्‍या पढ़ता है?

उत्तर प्राप्‍त होगा- ‘पुस्‍तक’

अत: ‘पुस्‍तक’ कर्म कारक है।

2. चरवाहा गायों को चरा रहा था।

यहाँ ‘गायों’ विभक्ति-चिह्न सहित है। जब कर्म के विभक्ति चिह्न लगा हो तो क्रिया पर ‘किसको’ प्रश्‍न का आरोप करने पर जो उत्तर प्राप्‍त होता है वही कर्म है।

जैसे – किसको चरा रहा था?

उत्तर प्राप्‍त होगा- ‘गायों को’

अत: ‘गायें’ कर्म कारक है

– यदि वाक्‍य की क्रिया द्विकर्मक हो तो एक कर्म प्रधान तथा दूसरा कर्म गौण होता है (वस्‍तुबोधक कर्म प्रधान तथा प्राणीबोधक कर्म गौण होता है।)

मोहन ने पुस्तक पढ़ी में ने कौन सा कारक है? - mohan ne pustak padhee mein ne kaun sa kaarak hai?

यद्यपि कर्म कारक के मूल विभक्ति-चिह्न ‘शून्‍य’ और ‘को’ होते हैं, परन्‍तु कभी-कभी ‘से’ विभक्ति-चिह्न भी प्रयुक्‍त होता है।

जैसे –

– मोहन रोहन से द्वेष रखता है।

– शिक्षक ने छात्र से प्रश्‍न किया।

– राम सीता से प्रेम करते थे।

3. करण कारक:-करण का शाब्दिक अर्थ होता है ‘साधन’ या ‘उपकरण’। वाक्‍य में जिस साधन या माध्‍यम से क्रिया का सम्‍पादन होता है, ‘करण कारक’ कहलाता है।

जैसे –

– ललिता चाकू से फल काटती है।

– बच्‍चा खिलौने से खेल रहा है।

– पिताजी बस के द्वारा जयपुर गये।

– मोहन लाठी से साँप को मार रहा है।

– मैं पत्र द्वारा सूचित कर दूँगा।

कभी-कभी वाक्‍यों में करण कारक का परसर्ग भी लुप्‍त रहता है। ऐसे वाक्‍यों में करण कारक की पहचान करने के लिए सीधे क्रिया के साधन/उपकरण की खोज करनी चाहिए। जैसे –

– मैं आपको आँखों देखी सड़क दुर्घटना का हाल सुना रहा हँ।

‘किससे’ से प्रश्‍न बनाना है जो उत्तर प्राप्‍त हो वही करण कारक है।

किससे देखी? उत्तर प्राप्‍त होगा- आँखों से

– आज भी देश में लाखों लोग भूखों मर रहे हैं।

प्रश्‍न- किससे मर रहे हैं? उत्तर प्राप्‍त होगा भूख से

– पहलवान ने अपने दो-दो बेटों को अपने हाथों दफ़नाया।

प्रश्‍न- किससे दफनाया? उत्तर प्राप्‍त होगा- हाथों से

4. सम्‍प्रदान कारक:- वाक्‍य में प्रयुक्‍त कर्ता जिसके लिए कोई क्रिया करे, उसे ‘सम्‍प्रदान कारक’ कहते हैं।

जैसे –

– चिड़ियाँ बच्‍चों के लिए दाना लाती हैं।

– रमेश महेश के लिए आम लाया है।

– नरेश खिलाड़ी के लिए पानी लाया।

– सीता रीता के लिए चाय बना रही है।

निम्‍न शर्तों पर भी सम्‍प्रदान कारक होता है –

(i) यदि ‘के लिए’ के स्‍थान पर ‘के वास्‍ते’ ‘के खातिर’ ‘के निमित्त’ आदि का प्रयोग होता है।

जैसे –

– आपके वास्‍ते पुस्‍तक लेकर आया हूँ।

– माताजी के खातिर दवा लाया हूँ।

– मुख्‍यमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों के निमित्त अनाज और कपड़े बँटवाए।

– यह जल पूजा के निमित्त है।

(ii) जब किसी को कोई वस्‍तु स्‍थाई रूप से दे दी जाती है। ऐसे वाक्‍यों में ‘को’ परसर्ग का प्रयोग होगा।

जैसे –

– गृहिणी ने भिक्षुक को भिक्षा दी।

– सरकार ने किसानों को मुआवजा दिया।

– सेठ ने गरीबों को कपड़े दिए।

(iii) अभिवादन के लिए भी सम्‍प्रदान कारक होता है।

जैसे –

– पिताजी को प्रणाम।

– गुरुजी को नमस्‍कार।

5. अपादान कारक:- वाक्‍य में जिस स्‍थान या वस्‍तु से किसी व्‍यक्ति या वस्‍तु की पृथकता अथवा तुलना का बोध होता है, वहाँ ‘अपादान कारक’ होता है।

जैसे –

– पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं।

– छात्र खेलकर मैदान से चले गये।

– तोता पिंजड़े से उड़ गया।

– भारती छत से गिर गई।

– गंगा हिमालय से निकलती है।

निम्‍न स्‍थानों पर भी अपादान कारक होता है –

(i) गत्‍यर्थक क्रिया वाले वाक्‍यों में।

जैसे –

– प्रधानमंत्री चीन से लौट आये हैं।

– वह अभी तक उज्‍जैन से नहीं लौटा है।

(ii) भय के भाव में।

जैसे – बच्‍चा साँप से डर गया।

खरगोश बाघ से डरता है।

(iii) घृणा या ईर्ष्‍या के भाव में।

जैसे –

– सरिता को गन्‍दगी से बहुत घृणा है।

– राम श्‍याम से ईर्ष्‍या करता है।

(iv) लज्‍जा के भाव में।

जैसे –

– बहू ससुर से शरमाती है।

– छात्र शिक्षक से लजाता है।

(v) तुलना के भाव में।

जैस –

– चीन भारत से बड़ा देश है।

– सीता रीता से अधिक बुद्धिमान है।

(vi) जहाँ से कार्य आरम्‍भ हो।

जैसे –

– कल से टी-20 क्रिकेट मैच शुरू होंगे।

– जुलाई से बनारस मैट्रो आरम्‍भ होगी।

(vii) जिनसे शिक्षा ग्रहण की जाये।

– पाण्‍डवों ने द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखी।

– छात्र शिक्षक से पढ़ रहा है।

6. संबंध कारक:- वाक्‍य में प्रयुक्‍त संज्ञा या सर्वनाम शब्‍द का वह रूप जिससे उसका संबंध वाक्‍य के किसी अन्‍य शब्‍द (क्रिया को छोड़कर) के साथ हो, ‘सम्‍बन्‍ध कारक’ कहलाता है।

का, के, की का प्रयोग स्‍वतंत्र रूप से होता है और रा, रे, री का प्रयोग पुरुषवाचक सर्वनाम में जुड़कर होता है तथा ना, नी, ने का प्रयोग भी निजवाचक सर्वनाम शब्‍दों में जुड़कर होता है।

जैसे –

– मोहन का भाई आ रहा है।

– शुभम की बहिन विवेक विहार में रहती है।

– सूरत के बाजारों में भीड़ बहुत रहती है।

– मेरा विद्यालय दो मील दूर है।

– मेरी पुस्‍तक कल लौटा देना।

– मेरे मित्र कल आएँगे।

– अपना परिचय-पत्र दिखाओ।

– अपनी दुकान सबसे सुन्‍दर है।

– अपने लोग अभी-अभी आ रहे हैं।

7. अधिकरण कारक:-अधिकरण का तात्‍पर्य है, ‘आधार’। वाक्‍य में प्रयुक्‍त संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो क्रिया के आधार का बोध कराता है, ‘अधिकरण कारक’ कहलाता है।

यह आधार तीन प्रकार होता है –

(i) स्‍थानाधार – जब कोई स्‍थानबोधक शब्‍द क्रिया का आधार बने।

जैसे –

– बन्‍दर पेड़ पर बैठा है।

– कमरे में पंखा चल रहा है।

– मछलियाँ जल में रहती हैं।

(ii) समयाधार – जब कोई कालबोधक शब्‍द क्रिया का आधार बने।

जैसे –

– मैं अभी दो मिनट में आता हूँ।

– प्रियंका दो घण्‍टे में अपना कार्य निपटा लेगी।

(iii) भावाधार – जब कोई क्रिया ही क्रिया का आधार बने।

जैसे –

– मुकेश पढ़ने में तेज है।

– रीना दौड़ने में तेज है।

मैं और पर का प्रयोग

– सभी लड़कों में सुनील सबसे होशियार है।

– पाकिस्‍तान में तालिबान में कोई फर्क नहीं है।

– वह भगवान की शरण में अवश्‍य आयेगा।

– पुस्‍तकें अलमारी में रखी हैं।

– बिल्‍ली टेबल पर बैठी है।

– शिवराज छत पर बैठा है।

– यहाँ से पाँच किलोमीटर पर गाँव है।

– नियत समय पर काम करो।

अधिकरण कारक में प्रयुक्‍त होने वाले मूल चिह्न ‘में’, ‘पर’ हैं। कभी-कभी ‘के अन्‍दर’ के सामने, के ऊपर, के भीतर आदि का प्रयोग भी होता है।

जैसे –

– कमरे के अन्‍दर मेज रखी है।

– अस्‍पताल के सामने मेरा घर है।

– मेज के ऊपर गिलास रखा है।

– सुरेश घर के भीतर घुसा रहता है।

कभी-कभी अधिकरण कारक में ‘को’ विभक्ति चिह्न का प्रयोग होता है।

जैसे –

– रविवार को बैंक बन्‍द रहता है।

– मैं शाम को घर आता हूँ।

कभी – कभी अधिकार कारक विभक्ति चिह्न रहित होता है।

जैसे –

– इन दिनों वह पटना गया है।

– नदी के किनारे साधु बाबा रहते थे।

– राकेश कॉलेज नहीं जा रहा।

– पहले इस जगह एक सिनेमा था।

8. संबोधन कारक:-संज्ञा का जो रूप किसी को संबोधित करने या पुकारने के लिए वाक्‍य में प्रयुक्‍त होता है, उसे ‘संबोधन कारक’ कहते हैं।

जैसे –

– हे प्रभु ! मुझ पर दया करो।

– अरे साहिल ! तुम जयपुर से कब लौटे?

– ए भाई ! पहले मेरी बात तो सुनो।

– अरी राधा ! तुम वहाँ क्‍या कर रही थी?

ध्‍यान रहे जब यह चिह्न ( ! ) हर्ष, शोक, दु:ख, कामना, घृणा आदि के भाव का बोध कराने वाले शब्‍दों के आगे जुड़ता है तो विस्‍मयादिबोधक चिह्न कहलाता है और यही चिह्न संबोधन शब्‍दों के आगे जुड़ने पर संबोधन चिह्न कहलाता है।

कभी-कभी संबोधन शब्‍द संज्ञा के साथ प्रयुक्‍त न होकर अकेले भी आते हैं।

जैसे –

– अरे, इधर आओ।

– अजी, क्‍या बाजार जा रहे हो?

– अरी, क्‍या तुम अभी तक विद्यालय नहीं गई?

कभी-कभी संबोधन कारक के विभक्ति चिह्न प्रयुक्‍त नहीं होते फिर भी संबोधन कारक होता है।

जैसे –

– बेटा, परीक्षा निकट है अत: पढ़ाई में ध्‍यान लगाओ।

– बच्‍चो, छत पर मत चढ़ना।

– देवियों और सज्‍जनों, विवेकानन्‍द की नगरी खेतड़ी में आपका स्‍वागत है।

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मोहन ने पुस्तक पढ़ी में ने कौन सा कारक है? - mohan ne pustak padhee mein ne kaun sa kaarak hai?

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राम ने पुस्तक पढ़ी में कौन सा कारक है?

Answer: 1 - कर्ता कारक । Explanation: राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।

मोहन को पढ़ना चाहिए कौन सा कारक है?

Explanation: मोहन पुस्तक पढ़ता है इस वाक्य में कर्म कारक का प्रयोग हुआ है। वाक्य में क्रिया का फल शब्द पर पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं।

राम ने मोहन को पुस्तक दी में कौन सा कारक है?

सम्प्रदान कारक / Karak : जिसके लिए कुछ किया जाए या जिसको कुछ दिया जाए इसका बोध कराने वाले शब्द को सम्प्रदान कारक कहते हैं; जैसे-'उसने विद्यार्थी को पुस्तक दी' वाक्य में विद्यार्थी सम्प्रदान है और इसका चिह्न 'को' है

मोहन पुस्तक पढ़ता है इस वाक्य में कर्ता कौन सा है?

'पढ़ता है' पद एक कर्तृवाच्य, सकर्मक क्रिया है जिसका कर्म 'पुस्तक' तथा कर्ता 'मोहन (पुल्लिंग, एकवचन)' है