लव-कुश का जन्म कहां पर हुआ था - lav-kush ka janm kahaan par hua tha

Ramayan Luv Kush: भगवान श्रीराम और माता सीता के जुड़वा बेटे हैं लव और कुश। जिनका जन्म वाल्मीकि आश्रम में हुआ था। ऋषि वाल्मीकि ने ही महान ग्रंथ रामायण की रचना की थी। भगवान श्रीराम द्वारा त्यागे जाने के बाद देवी सीता ने अपना जीवन ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में बिताया। वर्तमान में वाल्मीकि आश्रम कानपुर शहर से 17 किलोमीटर दूर बिठूर गांव में मौजूद माना जाता है। लव-कुश की जन्म स्थली कही जाने वाली बिठूर में लोग दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है कि इसी जगह रामायण ग्रंथ की रचना भी हुई थी।

यहां बहती है हिंडन नदी: इस आश्रम के पास हिंडन नाम की नदी बहती है जिसे गंगा की तरह ही पवित्र माना जाता है। आश्रम के परिसर में माता सीता का मंदिर स्थित है। यहां माता सीता की रसोई भी बनी हुई है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यहां मौजूद बर्तन वही हैं जिनका माता सीता खाना बनाने में उपयोग किया करती थीं।

ये भी हैं निशानियां: सीता रसोई के साथ ही यहां एक कुआं भी स्थापित है जिसे लेकर कहा जाता है कि माता सीता इसका प्रयोग पानी के लिए करती थीं। साथ ही एक पेड़ भी है जिसको लेकर माना जाता है कि यही लव कुश बैठकर ऋषि वाल्मीकि से शिक्षा प्राप्त किया करते थे। भगवान राम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था तो कोई भी राजा श्रीराम के घोड़े को पकड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। रामायण में उल्लेख है कि जब वह घोड़ा बिठूर पहुंचा तो लव कुश ने उसे बांध लिया था। जब श्रीराम को घोड़ा हनुमान जी छुड़ाने के लिए आए तो लव कुश ने उन्हें परास्त कर बंधक बना लिया था। आज भी यह स्थल यहां बना हुआ है, जहां हनुमान जी और लक्ष्मण जी को कैद किया किया गया था।

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सीता पाताल प्रवेश: बताया जाता है कि इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव कुश उनके पुत्र है। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी। इस स्थान की आज भी होती है पूजा।

वाल्मीकि रामायण में प्रभु श्रीराम के पुत्र लव और कुश की गाथा कर वर्णन किया गया है। रामानंद सागर ने मूल रामायण से अलग उत्तर कांड पर आधारित उत्तर रामायण नामक सीरियल बनाया है। आओ जानते हैं कि लव और कुश के बारे में संक्षिप्त जानकारी।

लव और कुश का जन्म : सीता जब गर्भवती थीं तब उन्होंने एक दिन राम से एक बार तपोवन घूमने की इच्‍छा व्यक्त की। किंतु राम ने वंश को कलंक से बचाने के लिए लक्ष्मण से कहा कि वे सीता को तपोवन में छोड़ आएं। हालांकि कुछ जगह उल्लेख है कि श्रीराम का सम्मान उनकी प्रजा के बीच बना रहे इसके लिए उन्होंने अयोध्या का महल छोड़ दिया और वन में जाकर वे वाल्मीकि आश्रम में रहने लगीं। वे गर्भवती थीं और इसी अवस्था में उन्होंने अपना घर छोड़ा था। वाल्मीकि आश्रम से सीता ने लव और कुश नामक 2 जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।

शिक्षा दीक्षा : लव और कुश की पढ़ाई-लिखाई से लेकर विभिन्न कलाओं में निपुण होने के पीछे महर्षि वाल्मीकि का ही हाथ था। उन्होंने ही दोनों राजकुमारों को हर तरह की शिक्षा और विद्या में परंगत किया।

वाल्मीकि ने पढ़ाई रामायण : महर्षि वाल्मीकि ने लव और कुश को रामायण भी पढ़ाई थी। कहते हैं कि लव और कुश को बहुत समय तक यह ज्ञात नहीं था कि उनके पिता प्रभु श्रीराम हैं।

राम से लड़ाई :
कहते हैं कि एक बार श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ किया और यज्ञ का श्वेत अश्व (घोड़ा) छोड़ दिया। घोड़ा जहां-जहां जाता था वहां के राजा अयोध्या की अधीनता स्वीकार कर लेते या युद्ध करके पराजित हो जाते थे। यह घोड़ा भटकते हुए जंगल में आ गया। वहां लव और कुश ने इसे पकड़ लिया। घोड़ा पकड़ने का अर्थ है अयोध्या के राजा को चुनौती देना।

राम को जब यह पता चला कि किन्हीं सुकुमारों ने घोड़ा पकड़ लिया तो पहले उसका आशय जानने के लिए दूत भेजे। जब यह पता चला कि लव और कुश घोड़ा छोड़ने को तैयार नहीं है और वे चुनौती दे रहे हैं तो श्रीराम के भाइयों भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण के साथ लव-कुश का युद्ध हुआ लेकिन सभी भाई पराजित होकर लौट आए। यह देखकर श्रीराम को खुद ही युद्ध करने आना पड़ा लेकिन युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला। तब राम ने दोनों बालकों की योग्यता देखते हुए उन्हें यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण दिया।

नगर में पहुंचकर लव और कुश ने राम की गाथा का गुणगाण किया और दरबार में उन्होंने माता सीता की व्यथा कथा गाकर सुनाई। यह सुन और देखकर प्रभु श्रीराम को ये पता चला गया कि लव और कुश उनके ही बेटे हैं। उन्हें तब बहुत दुख हुआ और वे सीता को पुन: राज महल ले आए।

लव और कुश का राज्याभिषेक : भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे। मथुरा का नाम पहले शूरसेन था। लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया।

राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोसल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले में थी। कोसला को राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है। रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था।

लव और कुश के वंशज : राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बर्गुजर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश चला।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने लवपुरी नगर की स्थापना की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं।

राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, छल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ।

कुश वंश के राजा सीरध्वज को सीता नाम की एक पुत्री हुई। सूर्यवंश इसके आगे भी बढ़ा जिसमें कृति नामक राजा का पुत्र जनक हुआ जिसने योग मार्ग का रास्ता अपनाया था। कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है।

एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यह इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारतकाल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए।

भगवान श्रीराम के बाद बाद लव ने श्रावस्ती बसाई और इसका स्वतंत्र उल्लेख अगले 800 वर्षों तक मिलता है। कहते हैं कि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था। इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा। रामचंद्र से लेकर द्वापरकालीन महाभारत और उसके बहुत बाद तक हमें अयोध्या के सूर्यवंशी इक्ष्वाकुओं के उल्लेख मिलते हैं। इस वंश का बृहद्रथ, अभिमन्यु के हाथों 'महाभारत' के युद्ध में मारा गया था। महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी गई लेकिन उस दौर में भी श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था जो लगभग 14वीं सदी तक बरकरार रहा।

लव कुश का जन्म कौन से गांव में हुआ था?

बाद में ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में उन्होंने शरण ली थी और वहीं पर लव-कुश का जन्म हुआ था। आपको शायद पता ना हो लेकिन ऋषि वाल्मीकि का आश्रम वर्तमान युग के अनुसार उत्तरप्रदेश में स्थित था। यह आश्रम कानपुर शहर से करीबन 17 किलोमीटर दूर बिठूर गांव में स्थित है।

लव कुश का जन्म कब और कहां हुआ था?

(३) राम के सीता से उत्पन्न यमज पुत्रों में ज्येष्ठ पुत्र। लोकापवाद के भय से जब राम ने गर्भवती सीता का परित्याग कर दिया। लक्ष्मण उन्हें तमसा तट पर वाल्मीकि आश्रम के निकट छोड़ आए तब वाल्मीकि के आश्रम में कुश और लव का जन्म हुआ था

लव और कुश कैसे पैदा हुई?

तब माता सीता गर्भवती थीं और उन्हें ऋषि वाल्मीकि ने अपने आश्रम में शरण दी थी. वहीं माता सीता ने अपने दोनों पुत्रो को जन्म दिया. जिन्हे महर्षि वाल्मीकि ने शिक्षा दी और यहीं आश्रम में लव-कुश का बाल्यकाल व्यतीत हुआ. कथा के बारे में हमें बता रहे हैं भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिष, आइए जानते हैं.

लव कुश कौन थे और कहाँ रहते थे?

लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया। राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोसल में विभाजित था।